क्या आपने कभी देखा है कि अचानक आपके शरीर पर मस्सा (Wart) निकल आया हो और आप सोच रहें हो कि आखिर इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? साथ ही कभी आपके पैरों पर दर्द देने वाले गोखरू (corns) हुए हैं, जिनसे छुटकारा पाना आपके लिए मुसीबत बन गया हो?
कॉर्न को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कहीं इसे घट्टे पड़ना, कहींं गोखरू, कहीं चाईं पड़ना या कहीं बट पड़ना भी कहते हैं। मस्से और कॉर्न्स आम तौर पर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जो दर्द भी दे सकती हैं। लेकिन, अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं की तरह ही डॉक्टर सलाह देते हैं कि खुद से उपचार करने से बेहतर वही है कि आप विशेषज्ञ से मदद लें। वे मामले की गंभीरता को समझ कर आपको सही सलाह दे सकते हैं।
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मस्से का कैसे पता लगाएं
मस्सा त्वचा पर छोटी गांठें होती हैं, जो कठोर और खुरदरी लगती हैं। ये हाथों, पैरों, घुटनों और अंगुलियों पर हो सकती हैं। ये तब होते हैं, जब मानव पेपिलोमा वायरस (Human Papilloma Virus) त्वचा की सतही परत को संक्रमित करता है। इससे स्किन की ऊपरी परत में केराटिन (Keratin) नाम के प्रोटीन की लेयर बन जाती है। अतिरिक्त केराटिन ही मस्से की खुरदरी, कठोर बनावट को बनाता है।
इनकी बुरी बात यह है कि ये संक्रामक हैं और स्किन कॉन्टैक्ट होने पर फैल भी सकते हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो और उसकी स्किन कट जाए या किसी और तरह से नुकसान हो जाएं ये मस्से विकसित होते हैं। ये अन्य किसी के मस्से के संपर्क में आने से फैल सकते हैं। मस्से स्किन के रंग से लेकर भूरे या भूरे-काले रंग के हो सकते हैं। आकार की बात करें, तो ये मोटे, सपाट या त्वचा पर थोड़े बाहर निकले हुए हो सकते हैं। मस्से त्वचा में गहराई तक नहीं जाते हैं और कम इम्यूनिटी वाले लोगों में आम हैं, जिनका शरीर संक्रमण से छुटकारा पाने में सझम नहीं होता। मस्से आमतौर पर अलग-अलग होते हैं। लेकिन चार या पांच मस्से एक साथ मिलकर एक बड़ा घाव भी बना सकते हैं। ये आम तौर पर शरीर में उन भागों पर होते हैं, जिनके गीले होने की संभावना अधिक होती है जैसे हाथ, पैर, उंगलियों या मुंह। मस्से जननांगों में भी हो सकते हैं।
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मस्से के ट्रीटमेंट
बच्चों को मस्से होना आम बात है। एक अनुमान के मुताबिक, लगभग एक तिहाई बच्चों को ये हो जाते हैं। लेकिन ये आमतौर पर दो साल के भीतर साफ हो जाते हैं, क्योंकि समय के साथ उनकी इम्यूनिटी मजबूत हो जाती है। कभी-कभी एचआईवी या एड्स से ग्रसित वयस्कों में ये सैकड़ों की संख्या में हो जाते हैं। इसका एक कारण वंशानुगत विकार भी हो सकता है। ये केवल तभी दर्द देते हैं जब ये पैरों के तलवों पर हो या संक्रमित हो जाएं।
मस्सों के लिए उपचार के कई तरीके हैं। इनमें क्रायोथेरेपी, सर्जरी, लेजर उपचार, इलेक्ट्रोकॉटरी, फोटोडायनामिक थेरेपी, केमिकल उपचार और टॉपिकल क्रीम शामिल हैं। यह एक हानिरहित स्थिति है, जिसका इलाज डॉक्टर द्वारा आसानी से किया जा सकता है। हालांकि, अगर इन्हें यूं ही छोड़ दिया जाए, तो 90 फीसदी मस्से बिना किसी इलाज के खुद ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन, इसको हटाए जाने के बाद अगर वायरस त्वचा में रह जाएं, तो इसके वापस आने की संभावना बनी रहती है।
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मस्सों से ऐसे बचें
मस्सों के जोखिम से बचे रहने के लिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि किसी के मस्सों के संपंर्क में न आएं। साथ ही दूसरों के तौलिये, वाशक्लॉथ या अन्य व्यक्तिगत वस्तुओं का उपयोग करने से बचना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर जूते और मोजे शेयर करने के लिए भी चेतावनी देते हैं और सलाह देते हैं। पूल में चप्पल या सैंडल पहनना सबसे अच्छा विकल्प है। स्विम्मिंग करते समय वाटरप्रूफ बैंड एड से मस्से को कवर करें। जिम में मोजे और दस्ताने जरूर पहनें।
कॉर्न्स (Corns) को जानें
हम में से अधिकांश को कभी न कभी पैरों में कॉर्न हुए होंगे। स्किन के टाइट और कड़क हुए इस भाग में दर्द भी महसूस हो सकता है। आम तौर पर यह कोई गंभीर समस्या नहीं है। लेकिन, कुछ बुनियादी चीजें हैं, जो इनसे छुटकारा पाने के लिए की जा सकती हैं। लेकिन, डायबिटीज, हार्ट के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे सावधानी बरतें और डॉक्टर की सलाह लें।
कॉर्न्स लगातार घर्षण के कारण त्वचा की सतह पर होने वाली समस्या है। यह तलवों और पैर की उंगलियों पर हो सकते हैं। इसमें कठोर त्वचा की छोटी गांठे त्वचा की सतह के अंदर गहराई में विकसित हो जाती हैं और बाहर से सपाट दिखाई देती हैं। जब ये गहरे होते हैं और हमारे नर्व्स पर दबाव डालते हैं, तब इनमें दर्द भी महसूस होता है। ये लंबे समय तक एक स्थान पर खड़े रहने, चलने, नंगे पैर चलने, गलत जूते पहनने या पैर के आर्च में दोष के कारण हो सकते हैं।
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रोकथाम और उपचार
हमेशा एक मोटे पैड वाले जूते पहनें और पैर में आर्च के इलाज के लिए ऑर्थोपेडिक सर्जन से परामर्श लें। इसके अलावा पैडीक्योर भी काम करता हैं, क्योंकि इसमें डेड टिशूज हट जातें है। कॉर्न्स केवल तभी गंभीर होते हैं, जब वे संक्रमित हो जाते हैं। इस स्थिति में सर्जरी की सलाह दी जाती है।
इन्हें रोकने के कुछ अन्य तरीके मोटे, गद्देदार मोजे पहनना और कम हील और आरामदायक जूते पहनना भी है। ये आपके पैरों को रगड़ने से बचाते हैं। इसके अलावा गर्म पानी में पैर डूबाने के बाद प्यूमिस स्टोन से रगड़ने से भी डेड स्किन हट जाती है। इसके बाद मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें, जिससे स्किन सॉफ्ट बनी रहे।
लोगों को अपने आप ही कॉर्न्स को काटने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। साथ ही अगर इससे खून बहने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके अलावा तीन हफ्तों में इसमें फर्क न आएं, तो भी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है।