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Doppler ultrasound: जानिए डॉप्लर अल्ट्रासाउंड की कब पड़ सकती है जरूरत

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

    Doppler ultrasound: जानिए डॉप्लर अल्ट्रासाउंड की कब पड़ सकती है जरूरत

    अल्ट्रासाउंड के नाम से तो हम सभी परिचित हैं। लेकिन, इसके प्रयोग के बारे में आप शायद ही जानते होंगे। अधिकतर लोगों को ऐसा लगता है कि अल्ट्रासाउंड का प्रयोग प्रेग्नेंसी में भ्रूण के विकास को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। यह सच है, लेकिन अल्ट्रासाउंड का प्रयोग केवल यहीं तक सीमित नहीं है। चिकित्सा में अल्ट्रासाउंड उपकरण के कई अन्य उपयोग हैं। यह एक महत्वपूर्ण डायग्नोस्टिक (Diagnostic ) के साथ-साथ थेराप्यूटिक टूल (Therapeutic tool) भी है। इसका उपयोग गंभीर विकारों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। अल्ट्रासाउंड के कई प्रकारों में से एक है डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound)। आज हम डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) के बारे में बात करने वाले हैं। जानिए क्या है यह टेस्ट और जानिए इसके फायदों के बारे में।

    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) क्या है?

    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) एक इमेजिंग टेस्ट है, जिसमें साउंड वेव्ज (Sound Waves)  का प्रयोग किया जाता है, ताकि ब्लड वेसल्स के माध्यम से ब्लड को मूव होते हुए देखा जा सके। एक रेगुलर अल्ट्रासाउंड भी शरीर के अंदर के स्ट्रक्चर की तस्वीर को बनाने के लिए साउंड वेव (Sound Waves) का उपयोग करता है। लेकिन, यह ब्लड फ्लो नहीं दिखा सकता है। डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) साउंड वेव्ज को माप कर काम करता है, जो मूविंग ऑब्जेक्ट्स जैसे रेड ब्लड सेल्स से रिफ्लेक्टेड होती हैं। इसे डॉप्लर इफेक्ट के रूप में जाना जाता है। अब जानते हैं डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) के विभिन्न प्रकारों के बारे में:

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    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड के प्रकार कौन से हैं? (Types of Doppler ultrasound)

    यहां कई तरह के टेस्ट हैं, जो डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) की मदद से किए जा सकते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

    • कलर डॉप्लर (Color Doppler) : इस तरह के डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) टेस्ट में कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है, ताकि साउंड वेव्स  (Sound Waves) को विभिन्न रंगों में परिवर्तित किया जा सके। यह रंग रियल टाइम में ब्लड फ्लो की स्पीड और डायरेक्शन के बारे में बताते हैं।
    • पावर डॉप्लर (Power Doppler) :यह एक नए तरह का कलर डॉप्लर है। यह स्टैंडर्ड कलर डॉप्लर के मुकाबले ब्लड फ्लो की अधिक जानकारी प्रदान कर सकता है। लेकिन यह ब्लड फ्लो की डायरेक्शन के बारे में नहीं बता पाता, जिसका कुछ मामलों में पता होना बेहद जरूरी है।
    • स्पेक्ट्रल डॉप्लर (Spectral Doppler): इस टेस्ट से कलर पिक्चर की जगह ब्लड फ्लो इंफॉर्मेशन, ग्राफ पर दिखाई देती है। इससे इस बात को जानने में भी मदद मिलती है कि ब्लड वेसल कितना ब्लॉक है?
    • डुप्लेक्स डॉप्लर (Duplex Doppler): डुप्लेक्स डॉप्लर में स्टैंडर्ड अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है ताकि ब्लड वेसल और ऑर्गन्स की इमेजेस ली जा सकें। इसमें भी कंप्यूटर इमेज को ग्राफ में बदल देता है। जैसा कि स्पेक्ट्रल डॉप्लर में होता है।
    • कन्टीन्यूस वेव डॉप्लर (Continuous wave Doppler): इस टेस्ट में साउंड वेव्ज (Sound Waves) को लगातार भेजा और प्राप्त किया जाता है। इससे खून के बारे में अधिक स्टिक जानकारी मिलती है, जब वो अधिक गति से बहता है। अब जानिए डॉप्लर अल्ट्रासाउंड के प्रयोग के बारे में।

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    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड का प्रयोग क्यों किया जाता है?

    डॉक्टर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) का प्रयोग रोगी के ब्लड फ्लो के बारे में जानने के लिए करते हैं खासतौर पर जब कोई ब्लॉकेज या अन्य असामान्यताएं हों। गर्भावस्था में शिशु के विकास की जांच को करने के लिए भी इस टेस्ट को किया जाता है। इसके साथ ही कई स्थितियों के निदान में भी इस टेस्ट को मददगार माना जाता है। जिसमें कुछ हार्ट कंडिशंस भी शामिल हैं। डॉक्टर इन स्थितियों में भी डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) का प्रयोग करते हैं:

    • ब्लड वेसल डैमेज (Blood vessel damage)
    • हार्ट में स्ट्रक्चर की असामान्यताओं के लिए (Irregularities in Structure of Heart)
    • ब्लॉकेज जैसे वेन थ्रोम्बोसिस (Vein Thrombosis)
    • ब्लड वेसल्स का तंग या सख्त होना जिससे पैरों और टांगों में ब्लड फ्लो में बाधा जाती है (Narrowing or hardening of blood vessels)
    • सुपरफिशियल थ्रोम्बोफ्लिबिटिस (Superficial Thrombophlebitis), जिसमें टांगों की नसों की सूजन शामिल है
    • टांगों में वैस्कुलर ट्यूमर (Vascular tumors)
    • थ्रोम्बोएंजीआयटीस ऑब्लिटरन्स (Thromboangiitis obliterans), यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसके कारण हाथों और पैरों में सूजन आती है
    • हार्ट फंक्शन में बदलाव (Changes in heart function)
    • सर्जरी के बाद ब्लड फ्लो में कोई भी परिवर्तन (Changes in blood flow following surgery)
    • प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड फ्लो में कोई भी परिवर्तन होने पर (Changes in blood flow during pregnancy)

    इसके अलावा भी कुछ अन्य स्थितियां हो सकती हैं इसमें डॉक्टर रोगी को यह टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं। अब जानिए कि किसी व्यक्ति को इसकी जरूरत क्यों हो सकती है?

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    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड की जरूरत क्यों होती है?

    अगर किसी में हार्ट डिजीज या बाजू, गर्दन व टांगों में ब्लड फ्लो के कम होने के लक्षण नजर आते हैं। तो डॉक्टर उन्हें डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) की सलाह दे सकते हैं। इन समस्याओं के कारण ब्लड फ्लो कम हो सकता है:

    आमतौर पर, डॉक्टर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) की सलाह तब देते हैं, अगर उन्हें रोगी में कुछ खास स्थितियों के लक्षण नजर आते हैं। जैसे पेरीफेरल आर्टेरिअल डिजीज (Peripheral arterial disease)। यह समस्या तब होती है जब आर्टरीज में फैटी डिपॉजिट्स जमा हो जाते हैं और ब्लड फ्लो में बाधा पहुंचाते हैं। पेरीफेरल आर्टेरिअल डिजीज (Peripheral arterial disease) के लक्षण इस प्रकार हैं:

    • टांगों के निचले हिस्से या पैरों का ठंडा होना (Cold feet or legs)
    • टांगों में कमजोरी या सुन्न होना (Weakness or numbness in legs)
    • चलते या सीढ़ियां चढ़ते हुए टांगों के मसल्स या कूल्हों में दर्दभरी क्रैम्पिंग होना (Painful cramping in leg muscles or hips)
    • त्वचा के रंग में बदलाव (Change in Skin Color))

    डॉक्टर अन्य मामलों में भी डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) की सलाह दे सकते हैं। जैसे अगर रोगी में हार्ट कंडिशंस के लक्षण नजर आ रहे हों

    • थकावट (Fatigue)
    • सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
    • टांगों, पैरों या पेट में सूजन (Swelling in the feet, legs, or abdomen)

    उसके साथ ही इन स्थितियों में भी इस अल्ट्रासाउंड की सलाह दी जा सकती है:

    • अगर रोगी के ब्लड वेसल्स डैमेज हों
    • रोगी ब्लड फ्लो डिसॉडर के लिए अभी ट्रीटमेंट ले रहा हो
    • हाल में रोगी को स्ट्रोक हुआ हो, इस मामले में ब्रेन में ब्लड फ्लो को जांचने के लिए ट्रांसक्रानियल डॉप्लर (Transcranial Doppler) की सलाह दी जाती है। यही नहीं, अगर भ्रूण सामान्य से भी छोटा है, तब भी ब्लड फ्लो की असामान्यताओं को जांचने के लिए डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) की सलाह दी जा सकती है। अब जानते हैं कि डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) से पहले आपको किस तरह से तैयारी करनी चाहिए?

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    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) से पहले की तैयारी

    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) से पहले वैसे तो कोई खास तैयारी नहीं करनी पड़ती है। लेकिन, रोगी का इसके लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होना बेहद जरूरी है। वहीं अगर आप स्मोकिंग करते हैं, तो इस प्रोसीजर से कुछ घंटे पहले डॉक्टर आपको स्मोकिंग न करने की सलाह देंगे। स्मोकिंग करने से ब्लड वेसल तंग हो सकते हैं, जिसका प्रभाव इसकी रीडिंग पर पड़ सकता है। इसके साथ ही निकोटीन को न लेने की सलाह भी दी जाती है। कुछ खास तरह के डॉप्लर टेस्ट्स से कुछ घंटों तक आपको कुछ भी खाने या पीने से मना किया जा सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर आपको अन्य कुछ चीजों की राय भी दे सकते हैं। अब जानते हैं कि इस प्रक्रिया को किस तरह से किया जाता है?

    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound)

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    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड प्रक्रिया किस तरह से किया जाता है?

    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) एक दर्दरहित और रिस्क फ्री और आसान प्रक्रिया है। इससे को डॉक्टर के क्लिनिक या अस्पताल में रेडियोलोजी यूनिट में किया जा सकता है। डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) की प्रक्रिया इस तरह से की जाती है:

    • इस अल्ट्रासाउंड से पहले रोगी को शरीर के जिस हिस्से का स्कैन होना होता है। वहां के कपडे और गहने उन्हें रिमूव करने पड़ते हैं। इसके बाद रोगी को एक बेड या टेस्ट वाले टेबल पर लेटना पड़ता है।
    • अब अल्ट्रासाउंड करने वाले टेक्नीशियन रोगी की बाहों या पैरों के विभिन्न हिस्सों में प्रेशर को मापने के लिए टखनों या टांगों जैसी जगहों के आसपास ब्लड प्रेशर कफ लगा सकते हैं।
    • फिर वे ट्रांसड्यूसर (Transducer) नामक हैंडहेल्ड इंस्ट्रूमेंट (Handheld instrument ) पर लुब्रिकेंट लगाते हैं, जिसे वे ब्लड फ्लो की एक तस्वीर बनाने के लिए त्वचा के ऊपर ले जाते हैं।
    • इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 30–45 मिनट लगते हैं और इसके तुरंत बाद आप घर जा सकते हैं। अब जानते हैं इससे जुड़े रिस्क्स के बारे में।

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    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड के रिस्क्स (Risks of Doppler ultrasound)

    मेडलाइनप्लस (MedlinePlus) के अनुसार डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) को पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है। गर्भावस्था में भी यह सुरक्षित है। इस टेस्ट से पहले और बाद में डॉक्टर की सलाह का अच्छे से पालन करना जरूरी है। डॉप्लर अल्ट्रासाउंड  (Doppler ultrasound) के परिणामों का क्या मतलब है, जानिए

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    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड के परिणाम (Result of Doppler ultrasound)

    अगर किसी रोगी के डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) का परिणाम नॉर्मल आता है, तो इसका अर्थ है कि उसकी आर्टरीज तंग या ब्लॉक नहीं हैं। इसका अर्थ यह भी है कि आर्टरीज में उसका ब्लड प्रेशर सामान्य है। असामान्य ब्लड फ्लो पैटर्न में आर्टरीज का बंद या ब्लॉक होना शामिल है। यह इस बातों का संकेत भी हो सकता है:

    • आर्टरीज में ब्लॉकेज, यह ब्लॉकेज कोलेस्ट्रॉल के बिल्डअप के कारण होती है।
    • आर्टरी या वेन में ब्लड क्लॉट्स
    • पुअर सर्क्युलेशन, जो डैमेज्ड ब्लड वेसल्स के कारण हो सकता है
    • वेन्स का क्लोज होना
    • स्पैस्टिक आर्टेरिअल डिजीज (Spastic arterial disease), यह वो स्थिति है, जिसमें स्ट्रेस या अधिक ठंडे मौसम की वजह से आर्टरीज सिकुड़ जाती हैं
    • आर्टिफिशियल बाईपास ग्राफ्ट (Artificial bypass graft) में क्लॉट्स या ब्लॉकेज

    कुछ ऐसे फैक्टर्स भी हैं, जिनके कारण डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) के परिणामों में परिवर्तन आ सकता है। इसका अर्थ है कि इन टेस्ट्स को आपको फिर से कराना होगा। यह फैक्टर्स इस प्रकार हैं:

    • टेस्ट से पहले स्मोकिंग
    • गंभीर मोटापा
    • कार्डिएक डिसरिथमिया (Cardiac dysrhythmias) और एरिथमिया (Arrhythmias),या असामान्य हार्ट रिदम (Irregular heart rhythms)
    • कार्डियोवैस्क्युलर डिजीज (Cardiovascular disease)

    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) के रिजल्ट्स को डॉक्टर तक भेजा जाता है। अगर उन्हें इसमें कोई असमानताएं मिलती हैं, तो डॉक्टर आपको इसके रिजल्ट के बारे में विस्तार में बताएंगे और इसके साथ ही आपको उपचार के बारे में भी बताया जाएगा। प्रेग्नेंसी में डॉप्लर अल्ट्रासाउंड के परिणाम से यह भी पता चलता है कि अजन्में शिशु में ब्लड फ्लो सामान्य है या नहीं? इस टेस्ट का परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि यह टेस्ट शरीर के किस हिस्से पर किया गया है।

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    डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) का प्रयोग उन समस्याओं या कंडिशंस को जांचने में मदद करते हैं, जिनके कारण ब्लड फ्लो में बाधा होती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं होती। कई स्थितियों में इसके प्रयोग को लाभदायक माना गया है। किसी एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में ही इसे कराने की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट के बाद समस्या के निदान के बाद डॉक्टर उपचार के बारे में निर्धारित किया जा सकता है। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करना न भूलें।

    उम्मीद करते हैं कि आपको डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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    Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

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