सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) डिसीज को ग्रीवा कैंसर भी कहते हैं। सर्वाइकल कैंसर डिसीज महिलाओं से जुड़ा हुआ कैंसर है। महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का मुख्य कारण सर्वाइकल कैंसर ही होता है। ग्रीवा कैंसर से महिलाओं की मौत अधिक इसलिए भी होती है क्योंकि महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के लक्षण पता चलने के बावजूद भी सही समय पर इलाज नहीं हो पाता है। ट्रीटमेंट सही समय पर न मिलने पर कैंसर सेल्स की ग्रोथ होती जाती है और ये शरीर के अन्य भागों में भी फैलने लगता है। महिलाएं सर्वाइकल कैंसर डिसीज की रेगुलर स्क्रीनिंग नहीं करवा पाती हैं, जो उनकी मौत का कारण भी बन जाता है। भारत में 30 से 59 की उम्र की करीब 160 मिलियन महिलाएं सर्वाइकल कैंसर डेवलपमेंट के रिस्क में जी रही हैं। हर साल भारत में 77,300 नए केस डायग्नोज होते हैं और 37,800 लोगों को मौंत हो जाती है।
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सर्वाइकल कैंसर डिसीज के कारण क्या है? (Cause of Cervical Cancer)
सर्वाइकल कैंसर डिसीज सर्विक्स यानी ग्रीवा की लाइनिंग के नीचे के हिस्से को इफेक्ट करता है। सर्वाइकल कैंसर अचानक से डेवलप नहीं होता है, बल्कि धीरे-धीरे डेवलप होता है। जब महिलाओं के अंदर सर्वाइकल कैंसर पनप चुका होता है तो उन्हें अक्सर इसलिए नहीं पता चल पाता है, क्योंकि इस कैंसर के लक्षण कुछ खास पता नहीं चल पाते हैं। सर्विक्स की लाइनिंग के नीचे के हिस्से की सेल्स लगातर अपनी संख्या बढ़ाती रहती हैं जो कैंसर का कारण बन जाता है।
सर्वाइकल कैंसर डिसीज की मुख्य वजह वायरस को माना जाता है। एचपीवी वायरस (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) के कारण इंफेक्शन की समस्या हो जाती है जो आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर की बीमारी बन जाता है। एचपीवी वायरस के कारण इंफेक्शन की समस्या हो जाती है। संक्रमण सेक्शुअल इंटरकोर्स के कारण हो सकता है। कई बार स्किन टच भी वायरस के फैलने का कारण बन जाता है। सर्वाइकल कैंसर की बीमारी में माहवारी यानी पीरियड्स का असामान्य होना या फिर सेक्स के दौरान दर्द महसूस होना, पीरियड्स के दौरान अधिक मात्रा में रक्त निकलना आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
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सर्वाइकल कैंसर डिसीज के प्रकार (Types of Cervical Cancer)
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा(Squamous cell carcinoma)
ये सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग में होता है। करीब 90% केसेज में इसी प्रकार का सर्वाइकल कैंसर पाया जाता है।
एडिनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)
एडिनोकार्सिनोमा टाइप के सर्वाइकल कैंसर का जन्म उन कोशिकाओं में होता है, जिनमे म्युकस जनरेट होता है।
मिक्स्ड कार्सिनोमा (Mixed carcinoma)
इस तरह का ग्रीवा कैंसर लक्षणों के आधार पर बांटा जा सकता है।
सर्वाइकल कैंसर की बीमारी के कारण स्किन वार्ट्स या अन्य स्किन डिसऑर्डर हो सकता है। जानिए क्या हैं ग्रीवा कैंसर के रिस्क फैक्टर,
कुछ कारण की वजह से आपको सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है जैसे कि,
- 16 साल की कम उम्र में ही सेक्स की शुरुआत कर देना। यानी पीरियड्स के शुरू होते ही सेक्स करने लगना।
- कई लोगों के साथ सेक्स करना।
- पांच साल से ज्यादा गर्भनिरोधक गोलियां लेना।
- सिगरेट पीना।
- कमजोर इम्युन सिस्टम होना
- सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिसीज के कारण
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ग्रीवा कैंसर के लक्षण (Symptoms of Cervical Cancer)
ग्रीवा कैंसर के लक्षण तुरंत पता नहीं चलते हैं। फिर भी कुछ लक्षणों को देखकर बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
- सेक्स के समय पेन होना
- अधिक ब्लीडिंग की समस्या
- असामान्य पीरियड्स
- अनयुजुअल डिस्चार्ज
- पेट में दर्द
- पेशाब करने में परेशानी
- पैरों में सूजन
- किडनी फेलियर
- हड्डी में दर्द
- वजन कम होना और भूख न लगना
- थकान महसूस होना
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इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल के ओनोकोलॉजी विभाग के डाॅक्टर राहुल कुमार चौहान का कहना है कि ओवेरियन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में मृत्यु का कारण बनने वाले 7 वां सबसे आम कारण है। भारत में, यह तीसरा सबसे आम कैंसर है – हर साल लगभग 60,000 महिलाओं को प्रभावित करता है और इसकी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं! यह एक अत्यधिक आक्रामक कैंसर है, जिसका मृत्यु अनुपात बहुत अधिक है। ज्यादातर मामलों में, कैंसर चुप रहता है या लंबे समय तक किसी का ध्यान नहीं जाता है। यह अंडाशय के विभिन्न भागों में बिना किसी प्रमुख लक्षण के हो सकता है, जैसे रोगी को पेट में सूजन, अपच , और कभी-कभी मूत्र संबंधी शिकायत भी हो सकती है। ये कई अन्य समस्याओं के सामान्य लक्षण हैं; इसलिए, प्रारंभिक अवस्था में डिम्बग्रंथि के कैंसर की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।
सर्वाइकल कैंसर डिसीज का ट्रीटमेंट (Treatment for Cervical Cancer)
अगर ग्रीवा कैंसर जल्द पकड़ में आ जाता है तो कुछ ट्रीटमेंट की हेल्प से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है।
सर्जरी (Surgery)
सर्जरी की परपज ये रहता है कि कैंसर सेल्स को जितना पॉसिबल हो, हटा दिया जाए। कुछ सर्जरी में सर्जन सर्विक्स का कुछ एरिया हटा देते हैं। अगर कैंसर अधिक फैल गया है तो सर्विक्स को भी निकाला जा सकता है।
रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy)
रेडिएशन थेरिपी में हाई-एनर्जी एक्स-रे बीम का यूज कैंसर सेल्स को मारने के लिए किया जाता है।
कीमोथेरिपी (Chemotherapy)
कीमोथेरिपी में ड्रग्स की हेल्प कैंसर सेल्स को किल किया जाता है। डॉक्टर ट्रीटमेंट को साइकिल के रूप में देते हैं। साथ ही बॉडी को रिकवर होने के लिए समय भी दिया जाता है।
टारगेट थेरिपी (Targeted therapy)
अवास्टिन(Avastin) दवा कीमोथेरेपी और विकिरण के दौरान अलग तरीके से काम करती है। इस दवा की हेल्प से ब्लड वैसल्स का विकास रुक जाता है जिससे कैंसर सेल्स की ग्रोथ भी रुक जाती है। ये दवा कीमोथेरिपी के साथ दी जाती है।
इन बातों का रखें ध्यान
- सर्वाइकल कैंसर की बीमारी से बचने के लिए नियमित स्क्रीनिंग कराना जरूरी होता है।
- सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन भी लगाएं जाते हैं। अगर सही समय पर महिलाएं वैक्सीनेशन करवा लें तो भी इस बीमारी से बचा जा सकता है।
- जांच के लिए कुछ समय के अंतराल पर या डॉक्टर से परामर्श करने के बाद स्मीयर टेस्ट जरूर कराएं।
- कैंसर को बढ़ाने के लिए जो फैक्टर प्रभावी होते हैं, उनकी ओर महिलाएं जरूर ध्यान दें। कैंसर का मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल भी हो सकता है। बेहतर होगा कि हेल्दी फूड लें और रेगुलर एक्सरसाइज पर ध्यान भी दें। एल्कोहल और स्मोकिंग से दूरी बना कर रखें।
सर्वाइकल कैंसर डिसीज के लिए टेस्ट (Test for Cervical Cancer)
सर्वाइकल कैंसर टेस्ट यानी पेप स्मीयर टेस्ट डॉक्टर सर्वाइकल कैंसर को टेस्ट करने के लिए करते हैं। सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए कुछ स्क्रीनिंग टेस्ट 21 से 29 साल की उम्र में करवा लेने चाहिए। साथ ही 30 साल की उम्र से 65 साल की उम्र में भी पेप स्मीयर टेस्ट करवा लेना चाहिए। एचपीवी वैक्सीनेशन करवाना भी इस समस्या से बचने का उपाय है।
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सर्वाइकल कैंसर डिसीज : डॉक्टर से करें परामर्श
सवाईकल कैंसर डिसीज (Cervical Cancer Disease) होने पर भूख कम लगना, यौन संबंध बनाने में दर्द महसूस होना, डिस्चार्ज की अधिक समस्या होना, पैरों में दर्द महसूस होना आदि समस्याएं हो जाती हैं। साथ ही वजन में भी कमी महसूस होने लगती हैं। अगर समय रहते लक्षणों को पहचान लिया जाए तो सर्वाइकल कैंसर डिसीज से निपटा जा सकता है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। बिना डॉक्टर के परामर्श किसी भी तरह का फैसला न लें।