एडीएचडी (ADHD) (अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर) एक ऐसी समस्या है, जो आजकल के ज्यादातर बच्चों में देखी जा सकती है। जिसे हम सभी सामान्य भाषा में हाइपरएक्टिव बच्चा (Hyperactive child) भी कहते हैं। इससे पीड़ित बच्चा बहुत ज्यादा बोलता है, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है, अपनी उम्र से बड़ी बातें करता है और काफी शरारती व जिद्दी हो जाता है। इस स्थिति में पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं। वह बच्चों को कंट्रोल करने के लिए डांटने के साथ-साथ कई बार पीटने भी लग जाते हैं। यह ठीक तरीका नहीं है। इससे बच्चे में नकारात्मकता आ जाती है और उसका व्यवहार और खराब हो जाता है। एडीएचडी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अक्टूबर माह को एडीएचडी (ADHD) अवेयरनेस मंथ (महीना) के रूप में मनाया जाता है। आपके बच्चे के साथ भी अगर ऐसी समस्या है तो, यह खबर आपके काम की है। इसमें हम बताएंगे कि आखिर क्या है एडीएचडी और कैसे इस समस्या से आप निपट सकते हैं। हाइपरएक्टिव बच्चा (Hyperactive child) हो तो ,उसे संभालना बेहद जरूरी है। अगर हाइपरएक्टिव बच्चा (Hyperactive child) है और माता-पिता यह सोच कर निश्चिन्त रहते हैं कि बड़ा होकर बच्चा ठीक हो जाएगा तो, यह गलत है। हाइपरएक्टिव बच्चा है तो, डॉक्टर से संपर्क करें और इसके इलाज के विकल्पों को समझें।
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क्या है एडीएचडी (ADHD)?
एडीएचडी एक जटिल मस्तिष्क विकार (Mental illness) है। कुछ लोग इसे बीमारी मानते हैं, जो गलत है। न्यूरोसाइंस, ब्रेन इमेजिंग और क्लिनिकल रिसर्च के अनुसार एडीएचडी न तो व्यवहार विकार है, न सीखने की विक्लांगता और न ही मानसिक बीमारी (Mental disease) है। विशेषज्ञों की मानें तो इसे ‘अटेंशन डेफिसिट (Attention deficit)’ की जगह ‘अटेंशन डीरेग्यूलैशन (Attention deregulation)’ कहना ज्यादा सही रहेगा क्योंकि एडीएचडी वाले बच्चों में ध्यान पर्याप्त से अधिक होता है। हालांकि वे इसका उपयोग सही समय पर और सही दिशा में नहीं कर पाते। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) और यूनेस्को की रिपोर्ट की मानें तो, बायोलॉजिकल होने की वजह से इंडिया में 3 में से 1 लड़का और 4 में से एक लड़की बचपन से हाइपरएक्टिव (Hyperactive) होते हैं। एडीएचडी अक्सर बचपन से शुरू होता है और बड़ी उम्र तक रह सकता है।
हाइपरएक्टिव बच्चा: क्या है वजह?
आजकल छोटे-छोटे बच्चों पर पढ़ाई से लेकर कॉम्पिटिशन तक हर जगह आगे निकलने का प्रेशर डाला जाता है। इससे उनका मानसिक व शारीरिक विकास (Physical and mental growth) प्रभावित होता है। यही नहीं सिंगल फैमिली की वजह से भी बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं। इन सबसे भी वह हाइपरएक्टिव (Hyperactive) हो जाते हैं।
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हाइपरएक्टिव बच्चा (Hyperactive child) है, तो ऐसे रखें ध्यान
मुंबई स्थित बच्चों के चिकित्सक डॉ गौतम सपरे का कहना है कि यह बीमारी नहीं है, अगर पैरेंट्स कुछ बातों का ध्यान रखें और सावधानी बरतें तो, बच्चे की इस समस्या को आराम से खत्म किया जा सकता है और हाइपरएक्टिव बच्चा भी ठीक तरह से व्यवहार कर सकता है।
- बच्चे की बात ठीक से सुनें : एडीएचडी (ADHD) से जूझ रहे बच्चों की बात को ठीक से सुनना बहुत जरूरी होता है। कई बार ऐसा होता है कि वह आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ कहना चाहते हैं, पर जब उन्हें अच्छा रेस्पॉन्स नहीं मिलता तो, वह हाइपर हो जाते हैं।
- खेलकूद में व्यस्त रखें : अगर आपका बच्चा भी इस समस्या से पीड़ित है तो, आपको उसे खेलकूद व आउटडोर एक्टिविटी (Outdoor activity) में ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखना चाहिए। आप बच्चे को डांस या आर्ट क्लास में भी भेज सकते हैं। इससे उनके शारीरिक व मानसिक विकास के साथ-साथ सामाजिक व्यवहार का भी विकास होगा।
- बच्चे को अधिक समय दें : आपका बच्चा अगर आपसे ठीक से व्यवहार नहीं कर रहा है तो, आपको उसे अधिक से अधिक समय देने की जरूरत है। उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। आपके साथ व प्यार से वह बेहतर महसूस करेगा।
- दूसरों के सामने डांटने से बचें : अगर आपका बच्चा हाइपरएक्टिव (Hyperactive child) है तो, उसकी हरकतों को लेकर आप कभी भी उसे दूसरों के सामने न डांटें। इससे उसकी मानसिकता, आत्मविश्वास (Self confidence) और व्यवहार प्रभावित होता है। वह और भी हाइपरएक्टिव बच्चा (Hyperactive) हो जाता है।
- बच्चे को दें ज्यादा प्यार : ऐसे बच्चों को अगर ज्यादा प्यार दिया जाए तो, वह ठीक हो जाते हैं। आप उन्हें प्यार देंगे तो, वह शांत हो जाएंगे।
- गिफ्ट दें : आप अपने बच्चे का मन बहलाने के लिए उसे कुछ नई चीज खरीदकर गिफ्ट कर सकते हैं। गिफ्ट देखकर वह खुश होगा और ठीक व्यवहार करेगा। कोशिश करें कि ऐसा गिफ्ट दें जो उसके विकास के लिए फायदेमंद हो।
- हर गतिविधि पर नजर जरूरी : एडीएचडी से पीड़ित बच्चों की हर गतिविधियों (हाइपरएक्टिव बच्चा) पर पैनी नजर रखने की जरूरत होती है। उसके स्कूल में टीचर से फीडबैक लेते रहें ताकि, उसके व्यवहार में आ रहे अंतर को आप समझ सकें। व्यवहार समझने से आप उचित निर्णय ले सकेंगे।
कहते हैं ना बच्चे को जन्म देने से मुश्किल काम बच्चे की सही परवरिश करना है। आजकल की भाग—दौड़ भरी जिंदगी में हम बस इस परवरिश में कई जगह मात खा जाते हैं। बच्चा बात नहीं मान रहा, बच्चा हाइपरएक्टिव हो गया है या चिड़चिड़ा हो गया है, बस यही बात हम हर जगह दोहराते रहते हैं। जरूरत बात को दोहराने की नहीं बल्कि, बच्चे के इस व्यवहार को समझने की है। यही उसके लिए और आपके लिए बेस्ट है।
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हाइपरएक्टिव बच्चा (Hyperactive child): क्या हैं इसके मिथ और फैक्ट्स?
मिथ: सभी बच्चे अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) होते हैं।
फैक्ट: कुछ बच्चे ADHD के कारण हाइपरएक्टिव (Hyperactive) होते हैं लेकिन, सभी बच्चे इस डिसऑर्डर से पीड़ित नहीं होते हैं। सच ये भी है की ADHD वाले बच्चे हाइपरएक्टिव होने के साथ-साथ सतर्क भी रहते हैं।
मिथ: ADHD वाले बच्चे किसी भी चीज पर ध्यान नहीं देते हैं।
फैक्ट: ADHD वाले बच्चे कुछ एक्टिविटी को एन्जॉय तो करते हैं लेकिन, उन्हें ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है।
मिथ: ADHD वाले बच्चे अगर चाह लें तो बर्ताव अच्छा कर सकते हैं।
फैक्ट: ADHD वाले बच्चे अच्छा करने की पूरी कोशिश करते हैं लेकिन, वो लाख कोशिश करने के बाद भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में वो चुप (Silent) रहना और किसी काम पर ध्यान देने में असमर्थ होते हैं। हालांकि पेरेंट्स (Parents) को ये जरूर समझना चाहिए की ये वो सोच समझकर नहीं कर रहें हैं।
मिथ: अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर की समस्या (ADHD Problem) से पीड़ित बच्चे अपने आप ठीक हो जाते हैं।
फैक्ट: लक्षणों को समझकर इलाज करवाना बेहतर हो सकता है। बच्चे के बड़े होने का इंतजार माता-पिता को नहीं करना चाहिए।
अगर आप हाइपर एक्टिव बच्चा से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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