ब्लड क्लॉट्स, ब्लड की जेल-लाइक कलेक्शंस को कहा जाता है। जो नसों और आर्टरीज में तब बनते हैं जब हमारा ब्लड लिक्विड से पार्शियली सॉलिड में बदल जाता है। क्लॉटिंग वो नार्मल फंक्शन है, जिससे चोट लगने पर ब्लीडिंग को ब्लॉक करने में मदद मिलती है। लेकिन, ब्लड क्लॉट्स जो कुछ अनयूजुअल जगहों पर बनते हैं और खुद डिजॉल्व नहीं होते, हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। यानी, ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots) पड़ता है। आमतौर, पर ब्लड क्लॉट्स ब्लड वेसल्स में इंजरी के रिस्पांस में शुरू होते हैं। आज हम ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots) के बारे में बात करने वाले हैं। लेकिन, इससे पहले ब्लड क्लॉट्स के बारे में जान लेते हैं।
ब्लड क्लॉट्स किसे कहा जाता है?
जब ब्लड क्लॉट्स ऐसी जगह बन जाते हैं, जहां इन्हें विकसित नहीं होना चाहिए, तो इन्हें थ्रोम्बस (Thrombus) कहा जाता है। यह क्लॉट जब एक स्थान पर रहता है, तो इसे थ्रोम्बोसिस (Thrombosis) कहा जाता है या जब यह बॉडी के माध्यम से आगे बढ़ सकता है तो इसे एम्बोलिज्म (Embolism) या थ्रोम्बोम्बोलिज्म (Thromboembolism)) कहा जाता है। जो क्लॉट मूव करते हैं, वो खतरनाक हो सकते हैं। मूव करने वाले थक्के विशेष रूप से खतरनाक होते हैं।
ऐसे ब्लड क्लॉट के लक्षण, जिनमें ट्रीटमेंट की सलाह दी जाती है, इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह क्लॉट शरीर में कहा बना है और इसके कारण क्या नुकसान हुआ है। इसके लक्षण और रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानकारी से कई जानलेवा कंडिशंस से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। ब्लड क्लॉट्स आर्टरीज या नसों में हो सकता हैं। ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots) से पहले यह जानना जरूरी है कि नसों में ब्लड क्लॉट को वेनस थ्रोम्बोएम्बोलिस्म (Venous thromboembolism) यानी वीटीइ (VTE) कहा जाता है और इससे संबंधित दो कंडिशंस होती हैं, जो इस प्रकार हैं
- डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) या डीवीटी (DVT)
- पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) या पीइ (PE)
इन दोनों स्थितियों में तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है। ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots) के बारे में जानने के लिए जानते हैं इन दोनों कंडिशंस के बारे में।
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ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots): जानिए क्या हैं डीवीटी (DVT) और पीइ (PE)?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि नसों में ब्लड क्लॉट्स को दो कंडिशंस से जोड़ा जाता हैं। आइए जानें इन कंडिशंस के बारे में विस्तार से।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis)
डीप वेन थ्रोम्बोसिस बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है। यह परेशानी जब होती है, जब क्लॉट नस में डीपली बनता है। यह उन वैन्स से अपोजिट है, जो शरीर के सरफेस के क्लोज होती हैं। यह समस्या अधिकतर एक टांग में होती है और अधिकतर काल्फ (Calf) और जांघों (Thigh) में बड़ी वैन्स को प्रभावित करती हैं। डीवीटी का अनुभव करने वाले लगभग पचास प्रतिशत लोगों को बाहरी लक्षण नहीं नजर आते हैं हैं। उन्हें इसके लक्षण तब नजर आते हैं, जब उनके पैरों में क्लॉट नजर आने लगता है। इसमें यह परेशानियां हो सकती हैं:
- स्किन कलर में बदलाव
- टांगों में दर्द या टेंडरनेस खासतौर पर काल्फ में
- टांगों में सूजन
- छुनें पर स्किन का गर्म महसूस होना
- ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots) में आगे जानें पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) के बारे में।
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पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism)
यह समस्या तब होती है जब ब्लड क्लॉट, लंग तक पहुंच जाता है। जिससे ब्लॉकेज हो सकती है। इससे ब्लड का ऑक्सीजन लेवल कब हो सकता है और अन्य ऑर्गन भी डैमेज हो सकते हैं। ब्लड क्लॉट्स जो फेफड़ों तक ट्रेवल करते हैं, उनके निचले पैर या शरीर के अन्य हिस्सों की बजाय जांघ में बनने और टूटने की संभावना अधिक होती है। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- अस्पष्ट सांस लेने में समस्या
- रैपिड ब्रीदिंग
- छाती में दर्द Chest pain
- रैपिड हार्ट रेट
- चक्कर आना
- खांसी में खून आना
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) और पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) की समस्याएं गंभीर हैं और इनमें तुरंत डॉक्टर की राय लेनी चाहिए। अब जानते हैं इनके रिस्क फैक्टर्स के बारे में।
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ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots): क्या हैं इन बीमारियों के रिस्क फैक्टर्स?
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) की समस्या किसी भी उम्र या लिंग के लोगों को प्रभावित कर सकती है। लेकिन, इससे कई रिस्क फैक्टर्स भी जुड़े हुए हैं। जैसे उम्र, सर्जरी,मेजर ट्रॉमा आदि इसके अलावा इसके अन्य रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- एक्टिव कैंसरस और कीमोथेरेपी
- इंफेक्शंस
- वैरिकोज वेन्स (Varicose veins)
- इनहेरिटेड थ्रोम्बोफिलिया (Hereditary thrombophilia)
- किडनी डिजीज
- अधिक समय तक एक्टिव न रहना
महिलाओं में इस परेशानियों के रिस्क फैक्टर्स में ओरल कंट्रासेप्टिव, प्रेग्नेंसी या पोस्टपार्टम पीरियड और हॉर्मोन थेरेपी आदि शामिल हैं। अब बात करते हैं पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) के रिस्क फैक्टर के बारे में बात करते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- उम्र
- कार्डिएक या रेस्पिरेटरी फेलियर
- ओरल कंट्रासेप्टिव
- कुछ इनहेरिटेड या मौजूदा ब्लड कंडिशंस
- गर्भवती होना या हाल ही में डिलीवरी होना
उम्मीद है कि ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots) के बारे में आप जान गए होंगे। अब जानते हैं कि इन दोनों समस्याओं का निदान और उपचार कैसे होता है?
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डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) और पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) का कैसे संभव है निदान?
ब्लड क्लॉट्स का निदान रोगी के लक्षणों के साथ ही किया जाता है। इसके साथ ही रोगी से डॉक्टर उनकी मेडिकल हिस्ट्री, उम्र, मेडिकेशन्स और खास लाइफस्टाइल फैक्टर्स के बारे में जानते हैं। डॉक्टर रोगी को लेग्स का डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) कराने की सलाह देंगे। इसके साथ ही कुछ खास टेस्ट्स भी कराए जा सकते हैं। अगर डॉक्टर को रोगी में पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) का संदेह होता है तो वो कंप्यूटेड टोमोग्राफी एंजियोग्राफी (Computed Tomography Angiography) कराने के लिए भी कह सकते हैं। अब जानिए कैसे संभव है इन समस्याओं का उपचार?
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जानिए कैसे हो सकता है इन समस्याओं का उपचार?
जैसा की पहले ही बताया गया है कि ब्लड क्लॉट्स की समस्या गंभीर हो सकती है। ऐसे में इनका सही उपचार होना बेहद जरूरी है। आइए जानें किस तरह से हो सकता है इनका उपचार?
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) का उपचार
यह तो थी जानकारी ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots) के बारे में। डीप वेन थ्रोम्बोसिस के निदान के बाद इन उपचार के विकल्पों से ब्लड क्लॉट्स को बनने से रोका जा सकता है:
- एंटी-क्लॉटिंग, ब्लड थिनिंग मेडिकेशन्स
- कम्प्रेशन स्टॉकिंग को पहनना
- इंटरमिटेंट कम्प्रेशन डिवाइस का इस्तेमाल
लंबे समय तक गतिहीन रहने के बाद रोगी को घूमने या व्यायाम करने का भी निर्देश दिया जाता है। अब जानिए एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) के उपचारों के बारे में।
एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) का उपचार
यह एक जानलेवा कंडिशन है, जिसमें तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत हो सकती है। डॉक्टर इस क्लॉट को बड़े होने, ब्रेक होने, लंग तक ट्रेवल करने और अन्य क्लॉट के बनने से रोक सकते हैं। इसका ट्रीटमेंट इस प्रकार संभव है:
- एंटीकोआगुलेंट्स (Anticoagulants) का इस्तेमाल, ताकि क्लॉट्स को तोडा जा सकता है और नए क्लॉट्स को बनाने से रोका जा सके जैसे हेपरिन (heparin)।
- कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स, लेग्स, चेस्ट, बाजू आदि के लिए ऐसे गारमेंट्स का इस्तेमाल करने जिसमें कंप्रेस्ड एयर भरी जा सके। जिससे ब्लड फ्लो बढ़ने में मदद मिलती है।
- थ्रंबोलिटिक थेरेपी (Thrombolytic Therapy)
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गंभीर मामलों में जब दवाइयां काम नहीं करती हैं, तो सर्जरी की जरूरत हो सकती है। उम्मीद है कि ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव (Health effects of blood clots) के बारे में आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। यह समस्या गंभीर और कई बार जानलेवा भी हो सकती है। अगर आपको लगता है कि आपको ब्लड क्लॉट्स का रिस्क है तो आप मूव करते रहें, सही आहार का सेवन करें और अपने वजन को संतुलित बनाए रखें। इसके साथ ही डॉक्टर से दवाईयों और लाइफस्टाइल में बदलाव के बारे में बात करें। अगर आपके मन में ब्लड क्लॉट्स का हेल्थ पर प्रभाव के बारे में कोई भी सवाल है तो तुरंत डॉक्टर से उसे पूछें।
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