तनाव किसी इंसान के जीवन की वह भावना है, जिसके ओवरलोड होने पर इंसान समस्याओं से निपटने के लिए संघर्ष करता है। यह समस्याएं वित्त, काम, रिश्ते और अन्य स्थितियों से जुड़ी हो सकती हैं। स्ट्रेस एक प्रेरक हो सकता है। तनाव हमें बता सकता है कि खतरे का जवाब कब और कैसे दिया जाए?, लेकिन बहुत अधिक स्ट्रेस की स्थिति में यह किसी व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को कमजोर कर सकता है। चलिए इस लेख के माध्यम से हम जानें कि स्ट्रेस या तनाव का प्रभाव शरीर पर कैसे पड़ता है।
स्ट्रेस से जुड़े कुछ तथ्य:
- तनाव का प्रभाव शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों स्तर पर हो सकता है।
- अल्पकालिक स्ट्रेस सहायक हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक स्ट्रेस विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों का कारण बन सकता है।
- हम कुछ सेल्फ-मैनेजमेंट टिप्स सीखकर स्ट्रेस से लड़ने की तैयारी कर सकते हैं।
- दुनिया की 80% आबादी ने दैनिक आधार पर तनाव का अनुभव किया है।
- 15 से 25 साल की उम्र के कई लोगों ने तनाव के मैनेजमेंट सीखा है और अगर वे उस उम्र में स्ट्रेस मैनेजमेंट नहीं सीख पाते हैं, तो बाद में उनके लिए तनाव को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है।
- अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) द्वारा किए गए वार्षिक स्ट्रेस सर्वेक्षण के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.) में औसत स्ट्रेस का स्तर 2015 में 1 से 10 के पैमाने पर 4.9 से 5.1 तक बढ़ गया। इस बढ़े स्तर का मुख्य कारण बेरोजगारी और पैसा है।
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स्ट्रेस या तनाव क्या है?
प्रत्येक व्यक्ति एक अलग तरीके से स्ट्रेस का जवाब देता है, लेकिन बहुत अधिक स्ट्रेस स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। स्ट्रेस खतरे के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक रक्षा है। यह शरीर में हाॅर्मोन प्रवाहित करता है ताकि सिस्टम को खतरे से बाहर निकलने या सामना करने के लिए तैयार किया जा सके। इसे फाइट तंत्र के रूप में जाना जाता है। जब हमें चुनौती का सामना करना पड़ता है, तो स्ट्रेस हमारी प्रतिक्रिया का हिस्सा होता है। किसी भी समस्या या चुनौती से हमें बचाने के लिए या उससे दूर जाने के लिए शरीर संसाधनों को सक्रिय करता है।
शरीर बड़ी मात्रा में रसायन कोर्टिसोल, एड्रीनलीन और नॉर एड्रीनलीन का उत्पादन करता है। ये हृदय गति को बढ़ाते हैं, मांसपेशियों का फड़फड़ाना, पसीना और सतर्कता को बढ़ाते हैं। ये सभी कारक खतरनाक या चुनौतीपूर्ण स्थिति में प्रतिक्रिया करने की क्षमता में सुधार करते हैं। पर्यावरण के कारक जो इस प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते हैं, उन्हें स्ट्रेस कहा जाता है। जैसे शोर, आक्रामक व्यवहार, तेजी से कार का जाना, फिल्मों में डरावने क्षण शामिल हैं। हम जितना अधिक स्ट्रेस का अनुभव करते हैं, उतना अधिक स्ट्रेस होता है।
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शरीर में परिवर्तन और लक्षण
स्ट्रेस पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली जैसे सामान्य शारीरिक कार्यों को धीमा कर देता है ताकि तेजी से श्वास, रक्त प्रवाह, सतर्कता और मांसपेशियों को केंद्रित किया जा सके।
स्ट्रेस के दौरान शरीर निम्नलिखित तरीकों से बदलता है:
- रक्तचाप और नाड़ी की दर में तेजी
- सांस तेज होती है
- पाचन तंत्र धीमा हो जाता है
- प्रतिरक्षा गतिविधि कम हो जाती है
- मांसपेशियां स्ट्रेसग्रस्त हो जाती हैं
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शरीर पर तनाव का प्रभाव
एक्यूट स्ट्रेस से क्रोनिक स्ट्रेस की तुलना में शरीर को कम नुकसान पहुंचाता है। इसके अल्पकालिक प्रभावों में तनाव, सिरदर्द और पेट-दर्द शामिल हो सकता है। हालांकि, लंबी अवधि में तीव्र तनाव बार-बार होने पर हानिकारक हो सकता है। स्ट्रेस का प्रभाव शरीर पर इस प्रकार पड़ सकता है-
तनाव का प्रभाव प्रतिरक्षा प्रणाली पर
अगर शरीर लंबे समय से स्ट्रेस में है, तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। जो लोग लगातार तनाव में रहते हैं, वे सामान्य सर्दी और फ्लू से अधिक प्रभावित होते हैं। स्ट्रेस हाॅर्मोन इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं और जल्दी प्रतिक्रिया देने की क्षमता को भी कम करते हैं। तनाव का प्रभाव यह होता है कि छोटी बीमारियों को भी ठीक होने के लिए शरीर को ज्यादा समय और एनर्जी लगती है।
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प्रजनन प्रणाली पर तनाव का प्रभाव
जब पुरुष स्ट्रेस में होते हैं, तो टेस्टोस्टेरोन उच्च स्तर पर उत्पादित होता है, लेकिन यह अधिक समय तक नहीं रहता है। जिसका मतलब है कि सेक्स की इच्छा खो देते हैं। ऐसा इसलिए भी हो सकता है। क्योंकि एक तनावग्रस्त शरीर हमेशा थका रहता है और ऊर्जा की कमी होती है। अधिक गंभीर परिस्थितियों में, इरेक्टाइल दोष का भी खतरा रहता है। वहीं बात की जाए महिलाओं की तो स्ट्रेस की वजह से पीरियड के दौरान सामान्य से ज्यादा दर्द और अनियमितता की शिकायत रहती है।
पाचन तंत्र भी नहीं बचता है तनाव के प्रभाव से
कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर तनाव का प्रभाव
स्ट्रेस के दौरान जब आपकी हृदय गति बढ़ जाती है, तो कोशिकाओं को सक्रिय बनाए रखने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए शरीर के माध्यम से ज्यादा ब्लड पंप किया जाता है। मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जिससे उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) होता है और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है।
तनाव का प्रभाव श्वसन प्रणाली पर
स्ट्रेस हॉर्मोन आपके श्वसन तंत्र को भी प्रभावित करते हैं। ऐसे में लोग तेजी से सांस लेते हैं और ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि शरीर के माध्यम से अधिक ऑक्सीजन रक्त को ले जाने की आवश्यकता होती है। यदि आपको पहले से ही श्वास की दिक्कत है, तो लक्षण और भी बिगड़ सकते हैं।
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केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम)
शरीर के लिए केंद्रीय तंत्रिका तंत्र काफी अहम है। तनाव की स्थिति में आपका शरीर जिस तरह से काम करता है या रिस्पॉन्स करता है। उसके लिए यही सेंट्रल नर्वस सिस्टम जिम्मेदार है। क्रोनिक स्ट्रेस के चलते ऑर्गन की कार्य क्षमता कभी-कभी बाधित हो जाती है और यह पूरे शरीर के लिए घातक हो सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर तनाव का प्रभाव
स्ट्रेस अगर लंबे समय तक बना रहे तो व्यक्ति में कई तरह की मानसिक बीमारियां जन्म ले लेती हैं। लंबे समय तक तनाव का निरंतर जारी रहना लोगों में आत्महत्या, एंग्जायटी, चिंता विकार और क्रोनिक डिप्रेशन को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही स्ट्रेस होने पर कुछ मानिसक विकारों की स्थिति भी बदतर हो जाती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम एक कठिन परिस्थिति में कैसे प्रतिक्रिया करते हैं, इसका प्रभाव हम पर और हमारे स्वास्थ्य पर कैसा पड़ता है।
स्ट्रेस अलग-अलग तरीकों से व्यक्तियों को प्रभावित करता है। कुछ अनुभव जिन्हें आमतौर पर सकारात्मक माना जाता है, स्ट्रेस पैदा कर सकते हैं। जैसे कि बच्चा होना, यात्रा पर जाना, किसी अच्छे घर में जाना और फेमस होना। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे अक्सर एक बड़े बदलाव में नई जिम्मेदारियों और अनुकूलन की आवश्यक होती है।
चुनौतियों के प्रति लगातार नकारात्मक प्रतिक्रिया का स्वास्थ्य और खुशियों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, स्ट्रेस के प्रति आपकी प्रतिक्रिया कैसी है। इसके बारे में जागरूक होने से आप नकारात्मक भावनाओं और तनाव का प्रभाव कम कर सकते हैं और इसे अधिक प्रभावी ढंग से रोक सकते हैं।
स्ट्रेस मैनेजमेंट कैसे करें?
अगर अत्यधिक स्ट्रेस लेने से आपके शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य पर असर बुरा असर पड़ रहा है, तो आपको स्ट्रेस मैनेजमेंट की काफी जरूरत है। स्ट्रेस मैनेजमेंट में मौजूद टिप्स की मदद से न सिर्फ आप अपने स्ट्रेस को पहचान पाएंगे बल्कि आसानी से उसे मैनेज भी कर पाएंगे। आइए, इन टिप्स के बारे में जान लेते हैं।
- सबसे पहले हमें अपने तनाव के कारण को जानना होगा, जो कि हमारा जीवन प्रभावित कर रहा है। हालांकि यह इतना आसान नहीं है, जितना सोचने में लग रहा है। आप बड़े कारण जैसे जॉब, रिलेशनशिप इश्यू, फाइनेंशियल इश्यू, डिवोर्स आदि को आसानी से पहचान सकते हैं, लेकिन छोटी-छोटी चीजों को पहचानना मुश्किल होता है। इसके लिए आप एक तरीका अपनाएं कि जब-जब आपको तनाव महसूस हो, आप एक जगह लिख लें कि आप ने किन-किन चीजों के बारे में सोचा है या आपको गुजरना पड़ा है। जब आप ऐसा तीन-चार बार कर लेंगे, तो उसमें से कॉमन फैक्टर्स को आराम से निकाल सकते हैं।
- हमें जिंदगी में चार A को अपनाना चाहिए। यह हमें किसी भी स्थिति या तनाव से बचाव या उसे दूर करने में मदद करते हैं। यह चार A हैं- अवॉयड (Avoid), ऑल्टर (Alter), अडैप्ट (Adapt) और एक्सेप्ट (Accept)। आप स्थिति या तनाव पैदा करने वाले फैक्टर्स को नजरअंदाज, प्रतिक्रिया करने का तरीका बदलकर, स्थिति को अपनाकर या स्वीकार करके थोड़ा बचा जा सकता है।
- जो हो गया उसे बदला नहीं जा सकता, इसलिए उसके बारे में सोच-सोचकर परेशान रहना समझदारी की बात नहीं है। इसके बजाय आपको अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए।
- हमारे दोस्त, परिवारवाले या प्रियजन तनाव को दूर करने और खुश रहने का सबसे अच्छा जरिया है। इसलिए आप तनाव के कारण खुद को अकेला न करें। बल्कि लोगों के साथ घुले-मिलें। इससे आपका दिमाग दूसरी चीजों में भी लगेगा।
- अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाएं। स्वस्थ आहार खाएं, पर्याप्त नींद लें और रोजाना थोड़ी देर व्यायाम करें।
हम उम्मीद करते हैं कि आप यह आर्टिकल पढ़कर पर्याप्त जानकारी हासिल कर चुके होंगे कि तनाव का प्रभाव क्या होता है और स्ट्रेस को कैसे मैनेज किया जा सकता है। अगर आपको इस बारे में और कोई सवाल या शंका है, तो किसी मनोचिकित्सक या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।