पीसीओएस या पीसीओडी में प्रेग्नेंसी होने पर महिलाओं को बहुत सावधानी बरतनी होती है और पीसीओडी में प्रेग्नेंसी में अधिक मुश्किल न आए इसलिए उन्हें नियमित रूप से एक्सरसाइज करनी चाहिए। हेल्दी खाना खाना चाहिए और डायट में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर चीजें शामिल करने की जरूरत होती है, वजन नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए। वॉकिंग भी बहुत जरूरी है।
और पढ़ें- गर्भावस्था में पालतू जानवर से हो सकता है नुकसान, बरतें ये सावधानियां
पीसीओडी में प्रेग्नेंसी का इलाज
वैसे तो पीसीओएस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन हां इसके लक्षणों का उपचार जरूर किया जा सकता है, ताकि पीसीओडी में प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाए। वजन कम करके और हेल्दी डायट अपनाने से इसके असर को कम किया जा सकता है और इससे पीरियड्स के नियमित होने और ऑव्युलेशन के सामान्य होने की भी संभावना रहती है। यदि आपका BMI 30 के ऊपर है तो डॉक्टर आपको वजन कम करने और हेल्दी डायट लेने की सलाह देगा। सिर्फ इतना बदलाव करने से ही आपकी बॉडी ऑव्युलेट करने लगेगी, लेकिन इससे यदि फर्क नहीं पड़ता है तो कई तरह की दवाइयों की मदद से पीसीओएस का उपचार किया जा सकता है।
और पढ़ें – गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन क्यों दी जाती है? जानिए इसके फायदे और साइड इफेक्ट्स
इसके अलावा लेप्रोस्कोपी की मदद से भी पीसीओडी में प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है। इसमें महिलाओं में एंड्रोजन हार्मोन पैदा करने वाले टिशू को खत्म कर दिया जाता है जिससे हार्मोन संतुलित हो जाता है और महिलाओं में गर्भधारण के लिए अंड्डे रिलीज होने लगते हैं। इसके अलावा पीसीओडी में प्रेग्नेंसी के लिए आईवीएफ तकनीक की भी मदद ली जा सकती है। इसमें महिला के अंडाणुओं और पुरुष के शुक्राणुओं को बाहर फर्टिलाइज किया जाता है और फर्टिलाइज होने के बाद महिला के गर्भ में आरोपित कर दिया जाता है। आजकल इनफर्टिलिटी के लिए यह ट्रीटमेंट बहुत पॉप्युलर हो रहा है और बड़े से लेकर छोटे शहरों तक में ढेरों आईवीएफ सेंटर खुल चुके हैं।
पीसीओडी से पूरी तरह बचा तो नहीं जा सकता, लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इसकी संभावना को आप जरूर कम कर सकती हैं।