नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में हार्ट फेलियर का मुख्य कारण हार्ट डिजीज (Heart disease), हायपरटेंशन (Hypertension), मोटापा (Obesity) एवं रूमेटिक हार्ट डिजीज (Rheumatic Heart Disease) है। रिसर्च रिपोर्ट में इस बात की चर्चा की गई है कि भारत में हार्ट फेलियर की समस्या बढ़ती जा रही है। हार्ट फेलियर अलग-अलग तरह के होते हैं और आज इस आर्टिकल में डायास्टोलिक हार्ट फेलियर (Diastolic Heart Failure) क्या है और डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के इलाज से जुड़ी संपूर्ण जानकारी शेयर करेंगे।
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डायास्टोलिक हार्ट फेलियर क्या है?
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के लक्षण क्या है?
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के कारण क्या हैं?
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का निदान कैसे किया जाता है?
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का इलाज कैसे किया जाता है?
चलिए अब डायास्टोलिक हार्ट फेलियर (Diastolic Heart Failure) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
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डायास्टोलिक हार्ट फेलियर (Diastolic Heart Failure) क्या है?
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर को हिंदी में डायस्टोलिक हृदय विफलता कहते हैं। जब हृदय के बाएं वेंट्रिकल में ब्लड नहीं पहुंच पाता है और हृदय से शरीर में ब्लड पंप ठीक तरह से नहीं हो पाता है, तो ऐसी स्थिति डायास्टोलिक हार्ट फेलियर कहलाती है। अगर इसे सामान्य शब्दों में समझें, तो जब हार्ट रेस्ट की पुजिशन में होता है, तो इस दौरान वहां ब्लड भरा होता है और जब हार्ट में ब्लड ठीक तरह से स्टोर नहीं पाता है और पम्पिंग प्रोसेस स्लो होने लगती है, तो यह स्थिति डायास्टोलिक हार्ट फेलियर की ओर इशारा करती है। ऐसा दरअसल बाएं वेंट्रिकल की पेशी सख्त होने लगती है। मनुष्य का हृदय गर्भ में भ्रूण के निर्माण के चौथे हफ्ते से ही धकड़ना शुरू कर देता है और हार्ट बीट मुनष्य के जीवनकाल तक चलती रहती है, लेकिन जब हार्ट बीट के दौरान हार्ट रेस्ट नहीं कर पाता है, तो ऐसी स्थिति लाइफ थ्रेटनिंग होती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का इलाज संभव नहीं है, बल्कि इस तकलीफ से बचा जा सकता है। डायास्टोलिक हार्ट फेलियर से बचाव कैसे संभव ही, यह समझने के पहले डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के लक्षण और कारणों को समझना जरूरी है।
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डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के लक्षण क्या है? (Symptoms of Diastolic Heart Failure)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- बार-बार खांसने (Coughing) की समस्या होना।
- हमेशा थका (Tiredness) हुआ महसूस होना।
- सांस लेने में तकलीफ (Shortness of breath) होना।
- पैरों में सूजन (Swelling) आना।
- पेट (Abdomen) में सूजन आना।
- एक्सरसाइज (Exercise) नहीं कर पाना।
इन लक्षणों के साथ-साथ अगर कोई अन्य लक्षण या कोई शारीरिक परेशानी महसूस हो तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट करना बेहद आवश्यक होता है।
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डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के कारण क्या हैं? (Cause of Diastolic Heart Failure)
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार डायस्टोलिक हृदय विफलता यानि डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का सबसे मुख्य कारण बढ़ती उम्र है। जैसे-जैसे लोगों उम्र की बढ़ती है वैसे ही धीरे-धीरे हार्ट के मसल्स सख्त होते जाते हैं, जिस वजह से ब्लड सर्क्युलेशन की समस्या शुरू होने लगती है और डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ने लगता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि यह समस्या सिर्फ बढ़ती उम्र में ही देखी जाती है, बल्कि डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के कारण और भी हैं, जो इस प्रकार हैं-
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की समस्या रहना।
- शरीर का वजन जरूत से ज्यादा (Obesity) होना।
- डायबिटीज (Diabetes) की समस्या होना।
इन कारणों से भी डायास्टोलिक हार्ट फेलियर (Diastolic Heart Failure) का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए अगर आप हाय ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या मोटापे की समस्या से परेशान हैं, तो इन बीमारियों के प्रति लापरवाही ना बरतें। आपकी जरा सी लापरवाही किसी अन्य गंभीर तकलीफ को दावत दे सकती है। आर्टिकल में आगे जानेंगे कि डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का निदान कैसे किया जाता है।
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डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Diastolic Heart Failure)
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर की समस्या होने पर डॉक्टर इलाज से पहले कुछ आवश्यक टेस्ट यानि शारीरिक जांच करवाने की सलाह देते हैं, जो इस प्रकार है-
ब्लड टेस्ट (Blood tests)- डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के डायग्नोसिस के दौरान किये जाने वाले ब्लड टेस्ट से ब्लड में विशेष प्रकार मॉलिक्यूल की जानकारी मिलती है, जिसके बढ़ने से हार्ट फेलियर (Heart failure) की संभावना बढ़ जाती है। वहीं ब्लड टेस्ट से लिवर (Liver) और किडनी (Kidney) फंक्शन की भी जानकारी मिलती है कि वे ठीक तरह से अपना काम कर पा रहें हैं या नहीं।
इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)- इकोकार्डियोग्राफी एक तरह का अल्ट्रासाउंड है, जो हृदय के लिए किया जाता है। इस टेस्ट से हृदय गति और हृदय ठीक तरह अपना कर पा रहा है या नहीं इसकी जानकारी मिलती है।
इन दो टेस्ट के अलावा अन्य टेस्ट करवाने की भी सलाह दी जाती है। जैसे सीटी स्कैन (CT scan), एमआरआई (MRI), न्यूक्लियर हार्ट स्कैन (Nuclear heart scan), इलेक्ट्रिकल टेस्ट (Electrical tests), इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (Electrocardiography), हॉल्टर (Holter) एवं स्ट्रेस टेस्ट (Stress tests)।
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के निदान के लिए इन ऊपर बताये गए टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। हालांकि अगर पेशेंट किसी अन्य हेल्थ कंडिशन से पीड़ित है, तो अन्य टेस्ट (Test) करवाने की भी सलाह दी जा सकती है और फिर डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का इलाज शुरू किया जाता है।
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डायास्टोलिक हार्ट फेलियर का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Diastolic Heart Failure)
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के इलाज के दौरान निम्नलिखित बातों को ध्यान रखने की सलाह देते हैं। जैसे:
- डायट में सोडियम (Sodium) की मात्रा कम शामिल करना।
- शरीर का वजन (Weight) संतुलित रखना।
- फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity)करना।
- स्मोकिंग (Smoking) नहीं करना।
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन नहीं करना।
- तनाव (Tension) से दूर रहना।
- 7 से 9 घंटे की नींद (Sleep) लेना।
- कार्डियक डायट (Cardiac diet) फॉलो करना।
इन बातों को ध्यान रखने से डायास्टोलिक हार्ट फेलियर की संभावना को कम करने में मदद मिल सकती है। वहीं पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर दवाएं भी प्रिस्क्राइब की जाती है।
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर (Diastolic Heart Failure) है, तो ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं, क्योंकि इसका इलाज किया जा सकता है। अगर आप डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के इलाज से जुड़ी जानकारी पाना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब देंगे। हालांकि अगर आपको डायास्टोलिक हार्ट फेलियर (Diastolic Heart Failure) की समस्या है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, क्योंकि ऐसी स्थिति में पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को ध्यान में मेडिकेशन या सर्जरी का निर्णय लेते हैं।
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