ये हैं उम्र के अनुसार दिल के धड़कने की गति। अगर दिल के धड़कने की गति इससे कम या इससे ज्यादा होती है, तो इसका शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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हॉल्टर मॉनिटरिंग मशीन कैसे काम करती है? (Working process of Holter Monitoring)
फोन या फिर कॉम्पैक्ट कैमरे की तरह दिखने वाला हॉल्टर मॉनिटरिंग मशीन से कई अलग-अलग तार निकली होती है और तार के आखरी में जिसे शरीर पर चिपकाया जाता है वहां एलेक्ट्रॉड्स होते हैं। अब इसे चेस्ट के आसपास अगल-अलग जगहों जेल की सहायता से चिपकाया जाता है। इस वायर में लगे मेटल एलेक्ट्रॉड्स हार्ट की एक्टिविटी को रिकॉर्ड करते हैं। इस टेस्ट के दौरान किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है, लेकिन टेस्ट करवा रहे व्यक्ति को थोड़ा अनकम्फर्टेबल महसूस कर सकते हैं।
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हॉल्टर मॉनिटर टेस्ट रिपोर्ट से क्या जानकारी मिलती है? (Holter Monitoring Test indicates-)
हॉल्टर मॉनिटर टेस्ट रिपोर्ट से पेशेंट की दिल की धड़कन सामान्य से कम है, ज्यादा है या सामान्य है इसकी जानकारी मिलती है। वहीं टेस्ट से हार्ट के फंक्शन (Heart function), एरिथमिया (Arrhythmia) एवं ऑक्सिजन (Oxygen) की कमी से जुड़ी जानकारी भी मिलती है।
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हॉल्टर मॉनिटरिंग टेस्ट (Holter Monitoring Test) से पहले क्या किया जाता है?
हॉल्टर मॉनिटर टेस्ट के पहले पेशेंट की स्किन पर पैच लगाये जाते हैं और फिर इन्हें रिकॉर्डिंग डिवाइस के साथ जोड़ दिया जाता है। इस दौरान पेशेंट को ढ़ीले कपड़े पहनने चाहिए। वहीं हॉल्टर मॉनिटर टेस्ट के दौरान किसी भी तरह के क्रीम या लोशन जैसे प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हॉल्टर मॉनिटरिंग टेस्ट के दौरान डॉक्टर व्यक्ति को किसी भी तरह के आभूषण या मेटल की चीजों को पहनने नहीं देते हैं। इसलिए टेस्ट से पहले ज्वेलरी ना पहनें।
नोट: कुछ टेस्ट के पहले डॉक्टर पेशेंट को भूखे रहने की सलाह देते हैं, लेकिन हॉल्टर मॉनिटर टेस्ट के पहले पेशेंट अपनी इच्छा अनुसार डायट फॉलो कर सकते हैं।
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हॉल्टर मॉनिटर टेस्ट (Holter Monitor Test) की जरूरत कब पड़ सकती है?
मायो फॉउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार हॉल्टर मॉनिटर टेस्ट की जरूरत निम्नलिखित स्थितियों में पड़ सकती है। जैसे: