backup og meta

आंखों पर स्क्रीन का असर हाेता है बहुत खतरनाक, हो सकती हैं कई बड़ी बीमारियां

आंखों पर स्क्रीन का असर हाेता है बहुत खतरनाक, हो सकती हैं कई बड़ी बीमारियां

आंखों पर स्क्रीन का असर तब होता है जब व्यक्ति दुनिया से कटकर ज्यादातर समय स्क्रीन पर बिताता है। मौजूदा समय में बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी टीवी, लैपटॉप और मोबाइल पर अपना ज्यादा से ज्यादा समय बीता रहे हैं। देशभर में लॉकडाउन के कारण बीते दिनों की तुलना में अब लोगों का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। आइए आंखों पर स्क्रीन का असर विषय पर आदित्यपुर जमशेदपुर के आनंद आई एंड मदर केयर क्लीनिक के एचओडी और कंसल्टेंट फेको सर्जन डॉ आनंद सुश्रुत से इसकी गंभीरता को जानते हैं।

लोगों की बदली जीवनशैली भी बड़ा कारण

बच्चों से लेकर बड़ों की जीवनशैली बदलने के कारण और टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होने की वजह से आंखों पर स्क्रीन का असर देखने को मिल रहा है। फेको सर्जन डा आनंद सुश्रुत बताते हैं कि, ‘आंखों पर स्क्रीन का असर यह बुर्जुगावस्था में होता था, लेकिन अब लोगों को युवावस्था में ही हो रहा है। लोगों में एआरएमडी (Age Related Macular Degeneration) की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। पहले 60 वर्ष के बाद के लोगों में देखने को मिलती था, लेकिन मौजूदा समय में आंखों पर स्क्रीन का असर के कारण 45 साल के लोगों में भी यह समस्या देखने को मिल रही है। जरूरी है कि सही जीवनशैली अपनाकर बीमारी से बचाव किया जाए।

आंखों के लिए घातक ब्लू रेज
Dr Anand Sushrut

आंखों पर स्क्रीन का असर पर एक नजर

डाॅ. आनंद सुश्रुत बताते हैं कि ज्यादा समय तक लैपटॉप, मोबाइल या फिर टीवी देखने के कारण जो लक्षण दिखते हैं वह छोटे से लेकर बड़ों में भी पता चलता है। बच्चों की बात करें तो वह मोबाइल को काफी करीब से देखते हैं उस कारण भी दिक्कतें होती हैं। लोग आसानी से किसी चीज को समायोजित व अकोमोडेट नहीं कर पाते हैं। लोगों को एकाग्र होने में दिक्कत होती है। इसके अलावा आंख में जलन, लाल होना, आंखों में भारीपन होना, फ्रेश महसूस न करना, आंख से पानी आना और सिर दर्द जैसी समस्या हो सकती है। जरूरी है कि ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह ली जाए।

यह भी पढ़ें : Rubbing Eyeआंख में खुजली क्या है? जानिए इसके कारण और उपचार

बड़ों में दिखते हैं ये लक्षण

आंखों पर स्क्रीन का असर की बात करें तो डाॅ आनंद कहते हैं कि,’ बड़ों में अलग प्रकार का लक्षण देखने को मिलता है। यदि कोई व्यस्क सुबह से लेकर शाम तक लैपटॉप या कंप्यूटर पर लगातार काम करे तो उस स्थिति में शाम होते होते या फिर कुछ घंटों के बाद फॉन्ट्स ब्लर दिखने लगते हैं। ऐसा कंप्यूटर पर लगातार काम करने के कारण होता है।

यह भी पढ़ें : Keratoconus : केराटोकोनस क्या है?

आंखों पर स्क्रीन का असर कम कर पाएं निजात

आंखों की बीमारी से बचाव के लिए या फिर इन प्रकार के लक्षणों से बचने के लिए डाॅ. का कहना है कि, जितना संभव हो सके लैपटॉप, मोबाइल और टीवी से दूरी बनाकर रखें। जरूरत भर के लिए ही इन चीजों का इस्तेमाल करें। तभी सेहतमंद रहा जा सकता है। सामान्य से ज्यादा इस्तेमाल करना घातक होता है। वहीं हर आधे घंटे पर पांच मिनट का ब्रेक जरूर लें। ठंडा पानी पिएं। कोशिश करें कि मोबाइल, लैपटॉप या फिर टीवी के साथ ब्लू रेज से प्रोटेक्ट करने वाले ग्लास लगाएं। इससे स्क्रीन से निकलने वाली रेज आंखों को डैमेज नहीं करेगी और आप अच्छा महसूस भी करेंगे।

बच्चों में एग्रेशन और एकाग्रता की समस्या है सामान्य

आंखों पर स्क्रीन का असर की बात करें तो सबसे ज्यादा इससे छोटे बच्चे ही प्रभावित होते हैं। मौजूदा समय में कई सारे ऐसे गेम्स आ गए हैं, जिससे बच्चों का एग्रेशन बढ़ा है। शूटिंग, फाइटिंग, रेसिंग जैसे गेम्स ज्यादा खेलने के कारण बच्चे सामान्य की तुलना में ज्यादा गुस्सा करते हैं। इस कारण उनमें चिड़चिड़ापन ही धीरे-धीरे डेवलप हो जाता है। वे एक जगह ध्यान नहीं लगा पाते हैं। कई मामलों में तो बच्चे पेरेंट्स की रिस्पेक्ट भी नहीं करते हैं। इन तमाम साइकोलॉजिकल इफेक्ट से बचने के लिए भी बच्चों का मोबाइल टाइम घटाने की जरूरत है।

इसके अलावा कोशिश करनी चाहिए कि पेरेंट्स बच्चों और उनकी एक्टिविटी पर पूरी नजर रखें। बच्चा क्या कर रहा है और क्या नहीं? इसकी जानकारी हर पेरेंट्स को होनी चाहिए। तभी वे बच्चे की बेहतर तरीके से देखभाल कर सकते हैं। वहीं इन लक्षणों से बचाव के लिए जरूरी है कि नियमित एक्सरसाइज की जाए।

यह भी पढ़ें : आंख में चोट लगने पर क्या करें? जानें चोट ठीक करने के उपाय

आंखों पर स्क्रीन का असर होने के कुछ बड़े उदाहरण

कंप्यूटर विजन संड्रोम से लेकर, एआरएमडी, आंखों का सूखापन और एस्थनेपिया सिम्टम्स जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। आंखों पर स्क्रीन का असर को लेकर कुछ बीमारी व उनके लक्षण इस प्रकार हैं।

एआरएमडी : एआरएमडी को एज रिलेटेड मेकुलर डिजेनेरेशन कहा जाता है। आंखों से जुड़ी यह बीमारी लंबे समय के बाद होती है। 60 साल की उम्र के लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है। इसके कारण आंखों की रोशनी तक जा सकती है। ऐसा तभी होता है जब आंखों के रेटिना के बीचों-बीच मैकुला (Macula) होता है वह नीचे की ओर खिसक जाता है। रेटिना लाइट को पहचान दिमाग को सिग्नल भेजने का काम करता है। इस बीमारी के होने से आपको क्लियर विजन नहीं मिलता, ब्लर दिखता है और पढ़ने में या फिर गाड़ी चलाने में दिक्कत होती है। इसके कारण अंधेरा छा जाता। वहीं देखा गया है कि कुछ लोग रंगों का भेद भी नहीं बता पाते हैं। शरीर में इस प्रकार के लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

यह भी पढ़ें : Eye Socket Fracture : आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर क्या है? जानिए इसका उपचारEye Socket Fracture : आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर क्या है? जानिए इसका उपचार

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम : आंखों पर स्क्रीन का असर की बात करें तो उसके कारण कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की बीमारी हो सकती है। ऐसे लोगों को यह बीमारी होती है जो ज्यादातर कंप्यूटर पर काम करते हैं। इसके कारण आई स्ट्रेन और डिसकंफर्ट होता है। यह बीमारी होने के कारण भी लोगों को ब्लर दिखता है, डबल विजन दिखता है। आंखें ड्राई होने के साथ लालीपन हो सकती है। आंखों में खुजली और सिरदर्द की समस्या होने के साथ गर्दन और पीठ के पीछे दर्द होता है। कंप्यूटर के आगे ग्लास लगाकर, कंप्यूटर से कुछ दूरी बनाकर बैठने के साथ आंखों को समय-समय पर ब्रेक देकर और कंप्यूटर की ब्राइटनेस, काॅन्ट्रास्ट आदि को अच्छे से एडजस्ट कर बीमारी से बचाव किया जा सकता है। इस बीमारी के लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

यह भी पढ़ें : आंख में कुछ चले जाना हो सकता है बेहद तकलीफ भरा, जानें ऐसे में क्या करें और क्या न करेंआंख में कुछ चले जाना हो सकता है बेहद तकलीफ भरा, जानें ऐसे में क्या करें और क्या न करें

एस्थेनोफिया : एस्थेनोफिया को आईस्ट्रेन और ऑक्यूलर फटीग भी कहा जाता है। आंखों पर स्क्रीन का असर लगातार होने के कारण जब यह थक जाती हैं तो ऐसा होता है। इसके कारण आंखों के आसपास दर्द होता है, सिर दर्द होने के साथ, ब्लर विजन और, आंखों में जलन, लाइट से सेंस्टिविटी, आंखों को लंबे समय तक खोलकर रखने में दिक्कत के साथ वर्टिगो की समस्या हो सकती है।

आंखों का सूखापन : आंखों पर स्कीन का असर यही है कि इसके कारण लोग पलकें नहीं झपका पाते हैं। वहीं ब्लिंक रेट कम होने से आंखों को आंसू के रूप में पोषक तत्व नहीं मिलता है और उसे परेशानी होती है। इस कारण आंखें ड्राई हो जाती हैं।

डिजिटल आई स्ट्रेन के लक्षण : आंखों पर स्क्रीन का असर की बात करें तो ज्यादा समय तक यदि कोई स्क्रीन पर रहता है तो उस कारण उसे डिमलेस ऑफ लाइट यानि रोशनी कम दिखना, धुंधला दिखना, आंखों में जलन आदि के लक्षण दिखते हैं। शरीर में ऐसे लक्षण दिखे तो डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

यह भी पढ़ें : Eye allergies: आंख में एलर्जी क्या है?Eye allergies: आंख में एलर्जी क्या है?

लाॅकडाउन के दौरान आंखों पर स्क्रीन का असर बढ़ा

  • लोगों का समय टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर पर 6-8 फीसदी बढ़ा
  • मोबाइल, लैपटॉप पर छोटे बच्चे पहले की तुलना में 3 घंटे दे रहे ज्यादा समय
  • लॉकडाउन में गेमिंग ऐप डाउनलोड करने में 11 फीसदी का हुआ इजाफा
  • ब्लू लाइट विजन का इफेक्ट होने से डिजिटल आई स्ट्रेन की हो रही समस्या

यह भी पढ़ें: Retinal detachment: रेटिनल डिटैचमेंट क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

आंखों की एक्सरसाइज करना है फायदेमंद

  • सीधा खड़े होकर व मुंह को ऊपर कर सीलिंग देखने के लिए उपर देखें, वहीं तुरंत नीचे फर्श देखें, इसमें आपका शरीर नहीं हिलना चाहिए।
  • आंखों को बाएं से दाएं व दाएं से बाएं धीरे-धीरे कर ले जाएं, ऐसा दस-दस बार करें।
  •  मुंह-शरीर को स्थिर रख आंख को दाहिने साइड के ऊपर में ले जाएं फिर दाहिने साइड के नीचे में ले जाएं। धीरे-धीरे कर यह एक्सरसाइज करें। ठीक ऐसा ही लेफ्ट अपर और लेफ्ट लोअर डायरेक्शन में भी ले जाएं।
  • कंप्यूटर पर काम करने के दौरान हर 20 मिनट पर रेस्ट लें और 20 मीटर की दूरी पर रखी वस्तु को 20 सेकेंड कर देखें। ऐसा करना आंखों की सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है।

यह भी पढ़ें : जानें किस कलर के सनग्लासेस होते हैं आंखों के लिए बेस्ट, खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

आंखों पर स्क्रीन का असर कम करने के लिए जरूरी है कि यदि आप नियमित कंप्यूटर चलाते हैं तो बच्चे से लेकर बड़े सभी तो साल में एक बार आई चेकअप जरूर करवाएं। वहीं हर आधे घंटे के अंतराल पर 10 मिनट का ब्रेक लेना चाहिए। बच्चे हो या बड़े बॉडी के अनुसार की कंप्यूटर को रखने का एडजस्टमेंट करना चाहिए। कंप्यूटर न तो आंखों के ऊपर होना चाहिए ना ही नीचे। इससे विजन संबंधी दिक्कत आ सकती है। स्क्रीन की लाइटिंग को आंखों के हिसाब से एडजस्ट करना चाहिए। कोशिश करें कि रूम में कम से कम लाइट हो ताकि आंखों की रोशनी पर इसका असर न पड़े।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। ।

और पढ़ें :

आंखों का टेढ़ापन क्या है? जानिए इससे बचाव के उपाय

डॉक्टर आंख, मुंह, से लेकर पेट, नाक, कान तक का क्यों करते हैं फिजिकल चेकअप

Black eye: काली आंख क्या है?

आंख से कीचड़ आना हो सकता है इन बीमारियों का संकेत, जान लें इनके बारे में

 

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Age-Related Macular Degeneration/ https://www.webmd.com/eye-health/macular-degeneration/age-related-macular-degeneration-overview#1/Accessed 2 May 2020

Electronic screen alert: Avoid this vision risk/ https://www.health.harvard.edu/diseases-and-conditions/electronic-screen-alert-avoid-this-vision-risk/Accessed 2 May 2020

Impact of computer use on children’s vision/ https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2776336/Accessed 2 May 2020

What Is Computer Vision Syndrome?/ https://www.webmd.com/eye-health/computer-vision-syndrome#1/Accessed 2 May 2020

Getting Relief for Asthenopia/ https://www.healthline.com/health/asthenopia/Accessed 2 May 2020

Anand eye and mother care clinic Adityapur, Jamshedpur, HOD & Consoultant FECO surgeon Dr. Anand SuShrut.

 

Current Version

26/07/2020

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Sanket Pevekar


संबंधित पोस्ट

आंखों के इन रोगों को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी!

ऑक्युलर हायपरटेंशन (Ocular Hypertension) : ये नहीं है दिल से संबंधित बीमारी


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/07/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement