भुजंगासन (Cobra Pose), योग की दुनिया में पीठ के सबसे महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। संस्कृत भाषा में ‘भुजंग’ का अर्थ ‘सांप’ होता है। यानी ये आसन सांप के आकार का दिखता है । इसलिए इसका नाम भुजंगासन पड़ा है। साथ ही भुजंगासन को कोबरा पोज के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ये आसन कोबरा के फन फैलाने जैसा दिखता है। सूर्य नमस्कार योग में कुल 12 मुद्राएं होती हैं। इन मुद्राओं में 7वें नंबर की मुद्रा भुजंगासन (Bhujangasan) होती है।
भुजंगासन (Bhujangasan) या कोबरा पोज (Cobra Pose) सबसे खास क्यों है?
भुजंगासन करते वक्त आपका पूरा शरीर में खिंचाव होता है। जिससे शरीर लचीला बनता है और आपका पाचन तंत्र मजबूत बनता है। हमारा पूरा दिन बहुत व्यस्त होता है। व्यायाम न करने के कारण हमारी पीठ की मांसपेशियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। धीरे-धीरे ये मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और इससे पीठ में दर्द, झुकने में मुश्किल, स्लिप डिस्क और पीठ से संबंधित अन्य बीमारियां हो जाती हैं। भुजंगासन योग आपकी पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है। साथ ही पीठ से जुड़ी परेशानियों को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह लेख आपको भुजंगासन के चरण, लाभ और सावधानियों के हर पहलू के बारे में जानने में मदद करेगा।
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भुजंगासन करने का सही तरीका (Cobra Pose Steps)
भुजंगासन के कई लाभ हैं, जिनके बारे में हम इस लेख में बात करेंगे। सबसे पहले बात करते हैं कि भुजंगासन कैसे करें?
भुजंगासन करने के हर चरण को नीचे समझाया गया है। इन चरणों को जानकर आप सही तरीके से भुजंगासन कर सकते हैं।
- सबसे पहले, अपने पैरों को सीधा करें और पेट के बल लेट जाएं। पैर की उंगलियों को आपस में छुआते हुए बाहर की तरफ रखना चाहिए।
- अपनी हथेलियों को छाती के दोनों किनारों के पास रखें। आपके हाथ शरीर के करीब होने चाहिए और कोहनी बाहर की ओर होनी चाहिए।
- अपने माथे को फर्श पर रखें और शरीर को ढीला छोड़ें
- धीरे-धीरे सांस लें और अपने माथे, गर्दन और फिर कंधों को ऊपर उठाएं।
- अपनी पीठ की मांसपेशियों की मदद से, छाती को ऊंचा करते जाएं और फिर अपने हाथ की ताकत का उपयोग करते हुए, सिर को पूरी तरह से ऊपर उठा दें।
- अपनी गर्दन को धीरे से पीछे की ओर ले जाएं, ताकि आपकी मुद्रा कोबरा मुद्रा की तरह दिखे।
- ऊपर की ओर देखते हुए आराम से सांस लें। अपनी छाती को पूरी तरह से फैलाकर रखें। शरीर का पूरा वजन अपने हाथेलियों पर न आने दें। कोहनियों को थोड़ा सा मोड़कर रखें और पीठ की मांसपेशियों पर भी वजन डालें।
- कोबरा मुद्रा की इस आखिरी स्थिति में, यह सुनिश्चित करें कि आपकी नाभि 3 सेमी से ज्यादा ऊपर न उठे। 20-25 सेकंड के लिए इसी मुद्रा को बनाकर रखें।
- आसन को पूरा करते हुए पहली स्थिति में वापस आइए।
- पहले सांस छोड़ें।
- अब अपनी छाती, नाभि, कंधों, गर्दन और माथे को धीरे से नीचे लाएं।
- अपने हाथों को एक तकिया की तरह अपने सिर के नीचे रखें और कुछ मिनटों के लिए आराम करें।
- कोबरा मुद्रा को इसी तरह 2—3 बार दोहराएं।
- भुजंगासन योग के अलावा आगे और पीछे झुकने वाले आसन जैसे पस्चीमोतनासन करने से भी लाभ मिलेगा।
भुजंगासन यानी कोबरा मुद्रा के नियमित अभ्यास से आप शरीर को ज्यादा लचीला बनाने में सक्षम होंगे। अपने हाथों को एक दम सीधा कर सकेंगे और रीढ़ को काफी हद तक खींचकर रख पाएंगे।
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भुजंगासन (कोबरा पोज) के लाभ
भुजंगासन के कुछ प्रमुख लाभों में कब्ज से लेकर चक्रों के संतुलन तक कई चीजें शामिल हैं। आइए एक नजर डालते हैं इसके लाभ पर—
1- भुजंगासन योग चिंता को कम करता है
कोबरा पोज करने के दौरान जैसे-जैसे छाती ऊपर उठती है, वह हार्ट को प्रभावित करती है। इससे तनाव में कमी और चिंता से राहत मिलती है, जिससे आपकी सभी नकारात्मक भावनाएं धीरे—धीरे खत्म हो जाती हैं।
2- पाचन शक्ति को बढ़ाता है
भुजंगासन जिस तरह से किया जाता है, उससे पाचन तंत्र सीधे तौर पर प्रभावित होता है। पाचन तंत्र को आराम मिलता है। खिंचाव से पेट के अंगों के काम बहुत आसानी से होने लगते हैं। पीठ का निचला हिस्सा गुर्दे यानी किडनी पर असर डालता है जिससे किडनी के कार्यों में भी सुधार दिखता है।
3- पीठ और गर्दन के दर्द को कम करता है
आज की तनावपूर्ण जीवन शैली के लिए भुजंगासन के कई लाभ हैं। इनमें से एक पीठ और गर्दन के दर्द से राहत भी शामिल है। कोबरा पोज ऊपरी शरीर में अकड़न को खत्म करता है और कंधे, छाती और गर्दन को राहत दिलाता है।
4- मासिक धर्म की अनियमितताओं को कंट्रोल करता है
मासिक धर्म की अनियमितताओं को कंट्रोल करने के अलावा, भुजंगासन आसन मासिक धर्म के दर्द से भी राहत दिला सकता है।
5- कुंडलिनी को जागृत करता है
कोबरा पोज कुंडलिनी को जागृत करता है। कुंडलिनी जागने का प्रभाव यह होता है कि शरीर की ताकत बढ़ती है। किडनी की पथरी और लिवर की समस्याओं से राहत मिलती है।
जैसे ही कुंडलिनी जागृत होती है, शरीर के सात चक्र संतुलित हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति के दृष्टिकोण, भावनाओं और शारीरिक शक्ति में बदलाव साफ नजर आता है।
किन लोगों को भुजंगासन योग नहीं करना चाहिए?
- जिन लोगों के पेट की सर्जरी हुई हो।
- अगर आप स्पॉन्डिलाइटिस जैसी गर्दन की बीमारी से पीड़ित हैं, तो इस आसन को करने से बचें
- अगर आपको रीढ़ की गंभीर चोट है, तो इस योग को ना करें।
- गर्भावस्था के दौरान इस आसन को करने से बचना चाहिए।
- साथ ही कार्पल टनल सिंड्रोम, कलाई की समस्या, गंभीर सिरदर्द और हर्निया की समस्या वाले लोग भी इस आसन को ना करें।
भुजंगासन करने के दौरान ये गलतियां न करें (Bhujangasan (Cobra Pose) Mistakes)
जिन लोगों ने हाल ही में भुजंगासन करना शुरू किया है या जो पहले से करते आ रहे हैं, ये गलतियां दोनों तरह के लोगों को मुश्किल में डाल सकती हैं। पैरों से कोहनी तक और कंधों से लेकर हाथों तक, सभी अंगाें में दबाव महसूस हाेना चाहिए। आइए जानते हैं भुजंगासन करते समय कौन-सी गलतियां नहीं करनी चाहिए।
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नेक कंजेशन
कोबरा मुद्रा के दौरान जब गर्दन को रीढ़ से ऊपर की ओर मोड़ा जाता है तो एक सुंदर धनुषाकार आकार बनता है। यदि यह सही तरीके से नहीं किया जाता है, तो सिर झटके से पीछे की ओर जा सकता है जिससे गर्दन की नसें खिंच सकती हैं। इसे करने के दौरान रीढ़ में लंबाई को बनाए रखें।
हाथों का गलत प्लेसमेंट
सही मुद्रा बनाए रखने के लिए, हाथों को कंधे की सीधी दूरी पर रखा जाना चाहिए। कंधों से ज्यादा दूरी पर हाथ रखने से बैक आर्क नहीं बन पाएगा। जिससे पोज सही नहीं बनेगा और शरीर को तकलीफ भी होगी।
कोहनी को खींचकर लॉक करना
कोहनी को लॉक करना जरूरी नहीं है। कभी-कभी लोग इस तथ्य को जाने बिना अपनी कोहनी को लॉक करने की कोशिश करते हैं। सबके शरीर की सीमाएं अलग होती हैं। अपने शरीर की सीमा से ज्यादा खिंचाव न करें। हमेशा इसे हल्के से धीरे-धीरे खींचें।
भुजंगासन योग के प्रकार
भुजंगासन यानी कोबरा पोज के 4 प्रकार होते हैं, जिन्हें आप अपने शरीर की जरूरतों और क्षमताओं के अनुसार चुन सकते हैं।
1- पारंपरिक यानी ट्रेडिशनल कोबरा पोज
यह सबसे लोकप्रिय भुजंगासन मुद्रा है। इसी मुद्रा की चर्चा हमने पूरे लेख में की है। यह पूरे शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है।
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2- कर्व हैंड कोबरा पोज
यह ट्रेडिशनल कोबरा पोज की तुलना में ज्यादा आसानी से किया जा सकता है। भुजंगासन के इस प्रकार में आपको अपनी बाहों को सीधा रखने के बजाय मोड़कर रखना होता है। अगर आपको हाथ सीधे रखने में मुश्किल होती है तो आप हाथ मोड़कर भी ये मुद्रा कर सकते हैं। इस तरह करने से भी लाभ कम नहीं होंगे।
3- हाफ कोबरा पोज
यह मुद्रा शुरुआती लोगों के लिए होती है। शुरू-शुरू में शरीर उतना लचीला नहीं होता है इसलिए शरीर को पीछे की ओर मोड़ना मुश्किल होता है। ऐसे में आप ज्यादा पीछे न जाकर आधे पर ही रुक जाएं। रोज करने से धीरे-धीरे पीठ पीछे की ओर जाने लगेगी। आपमें शक्ति भी आएगी और शरीर भी लचीला होता जाएगा।
4- राइजिंग हैंड कोबरा पोज
यदि आप अपने शरीर के निचले भाग को ज्यादा मजबूत बनाना चाहते हैं तो ये मुद्रा आपके लिए मददगार होगी। इसमें आप पीठ को पीछे उठाते हुए हाथ को सीधा रखें ताकि ये मुद्रा आसानी से बनाई जा सके।
कोबरा पोज, स्फिंक्स पोज और अपवर्ड-फेसिंग डॉग पोज में क्या अंतर है?
अक्सर इन 3 मुद्राओं को करने की सलाह दी जाती है। इन तीनों ही मुद्रा में बहुत भिन्नता होती है। तीनों में बाहों के दबाव का स्तर, पोजिशन और प्रभाव अलग—अलग होते हैं। ये आपकी शारीरिक और मानसिक स्थिति को काफी फायदा पहुंचाते हैं।
यदि आप ऐसे काम करते हैं जिसमें आपके शरीर में झुकाव बना रहता है जैसे कंप्यूटर पर काम करना या बागवानी करना। ऐसे में आपको ये तीनों मुद्राएं अपने व्यायाम में शामिल करनी चाहिए। इससे आपको फिट रहने में मदद मिलेगी।
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स्फिंक्स: शुरुआती दौर में योगा करने वालों के लिए पीठ के झुकाव वाले आसन
स्फिंक्स आसन आपके पीठ के झुकाव के शुरुआती चरण के लिए ठीक है। इससे शरीर को ज्यादा कष्ट नहीं होगा और आसन आसानी से शुरू कर सकते हैं। ये मुद्रा कोबरा पोज जैसी ही होती है। स्फिंक्स में, सिर्फ आप अपनी बाहों को शरीर के सामने 90 डिग्री के कोण पर रखते हैं और कोहनी कमर के पास होती है। हथेलियों को जमीन पर टिका कर रखा जाता है।
स्फिंक्स आसन में आपको पीठ को पीछे की ओर ज्यादा खींचने की जरूरत नहीं होती है। इससे शुरुआती लोगों से यह आसान आसानी से हो जाता है। वहीं जो कोबरा मुद्रा में पीठ को खींचकर रखना होता है, जो शुरुआती दौर में मुश्किल होता है।
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अपवर्ड-फेसिंग डॉग पोज
स्फिंक्स के बाद आप कोबरा पोज को आसानी से कर सकते हैं। इसके बाद आता है अपवर्ड-फेसिंग डॉग पोज। यह मुद्रा स्फिंक्स और कोबरा पोज दोनों के लाभ पहुंचाती है। इस मुद्रा में आपकी बाहों और पैरों दोनों की ताकत लगती है। इसमें पूरे शरीर का उपयोग किया जाता है।
इसमें आपकी पैरों की उंगलियां और हाथ जमीन से छूते हैं। इसके अलावा पूरे शरीर को उठा दिया जाता है। फिर अपने सिर को हल्के से पीछे की तरफ मोड़ते हैं। पीठ को ज्यादा पीछे तक झुकाने के लिए कोहनियों को ब्लॉक कर सकते हैं।
यह आसन आपके फेफड़ों और पसलियों के लिए फायदेमंद होता है। इससे श्वसन तंत्र में भी शक्ति भरती है। फेफड़ों की ऑक्सीजन को पंप करने की क्षमता बढ़ जाती है। इससे आपको ये आसन करते समय बार—बार सांस लेने का प्रयास नहीं करना पड़ेगा।
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भुजंगासन योग और अन्य योगासनों का वीडियो
हर दिन करें भुजंगासन
डेस्क पर बैठकर जॉब करने वालों के लिए भुजंगासन एक बेहद जरूरी अभ्यास है। लंबे समय तक एक कुर्सी पर सीधे बैठने से पीठ दर्द और रीढ़ की समस्या होती है। कोबरा पोज को करने में ज्यादा समय नहीं लगता है और दर्द जैसी समस्याएं दूर करने में भी मदद मिलती है।
रोज 10 मिनट भुजंगासन योग करने से पाचन तंत्र नियंत्रित रहता है। आपके निचले हिस्से की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। चयापचय में सुधार होता है और थायरॉइड की समस्या को भी कम करता है।
क्या आप जानते हैं कि भुजंगासन या कोबरा पोज करने से आपकी कुछ इंच लंबाई भी बढ़ सकती है। साथ ही भुजंगासन आसन पीठ की समस्याओं को भी दूर करता है।
अब जब आप भुजंगासन के सभी लाभों के बारे में जान गए हैं तो इसका लाभ उठाएं। भुजंगासन आपके जीवन को बदल सकता है। तो अब किस बात का इंतजार कर रहे हैं। चलिए मैट उठाइए और भुजंगासन करने के लिए बाहर चलिए।
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