लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज डायबिटीज के मरीजों के लिए क्या है? यह सवाल कई डायबिटीज पेशेंट के मन में होता है। जैसा कि डायबिटीज एक लाइफस्टाइल डिजीज है, तो इसे अच्छी जीवनशैली से ही कंट्रोल किया जा सकता है, जिसमें एक्सरसाइज भी शामिल है। डायबिटीज आज के समय में लाइफस्टाइल डिजीज में लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली समस्याओं में से एक है। मधुमेह के शिकार रोगी में हाय ब्लड शुगर की समस्या इसलिए देखी जाती है कि उनके शरीर में इंसुलिन का उत्पादन अपर्याप्त होता है। सामान्यतौर पर दो प्रकार की डायबिटीज लोगों में ज्यादा देखी जाती है। जिनमें शामिल है – टाइप 1, डायबिटीज टाइप 2, जिसमें शरीर में इंसुलिन का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं हो जाता है और जेस्टेशनल डायबिटीज, जो कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां में हो जाती है। जानिए लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज डायबिटीज के मरीजों के लिए क्या है?
लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज डायबिटीज के मरीजों के लिए (Low intense exercise in diabetes)
डायबिटीज में वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज (Weight lifting exercise in diabetes) लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज डायबिटीज के मरीजों के लिए की बात करें, तो डायबिटीज पेशेंट को नियमित रूप से एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए। एक्सरसाइज, उनके शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध को कम करके इंसुलिन के उत्पादन को अच्छा बनाता है। नियमित एकसरसाइज करने के डायबिटीज के मरीजों में कई फायदे हैं। इससे सेल्स (Cells) को शर्करा प्राप्त होती है और ब्लड शुगर भी नियंत्रित रहता है। वेट लिफ्टिंग करने से टाइप 2 डायबिटीज की समस्या में बहुत आराम मिलता है। इतना ही नहीं, डायबिटीज में वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज के कई हेल्थ बेनेफिट (Health Benefits) भी हैं, जैसे कि डायबिटीज एवं अन्य तरह की क्रॉनिक डिजीज (Chronic disease) का रिस्क कम होता है। शारीरिक रूप से आप एक्टिव भी रहते हैं और मांसपेशियां मजबूत बनी रहती है।
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एक्सरसाइज के फायदे (Benefits of exercise)
एक्सरसाइज शरीर के लिए कितनी फायदेमंद है, यह सभी जानते हैं। लेकिन डायबिटीज में वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज के कई हेल्थ बेनेफिट्स भी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है (Blood Pressure Control)
- मोटापा कंट्रोल में होता है (Better control of weight)
- शरीर में एनर्जी अच्छी बनी रहती है (More energy)
- नींद अच्छी आती है(Better sleep)
- मांसपेशियां मजबूत होती है (stronger muscles)
- मूड अच्छा होता है (Improved mood)
- कोलेस्ट्रॉल अच्छा बना रहता है (cholesterol)
- तनाव को दूर करता है (Stress management)
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लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज डायबिटीज के मरीजों के लिए (Low intense exercise for diabetes)
डायबिटीज पेशेंट में वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज अच्छी है, लेकिन इसे ट्रेनर की निगरानी में किया जाना चाहिए। यदि आप जिम या ट्रेनर नहीं कर सकते हैं, तो आप एक्सरसाइज के लिए इस तरह के फिजिकल एक्टिविटीज कर सकते हैं:
1- डायबिटीज में वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज के साथ करें वॉक (Walk) भी
आप सिंपल वॉक भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको जिम की सदस्यता या महंगे व्यायाम उपकरण की आवश्यकता नहीं है। आप नाॅर्मल वॉक से भी अपने दिन की शुरूआत कर सकते हैं।आप सप्ताह में पांच दिन 30 मिनट की तेज वॉक करें। इससे भी आपका वजन और डायबिटीज दोनों मैंटेन होगी।
2. डायबिटीज में वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज के साथ साइकिलिंग (Cycling) भी
टाइप 2 मधुमेह वाले मरीजों में गठिया की समस्या (Gout problem) देखी जाती है। जिनमें डायबिटीज के साथ मोटापा होता है, उनमें यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। डायबिटीज पेशेंट को रोज 20 मिनट की साइकिलिंग (Cycling) करनी चाहिए। इससे उनके जोड़ों का दर्द भी ठीक होगा।
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3. डायबिटीज में वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज और स्विमिंग (Swimming)
स्विमिंग भी व्यायाम विकल्प के रूप में एक है। उदाहरण के लिए, तैराकी, वाटर एरोबिक्स, एक्वा जॉगिंग (Jogging) जैसेी गतिविधिंयां डायबिटीज को तो कंट्रोल में रखती हैं, साथ में इसके कई हेल्थ बेनेफिट्स भी होते हैं।
5. डायबिटीज में वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज और एरोबिक (Aerobics)
एरोबिक डांस या जुंबा भी आप कर सकते हैं, यह एक अच्छी एक्टिविटीज है। यह शरीर को फिट रखने के साथ डायबिटीज को कंट्रोल में भी रखती है।
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लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज डायबिटीज के मरीजों के लिए एक्सरसाइज के टिप्स (Exercise Tips for diabetic patient)
आइए टाइप 2 डाइबिटीज से ग्रस्त लोगों को रेगुलर एक्सरसाइज करने में मदद करने वाले टिप्स के बारे में भी जानते हैं। अच्छी मांसपेशियों के निर्माण के लिए एक्सरसाइज और डायट का ध्यान रखें, जिनमें शामिल हैं:
- एक्सरसाइज से पहले रक्त शर्करा के स्तर की जांच जरूर करें। शुगर लेवल बहुत कम या बहुत अधिक नहीं होना चाहिए। उन स्तरों के आधार पर दवा या इंसुलिन की खुराक लें, लेकिन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए।
- आप व्यायाम से 30 से 60 मिनट पहले एक प्री-वर्कआउट स्नैक खाएं, ताकि आपके शुगर का लेवल मैंटेन रहे।
- यदि आप स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में नए हैं, तो हफ्ते में कम से कम 2 दिन से स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की शुरुआत करें। यह शरीर की सभी प्रमुख मांसपेशियों को मजबूत और टोंड बनाने में मददगार है।
- अनुभवी लोगों को स्क्वाट, डेडलिफ्ट्स, बेंच प्रेस, लेग प्रेस, पुल-अप्स, बेंट-ओवर रो, शोल्डर प्रेस और डिप्स जैसे वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज करें।
- डायबिटीज पेशेंट कोई भी वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज करते समय ध्यान रखें कि सेट के बीच लगभग 60 सेकंड के आराम के साथ, अपने कसरत में 8 या 12 दोहराव के दो या तीन सेट करें।
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- व्यायाम के तुरंत बाद 20-30 ग्राम प्रोटीन के साथ 45-75 ग्राम कार्बोहाइड्रेट का सेवन करें।
- फलों और सब्जियों, बीन्स, नट्स, बीजों और ब्रेड, पास्ता और चावल के साबुत अनाज वाले जैसे गुड कार्ब्स वाले फूड चुनें। अच्छे कार्ब्स वाले खाद्य पदार्थों में आमतौर पर कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है।
- एरोबिक डांस या जुंबा भी आप कर सकते हैं, यह एक अच्छी एक्टिविटीज है
- अपने पानी का सेवन बढ़ाएं। पानी का सवेन कम न करें।
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एक्सरसाइज से पहले और बाद में ब्लड शुगर (Blood sugar) जांचें
व्यायाम मोटापे से संबंधित चयापचय संबंधी जटिलताओं के लिए एक आधारशिला उपचार है, जिसमें इंसुलिन रेजिस्टेंस शामिल है, जो टाइप 2 डायबिटीज और कई अन्य पुरानी बीमारियों का प्राथमिक कारण है। यहां तक कि व्यायाम का एक सत्र भी इंसुलिन प्रतिरोधी मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है; हालांकि, यह लाभकारी प्रभाव आम तौर पर अल्पकालिक होता है। इन कारणों से, हम तर्क देते हैं कि व्यायाम के प्रत्येक सत्र के बाद कई घंटों में होने वाले लाभकारी प्रभावों को अधिकतम करने के लिए मोटापे में इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार के उद्देश्य से व्यायाम अच्छे माने गए हैं।
ब्लड शुगर कंट्रोल करने में एक्सरसाइज आपकी कितनी मदद करती है, यह जानने के लिए एक्सरसाइज से पहले और उसके बाद, शुगर लेवल की जांच करें और कहीं नोट भी करें। जब आप देखते हैं कि आपका शरीर विभिन्न तरह की एक्सरसाइज करने से ग्लूकोज लेवल को कम कर रहा है तो आप खुद का मनोबल अच्छा होगा। लेकिन ध्यान रखें, कोई भी एक्सरसाइज अपने मन से न करें, एक बार डाॅक्टर की सलाह जरूर लें। लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज डायबिटीज के मरीजों के लिएके फायदों के बारे में अधिक जानने के लिए एक्सपर्ट से सलाह लें।
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