आज के समय के कम उम्र कि महिलाएं भी अधिक हार्ट डिजीज की शिकार हो रही हैं। डॉक्टरों की मानें तो पहले हृदय रोग की समस्या अक्सर पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलती थी। लेकिन अब महिलाओं का अनुपात बढ़ा है। इतना ही महिलाओं में हृदय रोग के कुछ लक्षण पुरुषों से भिन्न होते हैं। जिसके बारे में अधिकतर महिलाओं को पता नहीं होता है कि क्या देखना है। हृदय रोग विभिन्न प्रकार की हृदय स्थितियों को पर निर्भर करता है। जिसमें कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease), जन्मजात हृदय दोष (Congenital heart defects), दिल का दौरा (Heart Attack)आदि शामिल हैं। पुरूषाें की तुलना में महिलाओं में भी हृदय रोग अधिक तेजी से देखने को मिल रहे हैं। अब सवाल यहां यह है कि क्या महिलाओं में होने वाले हृदय रोग (Heart Problem in women) पुरुषों से अलग हैं? अगर हां, तो इनमें क्या विभिन्नताएं हैं? जानिए महिलाओं में होने वाले हृदय रोग (Heart Problem in women) के बारे में यहां…
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क्या महिलाओं में होने वाले हृदय रोग का इलाज पुरुषों से अलग है? (Heart disease treatment in women)
सामान्य तौर पर, महिलाओं और पुरुषों में हृदय रोग का उपचार समान होता है। इसमें दवाएं, एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) स्टेंटिंग, या कोरोनरी बाईपास सर्जरी (coronary by pass surgery) शामिल हो सकती हैं। पुरुषों की तुलना में, दिल के दौरे को रोकने के लिए महिलाओं को स्टेटिन थेरिपी की संभावना कम होती है। एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग, आमतौर पर दिल के दौरे के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपचार हैं। यह उपचार पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन कोरोनरी बाईपास सर्जरी के लिए पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जटिलताएं होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कार्डियक रिहैबिलिटेशन (Cardiac rehabilitation) के लिए रेफर किए जाने की संभावना कम होती है। सभी उम्र की महिलाओं को हृदय रोग को गंभीरता से लेना चाहिए। 65 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में, विशेष रूप से हृदय रोग के पारिवारिक इतिहास वाली महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम अधिक होता है।
महिलाओं में हृदय रोग के कई लक्षण (Heart Problem symptoms) पुरुषों से भिन्न होते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के दिल का दौरा पड़ने से एक वर्ष के भीतर दम तोड़ देने की संभावना अधिक होती है। यह भी ध्यान दिया जाता है कि एंटीकोआगुलंट्स (Anticoagulants) या कुछ हृदय चिकित्सा प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद भी महिलाओं के परिणाम पुरुषों की तरह नहीं होते हैं। यह आमतौर पर समझा जाता है कि एस्ट्रोजन महिलाओं को हृदय रोग से बचाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
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महिलाओं में होने वाले हृदय रोग के लक्षण (Heart Problem symptoms in Women )
महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने का सबसे आम लक्षण पुरुषों की तरह ही होता है, जैसे कि किसी प्रकार का सीने में दर्द, दबाव या बेचैनी महसूस होना। जो कुछ मिनटों से अधिक समय तक रहता है या होता-बंद होता रहता है। लेकिन सीने में दर्द हमेशा गंभीर या सबसे अधिक ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होता है, क्योंकि सीने में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन यह भी है कि सीने में दर्द (Chest Pain) के बिना दिल का दौरा पड़ना संभव है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में सीने में दर्द से संबंधित हार्ट अटैक के लक्षण होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं, जैसे कि:
- गर्दन, कंधे, पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द
- पेट की परेशानी
- सांस लेने में कठिनाई
- एक या दोनों बाहों में दर्द
- उल्टी अथवा मितली
- पसीना आना
- सिर चकराना
- चक्कर आना
- असामान्य थकान महसूस होना
- खट्टी डकार आना
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महिलाओं में होने वाले हृदय रोग के जोखिम के कारक (Heart disease risk factors)
कोरोनरी धमनी की बीमारी के लिए कई पारंपरिक जोखिम कारक – जैसे उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) और मोटापा आदि महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित करते हैं। लेकिन अन्य कारक महिलाओं में हृदय रोग के विकास में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। महिलाओं के लिए हृदय रोग जोखिम कारकों में शामिल हैं:
ईस्ट्रोजन (Estrogen)
ईस्ट्रोजन के कारण एचडीएल गुड कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि और एलडीएल, बैड कोलेस्ट्रॉल में कमी मेनोपॉज से पहले और उस दौरान, महिलाओं को हृदय रोग से बचाने में मदद करता है। रजोनिवृत्ति के बाद, कोलेस्ट्रॉल पुरुषों की तुलना में महिलाओं में तेजी से बढ़ता है। हाय ट्राइग्लिसराइड्स (High triglycerides) भी जोखिम का कारण भी बन सकता है।
महिलाओं में हृदय रोग (सीवीडी)। हृदय रोग के कारण मृत्यु का जोखिम 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है।
डायबिटीज (Diabetes)
डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में मधुमेह (Diabetes) वाले पुरुषों की तुलना में हृदय रोग विकसित होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, मधुमेह में बिना किसी लक्षण के साइलेंट हार्ट अटैक होने का अधिक जोखिम होता है।
मानसिक तनाव (Mental stress)
तनाव, पुरुषों की तुलना में महिलाओं के दिलों को ज्यादा प्रभावित करते हैं। तनाव और भी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए जितना हाे सके तनाव से बचने की कोशिश करें।
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शारीरिक गतिविधि (Physical activity)
शारीरिक गतिविधि की कमी हृदय रोग के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। कुछ शोधों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम सक्रिय पाया गया है।
मेनोपॉज (Menopause)
रजोनिवृत्ति के बाद ईस्ट्रोजन का निम्न स्तर छोटी रक्त वाहिकाओं में बीमारी के विकास का एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करता है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप या मधुमेह मां के लिए उच्च रक्तचाप और डायबिटीज जोखिम को बढ़ा सकता है। अन्य कई स्थितियां भी महिलाओं को हृदय रोग होने की अधिक संभावना बनाती हैं।
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हृदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए महिलाएं क्या कर सकती हैं? (Heart disease risk)
एक स्वस्थ जीवन शैली जीने से हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। इनमें शामिल हैं
- यदि आप धूम्रपान नहीं करते हैं, तो शुरू न करें। सेकेंड हैंड धुएं (Second Hand Smoking) के संपर्क में आने से बचने की कोशिश करें, जो रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
- नियमित रूप से व्यायाम करें, सामान्य तौर पर, सभी को व्यायाम (Exercise) करना चाहिए, जैसे कि तेज गति से चलना।
- स्वस्थ वजन बनाए रखें, अपने डॉक्टर से पूछें कि आपके लिए कौन सा वजन सबसे अच्छा है। यदि आपका वजन ठीक है, तो आपमें रक्तचाप और डायबिटीज का खतरा कम होगा।
- हेल्दी डायट लें, जैसे कि साबुत अनाज, विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियां (Fruit and Vegetables), कम वसा वाले या वसा रहित डेयरी उत्पाद (Dairy Product) और लीन मीट का विकल्प चुनें। संतृप्त या ट्रांस वसा, अतिरिक्त शर्करा और उच्च मात्रा में नमक से बचें।
- अपने तनाव को प्रबंधित करें। तनाव के कारण आपकी धमनियां सख्त हो सकती हैं, जिससे आपके ठीक होने का खतरा बढ़ सकता है
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महिलाओं में हृदय रोग को रोकने के लिए एस्पिरिन लेना (Aspirin uses)
यदि आपको दिल का दौरा पड़ा है, तो आपका डॉक्टर आपको हर दिन कम खुराक वाली एस्पिरिन लेने की सलाह दे सकते हैं, ताकि दूसरे अटैक को रोकने में मदद मिल सके। लेकिन एस्पिरिन रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए, उन महिलाओं के लिए दैनिक एस्पिरिन थेरिपी की सिफारिश नहीं की जाती है, जिन्हें कभी दिल का दौरा नहीं पड़ा है। दिल की बीमारी से बचाव के लिए कभी भी खुद से एस्पिरिन लेना शुरू न करें। एस्पिरिन लेने के अपने जोखिमों और लाभों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
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