दुनिया चाहे कितनी भी आगे चली जाए लेकिन, बच्चाें की परवरिश के मामले में कुछ आदतें ज्यादातर पेरेंट्स नहीं बदल पाए हैं। अब जब तरीके पुराने हो गए हैं तो उन्हें ‘बाय’ कहना ही ज्यादा बेहतर है। हो सकता है कि आपका नए पेरेंटिंग स्टाइल का परिणाम ज्यादा इफेक्टिव हो। इस बारे में ट्री हाउस स्कूल, मुंबई की पेरेंटिंग कोच गीता सिंह ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि पहले के मुकाबले अब का समय काफी बदल गया है। इसलिए समय को देखते हुए बच्चाें की परवरिश के पुराने तरीकों में भी बदलाव जरूरी है। तो जानते हैं आखिर आज के समय में बच्चाें की परवरिश अच्छी तरह से कैसे की जाए?
बच्चों की परवरिश के लिए टिप्स
वैसे तो अलग-अलग बच्चों की परवरिश के तरीके भी अलग-अलग होते हैं क्योंकि हर बच्चा मानसिक और शारीरिक स्तर में दूसरे बच्चे से भिन्न होता है। इसलिए, बच्चों की परवरिश का तरीका भी अलग होना चाहिए। नीचे बच्चों की परवरिश से जुड़े कुछ सामान्य ऐसे टिप्स दिए जा रहे हैं, जिस पर माता-पिता अमल करके अपनी संतान को बेहतर रास्ता दिखा सकते हैं। जानते हैं बच्चाें की परवरिश के टिप्स-
बच्चे की सराहना न करना है गलत
बच्चों की परवरिश करते समय अक्सर पेरेंट्स को यह लगता है कि बच्चों की मुंह पर तारीफ करना गलत है। इसके लिए वे बच्चे के मुंह पर तारीफ करने से बचते हैं। अभी भी ज्यादातर पेरेंट्स इसी पुराने तरीके को अपनाते हैं। पेरेंट्स को लगता है कि सराहना करने से बच्चा कहीं अधिक कॉन्फिडेंस में ना आ जाए। लेकिन, बच्चों की तारीफ करना जरूरी भी है। ऐसा इसलिए है कि आपका बच्चा हर दिन कुछ नया सीखता है। सराहना ना करने से बच्चे के आत्मविश्वास में कमी आती है। एक रिसर्च के मुताबिक बच्चे की तारीफ करने से उसे प्रेरणा मिलेगी और वह खुद को ज्यादा आत्मविश्वासी महसूस करेगा। बच्चों की परवरिश बेहतर तरीके से हो इसके लिए यह टिप्स पेरेंट्स जरूर फॉलो करें।
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पूरा खाना खत्म करने का दबाव न डालें
बच्चे खाने के मामले में थोड़ा नखरा दिखाते हैं। कई बार वह ऐसा तब करते हैं जब उन्हें पूरा खाना नहीं खाना होता है। इसलिए, खाना खाते वक्त पेरेंट्स बच्चों को पूरा खाना खत्म करने के लिए डराना शुरू करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे को जबरदस्ती खाना खत्म करने के लिए बिल्कुल ना कहें। बच्चाें की परवरिश के दौरान ज्यादातर पेरेंट्स ऐसा करते हैं। ऐसा करने से बच्चे के अंदर नकारात्मक भाव पैदा होते हैं। पेरेंट्स को समझना होगा कि अगर वो खाना छोड़ रहा है तो कहीं आपने उसकी प्लेट में ज्यादा खाना तो नहीं परोस दिया है। ज्यादा खाना खिलाने से बच्चा मोटापे का शिकार भी हो सकता है। इसलिए बच्चे को उतना ही खाने के लिए कहे जितना वो खा सके। अगर वह नहीं खा पाता है तो थोड़ा रुके और एक या दो घंटे बाद फिर से खाने के लिए कहें।
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प्यार दें, हर मांगी हुई चीज नहीं
अक्सर पेरेंट्स बच्चाें की परवरिश के दौरान समझते हैं कि अपने बच्चों को प्यार करने का मतलब है उनकी हर डिमांड को पूरा करना। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर आप अपने बच्चे से प्यार करते हैं तो उसे वह सब चीजें लाकर दें जो उसके लिए जरूरी है। बेवजह की मांगों को पूरा करने से बच्चा जिद्दी और डिमांडिंग हो सकता है। फिर आपको लगेगा कि बच्चाें की परवरिश में आपने तो कमी नहीं छोड़ी।
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बच्चे को बड़ों का सम्मान करना सिखाएं
हर मां-बाप अपने बच्चों की परवरिश में बच्चों को बड़ों की इज्जत और सम्मान करना सिखाते हैं। लेकिन, क्या कभी सोचा कि बच्चे को हम बड़ों की इज्जत करना सिखा दिए, पर क्या बड़ों ने बच्चे की इज्जत करनी सीखी? शायद नहीं। अक्सर हम भूल जाते हैं कि प्यार के बदले प्यार और इज्जत के बदले इज्जत मिलती है। इज्जत देना उम्र की नहीं बल्कि आपसी सामंज्य का मामला है। कभी-कभी बड़े बच्चे से दुर्व्यवहार करते हैं तो उनमें एक तरह की चिढ़ पैदा होती है। जिससे बच्चा नकारात्मक होता चला जाता है। फिर वह जब बड़ों की इज्जत करना छोड़ देता है तो हमें लगता है कि बच्चा बिगड़ रहा है, बच्चाें की परवरिश खराब है। जबकि उसकी वजह हम खुद होते हैं। पहले आप बच्चे का सम्मान करें फिर वह खुद ब खुद सम्मान करना सीख जाएगा। बच्चाें की परवरिश यह तरीका अभिभावकों को बदलने की जरुरत है।
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सेक्स के बारे में बात करना गलत नहीं
बच्चाें की परवरिश की लिए मां-बाप क्या कुछ नहीं करते हैं लेकिन सेक्स एक ऐसा विषय है जिसके बारे में पेरेंट्स बच्चे से कभी नहीं बात करना चाहते हैं। बड़ों को जब बच्चों को सेक्स से जुड़ी बातें समझानी होती है तो वे घबरा जाते हैं। आज भी कई लोगों की पुरानी सोच है कि बच्चे को सेक्स की जानकारी जल्दी होने से वे बिगड़ जाते हैं। लेकिन, बच्चों की परवरिश अच्छी हो वे किसी गलत रस्ते पर न जाए इसके लिए बच्चों के साथ सेक्स के बारे में खुल के बात करें। इससे बच्चा गलत जानकारी पाने से बच जाता है। एक रिसर्च के अनुसार जो बच्चे अपने पेरेंट्स से सेक्स पर खुलकर बात करते हैं, उनके सेक्सुअल एक्टिविटी (sexual activity) में लिप्त होने की संभावना बहुत कम होती है।
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जीवन की सच्चाइयों को बच्चे से छुपाना गलत
अक्सर बच्चों की परवरिश के दौरान हम बच्चों से जीवन की कई सारी सच्चाई छुपाते हैं। जैसे किसी बीमारी के बारे में या किसी की मृत्यु के बारे में हम बच्चे से हमेशा झूठ बोलते हैं। 5 साल की उम्र तक बच्चे आपकी कहानी पर बच्चे यकीन कर लेते हैं लेकिन, उसके बाद वे समझने लगते हैं कि आप उनसे कुछ छुपा रहे है। बच्चों से जीवन के सभी उतार चढ़ाव के बारे में बात करें। अगर किसी को कोई गंभीर बीमारी है तो बच्चे को बताएं। किसी की मौत की सूचना भी बच्चे को दें। ये ना सोचे कि बच्चा इससे दुखी होगा। बल्कि बच्चाें की परवरिश के दौरान उसे बताने के बाद जीवन-मरण के चक्र को भी समझाएं। इससे वह भावनात्मक रूप से मजबूत बनेगा। इससे बच्चों की परवरिश बेहतर तरीके से होगी।
बच्चाें की परवरिश के दौरान माता-पिता को पॉजिटिव पेरेंटिंग स्टाइल रखना चाहिए। इससे आप बच्चे के पैरेंट्स ही नहीं बल्कि उसके फ्रेंड बन जाएंगे। साथ ही बच्चा आपसे किसी भी बात को बताने में झिझकेगा नहीं। आपको भी समझना होगा कि अब वक्त बदल गया है और खुद को अपडेट करने की जरूरत है। उम्मीद है ऊपर बताए बच्चों की परवरिश संबंधित टिप्स आपके लिए मददगार साबित होंगे।
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