डायबिटीज (Diabetes) की बीमारी पूरी दुनिया में तेजी से पैर पसार रही है। आमतौर पर डायबिटीज होने पर कुछ दिनों के अंतराल में ब्लड टेस्ट (Blood Test) कराना होता है। यह टेस्ट दिन में दो बार होता है, पहला ब्लड टेस्ट खाने के पहले और दूसरा खाने के 2 घंटे बाद। इन दोनों टेस्ट की मदद से डायबिटीज की सटीक स्थिति का पता चलता है। लेकिन, अब ब्लड टेस्ट की जगह आपका पसीना भी आपकी डायबिटीज की सटीक जानकारी दे देगा। इसके लिए पसीने से शुगर लेवल मापने वाला स्वेट सेंसर (Sweat Sensor) भी इजाद कर लिया गया है। आइए जानते हैं कि यह डायबिटीज स्वेट सेंसर क्या है? स्वेट सेंसर डिवाइस कैसे काम करती है?
डायबिटीज (Diabetes) क्यों होती है?
शरीर को जितनी इंसुलिन की जरूरत होती है उतनी पैंक्रियाज में नहीं बन पाती और इंसुलिन की कमी की वजह से शरीर में ब्लड शुगर लेवल (blood sugar level) बढ़ जाता है। ऐसा होने पर शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं जैसे- अत्यधिक पसीना आना, वजन बढ़ना, बार-बार पेशाब लगना और चोट लगी हो तो उसका जल्दी ठीक न होना। ऐसे में डायबिटीज की परेशानी शुरू होने लगती है। बढ़ती उम्र में लोग टाइप-2 डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं, जिसे डायबिटीज मेलिटस (Diabetes mellitus) के नाम से भी जाना जाता है।
पसीने से शुगर लेवल कैसे जांचा जाता है? (How to check sugar level by sweating?)
अत्यधिक पसीना आना डायबिटीज के कई लक्षणों में से एक है। शरीर से निकलने वाले पसीने को जब स्वेट सेंसर से टच किया जाता है, तो सेंसर अपने एल्गोरिदम के अनुसार ब्लड शुगर लेवल का पता लगा लेता है। टेक्सास विश्वविद्यालय में हुई रिसर्च के मुताबिक यह सेंर्स हैल्थ बैंड में लगाया गया है, जो आपके हाथ से टच रहेगा और आपको सारी जानकारी आपके फोन पर मिलती रहेगी। मूल रूप से यह पसीने से ग्लूकोज की मात्रा का पता लगाता है।
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यह पहनने योग्य उपकरण एक सप्ताह तक पसीने में ग्लूकोज की मात्रा को माप सकता है। हैंड बैंड में मौजूद डिवाइस डाटा को रिकॉर्ड कर लेता है, जिसे बाद में डिजिटल स्क्रीन पर देख सकते हैं। इस डाटा को स्मार्टफोन ऐप (Smartphone app) पर भी देखा जा सकता है।
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कैसे इस्तेमाल किया जाता है डायबिटीज स्वेट सेंसर/स्वेट बैंड? (How to use Sweat Band)
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह डायबिटीज स्वेट सेंसर और स्वेट बैंड ऑनलाइन उपलब्ध है।
- इस स्वेट बैंड (Sweat band) को अपने हाथों पर बांधें।
- स्वेट सेंसर हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह अनुसार एक सप्ताह तक बांध सकते हैं।
- 15 मिनट तक लगातार बांधने के बाद ब्लड शुगर लेवल की जानकारी मिल सकती है। (यह ठीक वैसा ही है काम करता है जैसे आप उंगली पर सुई की मदद से (Finger Pricking) शुगर लेवल की जांच करते हैं।)
- स्वेट सेंसर डायबिटीज से पीड़ित बच्चों (टाइप-1 डायबिटीज) के लिया इस्तेमाल किया जा सकता है।
हालांकि, अभी भी इस स्वेट सेंसर पर शोध जारी है और जल्द ही डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए इसे और भी हितकारी बनाया जाएगा।
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डायबिटीज से बढ़ते अन्य रोग (Other diseases caused by diabetes)
मधुमेह एक ऐसा गंभीर रोग है, जिसको अगर वक्त रहते कंट्रोल न किया गया, तो यह कई और खतरनाक बिमारियों की वजह बन सकता है। अनियंत्रित शुगर के कारण हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी और किडनी आदि से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
शुगर का स्तर (Sugar level)
एक हेल्दी इंसान में खाली पेट रहने पर ब्लड में शुगर का स्तर 70 से 99 एम.जी. / डी.एल. रहता है। खाने के बाद यही ब्लड शुगर लेवल 139 एम.जी. / डी.एल. से कम हो जाता है। लेकिन, मधुमेह हो जाने पर यह ब्लड शुगर लेवल बिगड़ जाता है। डायबिटीज के दो तरह का होता है-टाइप 1 और टाइप 2
टाइप 1 डायबिटीज के दौरान बॉडी में इंसुलिन बनना बंद या बहुत ही कम हो जाता है। ऐसे में पीड़ित इंसान को बाहर से इंसुलिन देना पड़ता है। टाइप 1 मधुमेह को कंट्रोल किया जा सकता है।
टाइप 2 मधुमेह होने पर बॉडी पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाती है या फिर बॉडी इंसुलिन का इस्तेमाल सही से नहीं कर पाती है। इस तरह की डायबिटीज का इलाज नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, दवाओं या इंसुलिन के जरिए किया जा सकता है। यह गलत लाइफस्टाइल और जीन संबंधी कारकों की वजह से होती है।
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डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Diabetes)
हर किसी को डायबिटीज के लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए ताकि समय रहते बीमारी पर ध्यान दिया जा सके। इससे मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। नीचे हम ऐसे ही कुछ शुगर के लक्षण के बारे में बताया गया है। जैसे-
अत्यधिक पसीना आना (Excess sweating)
जब ब्लड में मौजूद ग्लूकोज लेवल कम होने लगता है इस वजह से घबराहट महसूस होती है और पसीना आने लगता है।
वजन बढ़ना (Weight Gain)
डायबिटीज मोटापे की वजह से हो सकती यह तो हम जानते ही हैं, पर इसकी वजह से भी मोटापा और ज्यादा हो सकता है।
बार-बार पेशाब आना (Frequent Urination)
बार-बार यूरिन जाने की वजह से ब्लडस्ट्रीम में उपस्थित ज्यादा शुगर शरीर से बाहर निकल जाती है।
बार-बार प्यास लगना (Frequent thirst)
मधुमेह की वजह से मरीज पानी पीने के बावजूद प्यासा महसूस करता है।
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भूख लगना (Feeling Hungry)
शुगर लेवल में उतार चढ़ाव की वजह से बार-बार भूख लगने लगती है।
वजन कम होना (Lose weight)
ऐसा बहुत कम होता है लेकिन, अगर लगातार वजन कम हो रहा हो तो डायबिटीज की परेशानी हो सकती है।
धुंधला दिखना (Blurry visibility)
हाई ब्लड शुगर की वजह से आंखों में ड्रायनेस होती है, जिससे देखने और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है।
मसूड़ों में सूजन या लाल होना (Swelling or redness in the gums)
मसूड़ों में बार-बार इंफेक्शन होना जिस वजह से मसूड़े लाल होने के साथ-साथ सूज भी सकते हैं।
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घाव का ठीक न होना (Wound not healing)
किसी भी तरह से लगी चोट डायबिटीज की वजह से जल्दी ठीक नहीं हो सकती है।
बीमारी कोई भी हो, समय पर जांच और उचित देखरेख ही बचाव का सबसे अच्छा तरीका होता है। ऐसे में मधुमेह के इलाज और समस्य से निदान के लिए डायबिटीज स्वेट सेंसर या डिवाइस का प्रयोग करना सही रहेगा। इससे बीमारी की जांच नियमित रूप से संभव होगी। अगर आपको, परिवार के सदस्य या आपके दोस्तों को शुगर की बीमारी है तो आप उन्हें डायबिटीज स्वेट सेंसर के बारे में जरूर बताएं। लेकिन, इसे समझने के लिए और इसका इस्तेमाल कैसे करना है ये हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें।
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