नवजात शिशु और बढ़ते बच्चों की सेहत को लेकर माता-पिता अक्सर परेशान रहते हैं। बच्चों की सेहत आसानी से बिगड़ती है और उन्हें कई फैक्टर्स की वजह से स्वास्थ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि कई बच्चों को जन्म के साथ ही गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी ही समस्या की, जो माता पिता के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। हम बात करने जा रहे हैं इन्फेंट हार्ट फेलियर (Heart failure) की। इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) की समस्या उन बच्चों को होती है, जिन बच्चों का जन्म से ही ह्रदय स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। ऐसी स्थिति में समय पर इलाज न करवाने पर बच्चों की जान का जोखिम बढ़ सकता है। यही वजह है कि माता-पिता को बच्चों से जुड़ी इस समस्या के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए। आइए आज इस आर्टिकल में हम जानते हैं इन्फेंट हार्ट फेलियर से जुड़ी ये जरूरी बातें।
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क्या है इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) की समस्या?
इन्फेंट हार्ट फेलियर को कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive heart failure) का नाम भी दिया गया है। इस स्थिति में जब हार्ट ठीक से ब्लड पंप नहीं कर पाता, तो शरीर में एनर्जी का निर्माण ठीक ढंग से नहीं होता। इसके चलते शरीर के कार्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और इसका सारा प्रेशर हार्ट पर आ जाता है। इन्फेंट हार्ट फेलियर (Heart failure) के दो कारण हो सकते हैं। पहली, जिसमें यह समस्या हार्ट के साथ हो सकती है, जिससे वह ठीक ढंग से ब्लड पंप नहीं कर पाता। वहीं दूसरा कारण हृदय की मांसपेशियां हो सकती हैं। जब ह्रदय की मांसपेशियां ठीक ढंग से काम नहीं कर पाती, तो ब्लड पंप करने के लिए हार्ट को ज्यादा जोर लगाना पड़ता है और वह सही मात्रा में ब्लड पंप नहीं कर पाता। इन दोनों ही स्थितियों में बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) की समस्या बच्चों में कई अन्य जटिलताओं का कारण भी बनती है, इसलिए इन्फेंट हार्ट फेलियर का सही इलाज होना बेहद जरूरी माना जाता है। आइए जानते हैं इन्फेंट हार्ट फेलियर के क्या कारण हो सकते हैं।
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क्या हैं इन्फेंट हार्ट फेलियर के कारण? (Causes of Infant heart failure)
आमतौर पर इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) की समस्या को दो भागों में विभाजित किया गया है। इसकी पहली कैटेगरी आमतौर पर नवजात शिशुओं में देखी जाती है। इसमें हार्ट की मांसपेशियां ठीक ढंग से काम करती हैं, लेकिन ब्लड को अलग-अलग भागों में पहुंचाने वाले रूट में दिक़्क़त होती है। इसके कारण कई बार लंग्स में ज्यादा मात्रा में ब्लड चला जाता है और ऐसी स्थिति को ह्रदय संभाल नहीं पाता।
इसकी दूसरी कैटेगरी हार्ट की बनावट से जुड़ी होती है। इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) की समस्या तब भी होती है, जब हार्ट का स्ट्रक्चर ठीक ढंग से नहीं बन पाता। जिसकी वजह से ब्लड वेसल संकरी हो जाती है और ब्लड सरक्यूलेशन में मुश्किल पैदा होती है। वही बड़े बच्चों में यह स्थिति हार्ट की मांसपेशियों से संबंधित होती है। बड़े बच्चों में हार्ट का आकार ठीक होता है, लेकिन इसकी मांसपेशियां कमजोर होती है। जिसकी वजह से ठीक ढंग से ब्लड पम्प करने में हार्ट को मुश्किल पैदा होती है और इसकी जटिलताओं के तौर पर बच्चों में कार्डियोमायोपैथी, हार्ट मसल्स में इन्फेक्शन की समस्या भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में बच्चे को तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत पड़ती है।
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इन्फेंट हार्ट फेलियर (Heart failure) की समस्या में बच्चे की खास देखभाल की जरूरत पड़ती है, लेकिन इस स्थिति को समय पर परखना भी एक चुनौतीपूर्ण काम माना जाता है। इसके लिए आपको इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) की समस्या से जुड़े लक्षणों को पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। आइए जानते हैं इन्फेंट हार्ट फेलियर के लक्षणों से जुड़ी यह जरूरी जानकारी।
क्या हैं इन्फेंट हार्ट फेलियर के लक्षण? (Symptoms of Infant heart failure)
आम तौर पर इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) के लक्षण अलग-अलग तरह देखे जा सकते हैं। कुछ लक्षण आपको सिर्फ़ शिशुओं में हाई नज़र आते हैं, वहीं कुछ लक्षण बड़े बच्चों में देखे जाते हैं। शिशुओं में इन्फेंट हार्ट फेलियर के लक्षण इस प्रकार होते हैं –
- बच्चों का ठीक ढंग से विकास ना हो पाना
- सांस लेने में दिक्कत
- हार्ट रेट का बढ़ना
- जल्दी जल्दी सांस लेने की कोशिश करना
- खाना खाने में समस्या
- कमजोरी बनी रहना
- लिवर का बड़ा होना
- आंखों के नीचे सूजन
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इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) से जुड़ी यह समस्या आम तौर पर शिशुओं में देखी जाती है, इसलिए इन लक्षणों पर खास ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। लेकिन बढ़ते बच्चों में हार्ट फेलियर (Heart failure) के लक्षण अलग देखे जा सकते हैं। बढ़ते बच्चों में हार्ट फेलियर के लक्षण इस प्रकार दिखाई दे सकते हैं –
- एनर्जी की कमी
- खेलते वक्त बेहोशी
- भूख न लगना
- वजन का कम होना
- लिवर का बड़ा होना
- छाती में दर्द
- इर्रेग्यूलर हार्ट बीट
- कमजोरी
इन लक्षणों को ध्यान में रखकर आप इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) की समस्या को समझ सकते हैं। इस स्थिति को समझने के बाद जल्द से जल्द इसके इलाज की जरूरत पड़ती है। सही समय पर इलाज ना करने पर यह बच्चे के लिए जान का जोखिम खड़ा कर सकता है। इसलिए आपको इन्फेंट हार्ट फेलियर के लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। आइए अब जानते हैं इन्फेंट हार्ट फेलियर (Heart failure) की समस्या का निदान किस तरह किया जा सकता है।
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ऐसे हो सकता है इन्फेंट हार्ट फेलियर का निदान (Infant heart failure diagnosis)
इन्फेंट हार्ट फेलियर (Heart failure) की समस्या के लक्षणों को ध्यान में रखकर आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इन्फेंट हार्ट फेलियर की समस्या का निदान क्लिनिकली किया जा सकता है। जब आप डॉक्टर को इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) से जुड़े लक्षणों के बारे में बताते हैं, तो डॉक्टर बच्चे का फिजिकल एग्जामिनेशन कर सकता है। इसके बाद बच्चे के कुछ टेस्ट करवाने की जरूरत पड़ सकती है। जो इन्फेंट हार्ट फेलियर की समस्या के निदान के तौर पर काम कर सकते हैं –
- इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम
- चेस्ट एक्स रे
- एक्सरसाइज टेस्ट
- इकोकार्डियोग्राम
- कार्डियक कैथेटराइजेशन
इन सभी टेस्ट के जरिए डॉक्टर इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) की समस्या का निदान कर सकते हैं। इन्फेंट हार्ट फेलियर की समस्या का निदान होने के बाद बारी आती है इसके ट्रीटमेंट की। जो बच्चे की शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखकर किया जा सकता है। आइए अब बात करते हैं इन्फेंट हार्ट फेलियर (Heart failure) से जुड़े ट्रीटमेंट की।
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इन्फेंट हार्ट फेलियर का ट्रीटमेंट हो सकता है कुछ इस तरह! (Treatment of Infant heart failure)
अलग-अलग बच्चों में अलग-अलग तरह से इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) से जुड़े ट्रीटमेंट दिए जा सकते हैं। आमतौर पर बच्चों में इन्फेंट हार्ट फेलियर की वजह से हार्ट बीट रिदम प्रॉब्लम देखी जाती है, इसका इलाज कई तरह की मेडिकेशन और मेडिकल प्रोसीजर के जरिए किया जा सकता है। वहीं जिन बच्चों में वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट पाए जाते हैं, उन बच्चों में मेडिकल थेरेपी की मदद से इसका इलाज किया जा सकता है। यदि बच्चे में इन्फेंट हार्ट फेलियर (Heart failure) की समस्या ज्यादा बढ़ गई हो, तो हार्ट सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है। इन सर्जरी से हार्ट में हुई समस्या को ठीक किया जाता है। जिसके बाद बच्चा ठीक ढंग से सांस ले पाता है।
कुछ खास केसेस में हार्ट ट्रांसप्लांट की भी जरूरत पड़ती है। यदि बच्चा बड़ा हो चुका है और उसके हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हैं, तो केवल दवाइयों से इसे ठीक नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि बच्चे को हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart transplant) की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा बच्चे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर इन्फेंट हार्ट फेलियर (Infant heart failure) की स्थिति में कुछ इस तरह की मेडिसिन भी प्रिसक्राइब कर सकते हैं –
- डाययूरेटिक
- एएसीई इन्हिबिटर
- बीटा ब्लॉकर्स
इन सभी दवाइयों की मदद से इन्फेंट हार्ट फेलियर (Heart failure) की समस्या में आराम पाया जा सकता है। लेकिन यह सभी दवाइयां डॉक्टर की सलाह के बाद ही शिशु को देनी चाहिए। बच्चे की स्थिति को ध्यान में रखकर डॉक्टर इन दवाइयों को प्रिसक्राइब करते हैं, इसलिए डॉक्टर की सलाह के बाद ही इन्फेंट हार्ट फेलियर की समस्या में दवाइयों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
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इन्फेंट हार्ट फेलियर (Heart failure) की समस्या आम तौर पर एक स्ट्रक्चरल प्रॉब्लम मानी जाती है, जिसको अलग-अलग तरह से ठीक किया जा सकता है। बच्चों में इस तरह की समस्याएं बर्थ डिफेक्ट्स के रूप में भी समझी जा सकती है, लेकिन यह सभी समस्याएं बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होती है। यही वजह है कि इन्फेंट हार्ट फेलियर की समस्या से जुड़े लक्षणों पर ध्यान रखना हर माता-पिता के लिए जरूरी होता है। समय पर इस समस्या का इलाज करवाना करवाने से बच्चे को भविष्य में समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। इसलिए यदि बच्चे में इन्फेंट हार्ट फेलियर से जुड़े लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी माना जाता है।
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