हाल ही में बार्बी बनाने वाली कंपनी ने बार्बी के न्यू डिजाइन लॉन्च किए हैं। इन न्यू डिजाइन के माध्यम से कंपनी विविधता दर्शाना चाहती है। बार्बी डॉल में बिना बालों वाली बार्बी, विटिलिगो बीमारी वाली बार्बी, व्हीलचेयर में बैठी बार्बी, प्रोस्थेटिक लेग वाली बार्बी आदि को शामिल किया गया है। यकीनन शारीरिक बीमारी की वजह से किसी की सुंदरता को कम नहीं आंका जा सकता है। पॉपुलर टॉय कंपनी मैटल ने अपने बयान में कहा कि ब्रॉन्ड ब्यूटी के मल्टी-डायमेंशनल व्यू और फैशन को शोकेस करना चाहता है। बार्बी के ऐसे रूप को लोगों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है। आपको बताते चलें कि विटिलिगो बीमारी वाली बार्बी के सोशल मीडिया पेज को लोग बेहद पसंद कर रहे हैं। इस बार छह यूनिक बार्बी डॉल को इंट्रोड्यूस किया गया है। मोर स्किन टोंस, मोर बॉडी टाइप, मोर यूनीक लुक को बार्बी के लुक के साथ जोड़ा गया है।
विटिलिगो बीमारी वाली बार्बी सबसे ज्यादा पसंद की गई
कंपनी मैटल ने अपने एक बयान में कहा कि विटिलिगो टॉय का एक प्रोटोटाइप है। हमने पिछले साल विटिलिगो टॉय इंस्टाग्राम पेज की शुरुआत की थी, जिसे सबसे ज्यादा पसंद किया गया। बिना बालों वाली बार्बी के लिए मैटल ने बयान में कहा कि ‘अगर किसी लड़की के किन्हीं कारणों से सिर के बाल झड़ गए हैं तो वो खुद को सबसे अलग समझने लगती है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। ‘
पिछले साल फैशनिस्टा रेंज में शामिल हुई थी ये बार्बी
ऐसा नहीं है कि कंपनी ने इसी साल नया एक्सपेरिमेंट किया हो। पिछले साल कंपनी की ओर फैशनिस्टा रेंज में प्रोस्थेटिक लेग वाली बार्बी, व्हीलचेयर में बैठी बार्बी को शामिल किया गया था। कंपनी ने प्रोस्थेटिक लेग वाली बार्बी को जोड़ कर अपनी रेंज बढ़ाने की कोशिश की है। उन्होंने अपने कलेक्शन में एक और मॉडल को जोड़ दिया है। कंपनी ने प्रोस्थेटिक लेग वाली बार्बी को बनाने के लिए जॉर्डन रीव्स के साथ काम किया जो कि एक विकलांग कार्यकर्ता थी। जॉर्डन रीव्स की एज 12 साल थी, और वो बिना बाएं पैर के अंगूठे के साथ पैदा हुई थी। 2019 में फैशनिस्टा की लाइन में अन्य प्रकार की बार्बी भी देखने को मिली थी। कुछ बार्बी जिनमे रियलिस्टिक बॉडी को शामिल किया गया था जिनमे छोटे बस्ट (smaller bust),लेस डिफाइंड वेस्ट ( less defined waist) और मोर डिफाइंड आर्म ( more defined arms)बार्बी को खास स्थान दिया गया था।
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क्या होती है विटिलिगो बीमारी (Vitiligo disease) ?
विटिलिगो बीमारी ऑटोइम्यून बीमारी है। इसे लोग आम भाषा में सफेद दाग भी कहते हैं। विटिलिगो बीमारी में त्वचा का रंग सफेद होने लगता है। अक्सर लोग इसे छुआछूत की बीमारी भी कहते हैं जो कि पूरी तरह गलत है। विटिलिगो बीमारी मेलेनिन पिगमेंट की गड़बड़ी के कारण होता है। त्वचा को रंग प्रदान करने के लिए शरीर में मेलेनिन पिगमेंट पाया जाता है। जब इस पिगमेंट में कमी आने लगती है तो शरीर के कुछ हिस्सों का रंग सफेद होने लगता है। विटिलिगो बीमारी में मेलेनिन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। विटिलिगो बीमारी होने पर हमारे समाज में व्यक्ति के साथ बुरा व्यवहार भी किया जाता है। हालांकि, विटिलिगो बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में स्किन कैंसर होने का जोखिम सबसे ज्यादा होता है। विटिलिगो बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है। विटिलिगो बीमारी होने पर स्किन को सूर्य की रोशनी से बचाकर रखना जरूरी हो जाता है। विटिलिगो बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन डार्कर स्किन में ये बीमारी होने की अधिक संभावना रहती है।
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विटिलिगो बीमारी के क्या हैं लक्षण ?
विटिलिगो बीमारी किसी को भी हो सकती है। विटिलिगो बीमारी होने पर स्किन का कलर पैची लूस हो जाता है। शरीर का जो भाग धूप में अधिक रहता है, उस स्थान में लक्षण पहले दिखाई देते हैं। शरीर के भाग जैसे कि हाथ, पैर, फेस और लिप्स के कलर में परिवर्तन देखने को मिलता है।
- त्वचा का रंग बदल जाना
- शरीर में स्कैल्प, पलकों, भौंहों या दाढ़ी के बाल समय से पहले सफेद हो जाना।
- मुंह के अंदर के टिशू और नोज यानी म्युकस मेंबरेन के टिशू के रंग को नुकसान पहुंचना।
- आईबॉल (रेटीना) की इनर लेयर का कलर बदल जाना। वैसे तो विटिलिगो बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन ये ज्यादातर मामलों में 20 साल की उम्र के बाद ही दिखाई देती है।
- विटिलिगो बीमारी शरीर के विभिन्न भागों में फैल सकती है। जिसे सेगमेंटल विटिलिगो कहते हैं। ये कम उम्र में भी हो सकता है। कम उम्र में होने के बाद ये कुछ समय के लिए रुक भी जाता है। जब विटिलिगो बीमारी शरीर के किसी खास स्थान में होती है तो इसे सेगमेंटल विटिलिगो कहते हैं।
- बॉडी के एक हिस्से में फैलने वाली इस बीमारी को लोकेलाइज्ड विटिलिगो भी कहते हैं।
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क्यों होती है विटिलिगो बीमारी की समस्या
पिगमेंट प्रोड्यूसिंग सेल्स के खराब हो जाने के कारण विटिलिगो बीमारी हो सकती है। साथ ही डॉक्टर को भी इस बारे में जानकारी नहीं है आखिर ऐसा क्यों होता है। कुछ कारण हैं जिनकी वजह से ये बीमारी हो सकती है।
- इम्यून सिस्टम के डिसऑर्डर की वजह से स्किन में उपस्थित मेलेनोसाइट्स नष्ट होने लगती हैं।
- फैमिली हिस्ट्री के कारण भी ऐसा हो सकता है।
- सनबर्न, स्ट्रेस या फिर इंडस्ट्रियल केमिकल्स के कारण
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ये हो सकते हैं कॉम्प्लीकेशन
जिन लोगों को विटिलिगो बीमारी है, उन्हें कुछ कॉम्प्लीकेशन भी हो सकते हैं। जैसे कि साइकोलॉजिकल डिस्ट्रेस, सनबर्न और स्किन कैंसर, आई प्रॉब्लम जैसे कि आईरिस में इंफ्लामेशन, सुनने में समस्या होना आदि। अगर आपको शरीर के किसी भी स्थान में अचानक से रंग परिवर्तन दिख रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। वैसे तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं होता है, लेकिन ट्रीटमेंट की मदद से डिसकलरिंग की प्रोसेस को रोका जा सकता है। हो सकता है कि ट्रीटमेंट के बाद आपकी स्किन का कलर भी वापस आ जाए।
अगर आपको या आपके परिवार में किसी को भी सफेद दाग की समस्या है तो उसे छुआछूत का रोग न समझें। ये बीमारी छूने से नहीं फैलती है। ऐसे लोगों के साथ समान व्यवहार ही करना चाहिए, बार्बी भी अब यही संदेश दे रही है। बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।