- कुछ लोगों में कोई अंडरलाइंग कंडीशन न होने के बावजूद लूज जॉइंट होने की समस्या होती है। बच्चों में बुजुगों की तुलना में लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) होने की संभावना अधिक होती है। महिलाओं में भी इस समस्या का जोखिम अधिक होता है।
- इसके साथ ही एथलीट्स में लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) होना सामान्य है जैसे जिम्नास्ट, तैराक आदि क्योंकि इन लोगों को मसल स्ट्रेन जैसी चोट लगने की संभावना अधिक होती है। अगर आप कोई ऐसी जॉब करते हैं जिसमें किसी लिगामेंट या जोड़ को बार-बार मूव करना पड़ता है। तब भी चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है और लिगामेंट्स लूज हो सकते हैं। यह समस्या सामान्य है और इसका निदान इस तरह से संभव है।
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लिगामेनेस लेक्सिटी का निदान कैसे होता है? (Diagnosis of Ligamentous Laxity)
बाइटन स्कोर (The Beighton Score) जॉइंट हायपरमोबिलिटी की स्क्रीनिंग का सबसे बेहतरीन और सामान्य टूल है। इसमें मूवमेंट की एक श्रृंखला को पूरा करना शामिल है, जैसे की अपनी उंगलियों को पीछे की ओर खींचना या झुकाना और अपने हाथों को जमीन पर सीधे रखना। डॉक्टर इस टेस्ट का प्रयोग रोगी को लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की समस्या है या नहीं, यह जानने के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
बहुत ही कम मामलों में लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की बीमारी किसी गंभीर स्थिति का लक्षण हो सकती है जैसे मार्फन सिंड्रोम। अगर आपको कनेक्टिव टिश्यू कंडीशन का कोई अन्य लक्षण नजर आता है जैसे थकावट या मसल में कमजोरी तो डॉक्टर अन्य टेस्ट भी करा सकते हैं।
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इसका उपचार कैसे है संभव?
लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) के लिए हमेशा उपचार की जरूरत नहीं होती। खासतौर पर अगर इससे आपको कोई दर्द न हो। हालांकि, अगर इससे दर्द भी होती है तो फिजिकल थेरेपी की मदद से जॉइंट के आसपास के मसल्स को मजबूत किया जा सकता है। ताकि उसे सपोर्ट मिल सके। गंभीर मामलों में आपको लिगामेंट्स की रिपेयर के लिए सर्जरी की जरूरत होगी।
इस समस्या से पीड़ित हर व्यक्ति में जॉइंट लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की विभिन्न डिग्री नजर आती है। कई बार जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा होता जाता है। लिगामेंट्स और मसल्स टाइट हो जाते हैं, उसकी हड्डी बढ़ती है और नई हड्डी की लंबाई को एकोमोडेट करने के लिए लिगामेंट्स और मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है। हम लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की समस्या को व्यायाम या थेरेपी से सीधे तौर पर नहीं दूर नहीं कर सकते हैं। लेकिन, इससे मोटर कंट्रोल ( Motor Control), बैलेंस और स्ट्रेंथ सब सुधरते हैं। इससे जोड़ों के आसपास की स्टेबिलिटी सुधरती है। इस समस्या से पीड़ित लोगों में ब्रेकिंग, किनिजियो टेपिंग (kinesio Taping) और ओर्थोटिक्स (Orthotics) एक्सटर्नल सपोर्ट देने में मदद कर सकते हैं।
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