के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/10/2020
योग एक प्रक्रिया है, जो हमारे शरीर, सांस और दिमाग को एक साथ जोड़ती है। योग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक है ये बात आप वर्षों से सुन रहे होंगे। योग को अंग्रेजी में योगा कहा जाता है, जिसे हिंदी में भी योग के पर्यायवाची के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है, लेकिन, योग और योगासन अलग-अलग हैं। योगासन योग का एक हिस्सा है, जो कि शारीरिक और मानसिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है और आपको कई स्वास्थ्यवर्धक फायदे भी पहुंचाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि योग के भी प्रकार होते हैं? अगर नहीं तो इस आर्टिकल में जानें योग के प्रकार और उनके आप पर होने वाले सकारात्मक प्रभाव के बारे में।
जैसा कि हमने बताया कि योगासन योग का एक हिस्सा है, जो कि योग और आसन दो शब्दों से मिलकर बना है। इसका मतलब है कि योग के दौरान अपनाई जाने वाली मुद्राएं, लेकिन इन योगासन का प्रभाव स्वतंत्र रूप से भी महत्वपूर्ण है और दुनिया में योग के अन्य आयामों के मुकाबले सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। क्योंकि, योग एक बहुत व्यापक प्रक्रिया है, जिसमें अपने शरीर और दिमाग से संबंध बिठाया जाता है, लेकिन सिर्फ शारीरिक और मानसिक समस्याओं से निजात के लिए योगासन का अभ्यास किया जाता है। तो आइए, हम योगासन की दृष्टि से योग के प्रकार और उसमें योग के तरीके के बारे में जानते हैं।
हठयोग सभी योगों के लिए एक आम शब्द इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें सांसों की गति और शारीरिक मुद्राओं के बीच संतुलन बनाना होता है। हालांकि, इसके अलावा पारंपरिक प्रकारों में क्रियायोग, राजयोग और कर्मयोग आदि भी शामिल हैं, लेकिन यह शारीरिक मुद्राओं के अलावा आयामों को बताते हैं। हठयोग काफी सामान्य और सबसे पुराना योग का प्रकार है, जिसमें काफी आसान योगासनों को शामिल किया गया है, जो कि योग की शुरुआत करने वाले लोगों के लिए काफी बेहतर रहेगा।
योग के प्रकार – अष्टांग योग (Ashtang Yoga)
अष्टांग योग में आपको कई योगासनों के एक लगातार क्रम का अभ्यास करना होता है। इस अभ्यास के दौरान आपको अपनी सांसों को एक विशेष तकनीक के तहत रखना होता है, जो कि आपके दिमाग और शरीर में श्वास के प्रवाह को केंद्रित रखने में मदद करता है।
अयंगर योग (Ayangar Yoga)
अयंगर योग में बारीक और धीमी गति से योगासनों का अभ्यास किया जाता है। जो कि इसे योगा की शुरुआत करने वाले लोगों के लिए काफी उपयोगी बनाता है। इस योग के प्रकार में आप अपनी योग मुद्राओं को सही रखने के लिए बेल्ट, ब्लॉक्स और तकियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस योग का विकास बी. के. एस. अयंगर ने किया था। जो कि आपके शरीर की सीधाई के जरिए शरीर में लचीलेपन और ताकत को संतुलित करती है।
पावर योग काफी चुनौतीपूर्ण योग के प्रकार में शामिल है। इसमें आपको काफी शारीरिक ताकत, गति और स्टेमिना की जरूरत होती है । इस योग के प्रकार में अष्टांग योग के योगासनों का ही अभ्यास किया जाता है, जो कि शरीर के ऊपरी हिस्से की ताकत, संतुलन और फ्लैक्सिबिलिटी को बढ़ाता है। अगर आप पहली बार योग का अभ्यास कर रहे हैं, तो शुरुआत में इसे धीरे-धीरे अपनाएं।
कुंडलिनी योग (Kundalini Yoga)
कुंडलिनी योग आध्यात्म से ज्यादा जुड़ा हुआ है। इसमें योगासन, सांस लेने की तकनीक, ध्यान और उच्चारण आदि की सहायता से शरीर में व्याप्त कुंडलिनी ऊर्जा को सक्रिय करना होता है, जो कि आपकी स्पाइन के बेस में स्थित होती है।
विक्रम योग (Bikram Yoga)
विक्रम योग को कहीं-कहीं हॉट योगा भी कहा जाता है, जो कि विक्रम चौधरी द्वारा विकसित किया गया था। इस योग के प्रकार में एक कमरे के तापमान को निश्चित डिग्री तक गर्म करके उसमें 26 चुनौतीपूर्ण योगासनों का अभ्यास किया जाता है। इस योग के अभ्यास से आपके शरीर से टॉक्सिन को निकाला जाता है, जो कि पसीने के जरिए निकलते हैं।
विन्यास योग (Vinyas Yoga)
इस योग के प्रकार में किसी भी व्यक्ति के लिए योग काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। इस प्रकार में एक विशेष आसन में आपको अपने शरीर को बनाए रखना होता है। इसे 1980 के दशक के दौरान अष्टांग योग से ही लिया गया था। इसे करने के लिए आपको काफी शारीरिक संतुलन और ताकत की जरूरत पड़ती है।
ताड़ासन बहुत ही साधारण आसन हैं। यह योगासन का प्रभाव शरीर की सारी मांसपेशियों पर पड़ता है और इसे सही तरीके से किया जाए तो आपका शरीर लचीला बनता है। इसके साथ ही आपके शारीरिक दर्द को भी दूर किया जा सकता है। यह आसन आपकी तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र और श्वास नली पर काम करता है, जिससे वह नियमित रहे। इस योगासन की मदद से आपका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है।
योगासन के नाम – वृक्षासन
यह योगासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने में मदद करता है, जिससे शारीरिक संतुलन में सुधार होता है। वृक्षासन का रोजाना अभ्यास करने से शारीरिक संतुलन के साथ शरीर में लचीलापन और इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है।
उत्कटासन
उत्कटासन को चेयर पोज भी कहा जाता है। यह योगासन काफी शक्तिशाली होता है, क्योंकि इसमें शरीर के सारे अंग इस्तेमाल होते हैं। काल्पनिक कुर्सी बनने के लिए शरीर को स्टेमिना और स्ट्रेंथ की जरुरत होती है। इसे रोजाना करने से आपका शरीर शक्तिशाली बनता है और और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव शरीर के निचले हिस्से पर पड़ता है।
मत्स्यासन
यह योगासन कमर और पेट को मजबूत बनाता है। मत्स्यान से रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा आपकी इम्यूनिटी में भी सुधार आता है। इस योगासन को रोजाना करने से शरीर कई शारीरिक समस्याओं से दूर रहा जा सकता है।
योगासन का शरीर पर जल्द और पॉसिटिव लाभ प्राप्त करने के लिए क्या करें?
योग से लाभ के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें। जैसे:
योग गुरुओं के अनुसार दिन में अलग-अलग समय होते हैं जैसे ब्रह्म मुहूर्त, सूर्योदय, दोपहर और सूर्यास्त। अगर आप ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के दौरान योगासन नियमिति रूप से करते हैं, तो इसका विशेष लाभ मिलता है।
ब्रह्म मुहूर्त के दौरान योग अत्यंत लाभकारी माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह साढ़े चार बजे से तकरीबन सवा पांच बजे तक रहता है। इस दौरान वातावरण में ताजी हवा चलती है, जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी माने जाते हैं। प्रायः योग गुरु ब्रह्म मुहूर्त में ही योगाभ्यास करते हैं।
सूर्योदय या सूर्यास्त के दौरान भी योग करना लाभकारी होता है। अगर आप किसी कारण ब्रह्म मुहूर्त के दौरान योगाभ्यास नहीं कर पाते हैं, तो सूर्योदय या सूर्यास्त का वक्त आपके लिए लाभकारी हो सकता है। नियमित समय पर योग करने से बॉडी एनर्जेटिक बनी रहती है।
योगासन हमेशा खाली पेट करना चाहिए या खाने के दो घंटे पहले करें। अगर आप शाम के वक्त या सूर्य अस्त होने के बाद कर रहें हैं, तो डिनर के तीन से चार घंटे पहले योग करें।
इस तरह आप योगासन का अभ्यास कर इससे मिलने वाले अनेक फायदे प्राप्त कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा। अधिक जानकारी के लिए आप योग एक्सपर्ट या डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
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