सर्दी का मौसम ज्यादातर सभी लोगों को पसंद होता है, क्योंकि गर्मी की तेज धूप से सबकी हालत खराब हो जाती है। सर्दी का मौसम अपने साथ ठंडक तो लाता है,लेकिन इस मौसम में बच्चों को थोड़ा एक्ट्रा केयर करनी की जरूरत पड़ती है। विशेष रूप से स्किन केयर करना माता-पिता के लिए एक बड़ा चैलेंज बन जाता है। वैसे तो सर्द हवाओं से बड़ों की स्किन को ही बचाना मुश्किल होता है और बच्चों की स्किन तो बड़ों से भी पांच गुना ज्यादा नाजुक होती है। इस लेख में हम आपको सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर को लेकर आवश्यक सावधानियां बरतने से जुड़ी जानकारी देंगे।
सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर कैसे करें?
ठंड के मौसम में घर में रहे या बाहर स्किन नैचुरली बहुत ड्राय हो जाती है, विशेष रूप से बच्चों की, क्योंकि उनकी त्वचा बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बच्चों को लेकर बाहर नहीं निकलेंगे या उनको घर में बंद कर देंगे। आपको अपने बच्चे के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा, इससे न सिर्फ आप बल्कि आपका बच्चा भी सर्दी के सर्द मौसम को पूरी तरह से एन्जॉय कर पाएगा। हम आपकी टेंशन को समझते हुए यहां सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर टिप्स के बारे बताएंगे। हमें विश्वास है, इससे आपकी चिंता कुछ हद तक जरूर कम हो जाएगी।
सर्दियों में स्किन केयर के लिए ऊनी कपड़ों को इस तरह पहनाएं
बच्चों को ताजी हवा में सांस लेने और प्राकृतिक रोशनी की जरूरत होती है। इसलिए बाहर निकलने से पहले उनकी सुरक्षा के लिए पहला टिप यह है कि, कोमल सूती या ऊनी कपड़े पहनाएं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बहुत सारे कपड़ों से लेयरअप कर दें। ज्यादा कपड़े पहनाने से उनको सांस लेने में असुविधा महसूस हो सकती है। इसलिए तापमान के हिसाब से कपड़ा पहनाएं और ऊनी कपड़े पहनाने के पहले नीचे हल्का सूती कपड़ा जरूर पहनाएं, इससे ऊनी कपड़े सीधे त्वचा के संपर्क में नहीं आ पाते हैं। सीधे संपर्क में आने पर नाजुक त्वचा के साथ घर्षण होने के कारण एलर्जी आदि की समस्या हो सकती है।
ध्यान रखें कि एक साल की उम्र से बच्चों के पास भी एक अडल्ट की तरह कपड़ों के ऑप्शन होने चाहिए, जिससे उन्हें ठंड से बचाया जा सके। अगर बच्चा छोटा है, तो उसके पास और अधिक लेयरिंग होनी चाहिए। टोपी, मोजे और मोटे दस्ताने तो कभी ना भूलें।
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सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर के लिए हाइड्रेशन को न भूलें
सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर के लिए बच्चे को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी होता है। बच्चे को हाइड्रेट रखकर उनके गाल, होंठ, और हाथों के पीछे, लालिमा और पीलिंग को रोक सकते हैं। बच्चे के होंठों की सुरक्षा के लिए न्यूट्रल वैसलीन बहुत उपयोगी है। घर से बाहर निकलने से पहले आपको हमेशा सनस्क्रीन के साथ मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आप इन बातों का ध्यान नहीं रखते तो बच्चों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। इसलिए बच्चों को ब्रेस्टमिल्क हो या पानी पर्याप्त मात्रा में पिलाना चाहिए। सर्दी की शुष्कता का असर बच्चों की त्वचा पर जो पड़ता है, उससे स्किन को बचाया जा सकता है।
सर्दियों में बच्चों की स्किन को मॉश्चराइज करना न भूलें
विंटर में ड्राय वेदर के कारण बच्चों की नाजुक त्वचा बहुत जल्दी ही शुष्क और पपड़ी दार बन जाती है। इसलिए अगर आपके बच्चे की स्किन बहुत ड्राय है तो नहाने के बाद मॉश्चराइजर लगाना कभी भी न भूलें। ड्राय स्किन को खुजली या पैचेज से बचाने के लिए लोशन लगाने की जगह पर क्रीम लगाएं। क्रीम बहुत देर तक स्किन को नम और मॉश्चराइज रखता है। इसके अलावा आप डॉक्टर से पुछकर नहाने के पहले उनको ऑयल मसाज भी कर सकते हैं, लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि उसको ठंड न लगे। ठंड लगने पर उनको सर्दी-खांसी की परेशानी हो सकती है।
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सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर के लिए रोज नहलाना नहीं है जरूरी
सर्दी में बच्चों की स्किन केयर के लिए उनको साफ रखना तो बहुत जरूरी होता है, पर कंफ्यूजन इस बात की है कि क्या रोज नहलाना चाहिए। तो जवाब यह है कि, न तो रोज नहलाना जरूरी है और न ही घंटों गर्म पानी और साबुन से साफ सफाई करने की जरूरत है। हफ्ते में तीन दिन नहलाएं और विशेष रूप से उनके प्राइवेट पार्ट्स की अच्छी तरह से साफ-सफाई का ध्यान रखें। जिस दिन नहीं नहलाएंगे, उस दिन गर्म पानी में तौलिए को भिंगोकर उससे बच्चे के शरीर को अच्छी तरह से पोंछ लें। नहलाने के लिए बहुत ज्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल न करें। बच्चों के लिए माइल्ड और बिना खुशबू वाले साबुन का इस्तेमाल करें, इससे शरीर की नमी बनी रहेगी। साबुन से बहुत ज्यादा रगड़कर न नहलाएं, बल्कि हल्के हाथों से साबुन लगाकर साफ करें। उससे बाद हल्के से तौलिए से शरीर को पोंछ लें।
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बच्चों के होंठ, गाल और हाथों की त्वचा का रखें विशेष ख्याल
जैसा कि आप जानते ही हैं कि सर्दियों में बच्चों की स्किन बहुत ड्राय हो जाती है। इसमें बच्चों के होंठ, गाल और हाथों पर विशेष रूप से असर पड़ता है। इन अंगों का संपर्क ठंडी हवा से सीधे होता है, इसलिए आसानी से फटकर सनबर्न की तरह न नजर आने लगते हैं। इसलिए दिन में कम से कम दो बार होंठ पर बेबी लिप बाम लगाना चाहिए। इसके अलावा होंठ और गाल के लिए बेबी क्रीम या बेबी लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। सर्दी में कई बच्चों के उंगलियों, हाथ, पैर की उंगलियां, पैर, कान, नाक और गाल लाल हो जाते हैं। कई मामलों में उंगलियों में सूजन भी नजर आती है। इस स्थिति को शीतदंश कहते हैं। इससे बचने के लिए बच्चे को हाइड्रेटेड रखना बेहद जरूरी है।
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सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर के लिए एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन युक्त डायट दें
एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन से भरा आहार बच्चे की त्वचा की देखभाल करने में मदद करता है। विटामिन ए और सी से भरपूर फलों और सब्जियों को डायट में शमिल करें। कम तापमान बच्चों की इम्यूनिटी को कमजोर बनाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। उचित पोषण शरीर को मजबूत बनाता है और खांसी, संक्रमण, बलगम, अस्थमा, या फ्लू से लड़ने में मदद करता है। यह त्वचा की बीमारियों को रोकने में भी मदद करेगा जैसे कि एटोपिक डर्मेटाइटिस आदि।
सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर के लिए टीकाकरण
सर्दी का मौसम है तो ठंड में बच्चे को बाहर ले जाना ठीक नहीं, यह सोचकर टीकाकरण करवाना छोड़ना नहीं चाहिए। बच्चों के टीकों या वैक्सीनेशन को भी अप टू डेट रखें। ये संक्रमण और गंभीर बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करते हैं।
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बच्चों की स्किन केयर के लिए घर के तापमान का रखें ख्याल
ठंड के मौसम के दौरान हीटिंग जरूरी है। लेकिन, इससे त्वचा में ड्रायनेस होती है। इसके लिए ह्यूमिडिफायर रखना सही विकल्प है। अगर आपके पास इसका विकल्प नहीं है, तो हीटर के ऊपर या उसके पास पानी के कंटेनरों को रखना भी एक अच्छा ऑप्शन है।
नोट-ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी घरेलू उपचार, दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
फ्रॉस्टबाइट में बच्चों को स्किन का रखें ख्याल
जाहिर है कि सर्दी में ठंड का सीधा असर स्किन पर पड़ता है। बच्चे या बड़े भी इस असर से बच नहीं पाते हैं। शायद आपको पता नहीं कि बड़ों की तुलना में बच्चों को फ्रॉस्टबाइट की समस्या ज्यादा होती है। क्योंकि सर्दी के मौसम में उनके शरीर की गर्मी बड़ों की तुलना में बहुत जल्दी कम हो जाती है। इसलिए उनके गाल, होंठ, हाथ और पैरों की उंगलियों में ठंड का असर बहुत जल्दी पड़ जाता है। जिसके कारण ठंड से प्रभावित क्षेत्र सफेद या ग्रे कलर के हो जाते हैं। अगर आप अपने बच्चे के शरीर में फ्रॉस्टबाइट के लक्षण देख रहे हैं तो जल्दी उन्हें गर्म कपड़ें में लपेटकर डॉक्टर के पास ले जाएं। अगर तुरन्त डॉक्टर के पास ले जाना मुश्किल हो रहा है तो घर के भीतर ले जाकर अपने गोद में लेकर शरीर की गर्मी दें। हाथ और पैरों को हाथ से रगड़कर गर्म करने की कोशिश करें। शायद शरीर गर्म होने पर यह सफेद या ग्रे कलर लाल रंग में तब्दिल हो सकते हैं। उसके बाद जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करें। इसलिए सर्दी में बच्चों की स्किन के तरफ हमेशा ध्यान रखें कि उसमें कोई बदलाव नजर आ रहा है कि नहीं।
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सर्दी में बच्चों की स्किन में हो सकता है एक्जिमा की परेशानी
अगर आपके परिवार में किसी को एक्जिमा की बीमारी है तो आपके बच्चे को भी इस बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। विशेष रूप से सर्दी के दिनों में शुष्क मौसम होने के कारण स्किन ड्राय हो जाती है। ऐसे हालात में अगर आपके बच्चे की स्किन भी बहुत ड्राय है तो उसको एक्जिमा होने का खतरा हो सकता है। ऐसा होने पर उसको बार-बार नहलाएं, लेकिन प्रभावित जगह पर किसी साबुन का इस्तेमाल न करें। उसके बाद नरम तौलिए से थपथपाकर त्वचा को पोंछे। उसके बाद भी अगर अवस्था में सुधार नहीं आ रहा है तो तुरन्त डॉक्टर के पास ले जाना ही सुरक्षित होता है।
बच्चों को हो सकती है डायपर रैशेज की समस्या
सर्दी हो या गर्मी डायपर रैश की समस्या सभी बच्चों को होती है, अगर उनके स्किन का अच्छी तरह से देखभाल न किया जाए। सर्दी के मौसम में तो ठंड के कारण वैसे ही बच्चे डायपर के अलावा और भी कपड़े पहने हुए रहते हैं, जिससे डायपर के भीतर गर्मी बढ़ जाती है। उसके ऊपर ठंड के कारण देर से डायपर बदलने के कारण वहां देर तक भीगे डायपर के कारण त्वचा नम रहती है। फलस्वरूप डायपर रैश होने की संभावना ज्यादा बन जाती है। यहां तक गर्म कपड़ों के कारण त्वचा का तापमान बढ़ जाने के कारण रैशेज बढ़ भी सकते हैं। इसलिए हमेशा ध्यान रखकर कम से कम चार घंटे के अंतराल में डायपर बदलते रहना चाहिए। वैसे भी सर्दी के मौसम में बच्चे ज्यादा पेशाब करते हैं, इसलिए डायपर पेशाब से भींगकर ओवरलोड हो गया है कि नहीं इस बात पर नजर रखें। डायपर बदलने के समय त्वचा को अच्छी तरह से साफ करके वहां पाउडर लगाने की जगह डॉक्टर द्वारा दिया गया डायपर क्रीम या नारियल का तेल भी लगा सकते हैं। इससे रैशेज कम होने लगते हैं। डायपर रैशेज के कारण होने वाली खुजली और जलन से भी जल्द आराम मिलता है। इसलिए सर्दी में बच्चों की स्किन केयर करना बहुत जरूरी होता है।
नोट-ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी घरेलू उपचार, दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर टिप्स में रूसी होने पर इस तरह करें देखभाल
सर्दी के दिनों में अक्सर ठंड से बचाने के लिए बच्चों को टोपी पहनाया जाता है। कहा जाता है ठंड से बचाने के लिए बच्चे को कान को अच्छे तरह से ढक कर रखना चाहिए। ऐसा बहुत दिनों तक करने के बाद शायद आपको अचानक एक दिन बच्चे के स्कैल्प में रूसी जैसा या वहां की त्वचा पपड़ी जैसी नजर आ सकती है। ऐसा होने पर घबराएं नहीं। डॉक्टर ने जिस हेयर ऑयल का इस्तेमाल करने की सलाह दी है, उसको स्कैल्प पर हल्के हाथों से अच्छी तरह से लगा दें। ऐसा कुछ दिनों तक करते रहें, लेकिन अवस्था में सुधार न आने पर डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। इसको क्रैडल कैप भी कहा जाता है। सर्दी के मौसम में लंबे समय तक ऊनी टोपी आदि पहनाने के कारण वहां की त्वचा ड्राय हो जाती है, जिसके कारण रूसी आदि की समस्या होने लगती है। सर्दियों में बच्चों की स्किन में कितने तरह के डिजीज हो सकते हैं, यह तो आप समझ ही चुके होंगे।
अब तक के विश्लेषण से आपको पता चल ही गया होगा कि सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर कैसे करते हैं। क्यों इस मौसम में बच्चों की स्किन का विशेष रूप से ध्यान रखने की जरूरत होती है और स्किन का केयर ठीक से न करने पर किन-किन परेशानियों या बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बच्चों का रखें विशेष रूप से ख्याल और उनको खुश रखें। बच्चों की त्वचा को ठंड से बचाने के लिए इन टिप्स को फॉलों करें, ताकि बच्चे पूरी तरह से सर्दियों का आनंद ले सकें। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर से जुड़ी जानकारी दी गई है। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।
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