दिल से जुड़ी समस्याएं किसी भी व्यक्ति को तकलीफ दे सकती हैं। हार्ट डिजीजेस गंभीर समस्याओं में से एक मानी जाती है, जिसमें व्यक्ति को निरंतर देखभाल की जरूरत पड़ती है। हाल ही की स्थिति में ह्रदय रोग (Heart disease) लोगों में मौत का कारण तेजी से बनता जा रहा है। यही वजह है कि हृदय रोग की समस्या में आपको कई तरह के इलाज करवाने पड़ते हैं। डॉक्टर कई बार आपको कुछ खास तरह की मेडिसिन लिख कर देते हैं, जिसका इस्तेमाल करना आपके लिए जरूरी माना जाता है। ऐसी ही एक दवा है- एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी।
एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy) दोनों ही हृदय रोग की समस्याओं में कारगर साबित होती हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Dual Antiplatelet Therapy) किस तरह हृदय रोग में कारगर मानी जाती है। लेकिन उससे पहले जान लेते हैं हार्ड डिजीज से जुड़ी यह जरूरी जानकारी।
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क्या है हार्ट डिजीज (Heart disease)?
जैसा कि आप सभी जानते हैं, मनुष्य का हृदय एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। जो लगातार शरीर के काम को चलाए रखने के लिए ब्लड पंप करता है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। जब दिल के काम में किसी तरह की समस्या उत्पन्न होती है, तो इसे ह्रदय रोग कहा जाता है। हृदय रोग आमतौर पर ब्लड वेसल्स और रक्त संचार प्रणाली से जुड़े होते हैं। कभी कभी हार्ट डिजीज (Heart disease) किसी अन्य तरह की बीमारी से भी जुड़ी होती है। यही वजह है कि आपको हृदय रोग के दौरान खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। आइए अब जानते हैं हार्ट डिजीज के प्रकारों के बारे में।
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क्या हैं हार्ट डिजीज के प्रकार? (Types of Heart disease)
जैसा कि हमने पहले जाना हार्ट डिजीज (Heart disease) अलग-अलग तरह की हो सकती हैं। ये समस्याएं आमतौर पर आपकी आर्टरी और रक्त संचार प्रणाली से जुड़ी हो सकती हैं। यही वजह है कि हार्ट डिजीज के प्रकार भी अंदरूनी अंगों से जुड़े हुए होते हैं। आइए जानते हैं हार्ट डिजीज के प्रकार कौन कौन से हैं।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज : यह हार्ट डिजीज (Heart disease) में खतरनाक स्थिति मानी जाती है। इस स्थिति में कोरोनरी आर्टरी में वसा जमा होने लगती है। जिसकी वजह से यह ब्लॉक हो जाती है। समय के साथ वसायुक्त प्लाक कठोर होता चला जाता है, जिसकी वजह से आर्टरी को नुकसान पहुंचता है। यही वजह है कि यह पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त ब्लड की आपूर्ति नहीं कर पाती और व्यक्ति कोरोनरी आर्टरी डिजीज से ग्रस्त हो जाता है।
हार्ट एरिथमिया : दिल से जुड़ी समस्याओं में एक ऐसी समस्या है हार्ट एरिथमिया, जिसमें हृदय की धड़कन अनियमित हो जाती है। उदाहरण के तौर पर जब ह्रदय सामान्य से तीव्र गति से धड़कता है, तो इसे टैकीकार्डिया के नाम से जाना जाता है।
कार्डियोमायोपैथी : इस समस्या में हृदय में मौजूद मांसपेशियां बड़ी और मोटी हो जाती है, जिसकी वजह से ब्लड सप्लाय में तकलीफ होती है। जिसका सीधा प्रभाव आपके शरीर के जरूरी अंगों पर पड़ता है।
एथेरोस्क्लेरोसिस : एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या में व्यक्ति के दिल की धमनिया सख्त हो जाती हैं और इससे धमनियों को नुकसान पहुंचता है। जिसकी वजह से ब्लड सप्लाय में समस्याएं उत्पन्न होती है।
हार्ट इन्फेक्शन : यह समस्या दिल में बैक्टीरिया या वायरस के कारण होने वाले इन्फेक्शन के कारण होती है। इस इंफेक्शन के कारण धमनियों को नुकसान पहुंचता है और हृदय ठीक ढंग से पूरे शरीर में ब्लड सप्लाय नहीं कर पाता।
यह सभी समस्याएं हार्ट डिजीज कहलाती हैं। हार्ट डिजीज (Heart disease) के समस्या में कई बार आपको दवाइयां लेनी पड़ती हैं। इन्हीं दवाइयों में से एक है। हार्ट डिजीज में एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy) किस तरह काम करती है, यह जानने से पहले आपको ह्रदय रोग से जुड़े लक्षणों को जानना चाहिए। आइए अब जानते हैं ह्रदय रोग से जुड़े लक्षण कौन से हो सकते हैं।
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क्या हैं हार्ट डिजीज के लक्षण? (Symptoms of Heart disease)
जब आपको दिल की समस्या होने लगती है, तो कुछ लक्षणों पर आपको ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि व्यक्ति इस समस्याओं को नजरअंदाज करता है, तो उसे आगे चलकर हार्ट डिजीज (Heart disease) की समस्या झेलनी पड़ सकती है। कई बार यह समस्या इतनी गंभीर होती है कि व्यक्ति की मौत हो सकती है। आइए अब जानते हैं हार्ट डिजीज से जुड़े लक्षणों के बारे में –
- चेस्ट पेन होना
- सीने में जकड़न महसूस होना
- गले, पेट और बाजुओं में दर्द होना
- दिल की धड़कन में अनियमितता
- सांस लेने में तकलीफ होना
- हाथों और पैरों का सुन्न हो जाना
- चक्कर आना
- थकान होना
- उल्टी की समस्या होना
यह सभी लक्षण हार्ट डिजीज (Heart disease) की ओर इशारा करते हैं। इसलिए इन्हें समझकर आपको हार्ट डिजीज में सही उपचार लेने की जरूरत पड़ती है। आइए अब जानते हैं हार्ट डिजीज से जुड़े उस उपचार के बारे में, जिसके बारे में हम आपको पहले बता चुके हैं। हार्ट डिजीज से जुड़े ट्रीटमेंट में कई बार डॉक्टर रोगी को एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy) देते हैं। लेकिन एंटीप्लेटलेट एजेंट और एंटीप्लेटलेट थेरिपी किस तरह काम करती है, यह जानना भी बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी ये खास बातें।
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एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी : हार्ट डिजीज में साबित हो सकती है कारगर (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy)
प्लेटलेट्स उन छोटे पार्टिकल्स को कहा जाता है, जो रक्त में मौजूद होते हैं। यदि यह एक जगह जमा होने लगते हैं, तो ब्लड क्लॉट की समस्या हो सकती है। ब्लड क्लॉट कई बार हार्ट अटैक के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy) के जरिए इन प्लेटलेट्स को एक जगह जमा होने से रोका जाता है, जिससे ब्लड क्लॉट नहीं होता और हृदय संबंधित समस्याओं में आराम मिलता है। कई बार स्ट्रोक और हार्ट अटैक की समस्या झेल चुके मरीजों को डॉक्टर एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी देते हैं। जब डॉक्टर ह्रदय संबंधित समस्याओं के लिए दो अलग अलग तरह के एंटीप्लेटलेट एजेंट (Antiplatelet Agents) का इस्तेमाल करते हैं, तो इसे ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Dual Antiplatelet Therapy) कहा जाता है। एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी व्यक्ति को तब दी जाती है, जब व्यक्ति हार्ट अटैक और कोरोनरी आर्टरी डिजीज की समस्या से जूझ रहा होता है। साथ ही साथ यह दवाएं आर्टरी बायपास ग्राफ्ट सर्जरी के दौरान भी दी जाती है। आइए अब जानते हैं एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी के अंतर्गत व्यक्ति को कौन-कौन सी दवाएं डॉक्टर प्रिसक्राइब कर सकते हैं।
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एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी : किन दवाओं का होता है इस्तेमाल? (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy)
जैसा कि आप जानते हैं ह्रदय सम्बंधित समस्याओं के निवारण के लिए आप एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy) की सहायता ले सकते हैं। इस थेरिपी के अंतर्गत डॉक्टर आपको अलग-अलग तरह के एंटीप्लेटलेट एजेंट (Antiplatelet Agents) प्रिसक्राइब कर सकते हैं। इसमें आम तौर पर एस्प्रिन का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर उन सभी लोगों को, जिन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट अटैक की समस्या हो और आर्टरी बायपास ग्राफ्ट सर्जरी हुई हो, उन्हें मेडिसिन के रूप में एस्प्रिन प्रिस्क्राइब की जाती है।
इसके अलावा एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी के अंतर्गत डॉक्टर P2Y12 इन्हिबिटर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। कई बार P2Y12 के साथ-साथ व्यक्ति को एस्प्रिन भी दी जाती है। इस तरह के ट्रीटमेंट को ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Dual Antiplatelet Therapy)का नाम दिया गया है। कई बार व्यक्ति के मन में एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy) से जुड़े कई सवाल आते हैं। इनमें से एक आम सवाल यह होता है कि हार्ट संबंधित समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति को एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी की जरूरत कब तक पड़ती है। आइए अब इस से जुड़ी जानकारी हासिल करते हैं।
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एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी : कब तक पड़ सकती है इसकी जरूरत? (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy)
आपको एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Dual Antiplatelet Therapy)की जरूरत कब तक है, यह आपके डॉक्टर आप की स्थिति को ध्यान में रखते हुए बता सकते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक यदि आप हाल ही में हार्ट अटैक की स्थिति से गुजरे हैं, तो आपको एंटीप्लेटलेट एजेंट (Antiplatelet Agents) कम से कम 1 साल तक लेने की जरूरत पड़ती है।
यदि आपको हार्टअटैक के अलावा हाय बिल्डिंग रिस्क नहीं है, तो आपको एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy) लंबे समय तक भी दी जा सकती है। वहीं यदि धमनियों में रुकावट की वजह से आपकी धमनियों में स्टेंट प्लेसमेंट किया गया है और आपको हाय ब्लडिंग रिस्क है, तो एंटीप्लेटलेट एजेंट (Antiplatelet Agents) का इस्तेमाल 12 महीनों तक किया जा सकता है।
लेकिन यदि आप ने हाल ही में सीएबीजी (CABG) सर्जरी करवाई है, तो एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी का इस्तेमाल आपको कम से कम 1 साल के लिए करने की जरूरत पड़ सकती है। एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Dual Antiplatelet Therapy) के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर आप की स्थिति को ध्यान में रखकर इसकी समय सीमा निश्चित करते हैं। इन थेरिपी का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के बाद सही रूप में करना जरूरी माना जाता है।
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यह एंटीप्लेटलेट एजेंट (Antiplatelet Agents) सही तरह से लिए जाने चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बगैर इसे बंद करना आपकी सेहत के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बगैर इन एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Antiplatelet Agents and Dual Antiplatelet Therapy) का इस्तेमाल बंद नहीं करना चाहिए। यदि आपको एंटीप्लेटलेट एजेंट और ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी के चलते अन्य समस्याएं हो रही हैं, तो आप डॉक्टर से कंसल्ट कर के उसमें बदलाव ला सकते हैं। ध्यान रहे कि ह्रदय संबंधित समस्याओं में दवाइयों के साथ-साथ आपको लाइफस्टाइल में बदलाव की भी जरूरत पड़ती है, इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर आप अपने ह्रदय स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
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