शिशु की रंगत
अधिकांश अस्पताल और क्लिनिक में जन्म के तुरंत बाद या कुछ ही घंटो के अंदर नवजात शिशु को नहलाना जरूरी माना जाता है। क्योंकि, बच्चे को जन्म के बाद स्तनपान करवाना होता है और उससे पहले उसे साफ-सुथरा कर बैक्टीरिया और अन्य तरह के संक्रमण से बचाना भी होता है। हालांकि, जन्म के तुरंत बाद शिशु को नहलाना जोखिम भरा भी हो सकता है इसलिए पानी की जगह नर्स शिशु की त्वचा पर लगे एमनियोटिक द्रव्य, खून या किसी अन्य तत्व को मुलायम कपड़े की मदद से साफ कर देते हैं। इससे बाल चिकित्सक को शिशु की रंगत सही तरीके से देखने में मदद भी मिलती है।
शिशु को नहलाना कितना सुरक्षित है इस पर अधिकांश अस्पतालों का मानना है कि जन्म के कम से कम एक दिन बाद ही शिशु को पानी से नहलाना चाहिए। क्योंकि, जन्म के तुरंत बाद नवजात को नहलाना जोखिम भरा हो सकता है। इससे उसके शरीर का तापमान गिरने का खतरा हो सकता है।
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नवजात शिशुओं को कितनी बार नहलाना चाहिए?
न तो इतने छोटे बच्चे गंदे होते हैं और ना ही उन्हें पसीना आता है, इसलिए हर दिन नवजात शिशु को नहलाना जरूरी नहीं होता है। शिशुओं को पहले वर्ष के दौरान सप्ताह में दो से तीन बार नहलाना चाहिए। अधिक बार स्नान करवाने से बच्चे की स्किन ड्राई हो सकती है।
क्या अंबिकल कॉर्ड हटने से पहले नवजात शिशु को नहलाना सही है?
नवजात शिशु को पहली बार अंबिकल कॉर्ड स्टंप के हट जाने के बाद ही स्नान करवाना चाहिए। उससे पहले बच्चे को केवल स्पंज बाथ कराना ही ठीक रहता है। आमतौर पर अंबिकल कॉर्ड स्टंप जन्म के आठ सप्ताह तक गिर जाती है, लेकिन अगर ऐसा न हो तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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नवजात शिशु को स्पंज बाथ कैसे दें?
स्पंज बाथ के दौरान बच्चे को सीधा पानी के संपर्क में न लाकर एक गीले स्पंज या कपड़े की मदद से शिशु के शरीर को हल्के हाथों से साफ करते हैं।