प्रसव के बाद शिशु को दूध पिलाना एक अलग ही अनुभव है, लेकिन इसमें भी कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जहां नवजात शिशुओं को स्तनपान और लैचिंग में समस्या हो सकती है। वहीं, बड़े बच्चे जो हफ्तों या महीनों से अच्छी तरह से ब्रेस्टफीडिंग कर रहे हैं, अचानक स्तनपान से इंकार कर सकते हैं। ये दोनों ही स्थितियां परेशान करने वाली होती हैं। लेकिन, थोड़ा-सा धैर्य रखकर बच्चे की नर्सिंग स्ट्राइक को खत्म किया जा सकता है। चाहे तो आप किसी बाल रोग विशेषज्ञ या नर्सिंग एक्सपर्ट से बात कर सकती हैं। इसके अलावा यहां कुछ टिप्स बताए जा रहे हैं जिससे शिशु की नर्सिंग स्ट्राइक खत्म करने में आपके लिए मददगार साबित होंगे। साथ ही पता चलेगा कि शिशु के स्तनपान के इंकार की वजह क्या है।
नर्सिंग स्ट्राइक क्या हैं? (What is Nursing Strike)
एक नर्सिंग स्ट्राइक तब होती है जब कोई बच्चा हफ्तों या महीनों तक अच्छी तरह से ब्रेस्टफीडिंग कराने के बाद अचानक स्तनपान करने से इंकार कर देता है। यह कई फीडिंग या कई दिनों तक रह सकता है। आमतौर पर, इसका मतलब है कि आपका शिशु स्तनपान करते समय कुछ अलग महसूस कर रहा है। कभी-कभी नर्सिंग स्ट्राइक का कारण आसानी से पहचाना जा सकता है।
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स्तनपान से इंकार के कारण क्या हैं?
बच्चे कई कारणों से ब्रेस्टफीडिंग करने से मना कर सकते हैं। ये कारण मां और शिशु से जुड़े हुए होते हैं। जैसे-
शिशु से जुड़े स्तनपान से इंकार के कारण
दर्द या तकलीफ : चाहे दर्द शिशु के मुंह में हो या कहीं और (जैसे कि टीकाकरण या चोट लगने से), दर्द और असहजता के कारण शिशु को स्तनपान में अरुचि हो सकती है। ब्रेस्ट मिल्क को सक करने, निगलने या स्तनपान के समय सांस लेने में अगर शिशु को तकलीफ हो रही है तो भी वह स्तनपान से इंकार कर सकता है।
शिशु की नींद : नवजात शिशुओं को सामान्य रूप से बहुत नींद आती है। लेकिन प्रसव के दौरान बर्थ प्रोसेस और दवाओं की वजह से शिशु सामान्य से अधिक सो सकता है। जाहिर है, अगर आपका बच्चा सो रहा है, तो वह स्तनपान नहीं कर रहा है। इस दौरान अगर आप उसे ब्रेस्टफीडिंग कराने की कोशिश भी करेंगी तो वह स्तनपान से इंकार करेगा।
बीमारी : नाक बहने या सर्दी-जुकाम की वजह से नाक बंद होने की वजह से बच्चे ब्रेस्टफीडिंग स्ट्राइक कर सकते हैं। साथ ही शिशु को डायरिया या दस्त है तो उससे स्तनपान में रुचि कम हो सकती है।
टीथिंग : बच्चों के दांत निकलना जब शुरू होते हैं तो उन्हें ब्रेस्टफीडिंग कराना कठिन हो सकता है। इस समय शिशु अक्सर स्तनपान से इंकार करने लगते हैं। अगर शिशु की टीथिंग के दौरान स्तनपान करते समय आपके ब्रेस्ट्स को काट लेता है, तो ऐसी स्थिति में उस पर चिल्लाएं नहीं। हो सकता है चिल्लाने से आपका बच्चा डर जाए और फिर वह स्तनपान से इंकार करने लगे।
मुंह की बनावट : यदि नवजात शिशु के मुंह या होंठों की बनावट में थोड़ी-सी भी असामान्यताएं हैं तो यह स्तनपान से इंकार की वजह बन सकता है क्योंकि ऐसे में उसे ब्रेस्टफीडिंग में समस्या होगी।
शिशु का समय से पहले जन्म : समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु शारीरिक रूप से काफी कमजोर होते हैं। हो सकता है इस वजह से वे निप्पल को पकड़ने और सक करने में सक्षम न हों। इस वजह से उनमें स्तनपान करने में कठिनाई पैदा हो सकती है।
अन्य कारण : बच्चे को एक ही तरफ से स्तनपान करवाया जाना और उसकी खराब सकिंग एबिलिटी के चलते भी स्तनपान से इंकार शिशुओं में देखने को मिलता है।
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मां से जुड़े स्तनपान से इंकार के कारण
असामान्य खुशबू या स्वाद : किसी भी तरह के नए साबुन, परफ्यूम या लोशन के इस्तेमाल से आपकी बॉडी ऑडर में बदलाव के कारण भी बच्चा ब्रेस्टफीडिंग स्ट्राइक पर जा सकता है।
फीडिंग में देरी : प्रसव के बाद मां का किसी वजह से शिशु को स्तनपान न करा पाने की वजह से भी बच्चे स्तनपान से इंकार करते हैं। नतीजन, ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान शिशु आपको बाइट भी कर सकता है।
व्यस्त वातावरण : अगर मां के आसपास का माहौल शांत नहीं है तो बच्चा स्तनपान से विचलित हो सकता है।
ब्रेस्ट मिल्क के स्वाद में परिवर्तन : मां के द्वारा खाए गए भोजन, दवा या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स के कारण स्तनों में दूध का स्वाद बदल सकता है। इससे भी शिशु स्तनपान से इंकार करना शुरू कर देता है।
दूध की आपूर्ति में कमी : सप्लीमेंट के साथ फॉर्मूला मिल्क या पैसिफायर का उपयोग करना भी मां के स्तनों में दूध कम बनने का एक कारण बन सकता है। लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई के चलते शिशु स्तनपान से इंकार कर सकता है।
बच्चे का स्तनपान करने से इंकार के पीछे भले ही कोई भी कारण हो लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि बेबी वीन (दूध छुड़वाना) करने के लिए तैयार है। वह आमतौर पर कुछ दिनों के भीतर स्तनपान फिर से शुरू कर देगा।
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यदि शिशु स्तनपान से इंकार करे तो आप क्या करें?
- सुनिश्चित करें कि आपका नवजात शिशु आपके स्तनों पर सही तरीके से लैच किए हुए हो।
- किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए अपने शिशु को डॉक्टर के पास ले जाएं।
- बच्चे को शांत और अंधेरे में स्तनपान कराएं ताकि वे डिस्ट्रैक्ट न हों।
- सामान्य से अलग ब्रेस्टफीडिंग पोजीशन का उपयोग करने का प्रयास करें।
- बच्चों को स्तनपान कराने के लिए बार-बार कोशिश करें लेकिन, अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए मजबूर न करें। यदि ब्रेस्टफीडिंग आपके बच्चे के लिए एक नकारात्मक अनुभव बन जाता है, तो उसे ब्रेस्टफीडिंग स्ट्राइक से हटाना कठिन हो सकता है।
- स्ट्रेस से दूर रहें। इससे स्तनों में दूध कम बन सकता है।
- यदि बच्चा स्तनपान से इंकार कर रहा है, तो उसे ब्रेस्ट मिल्क पंप से दूध पिलाने की कोशिश करें। टीथिंग के दौरान स्तनपान कराते समय अगर बच्चा स्तनों में काट ले, तो ब्रेस्ट्स को धीरे से (एकदम से नहीं) हटा लें।
- शिशु अगर स्तनपान से इंकार कर रहा है तो पहले उसे स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट दें। उसे दुलारे, पुचकारे फिर ब्रेस्टफीड के लिए ट्राई करें।
- यदि आप अपने बच्चे को दूध की बोतल नहीं देना चाहती हैं, तो जब तक शिशु स्तनपान करना शुरू न कर दे आप कप फीडिंग, फिंगर फीडिंग या नर्सिंग सप्लीमेंट डिवाइस का उपयोग कर सकती हैं।
- अपने डॉक्टर या नर्सिंग एक्सपर्ट से परामर्श करें।
ब्रेस्टफीडिंग कराते समय न्यू मॉम को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से वे बच्चे को जल्दी से दूध पिलाना चाहती हैं। लेकिन, ध्यान दें शिशु को स्तनपान कराते समय काफी धैर्य और संयम रखें। ऊपर बताए गए टिप्स के साथ बच्चे की नर्सिंग स्ट्राइक को खत्म करना जरूर आसान होगा। आप शिशु को कम से कम छह महीनों तक ब्रेस्टफीडिंग जरूर कराएं।
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