जब आपके शरीर के किसी हिस्से में असामान्य सूजन या गांठ बन जाती है, तो उसे ट्यूमर कहा जाता है। इसी तरह जब आपके पेट में सूजन या गांठ बनने लगती है, तो उसे पेट में ट्यूमर कहा जाता है। पेट में मौजूद असामान्य सेल्स के एक्युमुलेशन की वजह से टिश्यू का असामान्य विकास होने लगता है, जिसकी वजह से पेट में ट्यूमर बनता है। पेट में ट्यूमर के कई प्रकार हो सकते हैं, जिसमें ट्यूमर सेल्स विकसित होती हैं, लेकिन सामान्य पुरानी सेल्स की तरह ये सेल्स अपने आप खत्म नहीं होती और एक जगह ढेर बनने लगती हैं। जिससे, पेट में गांठ दिखनी शुरू हो जाती है।
पेट में ट्यूमर कितने प्रकार का हो सकता है?
पेट में ट्यूमर तीन तरह के हो सकते हैं। जो कि विभिन्न आकार और पेट के विभिन्न हिस्से में विकसित हो सकते हैं। आइए, पेट में ट्यूमर के प्रकार के बारे में जानते हैं।
बिनाइन ट्यूमर (Benign Tumor)
पेट में ट्यूमर का एक प्रकार बिनाइन ट्यूमर होता है। जो कि कैंसरमुक्त होता है। बिनाइन ट्यूमर न तो आकार में बढ़ता है और न ही शरीर के दूसरे हिस्सों तक फैलता है। अगर, डॉक्टर सर्जरी के द्वारा पेट में ट्यूमर के इस प्रकार को हटा देता है, तो इसके वापिस आने की संभावना बिल्कुल कम होती है। बिनाइन ट्यूमर एडेनोमा, फाइब्रॉएड, लिम्फोमा प्रकार का हो सकता है।
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प्रीमैलीग्नेंट ट्यूमर (Premalignant Tumor)
पेट में ट्यूमर का दूसरे प्रकार का प्रीमैलीग्नेंट ट्यूमर कहलाता है। ट्यूमर का यह प्रकार भी कैंसरमुक्त होता है। लेकिन पेट में ट्यूमर के इस प्रकार के कैंसर बनने की आशंका हमेशा बनी रहती है। प्रीमैलीग्नेंट ट्यूमर एक्टिनिक केराटोसिस, सरवाइकल डिसप्लेसिया, ल्यूकोप्लाकिया का हो सकता है।
मैलीग्नेंट ट्यूमर (Malignant Tumor)
पेट में ट्यूमर का तीसरा प्रकार मैलीग्नेंट ट्यूमर होता है। जो कि घातक कैंसर होता है। यह आकार में भी बढ़ता रहता है और शरीर के दूसरे हिस्सों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। इसी को घातक ट्यूमर भी कहा जाता है। मैलीग्नेंट ट्यूमर कार्सिनोमा, सारकोमा, जर्म सेल ट्यूमर, ब्लास्टोमा प्रकार का हो सकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार पेट में ट्यूमर के किसी प्रकार के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। क्योंकि, आप अनुमान नहीं लगा सकते कि, पेट में ट्यूमर कब बिनाइन से प्रीमैलीग्नेंट और कब प्रीमैलीग्नेंट से मैलीग्नेंट में विकसित हो जाए। इसलिए, किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या से बचने के लिए पेट में ट्यूमर के इन सभी प्रकारों के विकास की देखरेख करते रहना चाहिए और अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर और पेट में ट्यूमर का संबंध
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (Gastointestinal stromal tumors) को जिस्ट (GIST) भी कहा जाता है। जिसमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के अंदर अतिविकसित सेल्स का जमाव यानि ट्यूमर बनने लगता है। इस ट्यूमर की वजह से जी मिचलाना, उल्टी, पेट में दर्द, खूनी मल, थकान, थोड़ा खाने के बाद ही भूख मिट जाना या निगलने में दिक्कत जैसे लक्षण दिख सकते हैं। हालांकि, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में इसोफेगस, स्टमक, छोटी आंत और कोलन शामिल होता है।
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डुओडेनम ट्यूमर और पेट में ट्यूमर में संबंध
डुओडेनम (Duodenam) हमारे शरीर की छोटी आंतों का सबसे छोटा हिस्सा होता है। यह स्टमक और छोटी आंतों के बीच में स्थित होता है। जब हमारे शरीर में डुओडेनम ट्यूमर विकसित होने लगता है, तो यह पेट में ट्यूमर के विकास का भी कारण बन सकता है। क्योंकि, मैलीग्नेंट डुओडेनम ट्यूमर फैलते हुए आपके पेट तक पहुंच सकता है। इसके अलावा, प्रीमैलीग्नेंट डुओडेनम ट्यूमर पेट में ट्यूमर खासतौर से मैलीग्नेंट ट्यूमर का कारण बन सकता है। मैलीग्नेंट डुओडेनम ट्यूमर के लक्षणों में एब्डोमिनल क्रैंप, कब्ज, उल्टी, मल में खून आना आदि शामिल होते हैं। हालांकि, डुओडेनम कैंसर के लक्षण इसकी एडवांस स्टेज में ही दिखने शुरू होते हैं। इस प्रकार के ट्यूमर का इलाज कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी या दोनों की मदद लेकर किया जा सकता है।
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पेट में ट्यूमर की जांच कैसी होती है?
जब आपके पेट में कोशिकाओं का असामान्य और तेजी से विकास होने लगता है, तो बाहरी त्वचा पर सूजन या एक जगह इकट्ठा मास दिखने लगता है। जिससे, पेट में ट्यूमर के बारे में देखा जा सकता है। हालांकि, कैंसर वाले ट्यूमर को त्वचा के ऊपर से देखने में समय लग सकता है और दिखने पर यह गंभीर स्थिति में पहुंच चुका होता है। लेकिन, पेट में ट्यूमर के लक्षणों को पहचानकर समय पर डॉक्टर से मिलकर इसकी जांच करवाई जा सकती है। डॉक्टर कुछ टेस्ट के द्वारा पेट में ट्यूमर के प्रकार की जांच करता है और उसी के मुताबिक आपका उपचार शुरू होता है।
आइए, जानते हैं कि पेट में ट्यूमर की जांच के लिए कौन-से टेस्ट किए जाते हैं।
पेट में ट्यूमर के लिए टेस्ट
एक्सरे – पेट में ट्यूमर की जांच करने के लिए डॉक्टर एक्सरे की मदद ले सकता है। जिससे, पेट के अंदर की स्थिति तस्वीर में देखी जा सकती है।
अल्ट्रासाउंड – अल्ट्रासाउंड में साउंड वेव्स का इस्तेमाल करके पेट के अंदर की डिटेल्ड तस्वीर निकाली जाती है। जिससे, यह पता लगाया जा सकता है कि पेट में ट्यूमर किस हिस्से तक फैला हुआ है।
सीटी स्कैन – सीटी स्कैन की मदद से आपके शरीर या पेट के अंदर की डीटेल पिक्चर ली जा सकती है, जिससे पेट में ट्यूमर से ग्रसित कोशिकाओं के बारे में जाना जा सकता है।
एमआरआई – एमआरआई में मैग्नेटिक और रेडियो वेव्स की मदद से पेट में ट्यूमर की बिल्कुल साफ तस्वीर प्राप्त की जा सकती है, जिससे ट्यूमर के प्रकार की जांच करने में आसानी होती है।
ब्लड टेस्ट – पेट में ट्यूमर के संकेत दिखने पर उनके बारे में और जानकारी पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट करवाए जा सकते हैं।
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पेट में ट्यूमर- बिनाइन
पेट में ट्यूमर की जांच करने के बाद बताया जा सकता है कि, यह ट्यूमर बिनाइन है या नहीं। अगर जांच के बाद आपके पेट में बिनाइन ट्यूमर निकलता है, तो उसके हिसाब से आगे का उपचार चलता है। बिनाइन ट्यूमर पेट के एक ही हिस्से में विकसित होते हैं और दूसरे हिस्सों तक नहीं फैलते। हालांकि, बिनाइन ट्यूमर खतरनाक नहीं होते हैं, लेकिन, अगर बिनाइन ट्यूमर किसी जरूरी शारीरिक हिस्से या रक्त वाहिका पर अत्यधिक दबाव डाल रहे होते हैं, तो वो भी खतरनाक हो सकते हैं।
पेट में ट्यूमर- बिनाइन ट्यूमर के कारण
पेट में ट्यूमर का बिनाइन प्रकार इन निम्नलिखित कारणों से विकसित हो सकता है। जैसे-
- डायट
- रेडिएशन के संपर्क में आने से
- स्ट्रेस
- चोट
- संक्रमण या सूजन
- जेनेटिक
पेट में ट्यूमर- बिनाइन ट्यूमर का उपचार
पेट में बिनाइन ट्यूमर के अधिकतर मामलों में उपचार की कोई जरूरत नहीं होती है। लेकिन, डॉक्टर गंभीर या ज्यादा परेशानी की स्थिति में इसकी सर्जरी कर सकते हैं। जिसमें, इस प्रकार के पेट में ट्यूमर को टिश्यू को नुकसान पहुंचाए बिना जड़ से हटा दिया जाता है। सर्जरी के बाद इसके वापिस आने की आशंका बहुत कम होती है। बिनाइन ट्यूमर के उपचार के लिए कुछ मेडिकेशन और रेडिएशन थेरेपी भी अपनाई जा सकती हैं।
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पेट में ट्यूमर- प्रीमैलीग्नेंट ट्यूमर और उसका उपचार
पेट में प्रीमैलीग्नेंट ट्यूमर कैंसरमुक्त होता है। लेकिन, इसके भविष्य में कैंसर बनने की आशंका होती है। कैंसर बनने से पहले इसका विकास और विस्तार ज्यादा नहीं होता। लेकिन, जब यह कैंसर बनने लगता है, तो कैंसरयुक्त ट्यूमर की तरह ही तेजी से विकसित होता है और शरीर के दूसरे अंगों तक फैलता है। जब प्रीमैलीग्नेंट ट्यूमर कैंसर या मैलीग्नेंट ट्यूमर बनना शुरू होता है, उसे ही कैंसर स्टेज 0 कहा जाता है। इसके, भविष्य में मैलीग्नेंट या घातक कैंसर बनने की आशंका को देखते हुए सर्जरी या दवाई या रेडिएशन थेरेपी के द्वारा हटा दिया जाता है। सर्जरी में टिश्यू को हानि पहुंचाए बिना इस ट्यूमर को निकाला जाता है। हालांकि, यह प्रामाणिक नहीं है कि प्रीमैलीग्नेंट ट्यूमर सर्जरी के बाद वापिस आ सकता है या नहीं।
पेट में ट्यूमर- मैलीग्नेंट ट्यूमर
हमारा शरीर लगातार नयी सेल्स का उत्पादन करता रहता है। लेकिन, डीएनए में खराबी आने से जब इनका उत्पादन असामान्य रूप से होने लगता है, तो ट्यूमर बनने लगता है। जब सेल्स का उत्पादन होता है, तो नयी सेल्स पुरानी सेल्स को या तो स्थानांतरित कर देती हैं या पुरानी सेल्स अपने आप मर जाती हैं। लेकिन, असामान्य रूप से सेल्स के विकसित होने पर पुरानी सेल्स का खत्म होना भी रुक जाता है, जिससे उस जगह सेल्स का एक ढेर बनने लगता है, जिसे ट्यूमर बोला जाता है। मैलीग्नेंट ट्यूमर दूसरे ट्यूमर से ज्यादा तेजी से विकसित होता है और शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैलने लगता है। इसके अलावा, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर कर देता है।
पेट में ट्यूमर- मैलीग्नेंट ट्यूमर के लक्षण
जब हमारे पेट में ट्यूमर यानि मैलीग्नेंट ट्यूमर बनने लगता है, तो शरीर इस बीमारी की स्टेज के मुताबिक कई लक्षण दिखाता है। जिनके दिखने पर आपको तुरंत ही डॉक्टर के पास जाकर जांच करवानी चाहिए। क्योंकि, डॉक्टर समय रहते इसका ट्रीटमेंट शुरू करके इसे खत्म करने की संभावना को बढ़ा सकता है। याद रखिए, कि पेट में मैलीग्नेंट ट्यूमर यानि पेट के कैंसर की शुरुआती स्टेज के लक्षण आराम से नहीं दिखते हैं। जब यह कैंसर आखिरी स्टेज के पास पहुंचने लगता है, तब ही इसकी जांच होनी संभव है। लेकिन, अगर आप इसके लक्षणों को याद रखेंगे और शरीर में इनमें से किसी भी लक्षण के दिखने पर डॉक्टर के पास जाएंगे तो इस बीमारी का निदान हो सकता है।
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पेट में मैलीग्नेंट ट्यूमर के लक्षण
वजन- अगर बिना किसी वजह या अचानक आपका वजन ज्यादा घटने लगा है, तो यह मैलीग्नेंट ट्यूमर का गंभीर लक्षण हो सकता है। जो कि इसके एडवांस स्टेज पर पहुंचने पर दिखता है। अगर, आपको भी अपने वजन में एकदम से कमी दिखती है, तो डॉक्टर से मिलें।
पेट में सूजन और कब्ज- मैलीग्नेंट ट्यूमर होने की वजह से पेट में सूजन होने लगती है। इसके साथ ही आपको कब्ज की शिकायत भी हो सकती है। अगर, यह समस्या ऊपर बताए गए लक्षण के साथ है दिख रही है, तो अपनी जांच करवाएं।
पेट दर्द और जी मिचलाना- पेट में मैलीग्नेंट ट्यूमर होने पर आपके पेट में लगातार गंभीर दर्द होने लगता है। अगर, आपको भी पेट में तेज और गंभीर दर्द महसूस हो रहा है और आराम नहीं मिल रहा है, तो डॉक्टर को दिखाएं। आपको तुरंत ट्रीटमेंट की जरूरत हो सकती है। इसके अलावा, आपको जी मिचलाने की समस्या भी हो सकती है।
उल्टी व मल में खून- मैलीग्नेंट ट्यूमर के गंभीर लक्षणों में उल्टी व मल में खून आना भी शामिल है। अगर, आपको भी मल में कई दिनों से खून आ रहा है या कई दिनों से उल्टी हो रही है, तो डॉक्टर से मिलें।
ऊपर बताए गए लक्षणों के साथ आपके पेट में मैलीग्नेंट ट्यूमर यानि पेट का कैंसर होने पर खाना या पानी निगलने में समस्या, आंखों व त्वचा में पीलापन और शारीरिक कमजोरी का सामना करना पड़ सकता है।
पेट में ट्यूमर- मैलीग्नेंट ट्यूमर का इलाज
पेट में मैलीग्नेंट ट्यूमर का इलाज उसकी स्टेज पर निर्भर करता है। पेट में मैलीग्नेंट ट्यूमर की स्टेज शरीर में ट्यूमर के फैलने के स्तर के द्वारा मापी जाती है। आइए, पेट में मैलीग्नेंट ट्यूमर के इलाज के बारे में जानते हैं।
स्टेज 0- मैलीग्नेंट ट्यूमर की इस स्टेज पर डॉक्टर इलाज के लिए आपके पेट की इनर लाइनिंग के आसपास कैंसर के ग्रसित हो चुकी सेल्स के हिस्से या उस सेल्स को पूरी तरह हटा सकता है। आमतौर पर इस दौरान सर्जरी की मदद ली जाती है।
स्टेज 1- मैलीग्नेंट ट्यूमर की इस स्टेज में आपके पेट के अंदर ट्यूमर बड़ा होने लगता है। यह आपके लिम्फ नोड्स में फैल सकता है। इस स्टेज पर कीमोथेरेपी या कीमोरैडिशन की मदद के द्वारा इलाज किया जाता है।
स्टेज 2- इस स्टेज में ट्यूमर पेट की गहरी लेयर और लिम्फ नोड्स में फैल जाता है। इस स्टेज पर ट्रीटमेंट करने के लिए एडवांस कीमोथेरेपी की जाती है।
स्टेज 3- पेट में मैलीग्नेंट ट्यूमर की तीसरी स्टेज में कैंसर पेट की सारी लेयर्स तक फैल जाता है। इस स्टेज में भी कीमो या कीमोरैडिशन के साथ-साथ आपके पूरे पेट की सर्जरी की मदद से इलाज किया जाता है।
स्टेज 4- यह स्टेज मैलीग्नेंट ट्यूमर की अंतिम स्टेज होती है। जिसमें ट्यूमर पेट से दूसरे शारीरिक अंगों तक फैल जाता है। इसका इलाज करना बहुत कठिन होता है। डॉक्टर इस स्टेज के दौरान आपके कैंसर के लक्षणों को कम करने की कोशिश कर सकते हैं।
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पेट में ट्यूमर से बचाव कैसे करें?
अगर, पेट में ट्यूमर होने के जेनेटिक और उम्र संबंधित कारण को छोड़ दिया जाए, तो इन टिप्स की मदद से पेट में ट्यूमर होने की आशंका को कम किया जा सकता है। जैसे-
- नियमित एक्सरसाइज करना।
- स्वस्थ आहार का सेवन करना।
- तम्बाकू या सेकेंडहैंड स्मोक से दूर रहें।
- शराब का सेवन बंद या कम कर दें।
- ताजे फल और हरी सब्जियों का सेवन करें।
- अपनी त्वचा को धूप और प्रदूषण से बचाएं।
- नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं।