हमारे शरीर में जब किसी हॉर्मोन लेवल में गड़बड़ी हो जाती है, जो शरीर की अन्य क्रियाओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। शरीर की क्रियाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए एक नहीं बल्कि बहुत से हॉर्मोन की जरूरत पड़ती है। उन्हीं में से एक जरूरी हॉर्मोन है थायरॉइड हॉर्मोन। थायरॉइड हॉर्मोन की मात्रा में कमी या फिर अधिकता के कारण शरीर की अन्य क्रियाएं भी प्रभावित होती है। गले में स्थित थायरॉइड ग्लैंड बटरफ्लाई शेप की होती है, जिससे थायरॉइड हॉर्मोन का सिकरीशन होता है। ये हॉर्मोन मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाता है। मेटाबॉलिज्म प्रोसेस की मदद से शरीर फूड और ऑक्सीजन को एनर्जी के रूप में कंवर्ट करता है। थायरॉइड हॉर्मोन हार्ट, ब्रेन और शरीर के अन्य ऑर्गन के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए भी जरूरी होता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको थायरॉइड की समस्या और कोलेस्ट्रॉल (Thyroid issues and cholesterol) के बारे में अहम जानकारी देंगे और बताएंगे कि क्या थायरॉइड की समस्या कोलेस्ट्रॉल लेवल में परिवर्तन कर सकती है या किसी समस्या का कारण बन सकती है।
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थायरॉइड की समस्या और कोलेस्ट्रॉल (Thyroid issues and cholesterol)
थायरॉइड की समस्या और कोलेस्ट्रॉल (Thyroid issues and cholesterol) के बारे में जानने से पहले आपको थायरॉइड हॉर्मोन और कोलेस्ट्रॉल के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। जैसा कि हमने आपको अभी बताया कि हमारे शरीर में अगर किसी हॉर्मोन का लेवल बिगड़ जाता है या फिर उसमें गड़बड़ी हो जाती है, तो ऐसे में शरीर के अन्य कार्य में बुरा प्रभाव पड़ता है। ब्रेन में पाई जानी वाली पियूष ग्रंथि (Pituitary gland) थायरॉइड एक्टिविटी को डायरेक्ट करती है। जब थायरॉइड हॉर्मोन लो हो जाता है, तो टीएसएच (Thyroid-stimulating hormone) रिलीज होता है। टीएसएच थायरॉइड ग्लैंड को अधिक हॉर्मोन रिलीज करने के लिए कहता है। वहीं बात करें कोलेस्ट्रॉल कि, तो कोलेस्ट्रॉल फैट की तरह होता है और ब्लड में पाया जाता है। ये एलडीएल (LDL) और एचडीएल (HDL) प्रकार का होता है। एलडीएल (LDL) कोलेस्ट्रॉल से हार्ट के लिए बुरा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है, वहीं एचडीएल (HDL) कोलेस्ट्रॉल को हार्ट के लिए अच्छा माना जाता है। गुड कोलेस्ट्रॉल (Good cholesterol) शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad cholesterol) को कम करने का काम करता है और हार्ट डिजीज (Heart disease) के खतरे को भी कम करता है।
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थायरॉइड की बीमारी से कोलेस्ट्रॉल का क्या है संबंध?
शरीर को कोलेस्ट्रॉल बनाने के लिए थायरॉइड हॉर्मोन की जरूरत होती है। वहीं कोलेस्ट्रॉल को कम करने में थायरॉइड हॉर्मोन का कोई रोल नहीं होता है। जब थायरॉइड हॉर्मोन का लेवल कम (Hypothyroidism) हो जाता है, तो शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है, जो कि हार्ट के लिए अच्छा नहीं होता है। ब्लड में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ता जाता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने के लिए थायरॉइड हॉर्मोन का लेवल बहुत कम होना जरूरी नहीं है। द जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंडोक्रायनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित एक रिपोर्ट की मानें, तो हाय टीएसएच (Thyroid-stimulating hormone) लेवल कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाने का काम कर सकता है, यदि थायरॉइड हॉर्मोन लेवल लो न हो। जबकि हायपरथायरॉडिज्म का कोलेस्ट्रॉल पर उल्टा प्रभाव हो सकता है। ये कोलेस्ट्रॉल लेवल को असामान्य तरीके से कम कर सकता है। अंडरएक्टिव थायरॉइड ग्लैंड (Underactive thyroid gland) होने पर निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं।
- वेट बढ़ना (weight gain)
- हार्ट बीट धीमी होना (slow heartbeat)
- ठंड के प्रति संवेदनशीलता बढ़ना
- मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी
- रूखी त्वचा
- कब्ज की समस्या (Constipation)
- ध्यान केंद्रित करने में समस्या
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थायरॉइड की समस्या और कोलेस्ट्रॉल: थायरॉइड हॉर्मोन की कराएं जांच
अगर आपको थायरॉइड संबंधि लक्षण जैसे कि वजन का तेजी से घटना या बढ़ना, कमजोरी का एहसास, हार्टबीट का अचानक से तेज हो जाना, बालों का झड़ना, भूलने की समस्या आदि लक्षण नजर आ रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और ब्लड टेस्ट कराना चाहिए। जांच से थायरॉइड के ओवरएक्टिव या फिर अंडरएक्टिव होने के बारे में जानकारी मिल जाती है। अगर आप हाय या लो कोलेस्ट्रॉल से संबंधित समस्या से जूझ रहे हैं, तो भी आपको डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए। टीएसएच के स्तर और थायरॉक्सिन नामक थायरॉइड हार्मोन के लेवल को चेक करके नियमित दवा का सेवन करना जरूरी हो जाता है। डॉक्टर आपको थायरॉइड हॉर्मोन रिप्लेसमेंट मेडिसिन लेवोथायरॉइड (Levothyroxine) लेने की सलाह दे सकते हैं। अगर आपका थायरॉइड लेवल थोड़ा कम होता है, तो आपको थायरॉइड हॉर्मोन रिप्लेसमेंट की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में डॉक्टर स्टेटिंस या कोलेस्ट्रॉल को कम करने की दवा दे सकते हैं।
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कैसे होती है कोलेस्ट्रॉल की जांच?
थायरॉइड की समस्या और कोलेस्ट्रॉल (Thyroid issues and cholesterol) के बारे में आपको पता चल गया होगा। आपको कोलेस्ट्रॉल टेस्ट के बारे में भी पता होना चाहिए। कम्प्लीट कोलेस्ट्रॉल टेस्ट को लिपिड पैनल फिर लिपिड प्रोफाइल के नाम से भी जाना जाता है। डॉक्टर टेस्ट के माध्यम से ब्लड में गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा की जांच करते हैं। साथ हील ब्लड में ट्रायग्लिसराइड की भी जांच की जाती है।
जो लोग मोटे होते हैं या फिर एल्कोहॉल का अधिक सेवन करते हैं या स्मोकिंग करते हैं, खराब लाइफस्टाइल अपनाते हैं, उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल हाय होने की अधिक संभावना होती है और ऐसे लोगों को हार्ट संबंधी रिस्क भी अधिक होता है। थायरॉइड लेवल और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करना, खाने में हेल्दी फूड्स को शामिल करना, खाने की बुरी आदतों से दूर रहना आदि बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है। अगर आपको हाय कोलेस्ट्रॉल या फिर थायरॉइड संबंधी समस्याओं के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और जांच कराएं।
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पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में थायरॉइड संबंधी समस्या अधिक पाई जाती है। अगर आपको थायरॉइड प्रॉब्लम हो, तो आपको समय पर जांच करानी चाहिए और साथ ही रोजाना समय पर दवा का सेवन भी करना चाहिए। आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए कि खाने में क्या शामिल करें और किन चीजों से दूरी बनाएं। अगर आप थायरॉइड की बीमारी का इलाज नहीं कराते हैं. तो आपको शरीर में अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको थायरॉइड की समस्या और कोलेस्ट्रॉल (Thyroid issues and cholesterol) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
कोलेस्ट्रॉल से संबंधित है आपको जानकारी, तो खेलें क्विज-
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