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लिगामेंट्स का लूज होना है लिगामेनेस लेक्सिटी का संकेत, क्या आप जानते हैं इसके बारे में?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/05/2021

    लिगामेंट्स का लूज होना है लिगामेनेस लेक्सिटी का संकेत, क्या आप जानते हैं इसके बारे में?

    लिगामेंट्स हमारे शरीर में रेशेदार कनेक्टिव टिश्यू का बैंड है, जो एक बोन से दूसरी बोन को जोड़ते हैं  और हमारे जॉइंट्स को सपोर्ट देते हैं। डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) से पीड़ित व्यक्ति में यह लिगामेंट्स लूज हो जाते हैं, जिससे जोड़ों की फ्लेक्सिबिलिटी कहा जाता है। हालांकि, जोड़ों के लचीले होने पर हम अपने पैरों की उंगलियों को छुनें में तो सक्षम हो जाते हैं। लेकिन, यह बढ़ी हुई फ्लेक्सिबिलिटी जोड़ों में चोट का कारण भी बन सकती है। हमारे शरीर में जोड़ों की स्टेबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी एक दूसरे से विपरीत तरह से जुड़े हुए हैं। इसका अर्थ है कि अगर जोड़ अधिक फ्लेक्सिबल होंगे तो कम स्टेबल होंगे। आज हम बात करने वाले हैं लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) के बारे में,  जो लिगामेंट की बीमारी है। लिगामेंट्स से जुड़ी इस समस्या के बारे में जानें विस्तार से

    लिगामेनेस लेक्सिटी क्या है? (What is Ligamentous Laxity)

    लिगामेंट हमारी हड्डियों और जोड़ों को जोड़ते हैं और उन्हें स्थिर रखते हैं। यह मूव करने के लिए फ्लेक्सिबल होते हैं और पर्याप्त सपोर्ट भी देते हैं। जॉइंट्स, जैसे घुटने में लिगामेंट्स के बिना हम चलने और बैठने में भी सक्षम नहीं होंगे। कई लोगों के नैचुरली यह लिगामेंट्स टाइट होते हैं। लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की परेशानी तब होती है, जब हमारे लिगामेंट्स बहुत अधिक ढीले हो जाते हैं। दूसरे शब्दों में  ढीले जोड़ों और जॉइंट्स की शिथिलता को लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) कहा जाता है। यह समस्या हमारे शरीर के कई जोड़ों को प्रभावित कर सकती है जैसे गर्दन, कंधे, घुटने आदि। 

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    अमेरिकन सोसायटी फॉर सर्जरी ऑफ द हैंड (American Society for Surgery of The Hand) के अनुसार लिगामेंट या जॉइंट्स की अधिक लेक्सिटी यानी शिथिलता वो स्थिति है जिसे मस्क्यूलोस्केलेटल सिस्टम (Musculoskeletal System) की जांच के दौरान नोटिस किया जाता है। हालांकि, सॉफ्ट टिश्यू और जॉइंट्स पर शिथिलता के प्रभाव के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। बच्चों में वयस्कों की चलने में अधिक जॉइंट मोबिलिटी होती है और ऐसा भी माना जाता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में जॉइंट लेक्सिटी अधिक होती है। चलिए जानते हैं लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) के बारे में और अधिक। शुरू करते हैं इसके लक्षणों से।

    लिगामेनेस लेक्सिटी के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Ligamentous Laxity)

    लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की स्थिति को अंडरलाइंग मेडिकल कंडीशन के कारण जॉइंट हायपरमोबिलिटी (Joint Hypermobility) भी कहा जाता है। जिसमें शरीर के सभी लिगामेंट और जॉइंट्स प्रभावित होते हैं  लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) के लक्षण प्रभावित जोड़ों में या इसके आसपास नजर आते हैं। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

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    लिगामेनेस लेक्सिटी के कारण कौन से हैं? (Causes of Ligamentous Laxity)

    एक या एक से ज्यादा जोड़ों का ढीला होना असामान्य नहीं है, खासतौर पर बच्चों में। कई मामलों में लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) का कोई साफ कारण नहीं होता। लेकिन, अधिकतर मामलों में इसका कारण कोई मेडिकल कंडीशन या चोट होती है। इस समस्या के कारण इस प्रकार हैं:

    मेडिकल कंडीशंस (Medical Conditions)

    कई जेनेटिक कंडीशंस शरीर के कनेक्टिव टिश्यू को प्रभावित करती हैं और लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) का कारण बन सकती हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

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    यह तो थी कुछ जेनेटिक कंडीशंस जो लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) का कारण बनती हैं। इसके अलावा कुछ नॉनजेनेटिक कंडीशंस भी इस समस्या की वजह हो सकती हैं, जो इस प्रकार हैं:

    चोट और एक्सीडेंट्स (Injuries and Accidents)

    • चोट और एक्सीडेंट्स (Injuries and Accidents) भी इस रोग का कारण बन सकते हैं। खासतौर पर मसल्स स्ट्रेंस (Muscle Strains) और रिपिटेटिव मोशन इंजरी (Repetitive Motion Injuries)। लेकिन, लूज लिगामेंट्स वाले लोगों को चोट का बहुत अधिक खतरा होता है 

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    इससे जुड़े रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? 

    बच्चे फ्लेक्सिबल होते हैं क्योंकि उनके मसल्स, जोड़ और बोनस अतिरिक्त स्थिरता प्रदान करने के लिए विकसित नहीं हुए होते। जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है जॉइंट्स और बोन भी विकसित होते हैं।  लेकिन कुछ स्थितियों में यह समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। लिगामेनेस लेक्सिटी से जुड़े रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:

    • कुछ लोगों में कोई अंडरलाइंग कंडीशन न होने के बावजूद लूज जॉइंट होने की समस्या होती है। बच्चों में बुजुगों की तुलना में लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) होने की संभावना अधिक होती है। महिलाओं में भी इस समस्या का जोखिम अधिक होता है।
    • इसके साथ ही एथलीट्स में लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) होना सामान्य है जैसे जिम्नास्ट, तैराक आदि क्योंकि इन लोगों को मसल स्ट्रेन जैसी चोट लगने की संभावना अधिक होती है। अगर आप कोई ऐसी जॉब करते हैं जिसमें किसी लिगामेंट या जोड़ को बार-बार मूव करना पड़ता है। तब भी चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है और लिगामेंट्स लूज हो सकते हैं। यह समस्या सामान्य है और इसका निदान इस तरह से संभव है।

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    लिगामेनेस लेक्सिटी  का निदान कैसे होता है? (Diagnosis of Ligamentous Laxity)

    बाइटन स्कोर (The Beighton Score) जॉइंट हायपरमोबिलिटी की स्क्रीनिंग का सबसे बेहतरीन और सामान्य टूल है। इसमें मूवमेंट की एक श्रृंखला को पूरा करना शामिल है, जैसे की अपनी उंगलियों को पीछे की ओर खींचना या झुकाना और अपने हाथों को जमीन पर सीधे रखना। डॉक्टर इस टेस्ट का प्रयोग रोगी को लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की समस्या है या नहीं, यह जानने के लिए प्रयोग कर सकते हैं।

    बहुत ही कम मामलों में लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की बीमारी किसी गंभीर स्थिति का लक्षण हो सकती है जैसे मार्फन सिंड्रोम। अगर आपको कनेक्टिव टिश्यू कंडीशन का कोई अन्य लक्षण नजर आता है जैसे थकावट या मसल में कमजोरी तो डॉक्टर अन्य टेस्ट भी करा सकते हैं।

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    लिगमेंटॉस लेक्सिटी

    इसका उपचार कैसे है संभव? 

    लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) के लिए हमेशा उपचार की जरूरत नहीं होती। खासतौर पर अगर इससे आपको कोई दर्द न हो। हालांकि, अगर इससे दर्द भी होती है तो फिजिकल थेरेपी की मदद से जॉइंट के आसपास के मसल्स को मजबूत किया जा सकता है। ताकि उसे सपोर्ट मिल सके। गंभीर मामलों में आपको लिगामेंट्स की रिपेयर के लिए सर्जरी की जरूरत होगी।

    इस समस्या से पीड़ित हर व्यक्ति में जॉइंट लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की विभिन्न डिग्री नजर आती है। कई बार जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा होता जाता है। लिगामेंट्स और मसल्स टाइट हो जाते हैं, उसकी हड्डी बढ़ती है और नई हड्डी की लंबाई को एकोमोडेट करने के लिए लिगामेंट्स और मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है। हम लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) की समस्या को व्यायाम या थेरेपी से सीधे तौर पर नहीं दूर नहीं कर सकते हैं। लेकिन, इससे मोटर कंट्रोल ( Motor Control), बैलेंस और स्ट्रेंथ सब सुधरते हैं। इससे जोड़ों के आसपास की स्टेबिलिटी सुधरती है। इस समस्या से पीड़ित लोगों में ब्रेकिंग, किनिजियो टेपिंग (kinesio Taping) और ओर्थोटिक्स (Orthotics) एक्सटर्नल सपोर्ट देने में मदद कर सकते हैं।

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    इसके अलावा इस समस्या में मूवमेंट, मोबिलिटी, स्ट्रेंथ और एलाइनमेंट में फिजिकल थेरेपिस्ट भी मदद कर सकते हैं फिजिकल थेरेपी का मकसद ओर्थपेडीक इम्पेरमेंट्स (Orthopedic Impairments), दर्द और स्थिरता को बनाए रखना। इससे इस रोग के साथ हेल्दी, एक्टिव लाइफस्टाइल को बनाए रखने में भी मदद मिलती है।

    लिगामेनेस लेक्सिटी से कैसे बचें? (Prevention of Ligamentous Laxity)

    लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) या लिगामेंट की किसी भी समस्या से बचने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव लेने चाहिए। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। इन कुछ तरीकों से आपको न केवल लिगामेंट्स की इस समस्या बल्कि हर परेशानी से राहत पाने में मदद मिलेगी

    • सही आहार का सेवन करें (Eat Healthy Food) : अगर आप अपनी हड्डियों या लिगामेंट्स की हेल्थ को सही रखना चाहते हैं तो आपको हमेशा सही और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। अपने आहार में हरी-सब्जियों, अनाज, फलों आदि को शामिल करना न भूलें।
    • व्यायाम करें (Exercise Daily ) : व्यायाम करना भी संपूर्ण स्वास्थ्य और हड्डियों के लिए भी जरूरी है। इस समस्या में अपने डॉक्टर से जानें कि आपको कौन सा व्यायाम करना चाहिए।
    • पर्याप्त नींद (Enough Sleep) : पर्याप्त नींद लेना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए दिन में कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लें। इसके साथ ही तनाव से भी बचें। तनाव से बचने के लिए योग और मेडिटेशन का सहारा आप ले सकते हैं।
    • सप्लीमेंट्स (Supplements) : डॉक्टर की सलाह के अनुसार उन सप्लीमेंट्स को भी आप ले सकते हैं जो आपकी हड्डियों और लिगामेंट्स के लिए लाभदायक हों।

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    लिगामेनेस लेक्सिटी (Ligamentous Laxity) लूज लिगामेंट्स के लिए प्रयोग होने वाली मेडिकल टर्म है जिसके कारण लूज जॉइंट्स सामान्य से अधिक मुड़ या झुक सकते हैं। हालांकि, यह बीमारी हमेशा समस्या का कारण नहीं बनती है। लेकिन, लिगामेनेस लेक्सिटी कई बार दर्द और चोट लगने का कारण बन सकती है। इसलिए, अगर आपको इसका कोई भी लक्षण नजर आता है तो डॉक्टर की सलाह ले कर सही उपचार कराएं।

    डिस्क्लेमर

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