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2020 में पेरेंट्स के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है एडीएचडी बीमारी, जानें इससे बचने के उपाय

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/09/2021

    2020 में पेरेंट्स के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है एडीएचडी बीमारी, जानें इससे बचने के उपाय

    नया वर्ष आने को है और आप अपने बच्चों के लिए नई-नई प्लानिंग्स कर रही हैं। बच्चों की जिद या पढ़ाई में मन न लगना एक बड़ी समस्या होती है। ज्यादातर महिलाएं अपने बच्चों की इन समस्याओं को लेकर काफी परेशान रहती हैं। बच्चों की जिद करने की आदत और पढ़ाई में मन न लगने के पीछे अनेक कारण हो सकते हैं। ऑफिस जाने वाले माता-पिता के लिए यह एक बड़ी समस्या होती है। 2020 में ऑफिस के कार्यों में व्यस्त रहने वाले माता-पिता के लिए अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी बीमारी) एक बड़ी समस्या के रूप में उभरेगी। 2020 में एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) के लक्षण बच्चों में नजर आने पर आपको उनसे कैसे निपटना है? इसके बारे में जानना आपके लिए बेहद ही जरूरी है। आज हम आपको एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) या एडीएचडी इलनेस के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। इससे आपको अपने हाइपरएक्टिव बच्चे को कंट्रोल में रखने और स्कूल से जुड़ी हुई समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलेगी।

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    अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी बीमारी) क्या है?

    अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी बीमारी) एक मानसिक बीमारी है। एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) बच्चों और युवाओं को प्रभावित करती है, जो उनकी व्यस्कता तक जारी रह सकती है। बच्चों में एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) एक मानसिक विकार के रूप में सबसे ज्यादा पाया जाता है। एडीएचडी बीमारी से प्रभावित बच्चे हाइपरएक्टिव और अपनी लालसाओं या आवेगों को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं।

    एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) में ध्यान केंद्रित करने में उन्हें परेशानी आती है। एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) से पीड़ित बच्चों का व्यवहार उनके स्कूल और घर की जिंदगी को प्रभावित करता है। एडीएचडी की बीमारी लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ज्यादा पाई जाती है। स्कूल के शुरुआती दिनों में इसका पता नहीं चल पाता है, जब बच्चे को ध्यान लगाने में दिक्कत आती है। वहीं, एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों को टाइम मैनेजमेंट, संगठित रहने, लक्ष्यों को स्थापित करने और एक नौकरी को बनाए रखने में परेशानी आती है। ऐसे वयस्क को रिश्तों, आत्मसम्मान और एडिक्शन में समस्या होती है।

    एडीएचडी बीमारी के संकेत और लक्षण क्या हैं?

    एडीएचडी के लक्षण और संकेतों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है, जो निम्नलिखित हैं:

    • लापरवाही या असावधानी और अति सक्रियता/आवेगशीलता वाला व्यवहार एडीएचडी के प्रमुख लक्षण हैं। हालांकि, एडीएचडी से पीड़ित कुछ लोगों में सिर्फ व्यवहार से संबंधित परेशानी होती है, जबकि अन्य लोगों में लापरवाही और अति सक्रियता (हाइपरएक्टिविटी)- आवेगशीलता दोनों ही दिक्कतें होती हैं। ज्यादातर बच्चों में एक समूह जैसा एडीएचडी होता है।
    • नर्सरी या प्रीस्कूल में ज्यादातर बच्चों में एडीएचडी का प्रमुख लक्षण अति सक्रियता या हाइपरएक्टिविटी होता है।
    • हालांकि, कुछ बच्चों में लापरवाही, अनियंत्रित मोटर एक्टिविटी और आवेगशीलता एक सामान्य चीज होते हैं, लेकिन एडीएचडी वाले बच्चों में इस प्रकार के व्यवहार गंभीर होते हैं। एडीएचडी बच्चों में यह बार-बार सामने आते हैं। सामाजिक रूप से, स्कूल या नौकरी में इस प्रकार का व्यवहार हस्तक्षेप या कार्य करने की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

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    लापरवाही

    एडीएचडी से पीड़ित जिन लोगों में लापरवाही के लक्षण नजर आते हैं वो अक्सर निम्नलिखित चीजें करते हैं:

    • याद न रहना या विवरण को भूल जाना, स्कूल और नौकरी के कार्य में लापरवाही भरी गलती करना या अन्य गतिविधियों के दौरान यह गलतियां करना।
    • बातचीत, लेक्चर्स या लंबी पढ़ाई को मिलाकर किसी भी कार्य में मन लगाए रखने या खेलने में ध्यान लगाने में समस्या।
    • सीधे तौर पर बात करने के दौरान ठीक से न सुनना।
    • निर्देशों का पालन न करना और स्कूल, कोरस या नौकरी के कार्यों को खत्म करने में विफल होना या काम शुरू करना, लेकिन जल्द ही ध्यान हट जाना और आसानी से अलग हो जाना।
    • काम और कार्यों को संगठित करने में परेशानी जैसे क्रमबद्धत्ता में क्या करना है, चीजों और सामान को क्रमबद्धत्ता में न रखना, काम को हौच पौच करना और समय प्रबंधन में काफी लचर होना और समय सीमा में कार्य को पूरा न कर पाना।
    • काम से बचना या न पसंद करना, जिसमें मानसिक ध्यान लगाए रखने की जरूरत हो जैसे स्कूल का कार्य या घर का कार्य या युवाओं और प्रौढ़ लोगों में रिपोर्ट्स बनाने, फॉर्म को पूरा करने या लंबे कागजातों की समीक्षा करने में परेशानी आना।
    • काम या गतिविधियों के लिए जरूरी चीजें भूलना जैसे स्कूल की चीजें पेंसिल, किताबें, टूल्स, वॉलेट्स, चाबी, पेपरवर्क, आइग्लासेज और फोन।
    • असंबंधित विचारों की वजह से आसानी से ध्यान भंग हो जाना।
    • दिनचर्या में चीजों को भूल जाना जैसे कोरस, दोबारा फोन करना और अपॉइंटमेंट को भूलना।

    अति सक्रियता या हाइपरएक्टिविटी

    • एडीएचडी के हाइपरएक्टिविटी वाले बच्चे अक्सर बैठने के बड़बड़ाते, चंचलता दिखाते हैं और उछल जाते हैं।
    • सीट पर बैठे नहीं रहते।
    • शांति से खेलने में परेशानी होती है।
    • हमेशा सक्रिय रहते हैं जैसे दौड़ना या चढ़ना (युवाओं और एडल्ट्स में यह लक्षण रेस्टलेसेंस के रूप में चिन्हिंत की जाती है)।
    • अत्यधिक बोलना।
    • हमेशा अतिसक्रिए रहते हैं।

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    एडीएचडी बीमारी से पीड़ित बच्चों में आवेगशीलता के लक्षण

    बच्चों के लिए:

    • अपनी बारी के इंतजार करने में परेशानी।
    • जवाबों की धज्जियां उड़ाना या तेज तर्रार तरीके से जवाब देना।
    • अन्य लोगों के बीच में हस्तक्षेप करना।

    अडल्ट्स के लिए:

  • देरी और भूल जाने की पुरानी समस्या
  • एंजाइटी
  • कम आत्मसम्मान
  • नौकरी में समस्या
  • गुस्से को नियंत्रण करने में परेशानी
  • आवेगशीलता
  • नशीले पदार्थों का सेवन या लत
  • असंगठित होना
  • विलंब या टालमटोल करना
  • आसानी से परेशान हो जाना
  • बोरियत की पुरानी समस्या
  • पढ़ते वक्त ध्यान केंद्रित करने में समस्या
  • मूड में बदलाव
  • डिप्रेशन
  • रिश्तों में समस्याएं आना
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    भारत में एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) के चिंताजनक आंकड़े

    2020 के लिए आपने अपने बच्चों के संबंध में एडीएचडी क्या होता है और इसके लक्षण क्या हैं? इन दोनों ही सवालों के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्रित कर ली होगी। अब इसका उपचार या इलाज कैसे किया जाए? आपके लिए यह जानना बेहद ही जरूरी है। यदि आपको इन तीनों ही सवालों के संबंध में विस्तृत जानकारी मिल जाती है तो 2020 में एडीएचडी की समस्या नजर आने पर इलाज करने में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

    इंडियन जर्नल ऑफ साइकेट्री में 16 मई 2019 को एक अध्ययन प्रकाशित किया गया। यह अध्ययन देश के चुनिंदा स्कूलों में बच्चों में एडीएचडी का पता लगाने के लिए किया गया। इस अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले थे। अध्ययन के मुताबिक, कुल मिलाकर 8.8% तक एडीएचडी का प्रसार या फैलाव है। एडीएचडी के उपप्रकार में लापरवाही (Inattentive) के लक्षण 43.3 % बच्चों में पाए गए। अति सक्रियता या हाइपरएक्टिविटी 43.3% बच्चों में पाई गई और कंबान्ड टाइप एडीएचडी 13.2 % मामलों में पाई गई।

    विश्व में एडीएचडी बीमारी के आंकड़े

    नवंबर 2018 में जर्नल नेचर जेनेटिक्स (Journal Nature Genetics) में एक शोध प्रकाशित किया गया। शोध में कहा गया कि बचपन में एडीएचडी के लक्षण नजर आना शुरू होते हैं, लेकिन यह बीमारी किशोरावस्था और वयस्कता तक जारी रहती है। शोध के मुताबिक, दुनियाभर में तकरीबन 2.5% व्यस्क और करीब 5% बच्चे अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से पीड़ित हैं।

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    एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) का इलाज कैसे करें?

    मेडिकेशन: कई लोगों में एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) या एडीएचडी इलनेस की दवाइयों का इस्तेमाल करने पर यह उनकी बॉडी में अति सक्रियता और आवेगशीलता को कम कर देती हैं। इससे ध्यान लगाने, कार्य करने या याद करने या रखने की क्षमता में सुधार होता है। कई बार डॉक्टरों को एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) से पीढ़ित किसी व्यक्ति के लिए उचित इलाज ढूंढने में भी समय लग जाता है। चूंकि एडीएचडी बीमारी में हर व्यक्ति की मनोस्थिति या दिमागी हालत भिन्न होती है।

    साइक्लॉजिकल ट्रीटमेंट (मनोवैज्ञानिक चिकित्सा): एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) के इलाज में कई लोगों या बच्चों को मनोचिकित्सक की जरूरत होती है। एडीएचडी बीमारी से पीढ़ित लोगों में मनोचिकित्सक दिमाग को मजबूत बनाने में मदद करता है। यदि उस व्यक्ति में कोई साइकोलॉजिकल फेक्टर पाया जाता है तो वह उसका इलाज करता है।

    स्टीमुलेंट्स: स्टीमुलेंट्स की सहायता से भी एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) की समस्या का उपचार किया जाता है। इनके द्वारा दिमाग में डोपामाइन और नोरएपिनेफ्रीन कैमिकल को बढ़ाया जाता है, जो कि सोचने और ध्यान लगाने की क्षमता के लिए बहुत जरूरी हैं। इससे एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।

    अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर बच्चे के सामान्य व्यक्तित्व विकास को बहुत प्रभावित करता है। इसके कई लक्षणों को दवा और थेरेपी के द्वारा काफी हद तक सुधारा जा सकता है। उपचार के रूप में आमतौर पर डॉक्टर बीमारी से पीड़ित बच्चे को सबसे पहले दवाएं देते हैं। इसके बाद व्यवहार को ठीक करने का इलाज किया जाता है।

    2020 में यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा हाइपरएक्टिव है या उसमें एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) के लक्षण नजर आते हैं तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए। जिस तरह से हमारी दिनचर्या व्यस्त होती जा रही है, उसे देखते हुए 2020 में यह समस्या ज्यादातर माता पिता के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। बेहतर होगा कि आप नए वर्ष की शुरुआत में एडीएचडी को चिन्हित करें और इसका उचित इलाज भी करें।

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