पॉजिटिव साइकोलॉजी (Positive Psychology) कहें या सकारात्मक मनोविज्ञान ये विज्ञान का वह पहलु है जिसका उद्देश्य जीवन को बेहतर बनाने के तरीकों का पता लगाना है। पॉजिटिव साइकोलॉजी के जरिए व्यक्ति को तनावमुक्त रखकर मानसिक रूप से स्वस्थ किया जाता है ताकि वह एक खुशहाल जीवन जी सके। पॉजिटिव साइकोलॉजी (सकारात्मक मनोविज्ञान ) का महत्व लाइफ को एंजॉय करने तक ही सीमित नहीं है। यह व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक विकास के लिए भी जिम्मेदार है। यह ओवरऑल डेवलपमेंट में मदद करता है।
पॉजिटिव साइकोलॉजी (सकारात्मक मनोविज्ञान ) यह बताती है कि यदि आप शुरू से ही और हमेशा अपनी मेंटल स्टेट का ख्याल रखेंगे तो आप मानसिक तनाव जैसी बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं। पॉजिटिव साइकोलॉजी (Positive Psychology) का अर्थ सिर्फ पॉजिटिव थिकिंग नहीं है। हालांकि यह उसका एक पहलू है पर ये इमोशन पर काम करता है। नेगेटिव एक्सपीरियंस और इमोशन्स को अपनाते हुए यह जॉयफुलनेस , एक्साइटमेंट, सैटिस्फैक्शन और पीस पर फोकस करता है।
पॉजिटिव साइकोलॉजी (Positive Psychology) क्या है?
कुल मिलाकर पॉजिटिव साइकोलॉजी एक ऐसी साइंटिफिक स्टडी है जो व्यक्तियों और समुदायों को ग्रोथ करने में केपेबल बनाने वाली शक्तियों का अध्ययन करती है। व्यक्ति की खूबियों को उजागर करना, व्यक्तिगत अनुभवों को बढ़ावा देना, खुद से और दूसरों से प्यार को बढ़ावा देना, लाइफ को पूरी तरह और खुश रहकर जीना है ही पॉजिटिव साइकोलॉजी है।
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पॉजिटिव साइकोलॉजी (Positive Psychology) को तीन स्तर पर विभाजित किया गया है
- व्यक्तिपरक स्तर (Subjective level)
- व्यक्तिगत स्तर (Personal level)
- समूह स्तर (Group level)
- व्यक्तिपरक स्तर (Subjective level) में सकारात्मक अनुभवों का अध्ययन किया जाता है। इसमें खुशी, संतुष्टि, संतोष, आशावादी होना आदि पर ध्यान दिया जाता है। इस पर व्यक्ति के अच्छा होने या अच्छा कार्य करने के बजाए व्यक्ति को कितना अच्छा महसूस हो रहा है इस पर चर्चा की जाती है।
- व्यक्तिगत स्तर (Individual level) पर अच्छे जीवन के साथ साथ अच्छा व्यक्ति कैसे बना जाए इस पर ध्यान दिया जाता है। इसमें व्यक्ति के प्रेम, साहस की क्षमता, क्षमा भावना, मौलिकता, ज्ञान आदि का अध्ययन किया जाता है।
- समूह स्तर (Group or community level) पर नागरिक गुणों, सामाजिक जिम्मेदारियों, पोषण, परोपकारिता, नागरिकता, कार्य नैतिकता, सकारात्मक संस्थानों और अन्य कारकों पर जोर दिया जाता है, जो नागरिकता और समुदायों के विकास में सहायक होते हैं। इन सभी का प्रमुख उद्देश्य हैप्पीनेस है।
हैप्पीनेस के बताए गए हैं तीन कंपोनेंट
- मोमेंटरी मूड (Momentary Mood) आप अभी कैसा महसूस कर रहे हैं
- लाइफ सैटिस्फैक्शन (Life satisfaction) जीवन का पूरी तरह मूल्यांकन
- स्पेसिफिक लाइफ डोमेन (Specific life domains) इसमें रिलेशनशिप, हेल्थ, फाइनेंस आदि शामिल हैं।
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पॉजिटिव इमोशन और लाइफ सैटिस्फैक्शन क्यों महत्वपूर्ण है?
- अच्छी फिजिकल हेल्थ और इम्यूनिटी के लिए
- अच्छी और लंबी लाइफ जीने के लिए
- अच्छी क्रिएटिविटी के लिए
- काम में सक्सेस के लिए (खुश रहने पर व्यक्ति की डिसीजन लेने की पावर स्ट्रॉन्ग रहती है )
- रिलेशनशिप की क्वालिटी भी बेहतर बनाने के लिए
- इंसान का सोशल सर्कल और बिहेवियर अच्छा रहने के लिए
- चुनौतियों का सामना करने की क्षमता बढ़ती है
आप कितने खुश हो सकते हो?
पॉजिटिव साइकोलॉजी (सकारात्मक मनोविज्ञान ) रिसर्च (Positive Psychology research) के अनुसार इंसान की खुश रहने की कैपेसिटी तीन चीजों पर आधारित होती है।
- जेनेटिक्स (Genetics)-50% जिसमें बायोलॉजी और हेरिडिटी शामिल है।
- परिस्थितयां (Circumstances)- 10% इसमें सेक्शुअल रिलेशनशिप, इनकम, एजुकेशन, और जियोग्राफी (यानी वो कहां रहता है) शामिल है
- इंटेशनल एक्टिविटी- 40%- जिसमें बिहेवियलर चॉइस, थिकिंग पैटर्न आदि शामिल है।
इंटेंशनल एक्टिविटी वो सेक्शन है जिसमें आपका पूरा कंट्रोल कर अपनी हैप्पीनेस को बढ़ा सकते हैं। ऐसी कुछ स्ट्रेटजी और स्किल्स हैं जिनको सीखकर आप हैप्पीनेस और लाइफ सैटिसफेक्शन को बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आप पीईआरएमए मॉडल भी फॉलो कर सकते हैं।
पीईआरएमए मॉडल (PERMA Model) क्या है?
पॉजिटिव साइकोलॉजी (सकारात्मक मनोविज्ञान ) की फील्ड में पीईआरएमए मॉडल से हैप्पी लाइफ कैसे जिएं के सारे आंसर मिल जाते हैं।
- पी (P) पॉजिटिव इमोशन- (हम जो महसूस करते हैं)
- ई (E) एंगेजमेंट- स्टिम्यूलेटिंग एक्टिविटीज में इंवॉल्व रहना इसे फ्लो के साथ चलना भी कह सकते हैं
- आर (R) रिलेशनशिप- (दूसरों के साथ पॉजिटिव और रिवार्डिंग रिलेशन)
- एम (M) मीनिंग- किसी ऐसे उद्देश्य में लगे रहना जो स्वयं से बड़ा हो
- ए (A) अकंप्लिशमेंट- उपलब्धि और महारत हासिल करना
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लाइफ में हैप्पीनेस बढ़ाने के लिए कुछ साइकोलॉजी स्टेट्रजी क्या हैं?
- परेशानियों का हल निकालने पर फोकस करें ना कि उनसे भागने पर
- सर्पोटिव लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए समय निकालें
- ब्लैसिंग को काउंट करें और दूसरों का आभार मानने का अभ्यास करें
- कुछ ऐसे काम करें जिससे आपकी काइंडनेस के बारे में पता चले
- अगर आपको कोई अच्छी खबर सुनाता है तो उसके साथ जश्न मनाएं
- दूसरों के साथ मन से लगाव रखें
- अपने लिए सार्थक लक्ष्यों को निर्धारित करें
- आपके पास जो पहले से है उसकी सराहना करें ना कि उस पर फोकस करें जो आप पाना चाहते हैं
- चुनौतियों की तलाश करें और अपनी क्षमताओं को महसूस करने के लिए अपने कंफर्ट जोन से बाहर जाकर काम करें
इन तरीकों से अपने जीवन में शामिल करें खुशहाली:
गम की ओर बार-बार न देखें
जीवन में दुख और खुशी दोनों हमेशा बने रहते हैं। ऐसा नहीं है कि जो व्यक्ति सुखी है उन्हें दुख नहीं पहुंचा होगा। बस अंतर है तो सोच का। यदि कोई घटना घटी है तो उसकी तरफ बार-बार न देखें। अपने आप को उस जकड़न से मुक्त करें और खुशी के नए आयाम की ओर देखें। इस तरह आप खुश रह सकेंगे।
एक डायरी तैयार करें
हम सब किसी ना किसी नकारात्मक घटना से टूट जाते हैं या नेगेटिव सोचने लगते हैं। यदि आपका मनोबल भी जल्द गिर जाता है या आपको लगता है कि जीवन सिर्फ दुख का नाम है तो एक डायरी तैयार करें। इस डायरी में वह बातें लिखें जो आपके जीवन को खुशी देती हों या सार्थक बनाती हों। जब भी आप निराश होंगे तो डायरी में लिखे यह शब्द आपमें नई उर्जा भरेंगे। कोशिश करें कि सप्ताह में दो से तीन बार या जब भी आपको खुशी का एहसास हो इस डायरी में कुछ लिखें। आप अपने भविष्य के लिए भी एक डायरी तैयार कर सकते हैं। इसमें आपको इस विषय पर लिखना है कि आने वाले एक साल, दो साल, पांच साल या दस साल में आपका भविष्य कैसा होगा? यह कार्यस्थल से लेकर परिवार हर क्षेत्र से जुड़ा हो सकता है। आप इसमें तय करें कि आप भविष्य में किस जगह पर पहुंचना चाहते हैं। इससे आपके जीवन में क्या बदलाव आएगा। आपके आसपास के लोगों के जीवन में क्या बदलाव आएगा? इसमें पूर्ण रूप से सकारात्मक सोच रखें।
आभार व्यक्त करना न भूलें
यदि किसी ने आपकी मदद की है तो आपको उसका आभार जरूर व्यक्त करना चाहिए। यह उस व्यक्ति को भी खुशी देता है और इससे आपको भी खुशी ही मिलती है। आप जिस तरह से चाहे उस तरह से आभार व्यक्त कर सकते हैं। आप चाहें तो उन्हें घर पर खाने पर बुलाएं या उनके घर पर किसी अच्छे तोहफे के साथ जाएं। यदि आप चाहें तो फोन पर या मेल या चिट्ठी लिखकर भी आभार व्यक्त कर सकते हैं।
बदलाव की डायरी
याद रखें कि डायरी आपके बहुत काम आ सकती है। यदि आप एक ऐसी डायरी बनाते हैं जिसमें आप यह लिखें कि आज आप खुश हैं तो क्यों हैं? दुखी हैं तो क्यों हैं? इनके पीछे कौन सा कारण था? ऐसा क्यों हुआ? दरअसल होना क्या चाहिए था? ऐसी बातें लिखने पर आप अपना और अपने आसपास की परिस्थिति का अवलोकन कर पाते हैं। यही आपको बेहतर बनने में मददगार होती हैं।
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दूसरों की मदद कर ढूंढें खुशी
यदि आपके पास समय है तो आप किसी जरूरतमंद की मदद कर सकते हैं। यह आपके घर और घर से बाहर का कोई भी व्यक्ति हो सकता है। घर में अपनी मां, पत्नी, बेटी, बेटे किसी की भी उनके काम में मदद करें। अपने दोस्त या पड़ोसियों की मदद करें। यह सब आपको अंदर से खुशी देंगे और आपके संबंधों को मधुर बनाएंगे।
मेडिटेशन करें
मेडिटेशन आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत कारगर है। इसके माध्यम से आप किसी भी चीज को बदलने की कोशिश नहीं करते बल्कि यह आपको जो है उस ही परिवेश में अच्छे शांत तरह से रहने की कला सिखाता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और पॉजिटिव साइकोलॉजी (सकारात्मक मनोविज्ञान ) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।