डायबिटीज को हार्ट प्रॉब्लम्स के बाद सबसे सामान्य किंतु गंभीर समस्या माना जाता है। डायबिटीज यानी मधुमेह के बारे में यह तो आप जानते ही हैं कि यह एक लाइफ लॉन्ग प्रॉब्लम है। इस रोग को मैनेज करने के लिए रोगी के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना बेहद जरूरी है। आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं पुरुषों में डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध (Associations of Cardiorespiratory Fitness and Obesity in Diabetes) के बारे में। इसके साथ ही बिगड़ी हुई फास्टिंग ग्लूकोज में भी इनके लिंक के बारे में जानेंगे। डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध (Associations of Cardiorespiratory Fitness and Obesity in Diabetes) क्या है, इससे पहले टाइप 2 डायबिटीज, फास्टिंग ग्लूकोज और कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस के बारे में जान लेते हैं।
पुरुषों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes): पाएं इसके बारे में जानकारी
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes), मधुमेह का सबसे गंभीर प्रकार हैं। इसे नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज (Non-insulin dependent diabetes) या एडल्ट-ऑनसेट डायबिटीज (Adult-onset diabetes) भी कहा जाता है। पुरुषों में भी इसका रिस्क दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। टाइप 2 डायबिटीज की समस्या उम्र के साथ बढ़ती जाती है। टाइप 1 डायबिटीज से विपरीत, टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) में हमारा शरीर इंसुलिन तो बना पाता है। किंतु यह पर्याप्त नहीं होती है या शरीर इंसुलिन की पहचान नहीं कर पाता है और उसका उस तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता जैसे उसे करना चाहिए। इसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है।
जब हमारा शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता है या इसका सही से इस्तेमाल नहीं करता है, तो इससे ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। पुरुषों में टाइप 2 डायबिटीज के कारण लो टेस्टोस्टेरोन (Low testosterone) का जोखिम बढ़ जाता है। जब इस मेल टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है, तो रोगी में इसके कई लक्षण नजर आ सकते हैं जैसे लो एनर्जी, मसल लॉस, डिप्रेशन और सेक्शुअल प्रॉब्लम्स जिनमें लो लिबिडो (Low libido) और इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile dysfunction) आदि भी शामिल है।
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फास्टिंग ग्लूकोज क्या है?
अब डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध (Associations of Cardiorespiratory Fitness and Obesity in Diabetes) क्या है, इससे पहले फास्टिंग ग्लूकोज के बारे में जान लेते हैं। हमारे शरीर को एनर्जी के लिए ग्लूकोज की जरूरत होती है। यह ग्लूकोज उस आहार से मिलता है, जो हम खाते हैं। लेकिन, हमारा शरीर इस एनर्जी का इस्तेमाल एक साथ नहीं कर पाता है। फास्टिंग ग्लूकोज लेवल का निदान तब होता है, जब रोगी कम से कम आठ घंटे या पूरी रात भूखा होता है। सामान्य फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज लेवल 100 mg/dL होना चाहिए।
अगर यह 100 से 125 mg/dL हो, तो उसे प्रीडायबिटीज कहा जाता है। इससे अधिक ब्लड शुगर लेवल को डायबिटीज माना जाता है। डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध (Associations of Cardiorespiratory Fitness and Obesity in Diabetes) क्या है, इस बारे में जानकारी बेहद जरूरी है। लेकिन, पहले कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस (Cardiorespiratory Fitness) के बारे में जानना भी महत्वपूर्ण है।
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किसे कहा जाता है कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस? (Cardiorespiratory Fitness)
कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस (Cardiorespiratory Fitness) निरंतर शारीरिक गतिविधि के दौरान स्केलेटल मसल्स को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए सर्कुलेटरी और रेस्पिरेटरी एबिलिटी को कहा जाता है। यह फिटनेस लंग और हार्ट कंडिशन को सुधरने में मदद करती है और इससे अच्छा महसूस होता है। कार्डियोरेस्पिरेटरी एंड्यूरेंस एक्टिविटीज में हाय-इंटेंसिटी एरोबिक एक्सरसाइज जैसे स्विमिंग, रनिंग, साइकिलिंग आदि शामिल है।
संक्षेप में कहा जाए तो कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस शरीर की वो क्षमता है, जिसमें शरीर ऑक्सीजन का प्रयोग करता है। शरीर की इस क्षमता को कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस से लिंक करके देखा जाता है और इससे हमारी पूरी सेहत पर प्रभाव पड़ता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए इस फिटनेस का होना बेहद जरूरी है। अगर ऐसा न हो तो हाय ब्लड प्रेशर, हाय कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी कंडिशंस हो सकती हैं। अब जानते हैं पुरुषों में डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध (Associations of Cardiorespiratory Fitness and Obesity in Diabetes) क्या है इस बारे में।
पुरुषों में डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध क्या है? (Associations of Cardiorespiratory Fitness and Obesity in Diabetes)
इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोटापा डायबिटीज, हाय ब्लड प्रेशर और कई अन्य समस्याओं के रिस्क फैक्टर्स में से एक है। यही नहीं, यह हार्ट डिजीज का भी एक कारण है। ऐसे में मोटापे से पीड़ित लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का हाय रिस्क रहता है, जिसे एडल्ट-ऑनसेट डायबिटीज भी कहा जाता है। यह वो स्थिति होती है, जब रोगी का ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत अधिक हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग मोटे होते हैं उनमें टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की संभावना उन लोगों की तुलना में अस्सी प्रतिशत अधिक रहती है, जिन्हें मोटापा नहीं होता।
अगर बात की जाए कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस की, तो टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) से पीड़ित लोगों में कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। क्योंकि, कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस वाले लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंट होने की संभावना अधिक होती है। डायबिटिक लोगों के एक्टिव रहने से उनका शरीर इंसुलिन के प्रति सेंसिटिव रहता है, जिससे ब्लड ग्लूकोज लेवल सही रहता है। यही नहीं, इससे हार्ट डिजीज जैसी कई समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। आइए जानें पुरुषों में डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध (Associations of Cardiorespiratory Fitness and Obesity in Diabetes) क्या है, इसके बारे में और अधिक।
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पुरुषों में डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध (Associations of Cardiorespiratory Fitness and Obesity in Diabetes): क्या कहती है स्टडी?
पुरुषों में डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध जानने के लिए एक स्टडी की गई। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन American Diabetes Association द्वारा की गई इस स्टडी का उद्देश्य कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस (Cardiorespiratory Fitness) और विभिन्न ओबेसिटी मेजर्स के साथ बिगड़ी हुई फास्टिंग ग्लूकोज और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के संबंध की जांच करना था। यह स्टडी उन पुरुषों पर की गई थी, जिनमें एब्नार्मल इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Abnormal electrocardiogram) की समस्या नहीं थी और न ही उनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, कैंसर या डायबिटीज की कोई हिस्ट्री थी।
इस स्टडी में यह पाया गया कि लो फिटनेस या ओबेसिटी से इम्पेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज (Impaired Fasting Glucose) और टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ता है। जब इन दोनों के बारे में एक साथ स्टडी की गई, तो पाया कि अगर रोगी में फिटनेस की कमी है और मोटापा है, तो ऐसे में बिगड़ती फास्टिंग ग्लूकोज और टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम कम नहीं होता है। यह रिस्क सबसे अधिक मोटापे से पीड़ित और अनफिट पुरुषों में पाया गया। यह तो थी जानकारी कि डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे के लिंक के बारे में स्टडीज क्या कहती हैं। अब जानते हैं कि बिगड़ती फास्टिंग शुगर और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) को मैनेज किस तरह से किया जा सकता है?
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टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) को कैसे मैनेज करें?
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) को मैनेज करने के लिए जो चीज सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, वो है हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना। हेल्दी जीवनशैली से न केवल आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं बल्कि संपूर्ण रूप से हेल्दी रहने में भी आपको मदद मिलेगी। यह आसान तरीके इस प्रकार हैं:
- ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए सही आहार का सेवन करें। अपने आहार में फल, सब्जियों और साबुत अनाज को जगह दें। इसमें अपने डॉक्टर और डायटीशियन की मदद भी ली जा सकती है।
- नियमित व्यायाम करना भी डायबिटीज को मैनेज करने के लिए आवश्यक है। इसलिए रोजाना दिन में कुछ समय व्यायाम के लिए अवश्य निकालें।
- तनाव से बचें। तनाव को डायबिटीज और अन्य समस्याओं का एक मुख्य रिस्क फैक्टर माना जाता है। इसलिए इससे बचाव बेहद जरूरी है। इसके लिए योगा, मेडिटेशन आदि का सहारा लें।
- अपने वजन को संतुलित रखें। अगर आपका वजन अधिक है तो उसे कम करने के लिए सही आहार का सेवन करें और नियमित व्यायाम करें।
- टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज करने के लिए नियमित रूप से अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल की जांच करें, सही दवाईयां लें और डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें।
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उम्मीद है कि पुरुषों में डायबिटीज के साथ कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस और मोटापे का संबंध (Associations of Cardiorespiratory Fitness and Obesity in Diabetes) क्या है, यह आप जान गए होंगे। यह भी आप समझ गए होंगे कि फिटनेस से मोटापे के हार्मफुल प्रभाव खत्म नहीं हो सकते हैं। लेकिन, लो फिटनेस और मोटापा दोनों मिल कर पुरुषों में एक समान फास्टिंग ग्लूकोज और टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। क्योंकि, मोटे और अनफिट पुरुषों में इंपेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज Impaired Fasting Glucose और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) का जोखिम बहुत अधिक होता है ऐसे में, इन समस्याओं को कंट्रोल में रखने के लिए फिटनेस और वेट कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। इसलिए उन्हें रोजाना व्यायाम की सलाह दी जाती है। ताकि, फिटनेस और मोटापा को सुधारा जा सके। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल हो, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
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