जब भी आप किसी डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाते हैं, तो वह आपका ब्लड प्रेशर चेक करता है। सही ब्लड प्रेशर किसी भी व्यक्ति की सेहत को सामान्य रखने के लिए जरूरी माना जाता है। ब्लड प्रेशर (Blood pressure) ज्यादा या कम होने पर व्यक्ति को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि एक सेहतमंद व्यक्ति को अपने ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखना पड़ता है। आज हम बात करने जा रहे हैं ब्लड प्रेशर की उन 2 अवस्थाओं के बारे में, जिससे आप अपने ब्लड प्रेशर की स्थिति को समझ सकते हैं। हम बात कर रहे हैं सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर की। सिस्टोल और डिस्टोल (Systole and Diastole) ब्लड प्रेशर दोनों का ही सामान्य होना जरूरी माना जाता है। आइए आज जानकारी हासिल करते हैं सिस्टोल और डिस्टोल (Diastole) ब्लड प्रेशर के बारे में।
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क्या है सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर? (Systole and Diastole)
जैसा कि आप सभी जानते हैं हमारा दिल अलग अलग तरह की मांसपेशियों से बना हुआ है, जिसके 4 चेंबर और 4 वॉल्व्स होते हैं। ये वॉल्व्स बंद और चालू होते हैं, जब इसके अंदर से ब्लड निकलता है। यही दिल को धड़कने में मदद करता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति का ह्रदय हर मिनट में 60 से 100 बार धड़कता है। इसके धड़कने से ब्लड आर्टरी वॉल्व्स से टकराता है। ब्लड प्रेशर (Blood pressure) को मापने के लिए दो तरह की रीडिंग पर ध्यान दिया जाता है, सिस्टोल और डिस्टोल (Systole and Diastole)। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर आपके ब्लड प्रेशर रीडिंग के ऊपरी संख्या को माना जाता है। यह आर्टरी पर ब्लड के प्रेशर को मापता है, जब आपका हार्ट संकुचित होता है। वहीं आपका डिस्टोलिक ब्लड प्रेशर, ब्लड प्रेशर रीडिंग की निचली संख्या मानी जाती है। यह आपकी आर्टरी पर ब्लड प्रेशर को तब मापता है, जब आपका हार्ट रेस्टिंग स्थिति में होता है। इसी तरह सिस्टोल और डिस्टोल (Diastole), ब्लड प्रेशर की अलग-अलग रीडिंग को माना जाता है। आइए अब बात करते हैं ब्लड प्रेशर के रेंज के बारे में।
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सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर : क्या है इसकी अलग-अलग रेंज? (Range of Systole and Diastole)
सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर के बारे में जानने से पहले आपको अपने ब्लड प्रेशर की रेंज के बारे में जानना चाहिए। आपका ब्लड प्रेशर नार्मल, ज्यादा या कम हो सकता है। हाय ब्लड प्रेशर की स्थिति को हायपरटेंशन (Hypertension) कहा जाता है। वहीं लो ब्लड प्रेशर की स्थिति को हायपोटेंशन का नाम दिया गया है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक आपके ब्लड प्रेशर की अलग-अलग रेंज देखी जा सकती है। सिस्टोल और डिस्टोल (Systole and Diastole) ब्लड प्रेशर के बारे में अधिक जानकारी लेने से पहले आइए जानते हैं ब्लड प्रेशर की अलग-अलग रेंज के बारे में।
- नॉर्मल – 120 से कम सिस्टोल (Systole) और 80 से कम डिस्टोल
- एलिवेटेड – 120 – 129 के बीच सिस्टोल और 80 से कम डिस्टोल
- स्टेज वन हायपरटेंशन – 130 से 139 के बीच सिस्टोल और 80 से 89 के बीच डिस्टोल
- स्टेज 2 हायपरटेंशन – 140 से ज्यादा सिस्टोल और 90 से ज्यादा डिस्टोल
- हाइपरटेंसिव क्राइसिस – 180 से ज्यादा सिस्टोल और 120 से ज्यादा डिस्टोल (Diastole)
- हाइपोटेंशन – 90 से कम सिस्टोल और 60 से कम डिस्टोल
जब बात आती है सिस्टोल और डिस्टोल (Systole and Diastole) ब्लड प्रेशर से जुड़ी रेंज की, तो अलग अलग व्यक्ति में इसकी अलग अलग रेंज देखी जा सकती है. परंतु इन्हीं रेंज को ध्यान में रखकर डॉक्टर हाय ब्लड प्रेशर की स्थिति को समझते हैं. वह आपके सिस्टोलिक और डिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को ध्यान में रखते हुए हायपरटेंशन की स्थिति का पता लगाते हैं. इसी के साथ हाय ब्लड प्रेशर के लक्षण, आपकी उम्र और आपके द्वारा ली जा रही मेडिसिन भी कुछ ऐसे फैक्टर्स हैं, जो आपके ब्लड प्रेशर पर असर डाल सकती हैं। आइए अब जानते हैं सिस्टोल और डिस्टोल (Diastole) ब्लड प्रेशर से जुड़े रिस्क फैक्टर के बारे में।
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क्या हैं सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर से जुड़े रिस्क फैक्टर्स? (Risk factors of Systole and Diastole)
आपको सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर दोनों ही मैनेज करने की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर लोगों में हाय ब्लड प्रेशर की समस्या देखी जाती है, इसलिए इनके रिस्क फैक्टर के बारे में आपको पता होना चाहिए। सिस्टोल और डिस्टोल (Systole and Diastole) ब्लड प्रेशर के बारे में यह जानकारी आपके बेहद काम आ सकती है।
ये हो सकते हैं हाय ब्लड प्रेशर के रिस्क फैक्टर (High blood pressure risk factors)
आपको जान कर जानकार हैरानी होगी कि आपका जेंडर आपके ब्लड प्रेशर को अफेक्ट कर सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार पुरुषों में महिलाओं की तुलना में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) के केस ज्यादा देखे जाते हैं, लेकिन यह स्थिति 64 साल से कम उम्र के लोगों में देखी गई है। वहीं यदि 65 साल से ज़्यादा की उम्र के लोगों की बात करें, तो महिलाओं में हाय ब्लड प्रेशर की स्थिति ज्यादा देखी जा रही है। हाय ब्लड प्रेशर की समस्या के रिस्क फैक्टर कुछ इस तरह हो सकते हैं –
- फैमिली में हाय ब्लड प्रेशर की समस्या
- मोटापे की समस्या
- डायबिटीज की समस्या
- हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या
- किडनी डिजीज
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इसके अलावा लाइफस्टाइल भी एक ऐसा फैक्टर है, जो हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की स्थिति को प्रभावित करता है। इसके अलावा जिन लोगों को स्लीप एप्निया (Sleep apnea) की समस्या होती है। उन लोगों में भी हाय ब्लड प्रेशर आमतौर पर देखा जाता है। स्लीप एप्निया के दौरान जब आप लंबे समय तक सांस नहीं लेते, तो यह आपके हृदय के काम को अफेक्ट करता है। यदि आप ठीक ढंग से नींद में सांस नहीं ले पा रहे, तो आपके ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल (Oxygen level) कम हो जाता है और इससे आपका ब्लड प्रेशर बढ़ता है। यदि लंबे समय तक कोई व्यक्ति स्लीप एप्निया से जूझ रहा है तो उससे आगे चलकर हाय ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती हैं। आइए अब जानते हैं लो ब्लड प्रेशर के से जुड़े रिस्क फैक्टर के बारे में।
ये हो सकते हैं लो ब्लड प्रेशर के रिस्क फैक्टर (Low blood pressure risk factors)
जैसा कि आपने जाना सिस्टोल और डिस्टोल (Systole and Diastole) ब्लड प्रेशर दोनों को ही सामान्य बनाए रखना आपकी सेहत के लिए जरूरी माना जाता है। जिस तरह हाय ब्लड प्रेशर आपको समस्याएं दे सकता है, उसी तरह लो ब्लड प्रेशर भी आपकी तकलीफ है बढ़ा सकता है। लो ब्लड प्रेशर होने के भी कई रिस्क फैक्टर माने जाते हैं। आमतौर पर 65 से ज्यादा उम्र के लोगों में ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन की समस्या देखी जाती है। इस स्थिति में आपका ब्लड प्रेशर सामान्य से कम हो सकता है। एंडोक्राइन प्रॉब्लम, न्यूरोलॉजिकल डिजीज, हार्ट प्रॉब्लम, हार्ट फेलियर और एनीमिया (Endocrine problems, neurological diseases, heart problems, heart failure and anemia) जैसी समस्याएं लो ब्लड प्रेशर के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। आइए अब जानते हैं सिस्टोल और डिस्टोल (Diastole) ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं को किस तरह से ठीक किया जा सकता है।
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सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर से जुड़ी तकलीफ : ऐसे हो सकती है मैनेज (Management of Systole and Diastole)
जैसा कि आपने जाना सिस्टोल और डिस्टोल (Systole and Diastole) ब्लड प्रेशर में असामान्यताएं आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकती है, इसलिए आपको सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर की समस्याओं से जुड़े ट्रीटमेंट के बारे में पता होना चाहिए। ये ट्रीटमेंट लेने से पहले आपको आपकी ब्लड प्रेशर की स्थिति को समझना बेहद जरूरी माना जाता है। साथ ही डॉक्टर की सलाह के बाद ही आपको किसी भी तरह की दवाएं सिस्टोल और डिस्टोल (Diastole) ब्लड प्रेशर से जुड़ी असामान्यताओं के लिए लेनी चाहिए। आइए सबसे पहले जानते हैं हाय ब्लड प्रेशर की समस्या को किस तरह से ठीक किया जा सकता है।
कैसे मैनेज की जा सकती है हाय ब्लड प्रेशर की समस्या? (Management of high blood pressure)
हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की समस्या, आमतौर पर आपकी लाइफस्टाइल में हो रही परेशानियों की वजह से हो सकती है। इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर आप हाय ब्लड प्रेशर की स्थिति में आराम पा सकते हैं। हालांकि कुछ लोगों में हाय ब्लड प्रेशर के लिए मेडिकेशन की भी जरूरत पड़ती है, जिसे आपको रोजाना लेना चाहिए। साथ ही साथ इन दवाओं को डॉक्टर की सलाह के बग़ैर बंद नहीं करना चाहिए। आइए अब जानते हैं लो ब्लड प्रेशर (Low blood pressure) की स्थिति को किस तरह ठीक किया जा सकता है।
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कैसे मैनेज की जा सकती है लो ब्लड प्रेशर की समस्या? (Management of low blood pressure)
लो ब्लड प्रेशर (Low blood pressure) की स्थिति तब ठीक की जा सकती है, जब इसके कारण के बारे में आपको पता हो। यदि किसी तरह की दवाई की वजह से आपको लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो रही है, तो डॉक्टर की सलाह के बाद इसकी डोज को कम किया जा सकता है, जिससे लो ब्लड प्रेशर की समस्या में आराम मिल सके।
यदि किसी इंफेक्शन के कारण आपका ब्लड प्रेशर लो हो रहा है, तो आपको सही एंटीबायोटिक लेने की जरूरत पड़ती है। यदि एनीमिया इसका कारण बनता है, तो आपको डॉक्टर आयरन और विटामिन B12 सप्लिमेंट (Iron and Vitamin B12 Supplement) लेने की सलाह दे सकते हैं।
यदि किसी तरह की मेडिकल कंडिशन लो ब्लड प्रेशर का कारण बनती है, तो डॉक्टर द्वारा इसके सही कारण का पता लगाना बेहद जरूरी है। इस स्थिति को मैनेज करके लो ब्लड प्रेशर की समस्या में आराम पाया जा सकता है।
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सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर से जुड़ी असामान्यताएं आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर सकती हैं, इसलिए आपको सिस्टोल और डिस्टोल (Diastole) ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखना बेहद जरूरी माना जाता है। सिस्टोल और डिस्टोल (Systole and Diastole) ब्लड प्रेशर से जुड़ी असामान्यताएं आपके अंदरूनी अंगों से लेकर ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे आगे चलकर आपको ह्रदय संबंधित समस्याएं होने की संभावना होती है। यही वजह है कि आपको सिस्टोल और डिस्टोल ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
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