गैस्ट्राइटिस… जितना कठिन ये नाम सुनने में लगता है, उतना की ज्यादा ये पीड़ादायक भी होता है। अक्सर गलत खानपान या अनहेल्दी हैबिट्स की वजह से गैस्ट्राइटिस की समस्या शुरू हो सकती है। अगर इस छोटी सी शारीरिक परेशानी को इग्नोर किया जाए, तो धीरे-धीरे ये परेशानी गंभीर भी हो सकती है। अगर आप हैं गैस्ट्राइटिस के मरीज तो आपको गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज (Gastritis treatment in ayurveda) कैसे किया जाता है, यह जरूर जानना चाहिए। इसके साथ ही गैस्ट्राइटिस से संबंधित जानकारियों को भी इग्नोर ना करें और पेट से जुड़ी इस परेशानी को अपने से दूर ही रखें।
- क्या है गैस्ट्राइटिस की समस्या?
- गैस्ट्राइटिस के लक्षण क्या हैं?
- गैस्ट्राइटिस के कारण क्या हैं?
- गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
चलिए अब एक-एक कर इन सवालों के जवाब तलाशते हैं, तभी तो आप रह सकते हैं स्वस्थ्य।
क्या है गैस्ट्राइटिस की समस्या? (What is Gastritis?)
गैस्ट्राइटिस को अगर सामान्य शब्दों में समझें, तो पेट में सूजन खासकर पेट की परत में सूजन या जलन जैसी स्थिति गैस्ट्राइटिस (Gastritis) कहलाती है। ऐसा तब होता है, जब पेट में अल्सर की समस्या में भाग लेने वाले बैक्टीरिया (Bacteria) ही इसके मुख्य कारण होते हैं। गैस्ट्राइटिस की समस्या दो अलग-अलग तरहों की होती हैं। एक्यूट गैस्ट्राइटिस (Acute Gastritis)और क्रोनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis)। एक्यूट गैस्ट्राइटिस की समस्या अचानक हो सकती है, जबकि क्रोनिक गैस्ट्राइटिस धीरी-धीरे पेट पर और व्यक्ति के डायजेशन (Digestion) की क्षमता पर अपना नेगेटिव प्रभाव डालती है। इस बीमारी से इसलिए डरकर नहीं, बल्कि संभलकर रहना जरूरी है, क्योंकि इससे पेट के कैंसर (Stomach Cancer) की भी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए वक्त पर गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज (Gastritis treatment in ayurveda) बेहद कारगर माना जाता है। आयुर्वेद में गैस्ट्राइटिस को पेट में सूजन की समस्या कही जाती है। गैस्ट्राइटिस के लक्षणों को कैसे समझें, यह इस आर्टिकल में आगे जानेंगे।
गैस्ट्राइटिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Gastritis)
पेट में सूजन यानी गैस्ट्राइटिस होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं या महसूस किये जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं। जैसे:
- पेट में सूजन होना।
- पेट दर्द रहना।
- खट्टी डकार आना।
- भूख नहीं लगना।
- मितली और उल्टी आना
- हिचकी आना।
- पेट में जलन महसूस होना।
- पेट खराब होना (दस्त)।
- काला मल होना।
इसके अलावा अगर तकलीफ ज्यादा है, तो निम्नलिखित लक्षण भी देखे जा सकते हैं। जैसे:
- खून की उल्टी होना।
- मल में तेज बदबू आना।
- पेट हमेशा भरा-भरा महसूस होना या खाने की इच्छा ना होना।
- घबराहट महसूस होना।
- मल में खून आना।
गैस्ट्राइटिस के मरीजों में ये लक्षण बेहद आसानी से देखे जा सकते हैं या पेशेंट खुद भी महसूस कर सकते हैं। अगर आपको ऐसी लक्षणें दिखाई दें या इनमें से कोई भी लक्षण समझ आये, तो देर ना करें और डॉक्टर से कंसल्ट करें, क्योंकि गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज कर इस तकलीफ को दूर किया जा सकता है। वैसे तकलीफ को दूर करने के लिए इसके कारणों को समझना बेहद जरूरी होता है।
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गैस्ट्राइटिस के कारण क्या हैं? (Cause of Gastritis)
पेट में सूजन निम्नलिखित कारणों से हो सकती है। जैसे:
- नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेट्री ड्रग्स (Non-steroidal Anti-inflammatory Drugs) का सेवन अत्यधिक करना।
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन ज्यादा करना।
- कोकीन (Cocaine) का सेवन करना।
- अत्यधिक तनाव (Stress) में रहना।
- रेडिएशन (Radiation) थेरिपी लेना।
- छोटी आंत (Small intestine) संबंधी परेशानी होना।
- क्रोहन डिजीज (Crohn’s disease) की समस्या।
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) की परेशानी।
- सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis) की समस्या।
- फूड एलर्जी (food allergies) होना।
- फंगल डिजीज (Fungal disease) होना।
- बैक्टीरियल (Bacterial) बीमारी होना।
- वायरल इंफेक्शन (Viral Infections) की समस्या होना।
पेट में सूजन इन ऊपर बताये कारणों की वजह से होती है।
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गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? (Gastritis treatment in ayurveda)
पेट में सूजन का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित तरह से किया जाता है। जैसे:
- अभ्यंग- कई अलग-अलग तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण तैयार किया जाता है। अब इस मिश्रण को पूरे शरीर या फिर सिर्फ पेट के लिस्से पर लगाया जाता है। इससे पेट में सूजन और पेट में इंफेक्शन की परेशानी को दूर किया जाता है। अगर मरीज को हायपरएसिडिटी (Hyperacidity) की वजह से गैस्ट्राइटिस की समस्या हुई है, तो गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज चंदन के तेल और लाक्षादि तेल से भी किया जा सकता है। इन दो अलग-अलग तरह की तेलों से शरीर की मालिश की जाती है।
- वमन- गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज वमन विधि द्वारा किया जाता है। इस विधि में अलग-अलग तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण तैयार किया जाता है। इस मिश्रण का सेवन मरीज को करवाया जाता है, जिससे मरीज उल्टी करते हैं। इससे पेट की सफाई होती है, विषाक्त पदार्थ बाहर आते हैं और अगर कफ की समस्या मरीज को है, तो उसे भी वमन विधि द्वारा निकाला जाता है। वमन पद्धति से पेट की सूजन एवं जलन की तकलीफ दूर होती है और पाचन तंत्र (Digestive system) मजबूत होता है।
- विरेचन- इस विधि से मल के माध्यम से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद मिलती है। कई अलग-अलग तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण तैयार कर मरीज को इसका सेवन करवाया जाता है, जिससे मल के साथ विषाक्त (Toxine) पदार्थ या कफ को शरीर से अलग किया जाता है।
अभ्यंग, वमन और विरेचन विधि मरीज की स्थिति पर निर्भर करती है कि किन्हें कौन सी विधि से फायदा मिल सकता है। हालांकि गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी बूटी एवं आयुर्वेदिक दवाओं से भी किया जाता है, जिसके बारे में आगे जानेंगे।
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गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज किन जड़ी-बूटियों से किया जाता है? (Gastritis treatment in ayurveda)
पेट में सूजन की परेशानी को दूर करने के लिए निम्नलिखित जड़ी बूटियों के सेवन की सलाह दी जा सकती है। इनमें शामिल है:
- शतावरी- इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट (Antioxidant), एंटी-इंफ्लमेटरी (Anti Inflammatory) और एंटी-डिप्रेसेंट (Anti depressant) जैसे तत्व मौजूद होने के कारण इसे क्वीन ऑफ हर्ब (औषधि की रानी) भी कहा जाता है। इसके सेवन से इम्यून सिस्टम (Immune System) को मजबूत बनाये रखने में मदद मिलती है। इसलिए गैस्ट्राइटिस पेशेंट्स को इसके सेवन की सलाह दी जाती है।
- भृंगराज- इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट्स (Antioxidant) जैसे- फ्लैवानॉयड (Flavonoid) और एल्कलॉइड (Alconoid) शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करते हैं। इसके सेवन से बालों को झड़ने (Hair fall) से बचाने में मदद मिलती है। वहीं भृंगराज किडनी (Kidney), लिवर (Liver) और पेट (Stomach) की बीमारियों से रक्षा करने में सहायक माना जाता है। इसलिए गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज भृंगराज से भी किया जाता है।
- आमलकी- यह जड़ी बूटी ठंडी प्रवृत्ति की मानी जाती है और इसमें मौजूद औषधीय गुण शरीर को ऊर्जा (Energy) प्रदान करने में भी सहायक है। इसलिए यह गैस्ट्राइटिस मरीजों के लिए रामबाण की तरह काम करता है।
गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज इन 3 जड़ी बूटियों से विशेष रूप से किया जाता है। हालांकि अगर इन जड़ी बूटियों से अगर मरीज को राहत ना मिले तो अन्य जड़ी बूटी के सेवन की सलाह दी जा सकती है।
नोट: शतावरी, आमलकी एवं भृंगराज बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हैं, लेकिन आप इनका सेवन अपनी इच्छा अनुसार ना करें। इन जड़ी बूटियों के सेवन से लाभ मिले, इसलिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से कंसल्ट करें और फिर इसकासेवन उचित मात्रा में सेवन करें।
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गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज किन-किन औषधियों से किया जाता है? (Ayurvedic treatment for Gastritis)
पेट में सूजन की तकलीफ को दूर करने के लिए निम्नलिखित आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन की सलाह दी जाती है। जैसे:
- लघु सूतशेखर रस
- सूतशेखर रस
- शतपत्रादि चूर्ण
- कामदुधा रस
- नारिकेल लवण क्षार
- कर्पदक भस्म
इन अलग-अलग आयुर्वेदिक औषधियों से गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है।
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गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज किन-किन बातों का ध्यान रखें? (Tips for Gastritis patients)
पेट में सूजन की परेशानी को दूर करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखें। जैसे:
- मसालेदार खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
- फ्रीज का ठंडा पानी ना पिएं।
- ठंडा खाना ना खाएं।
- ताजा खाना खाएं।
- फाइबर युक्त आहार (Fiber rich food) का सेवन करें।
- पानी एवं तरह पदार्थों का सेवन करें।
- हरी सब्जियों का सेवन करें।
- मेडिटेशन (Meditation) करें ।
- टेंशन (Tension) फ्री रहें।
इन ऊपर बताये बातों को ध्यान में रखकर गैस्ट्राइटिस की परेशानी को दूर करने में मदद मिलेगी।
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नोट: अगर आपको कोई बीमारी है जैसे हार्ट डिजीज (Heart disease), ब्लीडिंग (Bleeding) या कोई अन्य शारीरिक परेशानी, तो इसकी जानकारी अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ को जरूर दें। वहीं अगर आप गर्भवती (Pregnant) हैं, तो यह भी हेल्थ एक्सपर्ट को जरूर बताएं।
अगर आप गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज (Gastritis treatment in ayurveda) या गैस्ट्राइटिस की परेशानी से जुड़ी किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। ध्यान रखें किसी भी बीमारी का इलाज खुद से ना करें और कोई भी बीमारी या शारीरिक परेशानी होने पर अपने करीबी और डॉक्टर से बात करें और स्वस्थ्य रहें।
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