परिभाषा
कैल्शियम ब्लड टेस्ट (Calcium blood) क्या है?
ब्लड में कैल्शियम का मात्रा के द्वारा शरीर में कैल्शियम के स्तर की जांच की जाती है जो हड्डियों में जमा नहीं होता। कैल्शियम शरीर में मौजूद सबसे आम और महत्वपूर्ण मिनरल्स है। हड्डियों और दातों को बनाने और उसे ठीक रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है, यह नसों को ठीक से काम करने और मांसपेशियों को साथ जोड़े रखने के साथ ही ब्लड क्लॉट (रक्त का थक्का) बनाने और दिल को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है। आमतौर पर शरीर का सारा कैल्शियम हड्डियों में जमा होता है।
शरीर में आमतौर पर कैल्शियम की मात्रा सावधानीपूर्वक नियंत्रित होती है। जब रक्त में कैल्शियम का स्तर कम (हाइपोकैल्सीमिया) हो जाता है, तो हड्डियां रक्त में कैल्शियम का स्तर संतुलित करने के लिए कैल्शियम रिलीज करता है। जब रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ (हाइपरकेलेसीमिया) जाता है तो अतिरिक्त कैल्शियम हड्डियों में जमा हा जोता है या फिर पेशाब और मल के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है। शरीर में कैल्शियम की मात्रा निर्भर करती हैः
- आपके खाने में कितना कैल्शियम है।
- आपका इंटेस्टाइन (आंत) कितना कैल्शियम और विटामिन डी अवशोषित करता है।
- शरीर में फॉस्फेट की मात्रा।
- शरीर में मौजूद कुछ हार्मोन जैसे- पैराथाइरॉइड हार्मोन, कैल्सीटोनिन और एस्ट्रोजन आदि।
विटामिन डी और ये हार्मोन्स शरीर में कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करते हैं। ये भोजन द्वारा अवशोषित और पेशाब के जरिए बाहर निकलने वाली कैल्शियम की मात्रा को भी नियंत्रित करते हैं। फॉस्फेट का ब्लड लेवल कैल्शियम से जुड़ा हुआ है और वह विपरीत तरीके से काम करते हैं: जैसे-जैसे रक्त में कैल्शियम का स्तर अधिक होता है, फॉस्फेट का स्तर कम होता जाता है, और फॉस्फेट का स्तर अधिक होने पर कैल्शियम का स्तर कम हो जाता है।
भोजन के जरिए कैल्शियम की सही मात्रा मिलनी जरूरी है क्योंकि शरीर में हर दिन कैल्शियम की क्षति होती है। कैल्शियम से भरपूर चीजों में शामिल है डेयरी प्रोडक्ट (दूध, चीज) अंडा, मछली, हरी सब्जियां और फल। अधिकांश लोग जिनका कैल्शियम लेवल कम या अधिक होता है, कोई लक्षण नहीं दिखते। कैल्शियम लेवल बहुत अधिक कम या ज्यादा होने पर ही इसके लक्षण दिखते हैं।
कैल्शियम ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है?
कैल्शियम रक्त परीक्षण ऑस्टियोपोरोसिस, कैंसर और किडनी की बीमारियों सहित विभिन्न बीमारियों और स्थितियों के लिए एक स्क्रीनिंग का हिस्सा हो सकता है। यह ब्लड टेस्ट अन्य उपचार और स्थितियों की निगरानी के लिए भी किया जाता है या फिर यह जांचने के लिए कि आप जो दवाईयां ले रहे हैं उसका कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा।
आपका डॉक्टर टेस्ट का आदेश देगा यदि उसे संहेद होता है:
- ऑस्टियोपोरोसिस या ऑस्टियोपीनिया (Osteopenia) जैसी हड्डी की बीमारी
- कैंसर
- क्रॉनिक किडनी या लिवर की बीमारी
- पैराथायराइड ग्लैंड का डिसऑर्डर
- कोई डिसऑर्डर विकार जो शरीर के पोषक तत्वों को अवशोषित करने के तरीके को प्रभावित करता है।
एहतियात/चेतावनी
कैल्शियम ब्लड टेस्ट से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
ब्लड और यूरिन में कैल्शियम की मात्रा द्वारा यह पता नहीं चलता है कि आपकी हड्डियों में कितना कैल्शियम है। इसके लिए बोन डेंसिटी या ‘डेक्सा स्कैन’ किया जाता है जो एक्स-रे की ही तरह है।
थियाजीड ड्यूरेटिक दवाएं लेने से कैल्शियम स्तर बढ़ जाता है। लिथियम या टैमोक्सीफेन लेने से भी व्यक्ति का कैल्शियम स्तर बढ़ सकता है।
प्रक्रिया
कैल्शियम ब्लड टेस्ट के लिए कैसे तैयारी करें?
आपको कैल्शियम रक्त परीक्षण या बुनियादी चयापचय पैनल के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। यदि आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता ने आपके रक्त के नमूने पर अधिक परीक्षण का आदेश दिया है, तो आपको भूखे रहने की आवश्यकता हो सकती है। कैल्शियम ब्लड टेस्ट के 8 से 12 घंटे पहले कैल्शियम सप्लीमेंट न लें। आपका डॉक्टर कुछ दिनों तक उन दवाओं को खाने से मना कर सकता है जो टेस्ट को प्रभावित कर सकती जैसे हैंः
- कैल्शियम लवण (न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट या एंटासिड में पाया जा सकता है)
- लिथियम
- थियाजीड ड्यूरेटिक्स
- थाइरॉक्सिन
- विटामिन डी
कैल्शियम ब्लड टेस्ट के दौरान क्या होता है?
ब्लड टेस्ट करने के लिए डॉक्टर:
- बांह के ऊपर बैंडेज या बैंड बांधता है जिससे रक्तप्रवाह रुक जाए।
- सुई लगाने वाली जगह को दवा से साफ करेगा।
- नस में सुई लगाएगा। एक से अधिक बार सुई लगाई जा सकती है।
- सुई से अटैच ट्यूब में ब्लड एकत्र होगा। ट
- ब्लड सैंपल लेने के बाद बांह पर बांधी गई पट्टी खोल जी जाती है।
- सुई लगाने वाली जगह पर रुई या पट्टी लगाई जाती है और उसे थोड़ा दबाने के लिए कहाा जाता है।
कैल्शियम ब्लड टेस्ट के बाद क्या होता है?
बांह पर बांधी गई एलास्टिक बैंड से आप थोड़ा असहज महसूस कर सकते हैं। सुई लगाने से कुछ महसूस नहीं होगा, बस चींटी काटने जैसा महसूस होता है।
कैल्शियम ब्लड टेस्ट से जुड़े किसी सवाल और इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
परिणामों को समझें
मेरे परिणामों का क्या मतलब है?
नॉर्मल वैल्यू
सभी लैबोरेट्री में नॉर्मल रेंज थोड़ा बहुत अलग हो सकता है। कुछ लैब अलग मापों का उपयोग करती हैं या अलग नमूनों का परीक्षण कर सकती हैं। अपने परीक्षण परिणामों को समझने के लिए डॉक्टर से बात करें।
सामान्य ब्लड कैल्शियम लेवल- 8.6 से 10.3 mg/dl
हाई वैल्यू
कैल्शियम का अधिक स्तर इन कारणों से हो सकता है:
- हाइपरपैराथायरायडिज्म
- कैंसर, हड्डियों में फैल चुके कैंसर सहित
- ट्यूबरोक्लोसिस
- हड्डी टूटने के बाद के बाद लंबे समय बेड रेस्ट
- पेजेट की बीमारी
- लो वैल्यू
कैल्शियम का कम स्तर इन कारणों से हो सकता है:
- ब्लड प्रोटीन एल्ब्यूमिन (हाइपोएल्ब्यूमिनमिया) का कम स्तर
- हाइपरपैराथायरायडिज्म
- ब्लड में फॉस्फेट का अधिक स्तर जो किडनी फेलियर, लैक्सेटिव के इस्तेमाल व अन्य कारणों से हो सकता है।
- विटिमिन डी की कमी
- सीलिएक बीमारी, अग्नाशयशोथ और शराब के कारण होने वाला कुपोषण।
- ऑशियोमेलेशिया (Osteomalacia)।
सभी लैब और अस्पताल के आधार पर कैल्शियम ब्लड टेस्ट की सामान्य सीमा अलग-अलग हो सकती है। परीक्षण परिणाम से जुड़े किसी भी सवाल के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकली सलाह या उपचार की सिफारिश नहीं करता है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो कृपया इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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