अपेंडिक्स (Appendix) लार्ज इंस्टेटाइन (Large intestine) से जुड़ा एक पतला पाउच होता है जो स्टमक के लोअर पार्ट में स्थित होता है। जब अपेंडिक्स में बदलाव आते हैं और यह तेजी से वृद्धि करने लगता है तो इसे अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) या अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) कहते हैं। कैंसरस सेल्स इकठ्ठा होकर अपेंडिक्स के अंदर मास या ट्यूमर (Tumor) का निमार्ण करती हैं। जब ट्यूमर में कैंसरस सेल्स (Cancerous cells) होती हैं तो इसे कैंसर माना जाता है। हालांकि अपेंडिक्स कैंसर बहुत दुर्लभ है। ज्यादातर अपेंडिक्स कैंसर तब विकसित होते हैं जब मरीज की अपेंडिक्स से रिलेटेड किसी प्रकार की कोई सर्जरी होती है जैसे कि अपेंडिसाइटिस (Appendicitis)। अपेंडिक्स कैंसर का कॉमन सर्जरी ट्रीटमेंट है जो कैंसर के प्रकार पर निर्भर करती है।
अपेंडिक्स कैंसर के प्रकार (Appendix Cancer types)
अपेंडिक्स कैंसर के प्रकार निम्न हैं।
कार्सिनोइड (Carcinoid) या न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर्स (Neuroendocrine tumor)
इन्हें न्यूएंडोक्राइन ट्यूमर्स (Neuroendocrine tumor) कहा जाता है। आधे से ज्यादा अपेंडिक्स कैंसरस कार्सिनोइड ट्यूमर्स (Carcinoid) होते हैं। कई लोगों में सालों तक ये ट्यूमर्स रहने के बाद इनके बारे में पता चलता है। न्यूरोएंड्रोक्राइन ट्यूमर हॉर्मोन प्रोड्यूसिंग सेल्स (Hormone Producing cells) से स्टार्ट होते हैं जो कि सामान्य रूप से बॉडी के हर अंग में पाई जाती हैं। न्यूएंडोक्राइन ट्यूमर सामान्य तौर पर गेस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal tract) और लंग्स में विकसित होते हैं, लेकिन ये पेंक्रियाज, टेस्टिकल्स और ओवरीज में भी हो सकते हैं। ज्यादातर न्यूएंडोक्राइन ट्यूमर अपेंडिक्स के टिप पर होते हैं। इस कैंसर के लक्षण तब तक नहीं दिखाई देते हैं जब तक कि यह बॉडी के दूसरे ऑर्गन्स में नहीं फैल जाता। इसके बारे में जब तक पता नहीं चलता तब तक किसी दूसरे एक्जामिनेशन के दौरान इसके संकेत नहीं मिलते।
अपेंडिसियल म्यूकोसील्स (Appendiceal mucoceles)
म्यूकोसील्स अपेंडिक्स वॉल पर होने वाली सूजन है जो म्यूकस से भरी होती है। अपेंडिक्स में म्यूकोसील के निमार्ण के लिए कई कंडिशन जिम्मेदार होती हैं। जिनमें कैंसरस और नॉनकैंसरस कंडिशन शामिल हैं। जिसमें म्यूसिनस सिस्टैडेनोमास (Mucinous cystadenomas) और म्यूसिनस सिस्टैडेनोकार्सिनोमा (Mucinous cystadenocarcinomas) प्रमुख हैं। म्यूसिनस सिस्टैडेनोमास कैंसरस नहीं होता है और यह फैलता भी नहीं है। यह एडिनोमेटल पॉलिप्स (Adenomatous polyps) की तरह होता है जो कोलोन में डेवलप हो सकता है। इन्हें सर्जरी से पूरी तरह हटाया जा सकता है। हालांकि अगर अपेंडिक्स फट जाता है तो कोशिकाएं बॉडी में फैल सकती है।
और इससे पेट में जेली जैसे पदार्थ का स्राव हो सकता हैं जिसे म्यूसिन (Mucine) कहा जाता है। म्यूसिन के निर्माण से पेट में दर्द, सूजन, बॉवेल फंक्शन में परिवर्तन आदि हो सकता है।
सिगनेट रिंग सेल एडिनोकार्सिनोमा (Signet ring cell adenocarcinoma)
ये ट्यूमर्स कोशिकाओं के रूप में शुरू होते हैं जो अपेंडिंक्स (Appendix) के अंदर होते हैं और कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal cancer) के समान व्यवहार करते हैं। यह अग्रेसिव टाइप के होते हैं और दूसरे अंगों में फैल जाते हैं। ये दुलर्भ होते हैं। ये ज्यादातर कोलोन और पेट में होते हैं, लेकिन ये अपेंडिक्स में भी डेवलप हो सकते हैं।
कोलोनिक टाइप एडिनोकार्सिनोमा (Colonic-type adenocarcinoma)
दस प्रतिशत अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) इसी प्रकार के होते हैं। ये दिखने और व्यवहार में कोलोन कैंसर (Colon Cancer) के समान होते हैं। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकते हैं। यह ज्यादातर 62 से 65 एज ग्रुप के लोगों को होते हैं। यह सामान्य तौर पर अपेंडिक्स के नीचे उत्तपन्न होते हैं। अकसर इनके बारे में पता नहीं चलता है।
गोब्लेट सेल कार्सिनोमा (Goblet cell carcinomas)
इन ट्यूमर्स में एडिनोकार्सिनोमास (Adenocarcinomas) और कार्सिनोइड (Carcinoid) दोनों के लक्षण नजर आते हैं। ये कार्सिनोइड ट्यूमर्स की तुलना में ज्यादा अग्रेसिव होते हैं। इनका ट्रीटमेंट एडिनोकार्सिनोमास की तरह ही किया जाता है।
पैरागेंग्लिओमा (Paraganglioma)
यह एक रेयर ट्यूमर है जो कि पैरागेंग्लिया सेल्स (Paraganglia cells) के विकसित होता है। पैरागेंग्लिया एड्रेनल ग्लैंड, ब्लड वैसल्स और नर्व के साथ ही सिर और गर्दन के पास पाया जाता है। इस प्रकार का ट्यूमर कैंसरस नहीं होता और इसका इलाज सफलतापूर्वक सर्जरी से किया जा सकता है।
अपेंडिक्स कैंसर के लक्षण क्या हैं? (Appendix Cancer Symptoms)
अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) की शुरुआत में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। अकसर सर्जरी के दौरान या किसी दूसरी कंडिशन के डायग्नोसिस के दौरान इसके बारे में पता चलता है। इसके लक्षण मरीजों में अलग हो सकते हैं। अपेंडिक्स कैंसर के लक्षणों में निम्न शामिल हैं।
- स्टमक और पेल्विस एरिया में दर्द
- ब्लोटिंग
- एब्डोमेन की साइज में वृद्धि
- जी मिचलाना और उल्टी आना
- खाना शुरू करने के तुरंत बाद पेट भरे होने का एहसास होना
- क्रोनिक या सीवियर एब्डोमिनल पेन
- हर्निया
- डायरिया
अपेंडिक्स कैंसर के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? (Risk Factors for Appendix Cancer)
अपेडिंक्स कैंसर (Appendix Cancer) के रिस्क फैक्टर्स हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकते हैं। यहां पर ये बात ध्यान रखना जरूरी है कि सभी रिस्क फैक्टर्स कैंसर का कारण नहीं बनते। अपेंडिक्स कैंसर के रिस्क फैक्टर्स में निम्न शामिल हैं।
- स्मोकिंग करने वाले लोगों में अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) होने की आशंका स्मोकिंग न करने वालों की तुलना में ज्यादा होती है।
- अगर फैमिली में किसी को अपेंडिक्स कैंसर रहा है तो दूसरे सदस्यों को इसके होने की आशंका बढ़ जाती है। खासतौर पर मल्टिपल एंड्रोक्राइन नियोप्लासिया टाइप 1 (MEN1) होने पर। हालांकि यह जेनेटिक बीमारी नहीं है।
- ऐसे मरीज जिनके साथ ऐसी मेडिकल कंडिशन हैं जो पेट के एसिड प्रोड्यूस करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं, तो ऐसे में अपेंडिक्स कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जिसमें एट्रोफिक गैस्ट्राइटिस (Atrophic gastritis) और पर्निशियस एनीमिया (Pernicious anemia) शामिल हैं।
- उम्र का बढ़ना अपेंडिक्स कैंसर होने की संभावना को बढ़ा देता है।
- बता दें कि महिलाओं में कार्सिनोइड ट्यूम (Carcinoid tumor) पुरुषों की तुलना में अधिक विकसित होते हैं।
अपेंडिक्स कैंसर के बारे में पता कैसे लगाया जाता है? (Diagnosis of Appendix Cancer)
अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) वाले कई लोगों में कैंसर का पता अपेंडिक्स को हटाने के बाद लगता है। इसके पहले तक यह माना जाता है कि उन्हें एपेंडिसाइटिस (appendicitis) है। बिना लक्षणों वाले लोगों के लिए भी इन ट्यूमर का भी पता लगाया जा सकता है यदि व्यक्ति का किसी अन्य कारण से इमेजिंग परीक्षण हो। अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) का निदान करते समय डॉक्टर कई फैक्टर्स को कंसीडर करेगा जैसे लक्षण, उम्र, चिकित्सा इतिहास और कैंसर के प्रकार। अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) के निदान के लिए निम्नलिखित परीक्षणों का उपयोग किया जा सकता है:
इमेजिंग टेस्ट (Imaging test)
अगर किसी को अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) के लक्षण हैं तो डॉक्टर एमआरआई (MRI) या सीटी स्कैन (CT Scan) के जरिए अपेंडिक्स का अवलोकन करेगा।
बायोप्सी (Biopsy)
ट्यूमर अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) है या नहीं इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर बायोप्सी (Biopsy) करेंगे। इसके लिए वे नीडल के जरिए ट्यूमर से छोटा सैम्पल लेंगे। फिर इस सैम्पल की स्टडी माइक्रोस्कोप के जरिए की जाएगी ताकि पता लगाया जा सके कि यह किस प्रकार का ट्यूमर है। अपेंडिक्स की बायोप्सी करना काफी कठिन होता है। इसलिए अकसर डॉक्टर इसके लिए उन टिशूज का उपयोग करते हैं जहां तक कैंसर फैल सकता है।
डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी (Diagnostic Laparoscopy)
इस प्रॉसीजर में इंट्रूमेंट को एब्डोमेन में इंसर्ट किया जाता है ताकि ऑर्गन के एरिया को देख जा सके। अगर डॉक्टर ट्यूमर के संकेत देखते हैं तो वे पेरीटोनियम (Peritoneum) की बायोप्सी कर सकते हैं ताकि पता चल सके कि कैंसर कहां तक फैल चुका है।
लैब टेस्ट्स (Lab tests)
यदि बायोप्सी में इस बात का पता चल जाता है कि मरीज को अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) है तो डॉक्टर कुछ लैब टेस्ट रिकमंड कर सकते हैं जिसमें ब्लड में प्रोटीन लेवल की जांच की जाती है। यह कैंसर की स्टेज का निर्धारण में मदद करता है। कैंसर की स्टेज (Appendiceal cancer stage) जानने के बाद ट्रीटमेंट करना आसान हो जाता है।
अपेंडिक्स कैंसर का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है? (Treatment Options for Appendix Cancer)
ट्रीटमेंट कैंसर के प्रकार और उसकी स्टेज पर निर्भर करता है। डॉक्टर इनके आधार पर बेस्ट ट्रीटमेंट प्लान सजेस्ट कर सकते हैं। निम्न ट्रीटमेंट्स ऑप्शन उपलब्ध हो सकते हैं।
सर्जरी (Surgery)
सर्जरी अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) का सबसे आम उपचार है। सर्जरी के द्वारा अपेंडिक्स या इसके आसपास के एरिया के अंगों या टिशूज को निकाल दिया जाता है जहां तक कैंसर फैल चुका होता है या जिनके प्रभावित होने की संभावना होती है। प्रभावित एरिया में एब्डोमेन, पेल्विक एरिया, कोलोन, इंटेस्टाइन आदि शामिल हैं।
कीमोथेरिपी (Chemotherapy)
जब अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) एब्डोमेन के दूसरे हिस्सों में फैल चुका होता है तो कीमोथेरिपी (Chemotherapy) का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है। कीमोथेरिपी देने का भी अलग-अगल तरीका होता है। सिस्टेमिक कीमोथेरिपी (Systemic chemotherapy) इंट्रावेन्सली (intravenously) या मुंह के जरिए दी जाती है। वहीं रीजनल कीमोथेरिपी सीधे एब्डोमेन में दी जाती है। जिसमें (Hyperthermic intraperitoneal chemotherapy (HIPEC) शामिल है। कभी-कभी सिस्टेमिक और रीजनल कीमोथेरिपीज का कॉम्बिनेशन भी दिया जाता है।
इसके बाद डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट जैसे कि सीटी स्कैन (ST scan) और एमआरआई (MRI) के जरिए पता करने की कोशिश करते हैं कि ट्यूमर गया या अभी भी शेष है।
अपेंडिसियल कैंसर के पीड़ित व्यक्ति के लिए पूर्वानुमान क्या हो सकता है? (Prognosis for appendiceal cancer)
बीमारी मरीज को लंबे समय तक कैसे प्रभावित करेगी, इसका पूर्वानुमान प्रोग्नोसिस कहलाता है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रोग्नोसिस (Prognosis) अलग होता है और कई कारकों पर निर्भर करेगा, जैसे:
- अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) का प्रकार
- ट्यूमर की लोकेशन (Tumor location)
- कैंसर बॉडी के अन्य हिस्सों में फैल चुका है या नहीं
- सर्जरी के दौरान कितना ट्यूमर बाहर निकाला गया था।
इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना सही होगा। डॉक्टर्स अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) के सर्वाइवल रेट का अनुमान उन लोगों के आधार पर लगाते हैं जिन्हें पहले अपेंडिसियल कैंसर हुआ हो। चूंकि अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) के मरीज बेहद कम हैं तो यह सर्वाइवल रेट (Survival rate) बहुत सटीक नहीं हो सकता। न्यूरोएंड्रोक्राइन कैंसर या लो ग्रेड ट्यूमर (Low grade tumour) होने पर मरीज के 5 साल तक जीवित रहने के 67% से 97% चांजेस होते हैं। एडवांस्ड अपेंडिसियल कैंसर जो कि दूसरे हिस्सों में फैल चुका है उन लोगों के जीवित रहने के दर 5 साल से कम हो सकती है।
उम्मीद है कि आपको अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हो गईं होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।