बॉडी के हर एक ऑर्गेन के अपने अलग-अलग फंक्शन होते हैं। किसी भी अंग, अब चाहें वो इंटरनल ऑर्गेन हो या एक्सटरनल ऑर्गेन में कोई परेशानी महसूस होती है, तो बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वैसे किसी भी बीमारी से बचने का सबसे अच्छा विकल्प है कि हेल्दी खाना खाएं और हेल्दी लाइफ स्टाइल फॉलो करें, लेकिन कई लोग वैसे भी होते हैं, जो अपने आपको फिट रखने की पूरी कोशिश करते हैं। हालांकि कभी-कभी ये कोशिशें भी आपका साथ निभाने में पीछे रह जाती हैं। खैर जो भी हो, लेकिन अगर शारीरिक बदलाव पर नजर रखा जाए, तो गंभीर परेशानियों से बचा जा सकता है। आज इस आर्टिकल में यूरिन क्रिस्टल (Urine Crystals) से संबंधित खास जानकारी आपसे शेयर करेंगे।
- क्या है यूरिन क्रिस्टल?
- क्या यूरिन क्रिस्टल अलग-अलग तरह के होते हैं?
- यूरिन क्रिस्टल के लक्षण क्या हैं?
- यूरिन क्रिस्टल के कारण क्या हैं?
- यूरिन क्रिस्टल का निदान कैसे किया जाता है?
- यूरिन क्रिस्टल का इलाज कैसे किया जाता है?
चलिए अब एक-एक कर इन सवालों के जवाब जानते हैं।
क्या है यूरिन क्रिस्टल? (What is Urine Crystal?)
जब व्यक्ति के यूरिन में जरूरत से ज्यादा खनिज यानि मिनिरल्स बनने लगते हैं, तो यूरिन में क्रिस्टल बनने लगते हैं। ऐसा दरअसल तब होता है, जब शरीर में प्रोटीन (Protein) या विटामिन (Vitamin) की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है। वैसे ये खतरनाक नहीं होता है, लेकिन अगर प्रोटीन (Protein) या विटामिन (Vitamin) का लेवल अत्यधिक हो जाए, तो यूरिन क्रिस्टल (Urine Crystal) की समस्या हो सकती है। यूरिन क्रिस्टल को एक और मेडिकल टर्म क्रिस्टलोरिया (Crystalluria) के नाम से भी जाना जाता है। अगर क्रिस्टलोरिया की समस्या ज्यादा होने लगे, तो किडनी स्टोन (Kidney stone) का खतरा बढ़ जाता है। इस आर्टिकल में अब सबसे पहले जान लेते हैं यूरिन क्रिस्टल के अलग-अलग प्रकारों को।
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क्या यूरिन क्रिस्टल अलग-अलग तरह के होते हैं? (Types of Urine Crystal)
यूरिन क्रिस्टल 4 अलग-अलग तरह के होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
1. स्ट्रवाइट (Struvite)- स्ट्रवाइट की समस्या फॉस्फेट (Phosphate), अमोनियम (Ammonium), मैग्नेसियम (Magnesium) और कैल्शियम (Calcium) लेवल शरीर में ज्यादा होने की स्थिति होती है। ऐसी स्थिति में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) की समस्या ज्यादा होती है और पेशाब करने में कठिनाई भी महसूस होती है।
2. यूरिक एसिड स्टोन (Uric acid stones)- नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार एसिडिक यूरिन की वजह से होता है। अगर किसी व्यक्ति को यूरिक एसिड (Uric acid) स्टोन की समस्या होती है, तो उन्हें पेशाब कम लगती है और यूरिन पास करने में भी कठिनाई होती है। वहीं यूरिक एसिड स्टोन की समस्या हार्ट प्रॉब्लम (Heart disease) एवं डायबिटीज (Diabetes) जैसी गंभीर बीमारियों को भी दावत दे सकती है।
3. कैल्शियम ऑक्सलेट (Calcium oxalate)- नैशनल किडनी फाउंडेशन (National Kidney Foundation) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार किडनी स्टोन की समस्या का मुख्य कारण कैल्शियम ऑक्सालेट ही होती है। कैल्शियम ऑक्सलेट प्राकृतिक रूप से हर खाद्य पदार्थ में मौजूद होता है और यह हमारे शरीर में भी बनता है। वहीं रिसर्च के अनुसार कैल्शियम ऑक्सलेट की वजह से इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome), क्रोहन रोग (Crohn’s disease) और ओबेसिटी (Obesity) का खतरा भी बना रहता है। ऐसा दरअसल प्रोटीन, सोडियम, शुगर एवं ऑक्सालेट का सेवन सामान्य से ज्यादा करने की वजह से होता है। ऐसी स्थिति में डिहाइड्रेशन भी होने की संभावना ज्यादा होती है।
4. सिस्टाइन स्टोन (Cystine stones)- नैशनल किडनी फाउंडेशन (NKF) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार सिस्टाइन स्टोन, किडनी स्टोन से बड़ा होता है। यह जेनेटिक डिसॉर्डर की वजह से होने वाली परेशानी और यह रेयर डिजीज की लिस्ट में भी शामिल है।
शुरुआती स्टेज में क्रिस्टलोरिया (Crystalluria) को समझना मुश्किल है, लेकिन अगर लक्षणों पर गौर करें, तो इस तकलीफ को भी जल्द से जल्द दूर किया जा सकता है। इसलिए यूरिन क्रिस्टल के लक्षणों को समझना जरूरी है।
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यूरिन क्रिस्टल के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Urine Crystal)
यूरिन क्रिस्टल के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- पेशाब से खून आना।
- जी मिचलाना।
- लोअर बैक (Lower back) में दर्द होना।
- बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना।
- यूरिन पास करने में कठिनाई महसूस होना।
- पेशाब करने में जलन महसूस होना।
- पैल्विक (Pelvic) एरिया में दर्द महसूस होना।
- पेशाब से झाग आना।
- पेशाब से अत्यधिक बदबू आना।
- बुखार (Fever) आना।
यूरिन क्रिस्टल (Urine Crystal) होने पर ऊपर बताये लक्षण महसूस किये जा सकते हैं या देखे जा सकते हैं। अगर आपको यूरिन संबंधित कोई परेशानी महसूस हो, तो इसे इग्नोर ना करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्टेशन करें। यूरिन संबंधित परेशानी क्रिस्टलोरिया (Crystalluria) के कारणों को समझना बेहद जरूरी है।
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यूरिन क्रिस्टल के कारण क्या हैं? (Cause of Urine Crystal)
यूरिन में अधिक मात्रा में खनिज मौजूद होने पर मूत्र में क्रिस्टल बन लगते हैं। वहीं कभी-कभी, प्रोटीन या नमक बहुत अधिक मात्रा में खाने से यूरिन क्रिस्टल (Urine Crystal) की समस्या शुरू हो जाती है। वहीं अगर शरीर में पानी की कमी हो जाए, तो ऐसी स्थिति में भी यूरिन क्रिस्टल की समस्या होने के संभावना बनी रहती है। अगर इन बातों को संछेप में समझा जाए, तो-
- अत्यधिक प्रोटीन (Protein) का सेवन करना।
- ज्यादा नमक (Salt) खाना।
- पानी कम पीना या तरल पदार्थों का सेवन आवश्यकता से कम करना (डिहाइड्रेशन [Dehydration])।
ये 3 मुख्य कारण हैं, जो यूरिन क्रिस्टल की समस्या पैदा करते हैं।
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यूरिन क्रिस्टल का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Urine Crystal)
क्रिस्टलिया यानि यूरिन क्रिस्टल की समस्या होने पर डॉक्टर पेशेंट को यूरिन टेस्ट की सलाह देते हैं। अगर यूरिन टेस्ट (Urine Test) में क्रिस्टल होने की रिपोर्ट मिलती है, तो अन्य टेस्ट की भी सलाह दी जा सकती है। इस दौरान अगर यूरिन में बिलीरुबिन (Bilirubin) की उपस्थिति नजर आती है, तो अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) की भी सलाह देते हैं डॉक्टर। अगर यूरिन क्रिस्टल की समस्या हाय कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की वजह से होती है, तो ब्लड टेस्ट (Blood Test) की भी सलाह दी जा सकती है।
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यूरिन क्रिस्टल का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Urine Crystal)
यूरिन क्रिस्टल का इलाज उसके प्रकार पर निर्भर करता है, जो हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर ओवर-द-काउंटर (OTC) दर्द निवारक दवाओं (Pain killer medicine) के सेवन की सलाह देते हैं। ज्यादातर स्थितियों में डॉक्टर तरल पदार्थों के सेवन की सलाह ज्यादा देते हैं, जिससे स्टोन खुद यूरिन के साथ कुछ दिनों में निकल जाता है। हालांकि अगर स्टोन का साइज बड़ा हो, तो डॉक्टर इलाज के लिए निम्नलिखित विकल्प अपना सकते हैं। जैसे:
- शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (Shock wave lithotripsy), यह एक सोनोग्राफिक तकनीक है, जिसकी मदद से स्टोन को तोड़ा जाता है और फिर उसे शरीर से बाहर निकाला जाता है।
- सिस्टोस्कॉपी (Cystoscopy) और यूरेटेरोस्कोपी (Ureteroscopy) की मदद से भी बड़े स्टोन को शरीर से निकाला जाता है।
- परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (Percutaneous Nephrolithotomy)- परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी की प्रक्रिया का इस्तेमाल आमतौर पर बड़े आकार के स्टोन को निकालने के लिए किया जाता है
- इन ऊपर बताये तरीकों से क्रिस्टलिया (Crystalluria) का इलाज किया जाता है। वहीं यूरिन क्रिस्टल की समस्या से बचने के लिए कुछ खास टिप्स भी फॉलो किये जा सकते हैं।
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यूरिन क्रिस्टल की समस्या से बचने के लिए टिप्स (Tips to avoid Urine Crystal)
क्रिस्टलिया या यूरिन क्रिस्टल की समस्या बचने के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें। जैसे:
- ज्यादा से ज्यादा पानी या तरल पदार्थों का सेवन करें। ऐसा करने से आप डिहाइड्रेशन (Dehydration) की समस्या से बच सकते हैं।
- अनार का सेवन करें, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) जैसे गुण होते हैं, जो शरीर में स्टोन का निर्माण नहीं होने देते हैं। वहीं अगर किसी व्यक्ति को स्टोन की समस्या है, तो अनार के नियमित सेवन से स्टोन को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
- तुलसी (Basil) का सेवन भी लाभकारी माना जाता है, क्योंकि इसमें एसेटिक एसिड होता है, जो किडनी स्टोन (Kidney Stone) को टूटने में मददगार होता है और स्टोन की वजह से होने वाले दर्द को भी कम करने में आपकी सहायता करता है। तुलसी के सेवन से डायजेस्टिव (Digestive) और इंफ्लामेटरी डिसऑर्डर (Inflammatory disorder) की तकलीफ भी दूर होती है। दरअसल इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) और एंटी इन्फलामेटरी (Anti inflammatory) एजेंट किडनी को स्वस्थ्य बनाये रखने में मदद करते हैं।
- स्टोन की परेशानी को दूर करने के लिए या इससे बचने के लिए एप्पल साइडर विनेगर (Apple Cider Vinegar) भी बेहद लाभकारी माना जाता है। दरअसल इसमें मौजूद भरपूर मात्रा में सिट्रिक एसिड (Citric acid) जमे हुए मिनरल्स और सॉल्ट को मिलने में मदद करता है।
- व्हीटग्रास (Wheatgrass) का सेवन भी स्टोन की परेशानी को दूर करने में मददगार है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट यूरिनरी ट्रैक्ट से मिनरल और सॉल्ट के जमाव को कम करता हैं, जिससे रुक-रुक कर यूरिन प्रॉब्लम दूर होती है और स्टोन की समस्या भी दूर होती है।
अगर आप यूरिन क्रिस्टल (Urine Crystals) से जुड़ी किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। ध्यान रखें किसी भी बीमारी का इलाज खुद से ना करें और कोई भी बीमारी या शारीरिक परेशानी होने पर अपने करीबी और डॉक्टर से बात करें और स्वस्थ्य रहें।
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