backup og meta

जेस्टेशनल डायबिटीज से न घबराएं, ये टिप्स आपकी समस्याओं को कर देंगे छूमंतर!

जेस्टेशनल डायबिटीज से न घबराएं, ये टिप्स आपकी समस्याओं को कर देंगे छूमंतर!

जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes), डायबिटीज का एक प्रकार है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज से पूरी तरह से बचना संभव नहीं है लेकिन प्रेग्नेंट महिलाएं कुछ बातों का ध्यान रख इस बीमारी के रिस्क को कम कर सकती हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव (Gestational Diabetes Prevention) बहुत जरूरी है।  सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की मानें, तो प्रेग्नेंसी के दौरान करीब 2 से 10 प्रतिशत महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) का खतरा रहता है। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज के कारण महिलाओं के शरीर में कुछ परिवर्तन नजर आते हैं। अगर इन परिवर्तनों पर ध्यान देकर जांच और ट्रीटमेंट कराया जाए, तो भविष्य में आने वाली बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि कैसे जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव (Gestational Diabetes Prevention) किया जा सकता है।

और पढ़ें: Gestational diabetes: जेस्टेशनल डायबिटीज के साथ रहना है कितना कठिन, जानिए यहां

जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव (Gestational Diabetes Prevention) जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव

जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण महिलाओं का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और साथ ही प्रीक्लेम्प्सिया (Preeclampsia) का खतरा भी बढ़ जाता है। जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव (Gestational Diabetes Prevention) न किया जाए, तो  ऐसी महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) का खतरा भी बढ़ जाता है। अगर समय पर ट्रीटमेंट न काराया जाए, तो बेबी का वजन भी बढ़ सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण प्रीमेच्योर बर्थ (Premature birth) का खतरा भी बढ़ जाता है। जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) की समस्या होती है, उनके बेबी में जन्म के समय लो ब्लड शुगर लेवल (Low blood sugar level) का खतरा, बच्चे के कंधे फंसने का खतरा भी बढ़ जाता है।

जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या के कारण शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है। इंसुलिन अग्नाशय से बनने वाला हॉर्मोन है, जो ब्लड में शुगर को मेंटेन रखने का काम करता है। प्रेग्नेंसी के समय शरीर में अधिक हॉर्मोन बनने लगते हैं और वेट गेन का कारण भी बन सकते हैं। इस कारण से बॉडी सेल्स इंसुलिन का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। इस कंडीशन को इंसुलिन रजिस्टेंस ( Insulin resistance) के नाम से भी जानते हैं। सभी महिलाओं में लेट प्रेग्नेंसी के दौरान इंसुलिन रजिस्टेंस की समस्या होती है। कुछ महिलाओं को ये समस्या प्रेग्नेंसी के पहले भी हो सकती है। जानिए कैसे जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव (Gestational Diabetes Prevention) किया जा सकता है।

और पढ़ें: डायबिटीज को करना है कंट्रोल, तो टिप्स आ सकते हैं आपके काम!

जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव: वेट कंट्रोल है जरूरी (Weight control)

मोटापा अपने साथ एक साथ कई समस्याएं लेकर आता है। अगर कोई महिला कंसीव करने से पहले मोटी है या फिर उसका वजन अधिक है, तो ऐसे में गर्भावस्था में डायबिटीज का खतरा अधिक बढ़ जाता है। डायबिटीज जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जो महिलाएं मोटी होती है, उनमें प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज का खतरा अधिक बढ़ जाता है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जिन महिलाओं का बीएमआई ( BMI) 25 से ज्यादा होता है, उन महिलाओं में भी जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) यानी गर्भावस्था में डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

अगर कंसीव करने से पहले वजन पर नियंत्रण कर लिया जाए, तो डायबिटीज के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। वजन को नियंत्रित करने के लिए खाने में पैक्ड फूड, प्रोसेस्ड फूड्स (Processed foods) और जंक फूड्स को अवॉयड करके, डायट में लीन प्रोटीन जैसे कि फिश या फिर टोफू को शामिल करके, फाइबर युक्त भोजन (Fiber rich food) अपनाकर और कॉफी या फिर चाय की जगह लेमन वॉटर, हर्बल टी या फिर पानी को अपनाया जा सकता है। ये तरीके आपके वजन को कंट्रोल में रखने का काम करेंगे।

और पढ़ें: डायबिटीज में वेलवेट बीन्स का सेवन हो सकता है लाभकारी, लेकिन डॉक्टर से सलाह के बाद

जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव:  प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज कहीं डर तो नहीं रही आप?

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिए कंसीव करने से पहले वजन का कम होना बहुत जरूरी है। कंसीव करने के बाद भी वजन अधिक बढ़ना खतरनाक हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सभी महिलाओं का वजन बढ़ता है लेकिन जिन महिलाओं को पहले से ही मोटापे की समस्या है, उन्हें अधिक ध्यान देने की जरूरत रहती है। जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव के लिए एक्सरसाइज इसलिए जरूरी होती है क्योंकि ये इंसुलिन का असंतुलन ठीक करने में मदद करती है।

एक्सरसाइज ब्लड शुगर को रेगुलेट करने का काम करती है। आपको कंसीव करने के बाद भी एक्सरसाइज को जारी रखना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान आप वॉकिंग (Walking), सायलिंग, बच्चों के साथ खेलना या फिर योगा करना (Yoga), लो इंपेक्ट एक्सरसाइज, स्वीमिंग आदि कर सकते हैं। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान किसी प्रकार का कॉम्प्लीकेशन है, तो एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टर से एक बार परामर्श जरूर करें। आप हफ्ते में चार से पांच दिन एक्सरसाइज कर सकते हैं। आपके मन में अगर एक्सरसाइज को लेकर कोई भी सवाल हो, तो डॉक्टर से जानकारी जरूर लें ताकि आपको किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

और पढ़ें:डायबिटीज है! इन्सुलिन प्लांट स्टीविया का कर सकते हैं सेवन, लेकिन डॉक्टर के इजाजत के बाद!

जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव (Gestational Diabetes Prevention): डॉक्टर से रेगुलर चेकअप कराएं

अगर आपको गर्भावस्था में डायबिटीज होने की अधिक संभावना है या फिर मोटापा अधिक है, तो आपको डॉक्टर से समय-समय पर चेकअप जरूर कराना चाहिए। डॉक्टर ब्लड शुगर के लेवल की जांच करेंगी। अगर डायबिटीज नियंत्रण में नहीं है, तो डॉक्टर कुछ दवाओं का सेवन करने के साथ ही आपको इंसुलिन का इंजेक्शन (Injection of insulin) लेने की सलाह भी दे सकती हैं। आपको डॉक्टर से ब्लड शुगर के लेवल को जांचने के तरीके के बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए। डॉक्टर आपको जरूरत पड़ने पर इंजेक्शन लेने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दे सकती हैं। आपको नियमित दवाओं के सेवन के साथ ही इंजेक्शन भी लेना चाहिए

डायट को लेकर रहें सावधान

जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव (Gestational Diabetes Prevention) के लिए डायट को लेकर आपको अधिक सावधान रहने की जरूरत है। आपको डायट में शुगर को कट करना पड़ेगा। ऐसी डायट का चुनाव करें, जिसमें नैचुरल शुगर पाई जाती है। आपको खाने में ताजे फलों के साथ ही फ्रेश वेजीटेबल्स को भी शामिल करना चाहिए। किसी भी खाने में अलग से शुगर का सेवन बिल्कुल न करें। आपको पेय पदार्थ में फ्रूट जूस की जगह पानी, लो फैट फूड्स आदि का सेवन करना चाहिए। आप चाहे तो खाने में खजूर, चावल आदि का थोड़ी मात्रा में सेवन कर सकती हैं। खूब को मिटाने के लिए चॉकलेट (Chocolate), आइसक्रीम, केक या फिर कुकीज का सेवन न करें। ऐसा करने से आपके ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ सकता है। आपको देर तक भूखा रहने की भी जरूरत नहीं है वरना आपको परेशानी हो सकती है। पानी का भी पर्याप्त मात्रा में सेवन करना बहुत जरूरी है। आपको दिन में आठ से नौ ग्लास पानी जरूर पीना चाहिए। आप डायट से संबंधित अधिक जानकारी डॉक्टर से प्राप्त कर सकती हैं।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव (Gestational Diabetes Prevention) से संबंधित ये आर्टिकल पसंद आया होगा। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

डायबिटीज रिवर्स के बारे में है अधिक जानकारी, तो खेलें ये क्विज

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Accessed on 21/7/2021

Gestational diabetes.
https://www.cdc.gov/diabetes/basics/gestational.html

Preventing gestational diabetes.
https://www.niddk.nih.gov/health-information/diabetes/overview/what-is-diabetes/gestational/prevention

What can help prevent gestational diabetes?
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK441575/

diabetes?

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/diabetes/symptoms-causes/syc-20371444

 

Prevalence and trends in gestational diabetes mellitus among women in the United States, 2006–2016 [Abstract].
http://diabetes.diabetesjournals.org/content/67/Supplement_1/121-OR

Current Version

23/12/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

कहीं बढ़ता ब्लड शुगर लेवल हायपरग्लायसेमिक हायपरोस्मोलर सिंड्रोम का कारण ना बन जाए?

डायबिटीज पेशेंट और थेराप्यूटिक इंटरवेंशन में क्या संबंध है, जानें इस पर एक्सपर्ट की राय


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement