ऑटिज्म का निदान करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि अन्य विकारों का निदान करने के लिए मौजूद परीक्षणों के जैसे इसके लिए कोई खास टेस्ट नहीं है। डॉक्टर ऑटिज्म को डायग्नोस करने के लिए बच्चे के विकास और व्यवहार को देखते हैं। इसके लिए डॉक्टर विकास संबंधी जांच और विस्तृत नैदानिक मूल्यांकन करते हैं।
ऑटिज्म का इलाज कैसे किया जाता है? (Autism Treatment)
वैसे तो ऑटिज्म का कोई इलाज नहीं है। लेकिन, कई तरीकों से सीखने की क्षमता और मेंटल ग्रोथ को बढ़ाना दिया जा सकता है। व्यवहारिक प्रशिक्षण और प्रबंधन व्यवहार और संचार को बेहतर बनाने के लिए आत्म-सहायता, सकारात्मक तरीकों और सामाजिक कौशल प्रशिक्षण जैसे एप्लाइड व्यवहार विश्लेषण (applied behavior analysis) का इस्तेमाल किया जा सकता है।
और पढ़ें : पीसीओडी में प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं तो ध्यान रखें ये बातें
ऑटिज्म और टेस्टोस्टेरॉन (Autism and testosterone)
टेस्टोस्टेरॉन पुरुष श्रेणी का हार्मोन है लेकिन ये कम मात्रा में महिलाओं में भी पाया जाता है। इसका निर्माण भी अंडाशय में होता है, जो खून में जाकर मिलता है। नई रिसर्च में पाया गया है कि जिन मांओं में टेस्टोस्टेरॉन की अधिकता होती है उनके बच्चों में ऑटिज्म होने का खतरा ज्यादा होता है।
महिला हार्मोन और ऑटिज्म पर कई अध्ययन हो चुके हैं। इसमें साफ तौर पर सिद्ध हो चुका है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला हार्मोन में असंतुलन बच्चे को ऑटिज्म की ओर धकेल देता है। हालांकि, इस मुद्दे पर और भी शोध जारी है। अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।
उम्मीद करते हैं कि आपको फीमेल हार्मोन और आटिज्म से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।