हायपरटेंशन हाय ब्लड प्रेशर की समस्या को कहते हैं। हाय ब्लड प्रेशर से मतलब आर्टरीज वॉल में ब्लड के फ्लो का बढ़ जाना है। हमारे शरीर में आर्टरीज हार्ट से ब्लड पूरी बॉडी में ले जाने का काम करती है। जबकि वेंस ब्लड को दोबारा हार्ट में लेकर आता है। जब आर्टरीज में ब्लड का फ्लो तेज हो जाता है, तो आर्टरीज के डैमेज होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। ऐसी किसी भी तकलीफ से बचने के लिए हायपरटेंशन और स्टेटिन्स (Hypertension and statins) से जुड़ी जानकारी शेयर करेंगे।
वीक या कमजोर हो चुकी आर्टरीज ब्लड के मूवमेंट में दिक्कत पैदा करती है। अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से हायपरटेंशन की समस्या है, तो ये हार्ट के लिए एक साथ कई समस्याओं का कारण बन जाता है। हाय ब्लड प्रेशर के कारण स्ट्रोक, हार्ट अटैक और कार्डियोवस्कुल प्रॉब्लम शुरू हो जाती है। लंबे समय तक हाय ब्लड प्रेशर कोलेस्ट्रॉल प्लाक का कारण बन जाता है। हाय ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर कुछ मेडिसिंस को लेने की सलाह देते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको हायपरटेंशन और स्टेटिन्स (Hypertension and statins) के बारे में जानकारी देंगे।
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हायपटेंशन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मेडिसिंस (Medicines used for hypertension)
हायपरटेंशन के शुरुआती लक्षण नजर नहीं आते हैं और न ही लोग इसका ट्रीटमेंट कराते हैं। इसे प्राइमरी हायपरटेंशन की स्टेज कहा जाता है। शुरुआती हाय ब्लड प्रेशर के कारण निश्चित नहीं होते हैं। जबकि सेकेंड्री हायपरटेंशन स्पेसिफिक कॉज के कारण शुरू होता है। कुछ कारण जैसे कि किडनी की समस्या, थायरॉयड डिजीज (Thyroid disease), हार्ट कंडीशन (Heart condition), रेयर मेटाबॉलिक डिसऑर्डर, वजन बढ़ने का कारण हाय बीपी, एल्कोहॉल का अधिक सेवन, खाने में अधिक सोडियम या अधिक उम्र के कारण हाय बीपी की समस्या हो सकती है। अगर फैमिली में किसी को हाय बीपी की समस्या है, तो ऐसे में हाय बीपी का रिस्क फैक्ट बढ़ जाता है। डॉक्टर ऐसे में कुछ दवाओं का सेवन करने की सलाह देते हैं। जानिए हाय बीपी में कॉमन मेडिकेशन के बारे में।
- डाययूरेटिक्स (Diuretics)
- कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium channel blockers)
- बीटा ब्लॉकर्स (Beta-blockers)
- एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम (Angiotensin-converting enzyme)
- एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin receptor blockers)
उपरोक्त दवाएं खासतौर पर हाय बीपी के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। जानिए हायपरटेंशन और स्टेटिन्स (Hypertension and statins) का क्या संबंध होता है।
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हायपरटेंशन और स्टेटिन्स (Hypertension and statins)
स्टेटिन्स का आमतौर पर इस्तेमाल शरीर के बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए किया जाता है। शरीर में लोअर डेंसिटी लीपोप्रोटीन यानी एलडीए को बैड कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जाना जाता है। स्टेटिन्स का इस्तेमाल करने से एलडीएल (LDL) कम होता है और आर्टरीज में बनने वाले कोलेस्ट्रॉल प्लाक (Cholesterol plaque) से भी राहत मिलती है। जैसा कि हम आपको पहले बता चुके हैं कि कोलेस्ट्रॉल प्लाक (Cholesterol plaque) आर्टरीज में रुकावट पैदा करता है और खून के प्रवाह को रोकने का भी काम करता है। इस कारण से ऑर्गन और मसल्स में पहुंचने वाले ब्लड की मात्रा कम हो जाती है। हायपरटेंशन और स्टेटिन्स (Hypertension and statins) एक दूसरे से संबंध रखती हैं क्योंकि हायपरटेंशन के कारण कोलेस्ट्रॉल लेवल बिगड़ सकता है और ऐसे में स्टेटिन्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
हायपरटेंशन कार्डियोवैस्कुल रिस्क को बढ़ाने का काम करता है। कार्डियोवैस्कुल रिस्क को कम करने के लिए स्टेटिन्स दी जाती हैं। यानी हायपरटेंशन के लिए स्टेटिन्स को सीधे तौर पर न अपनाकर हायपरटेंशन से जुड़े रिस्क को कम करने के लिए दिया जाता है। यानी जिन लोगों को हाय बीपी की समस्या है, उनको स्टेटिन्स दी जा सकती है। हाय बीपी के सभी पेशेंट्स को स्टेटिन्स दी जाए, ये जरूरी नहीं है। आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर प्राप्त करें।
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स्टेटिन्स का इस्तेमाल क्यों है जरूरी?
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि हाय बीपी के कारण हार्ट संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती है। अगर आपको हाय बीपी का समस्या है, तो ऐसे में डॉक्टर स्टेटिन्स (Statins) लेने की सलाह दे सकते हैं। जिन लोगों में कार्डियोवैस्कुल डिजीज (Cardiovascular disease) की फैमिली हिस्ट्री होती है, उनके लिए भी स्टेटिन्स (Statins) मेडिसिंस का इस्तेमाल किया जाता है। हार्ट प्रॉब्लम से छुटकारा पाने के लिए स्टेटिन्स मेडिसिंस लेने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं। कुछ कंडीशन जैसे कि हाय एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (High LDL cholesterol), डायबिटीज (Diabetes), हार्ट अटैक की अधिक संभावना आदि में स्टेटिन्स दवाइयां इस्तेमाल की जाती हैं। आप डॉक्टर से हायपरटेंशन और स्टेटिन्स (Hypertension and statins) से संबंधित अहम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कार्डियोवैस्कुलर फार्माकोलॉजी एंड थेरेप्यूटिक्स (Cardiovascular Pharmacology and Therapeutics) की माने तो स्टेटिन्स न केवल सिर्फ कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम नहीं करते हैं बल्कि ये नैरोड आर्टरीज के कारण पैदा हुए रिस्क को कम करने का काम भी करते हैं। ये दवाइयां आर्टरीज की मसल्स लाइनिंग को हेल्दी बनाने का काम भी करती है। स्टेटिन्स धमनियों में फाइब्रिन (Fibrin) के जमाव को भी कम कर सकते हैं। फाइब्रिन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो ब्लड क्लॉट फॉर्मेशन का काम करता है। हायपरटेंशन में स्टेटिन्स के इस्तेमाल से हाय बीपी में थोड़े सुधार के साथ ही हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी कम हो जाता है। यानी हायपरटेंशन और स्टेटिन्स (Hypertension and statins) एक दूसरे संबंधित हैं और हायपरटेंशन में स्टेटिन्स का इस्तेमाल भविष्य में होने वाले जोखिम को कम करने का काम करता है।
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हायपरटेंशन और स्टेटिन्स: हाय बीपी में स्टेटिन्स की अहम भूमिका
अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो आपको दवाओं का सेवन तो करना ही चाहिए और साथ ही लाइफस्टाइल में बदलाव की भी जरूरत होती है। ऐसा करने से स्टेटिन्स का इफेक्ट इंप्रूव होता है। रोजाना एक्सरसाइज के साथ ही बैलेंस्ड डायट बहुत जरूरी होती है। आप बीपी को कंट्रोल करने के लिए कार्डियो एक्सरसाइज (Cardio exercises) कर सकते हैं। खाने में फैटी फूड्स की मात्रा को कम करके और फलों-सब्जियों की मात्रा बढ़ाकर आप बीपी को बढ़ने से रोक सकते हैं। खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, आलू, बीट, ओटमील (Oatmeal)आदि को जरूर शामिल करें।
अगर आपको हाय बीपी की समस्या है, तो एल्कोहॉल और स्मोकिंग से दूरी बना लें क्योंकि ये दोनों ही बीपी को बढ़ाने का काम करते हैं। अगर आपको डॉक्टर ने हाय बीपी में स्टेटिन्स के साथ ही अन्य दवाओं को भी लेने की सलाह दी है, तो आपको समय पर दवाओं का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से आप हाय बीपी को कंट्रोल करने के साथ ही हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं। जानिए कुछ स्टेटिन्स के नाम।
- हायपरटेंशन और स्टेटिन्स: एटोरवास्टेटिन (Atorvastatin )
- हायपरटेंशन और स्टेटिन्स: फ्लुवास्टेटिन (Fluvastatin)
- हायपरटेंशन और स्टेटिन्स: प्रवास्टैटिन (Pravastatin )
- हायपरटेंशन और स्टेटिन्स: रोसुवास्टेटिन (Rosuvastatin)
- हायपरटेंशन और स्टेटिन्स: सिमवास्टेटिन (Simvastatin)
स्टेटिन्स का सेवन करने से सिरदर्द, चक्कर, मसल्स पेन (Muscle pain), सोने में समस्या, लो ब्लड प्लेटलेट काउंट आदि की समस्या हो सकती है। आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर प्राप्त करें।
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बीपी को कंट्रोल करने के लिए सिर्फ मेडिसिन का सेवन करना ही पर्याप्त नहीं होता है। आपको लाइफस्टाइल में बदलाव करना भी जरूरी है। आप एक्सरसाइज को रोजाना रूटीन में शामिल करें। अगर हाय बीपी से संबंधित कोई प्रश्न पूछना है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको हायपरटेंशन और स्टेटिन्स (Hypertension and statins) के बारे में जानकारी मिल गई होगी। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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