आज के समय में शायद ही कोई ऐसा कोई हो, जिसे तनाव न हो। यह जरूरी नहीं है कि तनाव हमेशा किसी बड़ी बात पर ही हो, छोटी-छोटी चीजों में भी लोगों को तनाव हो सकता है। अगर ध्यान दें, तो आपने अपने आसपास अक्सर किसी को बाेलते हुए सुना ही होगा कि इतना तनाव क्यों ले रहे और पैनिक क्यों हो रहे हो। ऐसे स्थिति में लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि उन्हें हो क्या रहा है, एंग्जायटी अटैक या पैनिक अटैक। सबसे पहली बात कि लोग अक्सर इन दोनों में फर्क नहीं समझ पाते हैं। लेकिन इसे जानना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। जैसे कि अगर आपको कुछ महीनों से किसी काम को लेकर चिंता हो रही है, उदाहरण के तौर पर नौकरी को लेकर, तो ऐसी स्थिति में आपको एंग्जायटी अटैक हो सकता है। लेकिन अगर ड्राइविंग करते समय अचानक से डर लगने लगे, तो वो पैनिक अटैक होगा। तो आइए जानें कि ये है क्या:
पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक क्या है? (Difference Between a Panic Attack and an Anxiety Attack)
अक्सर लोग तनाव और पैनिक, इन दोनों शब्दों को एक ही समझते हैं। पर ऐसा नहीं है, यह दोनों ही एक-दूसरे से अलग हैं। पैनिक अटैक अचानक से होता है, इसका कोई कारण नहीं होता है। यह अचानक से कहीं भी और कभी भी हो सकता है। लेकिन कई बार इसका कारण डर भी हो सकता है। पैनिक अटैक पड़ने पर मरीज को डर की वजह से घबराहट होने लगती है। यह एक प्रकार का मेंटल डिसऑर्डर है। जबकि, एंग्जायटी अटैक पहले से चल रहे किसी तनाव के कारण होती है। इसके होने का कारण होता है। दोनों एक दूसरे से बहुत अलग हैं। एंग्जायटी अटैक में दिल कि धड़कन तेज होने लगती है। इसलिए पहले आपका इन दोनों में फर्क समझना बहुत जरूरी है। एंग्जायटी अटैक को साइकियाट्रिक डिसऑर्डर कहा जाता है।
डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैन्युअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर के लेटेस्ट एडिशन के अनुसार पैनिक अटैक और एंग्जायटी दोनों में काफी अंतर होता है। एंग्जायटी अटैक में ऐसे भी कुछ लक्षण दिखते हैं, जोकि साइकियाट्रिक डिसऑर्डर की तरह महसूस होते हैं। एंग्जायटी के लक्षणों में स्ट्रेस, तनाव, एक ही बात को सोचते रहना, चिंता और घबराहट शामिल होता है। एंग्जायटी आमतौर पर किसी स्थिति या तनाव के कारण होती है। पैनिक अटैक किसी डर में आकर होता है।
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पैनिक अटैक (Panic Attack) के लक्षण क्या हैं?
पैनिक अटैक के दिखने वाले लक्षण कुछ इस प्रकार के हैं, जैसे कि:
- अचानक से घबराहट होना
- काम मे मन न लगना
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- शरीर का कांपना
- सांस लेने में तकलीफ महसूस करना
- उल्टी महसूस होना
- गला सूखना
- चक्कर आना
- दिल की धड़क्कन तेज होना
- आंखों के सामने अंधेरा छा जाना
- ब्लड प्रेशर हाय होना
एंग्जायटी अटैक (Anxiety Attack) के लक्षण क्या हैं?
एंग्जायटी अटैक के लक्षण भी काफी हद तक पैनिक अटैक से मिलते-जुलते होते हैः
- घबराहट होना और बैचनी होना
- हार्ट बीट तेज होना
- पसीना आना
- सीने में तेज दर्द होना
- सांस लेने में कठिनाई महसूस करना
- मन में बुरे विचार आना
पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक में फर्क
पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक में अगर आप फर्क समझना चाहते हैं, तो आप इन बातों पर गौर करें, जैसे कि:
- एंग्जायटी अटैक हमेशा तनाव के कारण होता है और पैनिक अटैक का कोई कारण नहीं होता है।
- पैनिक अटैक कुछ समय के लिए होता है, पर एंग्जायटी अटैक लंबे समय के लिए होता है।
- पैनिक अटैक में डर महसूस हो सकता है, पर एंग्जायटी में घबराहट।
- एंग्जायटी अटैक से व्यक्ति डिप्रेशन में जा सकता है, लेकिन पैनिक अटैक में ऐसा नहीं होता है।
जानें पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक के कारण (Causes of Panic Attack and and Anxiety Attack)
जानें पैनिक अटैक के कारण
- नौकरी का तनाव (work Pressure)
- ड्राइविंग (Driving) के दौरान
- सोशल प्रेसर के कारण (Social pressure)
- फोबिया होने पर (Phobia)
- कोई क्रॉनिक इलनेस (Chronic illness)
- क्रॉनिक पेन (Chronic Pain)
- अल्कॉहल (Alcohol) छोड़ने पर
- कैफिन (caffeine) का अधिक सेवन
- मडिकेशन एंड सप्लिमेंट्स (Supplement)
- थाॅयराइड प्रॉब्लम ( Thyroid Problems) होने पर
इनके अलावा, और बहुत से भी कारण हो सकते हैं। जो यहां नहीं दिए गए है। जिनका अनुभव होने पर आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए।
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पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक के रिस्क फैक्टर (Risk factor)
पैनिक अटैक और एंग्जायटीअटैक के रिस्क फैक्टर लगभग मिलते -जुलते हैं। जिनमें शामिल हैं:
- ट्रॉमा में होना या कभी कोई देखा हुआ हादसा दिमाग में रह जाना, खासतौर पर बचपने में।
- लाइफ बहुत स्ट्रेस से भरी होना और हमेशा जिम्मदेारियों का तनाव रहना
- किसी गंभीर बीमारी से गुजर रहे होना
- आपको नैचुरल रूप से ज्यादा गुस्सा आना
- पहला का कोई तनाव या मेंटल डिसऑर्डर
- किसी से चल रहा झगड़ा
- ड्रग्स या अल्कॉहल का अधिक सेवन आदि।
ऊपर दिए गए कारण लोगों में पैनिक अटैक या एंग्जायटीअटैक के रिस्क फैक्टर को बढ़ा देते हैं। इससे समय रहते निकलता बहुत जरूरी है।
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पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक का निदान
- एंग्जायटी के लक्षण (Anxiety Symptoms)
- एग्जायटी डिऑर्डर (Anxiety Disorder)
- पैनिक अटैक (Panic Attack)
- पैनिक डिसऑर्डर (Panic Disorder)
अगर आप में इस तरह के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो आपको डॉक्टर से मिलकर बात करनी चाहिए।
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एंग्जायटी अटैक और पैनिक अटैक बढ़ने के रिजन
एंग्जायटी अटैक और पैनिक अटैक इन स्थितियों में और ज्यादा बढ़ सकते हैं, जैसे कि:
- मन का बेचैन और घबराहट महसूस होना
- मेंटल डिसऑर्डर होना
- अवसाद की समस्या बढ़ने पर
- परिवार के तनाव का माहौल होने पर
- थायरॉयड विकार, डायबिटीज या हार्ट पेशेंट में यह समस्या ज्यादा हो सकती है
- शराब का सेवन करने पर
- कोई बिजनेस प्रॉब्लम होने पर या फाइनेंशियल लॉस होने पर
- तलाक या ब्रेकअप होने पर
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एंग्जायटी और पैनिक अटैक हाेने पर क्या करें
एंग्जायटी और पैनिक अटैक होने पर आपको सबसे पहले डाॅक्टर से मिलना चाहिए। उन्हें अपनी समस्या और यदि कोई तनाव है, तो उसका कारण उन्हें बताएं। उनके द्वारा बताए गए लाइफस्टाइल चेंजेज को भी फॉलो करें। इसके अलावा ऐसी स्थिति में आप कुछ उपायों को अपना सकते हैं, जैसे कि:
ब्रिद्रिग एक्सरसाइज करें– पैनिक या एंग्जायटी अटैक के समय अगर सांस कम होने लगती है तो आपक धीरे-धीरे सांस अंदर और बाहर की तरफ करने की कोशिश करें। जैसे आप अलोम-विलोम योग करते हैं। कोशिश करें इसे योग के तौर पर रोज करें।
मेंटल हेल्थ को कंट्रोल में रखें – अगर आपको पहले कभी पैनिक या एंग्जायटी अटैक पड़ चुका है, तो आपको यह दोबारा भी हो सकता है, तो उस स्थिति में आपको कैसे खुद को संभालना है, इसका अनुभव हो चुका होगा आपको। जब आपको यह अटैक लगे तो खुद को संभालने की कोशिश करें।
हर रोज एक्सरसाइज करें : मन और शरीर को रिलैक्स करने वाली एक्सरसाइज करें। इसके अलावा कुछ लाफ्टर थेरिपी भी जॉइन कर सकते हैं। इससे भी आपको काफी आराम होगा। इससे आपके शरीर में रक्त संचार भी अच्छा होगा और आपको नींद भी अच्छी आएगी। इस तरह की थेरिपी काफी प्रभावकारी होती हैं।
नींद : भरपूर नींद लें, ताकि आप अपने तानव को कम कर सकें। कई बार नींद न पूरी होने पर भी लोगों को यह समस्या होने लगती हे। जिसके कारण उन में पैनिक अटैक की समस्या और भी बढ़ सकती है। क्योंकि कई बार नींद पूरी न होने पर भी लोगों को ऐसा महसूस हो सकता है।
यदि आपमें पैनिक अटैक या एंग्जायटीअटैक की समसया है, तो आपके लिए जरूरी है कि आप इस बारे में डॉक्टर से बात करें। दोनों एक से लगते हैं, पर है नहीं। काफी फर्क है दोनों में। लेकिन जरूरी यह है कि आप अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करते हुए, उन कारणों को दूर करें। जिसके कारण आपमें यह समस्या बढ़ सकती है। इसके अलावा खुद की मेंटल हेल्थ को अच्छा रखने की कोशिश करें।