सर्जरी (Surgery): सर्जन हेल्दी टिश्यू को इन्टेक्ट रखते हुए जितना संभव हो ट्यूमर को हटा देते हैं। गंभीर मामलों में, रोगी को व्हिपल प्रोसीजर (Whipple procedure) से गुजरना पड़सकता है। जिसमें सर्जन रोगी के डुओडेनम (duodenum), गॉलब्लेडर (gallbladder) और आपके पैंक्रियाज के एक छोटे से हिस्से को हटा देते हैं। कीमोथेरेपी (Chemotherapy): कीमोथेरेपी में उन मेडिकेशन्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर के फास्ट-ग्रोइंग सेल्स को डिस्ट्रॉय कर देती हैं जैसे कैंसर सेल्स। कीमोथेरेपी का इस्तेमाल कई बार ट्रीटमेंट के रूप में किया जाता है। रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy): रेडिएशन थेरेपी में रेडिएशन बीम्स को रोगी के गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal Tract) में डायरेक्ट किया जाता है। इससे ट्यूमर सेल्स सिकुड़ जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं। जानिए डुओडेनल कैंसर से कैसे बचा जा सकते हैं? और पढ़ें: स्टमक कैंसर कीमोथेरिपी (Stomach cancer chemotherapy): कब जरूरत पड़ती है पेट के कैंसर में कीमोथेरिपी!
इस कैंसर से इस तरह से बचें?
डुओडेनल कैंसर (Duodenal Cancer) से बचाव का कोई गारंटीड तरीका नहीं है। लेकिन, इन स्टेप्स से गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal Tract) कैंसर के ओवरआल रिस्क कम किया जा सकता है, जैसे:
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अगर इस कैंसर का निदान शुरुआती स्टेज में हो जाए, तो इसका उपचार संभव है। लेटर स्टेजेज में इसका निदान करना जोखिम भरा हो सकता है। उम्मीद है कि डुओडेनल कैंसर (Duodenal Cancer) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। नियमित चेक-अप से इस कैंसर का निदान होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आपको गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट सिम्पटम्स हैं या आपकी डायजेस्टिव हैबिट्स में बदलाव हो रहा है, तो डॉक्टर से तुरंत बार करें। अगर आपके परिवार में इस कैंसर की हिस्ट्री है, तो इसके जल्दी निदान के लिए डॉक्टर नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट्स के लिए कह सकते हैं। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।