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Trikonasana: त्रिकोणासन क्या है? जानें इस योग को 'त्रिभुज पोज या मुद्रा' क्यों कहा जाता है

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/07/2022

    Trikonasana: त्रिकोणासन क्या है? जानें इस योग को 'त्रिभुज पोज या मुद्रा' क्यों कहा जाता है

    फिटनेस के लिए योगा सबसे अच्छा  उपाय है। अगर आप योग से अपने दिन को  शुरू करते हैं तो इससे अच्छी कोई बात कुछ नहीं हो सकती है। योग के आसन आपके शरीर को आराम देने के साथ फिट रखते हैं। इसके अलावा शरीर में लचीलेपन को बढ़ाते हैं और पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। अलग-अलग योगासन शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करते हैं। योगासन से पूरे शरीर का विकास ​होता है। त्रिकोणासन (Trikonasana) एक ऐसा योग है जो मांसपेशियों के खिंचाव द्वारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। त्रिकोणासन को सबसे प्रभावी योग आसनों में से एक माना जाता है। यदि त्रिकोणासन हर दिन अभ्यास किया जाए तो आप फिट बने रह सकते हैं:

    त्रिकोणासन (Trikonasana) योग क्या है?

    त्रिकोणासन  का संस्कृत शब्द है इसका मतलब होता है ‘ तीन कोनों की मुद्रा ‘ याऋ ‘ त्रिभुज मुद्रा ‘। त्रिकोणासन एक ही स्थान पर करने वाला आसन है। शरीर की मांसपेशियों और जोड़ों को मजबूत बनाने के लिए त्रिकोणासन बहुत फायदेमंद है। त्रिकोणासन योग मुद्रा में, पैरों को अलग-अलग फैलाया जाता है और एक पैर को 90 डिग्री के कोण पर मोड़ते हैं। शरीर का ऊपरी हिस्से को एक पैर की तरफ झुकाते हैं। फिर एक हाथ जमीन पर छुआते हुए और दूसरे पैर को  आसमान पैर से फिर इस आसान को दोहराते हैं। रोजाना त्रिकोणासन योग का अभ्यास करने से कई तरह के शारीरिक लाभ मिल सकते हैं।

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    त्रिकोणासन के पीछे का विज्ञान

    त्रिकोणासन करने से आपको पता चलता है कि आपके पैरों में कितनी ताकत है। कभी-कभी आपको ऐसा भी महसूस हो सकता है कि आपका निचला हिस्सा कमजोर हो गया है। तब आप अपने पैरों और निचले हिस्से को मजबूत बनाने के लिए त्रिकोणासन का सहारा ले सकते हैं। आपको महसूस होगा कि निचला हिस्सा फिर से एक्टिव हो गया है। अन्य योग आसनों की तरह, त्रिकोणासन से भी एक नहीं कई लाभ होते हैं। इससे पैरों में ताकत आने के अलावा उनकी स्थिरता भी बढ़ती है। साथ ही यह शरीर का आकार बढ़ाने में मदद करता है। जब आपके पैर और हाथ की मांसपेशियां फैलने लग जाती हैं, तो शरीर लचीला हो जाता है। जैसे-जैसे आप अपने धड़, पैर और बाहों को संतुलित करते हैं, आपका दिमाग एकाग्र और स्थिर होता जाता है। त्रिकोणासन योग करने से आप इस तरह की चीजें महसूस करेंगे।

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    त्रिकोणासन करने के स्टेप्स (Trikonasana Steps) क्या हैं?

    नीचे त्रिकोणासन करने के स्टेप्स दिए गए हैं, जिनका आपको सही तरीके से पालन करना चाहिए। एक मैट​ बिछाएं और उस पर सीधे खड़े हो जाएं। पैरों की एड़ियां आपस में छुएं, पैरों की उंगलियों को भी आपस में छूने दें। सिर और हाथ सीधा रखें। पहले गहरी सांस लें और शरीर को ढीला छोड़ें। धीरे-धीरे अपने शरीर के वजन को दोनों पैरों पर डालते हुए पैरों को फैला लें।

    1. अपने पैरों को एक-दूसरे से लगभग 3-4 फीट अलग कर लें।
    2. दोनों हाथों को सीधा रखते हुए कंधों और हथेलियों को नीचे की ओर ले जाएं।
    3. अपने दाहिने और बाएं पैर को बाहर की दिशा में ले जाएं।
    4. ध्यान रखें कि पूरे अभ्यास के दौरान घुटने सीधे रहें।
    5. अब धीरे-धीरे अपने ऊपरी शरीर को दाईं ओर गिराएं।
    6. अपनी हथेलियों को जमीन से थोड़ा छुआएं।
    7. अब अपने बाएं हाथ को ऊपर की ओर फैलाएं और अपने सिर को ऊपर उठाकर रखें।
    8. ऊपर वाले हाथ को सीधा देखते रहें।
    9. कुछ मिनट तक ऐसी ही स्थिति में रहें। इसके बाद पहले अपनी बाहों को उठाएं और फिर अपने ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे ऊपर की ओर लाएं।
    10. अपने शरीर को आराम दें।

    शुरुआत के लिए एक या आधा मिनट तक इस आसन को कर सकते हैं। जब आप धीरे-धीरे इस आसन को करने में सहज महसूस करने लगें तो अपना समय बढ़ा दें। त्रिकोणासन का अभ्यास रोजाना बाएं और दाएं तरफ से 1-3 बार करें।

    त्रिकोणासन के प्रकार (Types of Trikonasana)

    त्रिकोणासन योग की कई एडवांस स्टेज भी होती हैं। जिन्हें आप सहज होने के बाद आसानी से कर पाएंगे। यहां हम आपको त्रिकोणासन के अन्य प्रकार बताने जा रहे हैं जिन्हें आपको ठीक से करना चाहिए।

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    1- परिव्रत त्रिकोणासन या रिवॉल्व्ड ट्रायएंगल पोज

    परिव्रत का अर्थ है घूमना। इसे पार-ए-वृत-तह त्रिक-कोण-अहस-अन्न के रूप में उच्चारित किया जाता है। रिवॉल्व्ड ट्रायएंगल पोज दो अलग-अलग डायनेमिक ऊर्जाओं को मिलाता है। इसमें हाथों और पैरों की ऊर्जाओं का इ​स्तेमाल होता है।

    परिव्रत त्रिकोणासन (Parivrtta Trikonasana) के लाभ

    • रीढ़ और नितंबों में खिंचाव
    • पैरों को मजबूत बनाना
    • पेट के अंगों को क्रियाशील करता है
    • शारीरिक संतुलन बढ़ता है
    • सांस लेने में सुधार
    • हल्के पीठ दर्द का इलाज करना

    2- उत्थिता त्रिकोणासन या एक्सटेंडेट ट्रायएंगल पोज

    उत्थिता त्रिकोणासन या एक्सटेंडेट ट्रायएंगल पोज खड़े होकर करने वाली मुद्रा है। जांघों की ताकत द्वारा ये आसन किया जाता है। यह योग आसन तनाव से राहत और शरीर के विभिन्न अंगों को लंबा करने में मदद करता है।

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    उत्थिता त्रिकोणासन के फायदे

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    3- बद्धा त्रिकोणासन या बाउंड ट्रायएंगल पोज

    बद्धा त्रिकोणासन, उत्थिता त्रिकोणासन का ही एक अलग प्रकार है। इसमें हाथों के माध्यम से धड़ में खिंचाव पैदा किया जाता है। पैर के खिंचाव से पेट की संकुचित मांसपेशिसां भी खुल जाती हैं। बद्धा त्रिकोणासन का यही मुख्य पोज होता है।

    बद्धा त्रिकोणासन c के फायदे

    • पीठ के ऊपरी हिस्से, कंधे और छाती में खिंचाव
    • मांसपेशियों में खिंचाव से छाती चौड़ी होती है
    • हृदय चक्र को सक्रिय करता है
    • मानसिक स्थिरता बढ़ाता है
    • एड़ियों, पैरों और पंजों को मजबूत करता है
    • जांघों, कूल्हों, कंधों और गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा करता है

    4- सुप्ता त्रिकोणासन या रिक्लाइनिंग ट्रायएंगल पोज (Recycled triangle pose)

    सुप्ता त्रिकोणासन बिल्कुल त्रिकोणासन योग आसन की तरह होता है। इसमें फर्क इतना होता है कि ये आसन लेटकर किया जाता है। इसके सभी स्टेप्स त्रिकोणासन की तरह ही होते हैं।

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    सुप्ता त्रिकोणासन के लाभ

    त्रिकोणासन करने के लिए कुछ जरूरी ​टिप्स (Some Tips for Trikonasana)

    • यदि आपको लगता है कि आसन करने के लिए ये स्थिति कठिन है, तो आप कुछ बदलाव कर सकते हैं।
    • शुरुआत में, अगर आपको लग रहा है कि आप हाथ से फर्श छूने में असमर्थ हैं तो आप उंगलियों का उपयोग कर सकते हैं।
    • यदि आपको जमीन को छूने में कठिनाई होती है, तो आप अपने आगे के भाग को जांघ के सहारे रख दूसरे हाथ का भी उपयोग कर सकते हैं।
    • जब आप 90 डिग्री का कोण बनाते हैं तो घुटने मुड़ जाते हैं। ऐसे में पैरों को ज्यादा जोर लगाकर सीधा रखने की जरूरत नहीं है। आप घुटने मोड़ सकते हैं।

    त्रिकोणासन के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s & Don’t Do’s During

    Trikonasana)

    शुरुआत में त्रिकोणासन करने वालों के लिए

    यदि आपने अभी-अभी त्रिकोणासन योग करना शुरू किया है तो यहां कुछ शुरुआती सुझाव दिए गए हैं जिनका आप उपयोग कर सकते हैं।

    • शुरुआत में आप अपने धड़ को ठीक मुद्रा में स्थिर रखने के लिए दीवार का सहारा ले सकते हैं।
    • इस आसन के दौरान अपनी पीठ को सीधा रखना जरूरी है।
    • शरीर को घुमाते समय अपने नितंबों को न घुमाएं।

    इन सुझावों को ध्यान में रखें और त्रिकोणासन क​रके उसका लाभ उठाएं।

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    त्रिकोणासन मुद्रा के लाभ

    • पूरे शरीर का संतुलन बनाता है
    • शरीर में रक्त संचार ठीक करता है।
    • कमर और जांघ के वसा को बर्न करता है।
    • तनाव नहीं होने देता
    • मानसिक एकाग्रता बढ़ाता है
    • बाहें, घुटने, पैर, टखने और छाती को मजबूत बनाता है
    • चिंता को कम करता है
    • पीठ दर्द को कम करता है
    • पाचन शक्ति बढ़ाता है
    • ऑस्टियोपोरोसिस और बांझपन का इलाज करता है
    • शारीरिक और मानसिक स्थिरता को बढ़ाता है
    • पेट के सभी अंगों को क्रियाशील बनाता है
    • गर्दन के दर्द और फ्लैट पैर का इलाज करता है

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    शरीर के चक्रों के लिए त्रिकोणासन किस तरह फायदेमंद है?

    त्रिकोणासन, मणिपुर चक्र को संतुलित करता है। ये चक्र शरीर की जीवन शक्ति और ऊर्जा केंद्र हैं। त्रिकोणासन योग आसन इस चक्र को सक्रिय करता है। इससे चयापचय संतुलित होता है। असुरक्षा और भय से लड़ने में मदद करता है।

    त्रिकोणासन शरीर के विभिन्न चक्रों जैसे अनाहत चक्र (हृदय चक्र), मूलाधार चक्र (मूल चक्र) और स्वाधिष्ठान चक्र (त्रिक चक्र) को जागृत करने में मदद करता है।

    ध्यान रखने योग्य बातें

    • त्रिकोणासन करते समय दोनों पैरों के बीच की दूरी आपकी ऊंचाई के आधार पर 3 से 4 फीट होनी चाहिए।
    • धड़ और कूल्हों को सीधा और सामने की ओर रखें।
    • जमीन को छूते समय ऊपर की दिशा में भुजाओं को सीधा रखें।
    • सिर, दाहिने कान और दाहिने हाथ को एक सीध में रखने की कोशिश करें।
    • त्रिकोणासन करते समय छाती को फैलाएं और कंधों को पीछे खींचें।

    क्या न करें

    • अपने पैरों को बहुत ज्यादा स्ट्रेच न करें
    • अपनी भुजाओं को मोड़े नहीं
    • त्रिकोणासन की मुद्रा में रहते हुए पैरों को ज्यादा न मोड़ें
    • दाएं पैर और बाएं पैर को एक लाइन में रखने की कोशिश न करें
    • अपना संतुलन न खोएं

    त्रिकोणासन करने के नुकसान

    त्रिकोणासन करते समय कुछ सावधानियां रखनी चाहिए। जिन्हें ये समस्याएं हों उन्हें त्रिकोणासन करने से बचना चाहिए।

    • शरीर की किसी भी तरह की चोट हो
    • हृदय की समस्या (Heart Problem)
    • गठिया (Arthritis)
    • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical spondylitis)
    • माइग्रेन (Migraine)
    • चक्कर आना (dizziness)
    • सांस लेने में परेशानी (respiratory distress)
    • हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
    • स्पाइनल डिसऑर्डर (Spinal Disorder)
    • गर्दन में दर्द (Neckache)
    • दस्त (Dhariya)
    • सिरदर्द (Headche)
    • गर्भवती महिलाओं को त्रिकोणासन करते समय अपने योग प्रशिक्षक की मदद लेनी चाहिए। या फिर त्रिकोणासन योग का अभ्यास करने से बचना चाहिए।

    सावधानियां

    • अधिक खिंचाव से बचें क्योंकि इससे अनावश्यक दर्द या चोट लग सकती है।
    • गर्दन में दर्द है तो इसे ऊपर की दिशा में ज्यादा न मोड़ें।
    • कंधे, गर्दन और पीठ दर्द में इस आसन का अभ्यास करने से बचें।

    त्रिकोणासन के बाद करने वाले जरूरी आसन

    जीवन में योग को शामिल करने से बहुता लाभ मिल सकते हैं। इसे जीवन जीने का तरीका बना लें। अगर इसे पढ़ने के बाद आपने रोजाना त्रिकोणासन करने का फैसला लिया है तो यहां कुछ योग मुद्राएं दी गई हैं। जिन्हें आप त्रिकोणासन के बाद कर सकते हैं।

    त्रिकोणासन के बाद -ताड़ासन

    ताड़ासन को माउंटेन पोज भी कहते हैं। यह खड़े होकर करने वाले आसनों में से एक है। इस आसन को हमेशा निचले अंग को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

    ताड़ासन के फायदे

    • फ्लैट पैर को ठीक करता है
    • पेट और नितंबों को आकार देता है
    • टखनों, जांघों और घुटनों को मजबूत करता है
    • शरीर के संतुलन में सुधार
    • सांस, पाचन और तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करता है।

    त्रिकोणासन के बाद- वृक्षासन

    वृक्षासन या ट्री पोज एक पेड़ की तरह दिखने वाली मुद्रा है। अधिकांश योग आसनों के विपरीत, इस आसन में आंखें खुली रखने की आवश्यकता होती है। इससे शरीर को संतुलित करने में मदद मिलती है। खाली पेट वृक्षासन योग करने से ज्यादा फायदा होता है।

    वृक्षासन के लाभ

    • घुटने और ढीले कूल्हों को मजबूत करता है
    • फ्लैट पैर का इलाज करता है
    • पैर की मांसपेशियों मजबूत बनाता है
    • रीढ़ को मजबूत करता है
    • शरीर के बैलेंस को बढ़ाता है
    • एकाग्रता बढ़ाता है
    • कंधे, कान और आंखों की शक्ति बढ़ाता है ।

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    त्रिकोणासन के बाद- कटिचक्रासन (Katichkrasan)

    कटिचक्रासन को कमर का घुमावदार आसन भी कहा जाता है। यह योग आसन कमर को लंबा करने में मदद करता है। कटिचक्रासन योग को रोज करने से कब्ज ठीक हो जाता है

    कटिचक्रासन के लाभ

    • पीठ के निचले हिस्से और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है
    • कब्ज का इलाज करता है
    • रीढ़ और कमर को मजबूत करता है
    • पैर और हाथ की मांसपेशियों को मजबूत करता है

    त्रिकोणासन के बाद- कोणासन (Konasana )

    कोणासन या एंगल पोज एक ऐसा योग आसन है जिसमें रीढ़ की हड्डी में खिंचाव की जरूरत होती है। इस आसन में पहले शरीर फैलाता है और फिर सिकुड़ता है। यह वक्षीय क्षेत्र की मांसपेशियों और आंतरिक अंगों को स्वस्थ रखता है।

    कोणासन के लाभ

    • पीठ दर्द से राहत
    • पूरे शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा करता है
    • कब्ज को ठीक करता है
    • रीढ़ के लचीलेपन को बढ़ा देता है

    त्रिकोणासन योग सिर्फ शरीर को ही मजबूत नहीं बनाता बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखता है। त्रिकोणासन दिमाग तेज करता है। आप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए रोज त्रिकोणासन कर सकते हैं।

    । बेहतर जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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