टाइप 2 डायबिटीज से प्रभावित लोग स्लीप डिसऑर्डर से ग्रसित हो सकते हैं। जिसमें से कई लोगों को नींद ना आने की परेशानी होती हैं तो कुछ लंबे समय तक गहरी नींद नहीं सो पाते। टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर (Sleep disorders impacts on type 2 diabetes) का कनेक्शन होने के कई कारण हैं। जिसमें से प्रमुख कारण ब्लड शुगर लेवल का अनस्टेबल होना है। जिसकी वजह से रात के समय ब्लड शुगर (Blood sugar) के बढ़ने या कम होने की वजह से इंसोम्निया (Insomnia) की शिकायत हो सकती है। जो एक प्रकार का स्लीप डिसऑर्डर है। बता दें कि टाइप 2 डायबिटीज डायबिटीज का कॉमन प्रकार है जो इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण होती है।
टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में स्लीप प्रॉब्लम्स होने के कई कारण हैं जिसमें ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया, इंसोम्निया, पेन और डिसकंफर्ट, रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम और रात के समय बार-बार यूरिनेशन होना शामिल है। इस आर्टिकल में टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑडर्स के बारे में जानकारी दी जा रही है।
टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर (Type 2 diabetes and sleep disorder)
एनसीबीआई (NCBI) में छपी स्टडी के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर आम समस्याएं हैं जो अक्सर एक साथ होती हैं। टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित लोगों में स्लीप डिसऑर्डर का उच्च प्रसार है जो मरीजों के स्वास्थ्य, मूड और क्वालिटी ऑफ लाइफ के लिए हानिकारक हो सकता है। वहीं ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया जैसे डिसऑर्डर मेटाबॉलिक सिंड्रोम जिसमें टाइप 2 डायबिटीज शामिल है के रिस्क को बढ़ाने का काम करते हैं। इस पर यह कहा जा सकता है कि टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर (Type 2 diabetes and sleep disorder) इंटरकनेक्टेड हैं।
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टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर (Type 2 diabetes and sleep disorder) कैसे करते हैं एक दूसरे को प्रभावित?
जैसा कि हम बता चुके हैं कि टाइप 2 डायबिटीज में अस्थिर ब्लड शुगर लेवल के चलते रात में हायपोग्लाइसीमिया या हायपरग्लाइसीमिया के कारण नींद ना आने की परेशानी होती है। इसके साथ ही डायबिटीज से रिलेटेड अन्य लक्षण भी इंसोम्निया का कारण बनते हैं। बीमारी के कारण होने वाला तनाव भी नींद ना आने का कारण बनता है। इसके साथ ही जब ब्लड शुगर लेवल हाय होता है तो किडनी इसकी भरपाई के लिए अधिक यूरिनेशन के लिए प्रेरित करती है। रात के दौरान बार-बार बाथरूप जाने से नींद में खलल पड़ता है। उच्च रक्त शर्करा के कारण सिर दर्द, अधिक प्यास और थकान भी हो सकती है जो नींद आने में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
इसके विपरीत, कई घंटों तक बिना खाए या डायबिटीज की दवा का गलत संतुलन से भी रात में रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता है। इससे आपको बुरे सपने आ सकते हैं, पसीना आ सकता है, या जब आप जागते हैं तो चिढ़ या भ्रमित महसूस कर सकते हैं।
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स्लीप डिसऑर्डर का टाइप 2 डायबिटीज पर असर (Effect of sleep disorder on type 2 diabetes)
जिस प्रकार डायबिटीज स्लीप प्रॉब्लम्स का कारण बनती है ठीक उसी प्रकार स्लीप प्रॉब्लम्स डायबिटीज में बड़ा रोल प्ले करती हैं। अच्छी नींद की कमी या नींद में किसी प्रकार की परेशानी डायबिटीज या प्रीडायबिटीज वाले व्यक्ति में हाय ब्लड शुगर लेवल्स के साथ लिंक्ड हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि स्लीप रेस्ट्रिक्शन (Sleep restriction) इंसुलिन, कॉर्टिसोल और ऑक्सीडेटिव तनाव पर इसके प्रभाव के कारण रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है।
एनसीबीआई में छपी स्टडी के अनुसार अनियमित नींद के उच्च रक्त शर्करा से संबंधित हैं, यहां तक कि जिन लोगों को डायबिटीज नहीं है उन लोगों में भी। हालांकि, ऐसे अन्य फैक्टर्स भी हो सकते हैं जो इसे समझाते हैं, जैसे तथ्य यह है कि अनियमित स्लीपिंग शेड्यूल्स वाले लोग अनियमित आहार का पालन करने की अधिक संभावना रखते हैं। डायबिटीज वाले एक चौथाई लोग रात में 6 घंटे से कम या 8 घंटे से अधिक सोने की रिपोर्ट करते हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसके साथ ही डायबिटीज से पीड़ित लोगों में ब्लड शुगर लेवल का बढ़ना, स्लीप डेप्रिवेशन (Sleep deprivation) इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बनता है।
टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर के कनेक्शन के बाद चलिए अब समझते हैं स्लीप डिसऑर्डर के बारे में जो टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में कॉमन हैं।
टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर: रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (Restless Legs Syndrome)
एनसीबीआई में छपी स्टडी के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित 5 में से दो लोगों में रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम होता है। जिसमें पैरों में झुनझुनी या सेंसेशन जो सोने में बाधा उत्तपन्न करती है। डायबिटीज का सामना कर रहे लोगों में एक दूसरी कंडिशन के होने का रिस्क काफी बढ़ जाता है जिसे पेरिफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) कहा जाता है। जिसका कारण नर्व का डैमेज होना होता है। पेरिफेरल न्यूरोपैथी के लक्षण रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की तरह ही होते हैं जिसमें सुन्नता, झुनझुनी और हाथ-पांव में दर्द शामिल हैं। जो लोग इन लक्षणों का अनुभव करते हैं उन्हें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ताकि पेरिफेरल न्यूरोपैथी के कारण होने वाले लॉन्ग टर्म नर्व डैमेज को कम किया जा सके।
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टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर: ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (Obstructive Sleep Apnea)
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया एक स्लीप डिसऑर्डर है जिसमें सोते वक्त व्यक्ति को सांस लेने में रुकावत होती है। रुकी हुई सांस की अवधि को एप्निया कहा जाता है जो ऊपरी वायुमार्ग (Upper airway) में रुकावट के कारण होता है। इस डिसऑर्डर में व्यक्ति को पता नहीं होता कि उसके साथ क्या हो रहा है क्योंकि वह पूरी तरह से जाग नहीं रहा होता।
सांस लेने में ये चूक माइक्रो एराउजल्स (Micro-arousals) का कारण बनती हैं जो नींद के चरणों की प्राकृतिक प्रगति में बाधा डालती हैं और नींद की गुणवत्ता को खराब करती हैं। ओएसए आमतौर पर उन लोगों में होता है जो अधिक वजन वाले या मोटे होते हैं, क्योंकि उनकी गर्दन की परिधि अक्सर मोटी होती है जो वायुमार्ग में हस्तक्षेप करती है। स्लीप एप्निया के परिणामस्वरूप रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है क्योंकि रुकावटें हवा को फेफड़ों तक जाने से रोकती हैं। कम ऑक्सीजन का स्तर मस्तिष्क और हृदय के कार्य को भी प्रभावित करता है।
टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर: इंसोम्निया (Insomnia)
इंसोम्निया भी एक स्लीप डिसऑर्डर है। जिससे पीड़ित व्यक्ति को नींद देर से आती है और कम समय के लिए आती है। आपको इंसोम्निया का रिस्क उस समय और बढ़ जाता है जब स्ट्रेस लेवल और ग्लूकोज लेवल हाय हो। ऐसे में आपको उस कारण पता करना होगा जिसकी वजह से आपको सोने में परेशानी आ रही है। मेडिकल ट्रीटमेंट इसमें आपकी मदद कर सकता है।
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डायबिटीज का सामना कर रहे लोग कैसे नींद की समस्याओं से निपट सकते हैं? (How Can People With Diabetes Cope With Sleep Issues?)
ब्लड शुगर लेवल का सावधानी पूर्वक मैनेजमेंट टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में नींद में सुधार कर सकता है। जैसे कि हम जान चुके हैं कि टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर (Type 2 diabetes and sleep disorder) का कनेक्शन है तो इन दोनों से बचने के लिए अच्छी स्लीप हायजीन हैबिट्स (Sleep hygiene habits) को अपनाना जरूरी है। जिसमें दिन और रात दोनों की निम्न हैबिट्स शामिल हैं।
- एक ऐसा डायट प्लान फॉलो करें जो आपके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद करे।
- रोज एक्सरसाइज करें।
- रेगुलर स्लीप शेड्यूल को मेंटेन करें।
- कैफीन और निकोटीन जैसे स्टिम्यूलेंट्स को सोने से पहले ना लें।
- बेडरूम को ठंडा और शांत और डार्क रखें।
आपकी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर डॉक्टर डायबिटिक्स की नींद को बेहतर बनाने के अन्य तरीके भी सुझा सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको टाइप 2 डायबिटीज और स्लीप डिसऑर्डर (Type 2 diabetes and sleep disorder) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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