शरीर के निर्माण के साथ ही शारीरिक अंगों का विकास और उनका काम शुरू हो जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमसभी रिलैक्स तो कर लेते हैं पर क्या जो गतिविधि शरीर के अंदर चल रही है वो कैसे रिलैक्स करते हैं? अगर हम यहां सिर्फ दिल की बात करें, तो ह्यूमन हार्ट एक ही स्पीड धड़कता रहता है और अगर दिल के धड़कने की गति सामान्य से कम या ज्यादा हो जाए बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। दिल से ही जुड़ी एक समस्या है कार्डियोजेनिक शॉक (Cardiogenic Shock), जिसे बारे में आर्टिकल में समझने की कोशिश करेंगे।
- कार्डियोजेनिक शॉक क्या है?
- कार्डियोजेनिक शॉक के लक्षण क्या हैं?
- कार्डियोजेनिक शॉक के कारण क्या हैं?
- कार्डियोजेनिक शॉक के रिस्क फैक्टर क्या हैं?
- कार्डियोजेनिक शॉक का निदान कैसे किया जाता है?
- कार्डियोजेनिक शॉक का इलाज कैसे किया जाता है?
- कार्डियोजेनिक शॉक के कॉम्प्लिकेशन क्या हो सकते हैं?
- कार्डियोजेनिक शॉक से बचाव कैसे संभव है?
कार्डियोजेनिक शॉक से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं और दिल को स्वस्थ्य रखने में मदद करते हैं।
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कार्डियोजेनिक शॉक (Cardiogenic Shock) क्या है?
जब हार्ट वाइटल ऑर्गन (Vital organs) को ठीक तरह से ब्लड सप्लाई नहीं कर पाता है, तो ऐसी स्थिति कार्डियोजेनिक शॉक की स्थिति पैदा कर सकती है। ठीक तरह से ब्लड सप्लाई नहीं होने के कारण शरीर आवश्यक न्यूट्रिशन की पूर्ति नहीं हो पाती है और ब्लड प्रेशर कम होने लगता है। कार्डियोजेनिक शॉक अत्यधिक गंभीर स्थिति मानी जाती है और इस दौरान इमरजेंसी ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है। कुछ रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ साल पहले तक कार्डियोजेनिक शॉक (Cardiogenic Shock) की वजह मरीज की मौत भी हो जाती थी, लेकिन बढ़ती मेडिकल टेक्नोलॉजी और ट्रीटमेंट की वजह से कार्डियोजेनिक शॉक से बचाव संभव हो सकता है, लेकिन कार्डियोजेनिक शॉक के लक्षण को जल्द से जल्द समझकर।
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कार्डियोजेनिक शॉक के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Cardiogenic Shock)
कार्डियोजेनिक शॉक के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- कन्फ्यूजन (Confusion) में रहना।
- एंग्जाइटी (Anxiety) होना।
- हाथ और पैर का अत्यधिक ठंडा होना और पसीना (Sweating) आना।
- हार्टबीट अत्यधिक तेज (Rapid heartbeat) होना।
- यूरिन कम आना या नहीं (Low or absent urinary) होना।
- अत्यधिक थकान (Fatigue) महसूस होना।
- अचानक से सांस लेने में कठिनाई (Sudden shortness of breath) होना।
- बेहोश (Fainting) होना।
- चक्कर (Dizziness) आना।
- मरीज का कोमा (Coma) में चले जाना।
ये लक्षण हल्के से गंभीर हो सकते हैं, लेकिन ऐसी किसी भी स्थिति को हल्के में ना लें और डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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कार्डियोजेनिक शॉक के कारण क्या हैं? (Cause of Cardiogenic Shock)
कार्डियोजेनिक शॉक के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- लंग्स में अचानक ब्लड वेसल (Blood Vessel) का ब्लॉक होना।
- हार्ट के आसपास तरल (Fluid) पदार्थों का जमा होना।
- वॉल्व (Valves) का डैमेज होना।
- प्रेशर बढ़ने की वजह से हार्ट के वॉल्स (Heart valves) को नुकसान पहुंचना।
- हार्ट मसल्स (Heart Muscles) का ठीक तरह से काम नहीं कर पाना।
- हार्ट रिदम एब्नॉर्मल (Abnormal Heart Rhythm) होना।
इन ऊपर बताये स्थितियों के कारण कार्डियोजेनिक शॉक की स्थिति पैदा हो सकती है।
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कार्डियोजेनिक शॉक के रिस्क फैक्टर क्या हैं? (Risk factor of Cardiogenic Shock)
कार्डियोजेनिक शॉक के रिस्क फैक्टर निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- पहले कभी हार्ट अटैक हुआ हो।
- कोरोनरी आर्टरी में प्लाक जमा होना।
- हार्ट वॉल्व से जुड़ी हुई पुरानी समस्या होना।
- हार्ट का पहले से कमजोर होना या इंफेक्शन की समस्या होना।
अगर ऐसी कोई भी समस्या मरीज को परेशान कर रही है, तो इलाज में लापरवाही ना बरतें।
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कार्डियोजेनिक शॉक का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Cardiogenic Shock)
कार्डियोजेनिक शॉक के लक्षण को समझकर डॉक्टर पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री पूछते हैं और तकलीफों को समझकर निम्नलिखित टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं-
- ब्लड प्रेशर की जांच (Blood pressure measurement)
- ब्लड टेस्ट (Blood tests)
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram [ECG])
- इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)
- स्वान-गैंज कैथेटर (Swan-Ganz catheter)
कार्डियोजेनिक शॉक के इलाज से पहले ये टेस्ट किये जा सकते हैं। वहीं अगर पेशेंट को हार्ट प्रॉब्लेम के अलावा कोई अन्य शारीरिक समस्या है, तो ऐसी स्थिति में अन्य टेस्ट भी किये जा सकते हैं।
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कार्डियोजेनिक शॉक का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Cardiogenic Shock)
कार्डियोजेनिक शॉक का इलाज करने से पहले इसके कारणों को समझते हैं और फिर इलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं। इसलिए अगर-
- हार्ट अटैक के कारण कार्डियोजेनिक शॉक की स्थिति पैदा हुई है, तो डॉक्टर पेशेंट को ऑक्सिजन देते हैं और आट्रिज में कैथेटर इंसर्ट करते हैं। ऐसा करने से हार्ट मसल्स में ब्लॉकेज को दूर करने में मदद मिलती है।
- अगर अनियमित दिल की धड़कन (Arrhythmia) के कारण कार्डियोजेनिक शॉक की समस्या होती है ,तो ऐसी स्थिति में इलेक्ट्रिकल शॉक दी जाती है। इसे मेडिकल टर्म में डिफिब्रिलेशन (Defibrillation) या कार्डियोवर्शन (Cardioversion) भी कहा जाता है।
- हार्ट के आसपास जमा होने वाले फ्लूइड की वजह से अगर कार्डियोजेनिक शॉक की स्थिति पैदा हुई है या ऐसी कोई संभावना रहती है, तो मेडिकेशन से फ्लूइड को रिमूव किया जाता है।
इन अलग-अलग तरहों से कार्डियोजेनिक शॉक का इलाज किया जा सकता है।
कार्डियोजेनिक शॉक के कॉम्प्लिकेशन क्या हो सकते हैं? (Complications of Cardiogenic Shock)
कार्डियोजेनिक शॉक के कॉम्प्लिकेशन निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- ब्रेन डैमेज (Brain damage) होना।
- लिवर या किडनी फेलियर (Liver or kidney failure) होना।
- स्ट्रोक (Stroke ) आना।
- हार्ट अटैक (Heart attack) आना।
इन स्थितियों का खतरा बना रहता है। इसलिए हार्ट से जुड़ी समस्याओं को इग्नोर ना करें और डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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कार्डियोजेनिक शॉक से बचाव कैसे संभव है? (Tips to prevent Cardiogenic Shock)
कार्डियोजेनिक शॉक से बचाव के लिए निम्नलिखित बीमारियों में खुद का विशेष ख्याल रखें। जैसे:
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की समस्या होने पर ब्लड प्रेशर लेवल को बैलेंस बनाये रखें।
- स्मोकिंग (Smoking) ना करें।
- शरीर के बढ़ते वजन (Obesity) को नियंत्रित रखें।
- हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) की समस्या होने पर इसे भी नॉर्मल रखें।
कार्डियोजेनिक शॉक से बचाव के लिए इन चार बातों का ध्यान रखना अत्यधिक जरूरी है।
अगर आप हार्ट डिजीज की समस्या से पीड़ित हैं, तो इन ऊपर बताये उपायों को फॉलो कर सकते हैं। आपकी छोटी सी लापरवाही कार्डियोजेनिक शॉक की स्थिति में डाल सकती है। इसलिए डॉक्टर से समय-समय पर कंसल्ट करें, वॉक (Walk) करें, योग (Yoga) करें और पौष्टिक आहार (Healthy diet) का सेवन करें और हेल्दी लाइफ स्टाइल (Healthy lifestyle) फॉलो करें। अगर आप हार्ट डिजीज या कार्डियोजेनिक शॉक की समस्या से जुड़े किसी सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे।
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