आजकल हर कोई रीढ़ की हड्डी की समस्या से परेशान है, इसी में यदि आपको पता चले कि आपको एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस है तो आप शायद घबरा जाएंगे। एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है। ऑटोइम्यून डिजीज के लिए हमारा खुद का इम्यून सिस्टम ही जिम्मेदार होता है। एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस में इंसान के रीढ़ की हड्डी प्रभावित होता है और इंसान का शरीर इसी के कारण विकृत यानी कि टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है।
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एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस क्या हैं?
यह एक प्रकार का आर्थराइटिस है। जो खासकर के स्पाइन या पीठ के निचले हिस्से को प्रभावित करता है। एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस में कमर में जकड़न और दर्द होने से चलने-फिरने में समस्या होती है।
एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, एन्काइलॉसिंग का मतलब होता है फ्यूज होना और स्पॉन्डिलाइटिस का मतलब होता है वर्टिब्रा या रीढ़ की हड्डी। कहने का मतलब यह है कि एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस में रीढ़ की हड्डी फ्यूज हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति का शरीर आगे की तरफ झुक जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे भारत में लगभग दस लाख से ज्यादा लोग एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित हैं। वहीं, महिलाओं की तुलना में पुरुषों को एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस ज्यादा प्रभावित करता है।
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एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण क्या हैं?
सबसे पहले आपको बता दें कि इसके लक्षण अलग-अलग व्यक्ति में अलग दिखाई देता है। जो कि 17 साल से लेकर 45 साल तक के पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करता है। एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस में सबसे पहले पीठ के निचले हिस्से में दर्द शुरू होता है। फिर धीरे-धीरे उसमें जकड़न शुरू हो जाती है। इसके बाद नितंब का हिस्सा भी इससे प्रभावित हो जाता है। यह दर्द पीठ के दोनों तरफ होता है।
सुबह के समय यह दर्द कुछ ज्यादा ही मरीज को परेशान करता है। जिसके कारण सुबह चलने-फिरने में परेशानी होती है। लेकिन गर्म पानी से सिंकाई और थोड़ी एक्सरसाइज से राहत मिलती है। वहीं, इसकी शुरुआत में निम्न लक्षण भी सामने आते हैं :
- बुखार
- भूख में कमी
- बेचैनी होना
- कमर में दर्द वाले स्थान पर सूजन आ जाना
इसके बाद जैसे-जैसे एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस पुराना होने लगता है, वैसे-वैसे रिब्स, शोल्डर ब्लेड्स, हिप्स, जांघ और एड़ियों में भी दर्द होने लगता है। एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस में अन्य लक्षण सामने आ सकते हैं :
एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कारण यूविआइटिस भी हो जाता है। यूविआइटिस के कारण आंखों में जलन होने लगती है। वहीं, आंखों में दर्द, पानी आना, धुंधला दिखाई देना और रोशनी में आंखों का ज्यादा सेंसटिव हो जाना।
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एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के होने का कारण क्या है?
एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक आनुवंशिक बीमारी है। एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस को पैदा करने के लिए कई जीन्स जिम्मेदार होते हैं। इसमें के लगभग 30 जीन्स अभी तक पाए गए हैं। इस बीमारी के लिए जिम्मेदार जीन्स एचएलए-बी27 (HLA-B27) है। एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के जीन्स एचएलए-बी27 ज्यादातर गोरे लोगों में पाया जाता है। एंटेरोपैथिक आर्थराइटिस में भी यही जीन्स पाया जाता है। कहा जा सकता है कि एचएलए-बी27 जीन्स आर्थराइटिस और स्पॉन्डिलाइटिस के लिए जिम्मेदार होते हैं।
एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस का पता कैसे लगाया जाता है?
इसके लक्षण सामने आने के बाद आप हड्डियों के डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टर सबसे पहले आपकी फिजिकल जांच करेंगे। इसके साथ ही आपकी पारिवारिक और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी पूछते हैं। इसके साथ ही कुछ टेस्ट भी करने के लिए डॉक्टर कहते हैं।
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ब्लड टेस्ट
इसके लिए डॉक्टर आपका ब्लड टेस्ट कराते हैं। हालांकि जरूरी नहीं है कि ब्लड टेस्ट से इसका पता लग सके, लेकिन कुछ अन्य चीजों का पता चलता है। ब्लड टेस्ट में डॉक्टर इन टेस्ट को शामिल करते हैं :
- एरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट (ESR)
- सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP)
- कम्पिलीट ब्लड काउंट (CBC)
- जेनेटिक टेस्ट (HLA-B27)
इनके साथ ही अगर डॉक्टर को रयूमेटाइड आर्थराइटिस का पता संदेह रहता है तो रुमेटाइड फैक्टर, साइकलिक सिट्रूलिनेटेड पेप्टाइड (CCP) और एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज (ANA) टेस्ट भी कराते हैं।
इमेजिंग टेस्ट
पीठ के निचले हिस्से की हड्डी कहां पर फ्यूज हुई है, ये जानने के लिए डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट कराते हैं। ये टेस्ट स्पाइन और पेल्विस के हिस्से की होती है। जिसमें एक्स-रे और एमआरआई किया जाता है।
एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज क्या है?
एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के दवाओं का सेवन और एक्सरसाइज आदि करके जीवन व्यतीत किया जा सकता है।
इसके इलाज के निम्न तरीके अपनाएं जाते हैं :
- फिजिकल थेरेपी या एक्सरसाइज
- दवाएं
- सर्जरी, लेकिन सर्जरी के कुछ मामलों में ही किया जाता है। जिसमें व्यक्ति का शरीर ज्यादा विकृत हो जाता है या फिर उसका शरीर ज्यादा टेढ़ा हो जाता है।
ड्रग ट्रीटमेंट
इसके इलाज के लिए नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लमेट्री ड्रग दी जाती है, जैसे-आईब्यूप्रोफेन, नैप्रॉक्सेन, एसिटाएमिनोफेन और केडिन आदि। ये सभी ओरल मेडिसिन हैं, लेकिन कभी-कबी इंजेक्शन देने की भी जरूरत पड़ती है। ये इंजेक्शन कॉर्टिस्टेरॉइड से बनते हैं। डिजीज-मॉडिफाइंग एंटी-रूमैटिक ड्रग्स (DMARDs) जैसे- सल्फासैलाजिन और मेथॉट्रेक्सेट इंजेक्शन दी जाती है। इसके अलावा ट्यूमर नेक्रॉसिस फैक्टर एंटागॉनिस्ट इंजेक्शन जैसे- एडाममैब, सेरटॉलिजुमाब, एटानेर्सेप्ट या इंफ्लिक्सिमैब आदि इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है।
हालांकि इसकी समस्या पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है तो आपको फिजिकल थेरेपिस्ट, आई स्पेशलिस्ट और गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।
एन्काइलॉसिंग स्पॉन्डिलाइटिस में एक्सरसाइज कैसे करें?
इसके लिए आप अपने फिजियो थेरिपिस्ट के निर्देशानुसार ही एक्सरसाइज करें। फिजिकल थेरिपी एक्सरसाइज हड्डियों में मजबूती लाने के लिए की जाती है। आप दो एक्सरसाइज कर सकते हैं :
- एक दीवार से अपनी पीठ और एड़ी लगा कर खड़े हो जाएं। फिर सिर को दीवार से लगाएं और सिर से ही दीवार को धक्का देने की कोशिश करें। इस स्थिति में पांच सेकेंड रुके, फिर आराम करें। इस एक्सरसाइज को 10 बार दोहराएं।
- सीधे खड़े हो जाएं और अपने दोनों हाथों को हिप्स पर रखें। इसके बाद दाएं तरफ हाथ रखे हुए ही मुड़े। इस अवस्था में पांच सेकेंड तक रुके। इसके बाद बाएं तरफ भी झुकें। इस प्रक्रिया को कम से कम दस बार दोहराएं।
इसकी समस्या में अपने खानपान पर ध्यान दें। हेल्दी डायट लेने से आपको दर्द में राहत मिलेगी। अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।