डायबिटीज एक कॉम्प्लेक्स कंडीशन है, जो एक नहीं बल्कि कई फैक्टर्स के कारण पैदा हो सकती है। टाइप 2 डाइबिटीज भी इसका परिणाम हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति मोटा है या फिर उसकी बेहतर लाइफस्टाइल नहीं है, तो ये फैक्टर डायबिटीज को जन्म देने का काम करते हैं। जेनेटिक्स भी डायबिटीज को प्रभावित करती है। टाइप 2 डायबिटीज इनहेरिट हो सकती है एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंच सकती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि अगर आपके परिवार में किसी को टाइप 2 डायबिटीज हो, तो आपको भी ये हो लेकिन अगर माता-पिता को टाइप 2 डायबिटीज है, तो आपमें इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको डायबिटीज और जेनेटिक्स (Diabetes and genetics) का क्या संबंध है, इस बारे में जानकारी देंगे।
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डायबिटीज और जेनेटिक्स (Diabetes and genetics)
कुछ बीमारियां जेनेटिक होती हैं यानी वो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती हैं। अगर आपके पिता या फिर उनके पिता को डायबिटीज की समस्या रह चुकी है, तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि आपको भी भविष्य में डायबिटीज का सामना करना पड़ेगा। कई प्रकार के जीन का म्यूटेशन टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) से संबंधित है। ये जीन म्यूटेशन वातावरण से इंटरेक्ट करके बीमारी के रिस्क को अधिक बढ़ा सकते हैं। अगर ये कहा जाए कि टाइप 2 डायबिटीज अनुवांशिकी और वातावरणीय फैक्टर के कारण होती है, ये इस बात में दो राय नहीं हैं। वैज्ञानिकों ने भी विभिन्न जीन म्यूटेशन को गंभीर डायबिटीज से जोड़कर देखा है। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में एक या फिर एक से अधिक जीन म्यूटेशन (Gene mutation) होते हैं। वजन को निर्धारित करने में भी अनुवांशिकी की अहम भूमिका हो सकती है।
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टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) के लिए रिस्पॉन्सिबल जीन
हमारे शरीर में जो जीन ग्लूकोज को कंट्रोल करने का काम करते हैं उनमें म्यूटेशन के कारण टाइट 2 डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है। जीन ग्लूकोज का प्रोडक्शन, इंसुलिन का प्रोडक्शन और रेग्युलेशन, बॉडी में ग्लूकोज का लेवल आदि कंट्रोल जीन के माध्यम से होते हैं। यहां हम आपको कुछ जीन के नाम बता रहे हैं, जो ग्लूकोज और इंसुलिन से संबंधित हैं।
- TCF7L2- इंसुलिन सिकरीशन और ग्लूकोज प्रोडक्शन को प्रभावित करता है।
- ABCC8- इंसुलिन को रेग्युलेट करने में मदद करता है।
- CAPN10- ये टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क से जुड़ा हुआ है।
- GLUT2- ये ग्लूकोज को पैंक्रियाज में ले जाने में मदद करता है।
- GCGR- ग्लूकोज हॉर्मोन है, जो कि ग्लूकोज रेग्युलेशन (glucose regulation) से जुड़ा हुआ है।
उपरोक्त दिए गए जीन में अचानक से आए म्यूटेशन के कारण डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
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डायबिटीज और जेनेटिक्स : कौन-से रिस्क बढ़ा सकते हैं टाइप 2 डायबिटीज का खतरा?
किसी भी व्यक्ति में टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) डेवलप होने के लिए कुछ फैक्टर्स जिम्मेदार हो सकते हैं। ये फैक्टर फैमिली हिस्ट्री, लाइफस्टाइल, डायट या फिर एक्सरसाइज से संबंधित हो सकते हैं। अगर लाइफस्टाइल या फिर डायट में सुधार की जाए, तो बीमारी के रिस्क को कम किया जा सकता है। यहां कुछ कारण दिए जा रहे हैं, जिससे टाइट 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
- अगर प्री-डायबिटीज की समस्या हो।
- टाइप 2 डायबिटीज से जुड़े मल्टिपल म्यूटेशन।
- डायबिटीज (Diabetes) की फैमिली हिस्ट्री के कारण बीमारी को होना।
- फैमिली में हाय ब्लड प्रेशर (high blood pressure) की समस्या।
- 45 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।
- अधिक वजन वाले हैं।
- सप्ताह में 3 बार से कम शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हैं।
- गर्भवती होने पर मधुमेह की समस्या।
- एचडीएल का लेवल कम होना।
- ट्राइग्लिसराइड्स का हाय लेवल होना।
- आपको डिप्रेशन (depression) की समस्या है।
- फैमिली में हार्ट डिजीज या फिर स्ट्रोक का पेशेंट हो।
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की बीमारी हो।
- एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स ( acanthosis nigricans) हो।
अगर आपको उपरोक्त समस्याएं हैं, तो आपको टाइप 2 डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे आपको अधिक सावधान रहने की जरूर है। अगर आप अपने खानपान के साथ ही बेहतर लाइफस्टाइल का चुनाव करते हैं, तो आप बड़े खतरे से बच सकते हैं।
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डायबिटीज और जेनेटिक्स: टाइप 2 डायबिटीज के लिए जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic testing for type 2 diabetes)
कुछ जीन म्यूटेशन की पहचान जीन टेस्टिंग की हेल्प से की जा सकती है। कुछ फैक्टर की हेल्प से टाइप 2 डायबिटीज का प्रिडिक्शन किया जा सकता है।
- बॉडी मास इंडेक्स (BMI)
- फैमिली हिस्ट्री
- हाय ब्लड प्रेशर (high blood pressure)
- हाय ट्राइग्लिसराइड (high triglyceride ) और कोलेस्ट्रॉल का स्तर (cholesterol levels)
- प्रेग्नेंसी में डायबिटीज (gestational diabetes)
रोजाना एक्सरसाइज और डायट प्लान कर सकता है सुधार
आपको इस आर्टिकल के माध्यम से डायबिटीज और जेनेटिक्स (Diabetes and genetics) के बीच संबंध समझ आ गया होगा। भले ही आप अनुवांशिकी में बदलाव नहीं कर सकते हैं लेकिन लाइफस्टाइल में सुधार आपकी डायबिटीज की संभावना को कम करने में मदद कर सकता है। आपको रोजाना फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए और साथ ही वेट ट्रेनिंग (weight training) भी करनी चाहिए। आप रोजाना 30 मिनट तक एक्सरसाइज जरूर करें। आप पहले प्लान बनाएं और फिर एक्सरसाइज शुरू करें। आप रोजाना वॉक (walk) से शुरूआत कर सकते हैं। साथ ही अपनी डायट को भी प्लान करें। आपको एक्सरसाइज और डायट प्लान करने से पहले डॉक्टर से महत्वपूर्ण जानकारी जरूर लेनी चाहिए।
अगर आपको टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क फैक्टर पता चल जाएंगे, तो आपके लिए बीमारी के संभावना को कम करना आसान हो जाएगा। आप इस बारे में डॉक्टर से जरूर पूछें कि कैसे टाइप 2 डायबिटीज की संभावना को कम किया जा सकता है।
अगर आप बेहतर लाइफस्टाइल का चयन करेंगे, तो बीमारियां आपसे दूर रहेंगी। अगर अनुवांशिकी के कारण आपको डायबिटीज की समस्या हो गई है, तो आपको डॉक्टर ने जिन दवाओं का सेवन करने की सलाह दी हो, उन्हें समय पर जरूर लें। साथ ही उन चीजों को डायट से हटा दें, जो आपके ग्लूकोज लेवल को बढ़ा दे। आपको डॉक्टर से डायबिटीज के दौरान रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में जानकारी लेनी चाहिए ताकि आप बेहतर लाइफस्टाइल अपनाकर बीमारी को कंट्रोल कर सकें। किसी भी तरह की समस्या होने पर किसी अन्य से पूछने की बजाय डॉक्टर से ही जानकारी प्राप्त करें। कई बार दवाओं का अधिक सेवन या फिर कम सेवन भी आपको हानि पहुंचा सकता है इसलिए दिशानिर्देशों का सही से पालन करें।
हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको डायबिटीज और जेनेटिक्स (Diabetes and genetics) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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