ऑफिस में प्रेजेंटेशन देना हो या फर्स्ट डेट पर जाना हो, ऐसी स्थिति में थोड़ी-सी घबराहट होना एक आम बात है। आमतौर पर इस तरह की सामाजिक परिस्थितियों में सभी लोग नर्वस हो जाते हैं। मगर यह घबराहट जब काफी लंबे समय तक बनी रहे और जीवन को बुरी तरीके से प्रभावित करने लगे तो यह ‘सोशल फोबिया’ का एक लक्षण माना जाता है। ज्यादातर सोशल फोबिया की शुरुवात किशोरावस्था में देखने को मिलती है, हालांकि यह समस्या कभी-कभी छोटे बच्चों या वयस्कों में भी देखी जा सकती है।
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क्या है सोशल फोबिया (Social Fobia)?
दरअसल, सोशल फोबिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति किसी के सामने बोलने से काफी घबराते हैं, चाहे वो कोई अंजान हो या जानने वाला! कभी-कभी स्थिति इतनी बुरी हो जाती है, कि ऐसे लोग रेस्टोरेंट या बाजार में खाना खाने या सार्वजानिक जगहों पर टॉयलेट करने से भी कतराते हैं। लोगों और समाज से दूर भागने की इस सामाजिक डर को सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है।
क्या हैं कारण?
आनुवंशिक
यह समस्या जेनेटिक भी हो सकती है। यदि किसी के माता-पिता को यह बीमारी हो तो बच्चों में भी सोशल फोबिया होने की संभावना होती हैं।
मस्तिष्क की बनावट
दिमाग का एक हिस्सा जिसे अमिग्डाला कहते है, जिसका काम डर पर की गई प्रतिक्रिया को नियंत्रित करना होता है। यदि दिमाग का यह भाग ज्यादा सेंसिटिव है, तो ऐसा व्यक्ति सोशल फोबिया से ग्रस्त हो सकता है।
नकारात्मक अनुभव
जीवन की कुछ नकारात्मक घटनाएं भी सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर का एक कारण हो सकती हैं। कई लोगो के साथ अतीत में कुछ ऐसी बुरी घटनाएं घट जाती है, जिसके कारण वे दूसरों का सामना करने से डरते हैं।
वातावरण
माता-पिता का जरूरत से ज्यादा बच्चों को कंट्रोल करना या ज्यादा सुरक्षा देना भी एक कारण हो सकता है।
स्वभाव
जो बच्चे शर्मीले और डरपोक होते हैं उनमें आगे जाकर सोशल फोबिया होने की संभावना अधिक होती है।
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स्वास्थ्य स्थिति
बीमारी की वजह से भी सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर हो सकता है। जैसे आप स्किन की एक ऐसी बीमारी से पीड़ित हैं जिससे दूसरों का ध्यान आपके खराब चेहरे पर पड़ता है, तो आप खुद को दबा हुआ पाएंगे। लंबे समय तक बनी हुई ऐसी स्थिति सोशल फोबिया का कारण बन सकती है।
कैसे सोशल फोबिया (Social Phobia) को पहचाने?
सोशल फोबिया की समस्या से गुजरते हूए एक व्यक्ति में कुछ शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहार संबंधी लक्षणों को देखा जा सकता है। ये लक्षण व्यक्ति के दैनिक जीवन और संबंधों को बहुत प्रभावित कर सकते हैं।
शारीरिक लक्षण
- मांसपेशियों में खिंचाव
- पेट की परेशानी
- बहुत ज़्यादा पसीना आना
- सूखा गला और मुंह
- सांस लेने में परेशानी
- हाथ या आवाज़ कांपना
- दिल की धड़कन बढ़ जाना
- चक्कर या बेहोशी आना
- बात करने में कठिनाई या आवाज में कपकपी
- बहुत ज़्यादा पसीना आना
- जी मिचलाना
- हाथ/ पैर कांपना
भावनात्मक लक्षण
- अधिक चिंता और डर
- घबराहट
- अतीत में हुए नकारात्मक अनुभवों के बारे में ज्यादा सोचना
- अपमान और शर्मिंदगी के बारे में सोचना
व्यवहारिक लक्षण
- ऐसी जगह जाने से बचना जहां सबका ध्यान उन पर हो
- शर्मिंदगी के डर से कुछ गतिविधियों से बचना
- दूसरों से अलग-अलग रहना
- अत्यधिक शराब या मादक पदार्थों का सेवन
- अजनबियों के साथ बातचीत करने से डरना
कैसे करें उपचार?
- शर्मिंदगी, चिंता या घबराहट की वजह से अगर लोगों से बात करने का डर लगातार बना रहे या ऊपर बताया गया ऐसा कोई भी लक्षण दिखे तो मनोचिकित्स्क से तुरंत संपर्क करें। काउंसलर की सहायता से भी इस बीमारी पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
- डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं और थेरेपी को सही टाइम पर लें क्योंकि इससे काफी राहत मिलती है।
- उचित योगा और मेडिटेशन इस बीमारी में काफी मददगार साबित होती है।
- सोशल फोबिया के उपचार के लिए दवाओं और मनोचिकित्सा को सबसे प्रभावी उपचार माना जाता है।
- सोशल फोबिया के शिकार लोग दिमाग में बस यही सोचते रहते हैं कि कहीं लोगों के सामने बोलने की नौबत आ गई तो वो कैसे इस स्थिति का सामना करेंगे? वो कल्पना करके डरते और घबराते रहते हैं। बीमारी का समय से पता चल जाने पर इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है।