कब्ज… कितनी मुश्किलों से भरा होता है कब्ज का रास्ता! एक बार जो इस रास्ते पर फिसल गया, तो उसके लिए संभलना बेहद मुश्किल हो जाता है। एक बार कब्ज ने आपके पेट के दरवाजे पर दस्तक दी, तो समझ जाइये, आपके बुरे दिन शुरू हो गए। फिर धीरे-धीरे आपका चैन (patience), नींद (sleep) और सुकून (peace), सब आपका साथ छोड़कर बाहर का रास्ता नाप लेते हैं! ऐसे में जरूरत है कि कब्ज के रास्ते पर फूंक-फूंक कर कदम रखा जाए! लेकिन कैसे? यही सवाल है न आपका? तो जवाब भी जान लीजिये.. परहेज! कब्ज में परहेज एक ऐसा काम है, जो आपको परेशानी के सबब से बचा सकती है। भले ही कब्ज, यानी कि कॉन्स्टिपेशन आपको लम्बे समय से परेशान करता रहा हो, लेकिन समय रहते कब्ज में परहेज को अपना कर हम इस तकलीफ में बहुत हद तक आराम पा सकते हैं। लेकिन इन सभी बातों को आगे बढ़ाने से पहले ये जान लेते हैं कि कब्ज में परहेज करना क्यों जरूरी है?
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कब्ज में परहेज: नहीं करोगे, तो बहुत पछताओगे!
नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की माने, “तो कब्ज की समस्या एक साइड इफेक्ट की तरह है, ये कोई बीमारी नहीं है। आपको कब्ज की तकलीफ तब कहलाती है, जब आप आम तौर पर बेहद कम टॉयलेट जाते हैं, साथ ही आपको स्टूल (stool) पास करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। साथ ही कब्ज की दिक्कत आपको कई कारणों की वजह से हो सकती है। जिसमें एक्सरसाइज की कमी, स्ट्रेस, नींद की कमी और खास तौर पर आपकी पूअर डायट (poor diet) जिम्मेदार होती है। इसलिए आपको इन बातों पर ख़ास ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। खास तौर पर आपकी डायट और लाइफस्टाइल से जुड़े परहेज अपनाने से आपको कब्ज की दिक्कत में राहत मिल सकती है। इसलिए आपको कब्ज होने पर क्या ना खाएं और क्या खाएं, इन बातों पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत पड़ती है।”
तो अब आप समझे, कब्ज में परहेज करना, आपकी कितनी बड़ी मदद कर सकता है! वैसे इसका एक इलाज हमारी नजर में और भी है! लैक्सेटिव! अब आप सोच रहे होंगे कि ये लैक्सेटिव क्या है? दरअसल ये एक ऐसा पदार्थ है, जो आपके मोशन को आसान बनाता है। ये होता ऐसा है कि ये आपके पेट में जाकर इंटेस्टाइन को स्टिम्युलेंट करता है, जिससे स्टूल बाहर की तरफ बढ़ने लगता है और मोशन आसानी से हो जाता है। इसलिए जब रात को आप इसकी एक गोली लेकर सोते हैं, तो सुबह टॉयलेट से आने के बाद आपको पूरी तरह से फ्रेशनेस महसूस होता है। लैक्सेटिव (Laxatives) में आप स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव अपना सकते हैं, जिसमें आप बिसाकोडिल (Bisacodyl) पर भरोसा कर सकते हैं। तो है न ये सोने पे सुहागा? तो फिर आप क्यों गलत लाइफस्टाइल और पूअर इटिंग हैबिट (poor eating habits) में खुद को फंसाना चाहते हैं? बेहतर है आप जान लें कि कौन सा खाना आपको कब्ज (constipation) में राहत दिलाने के लिए काफी है और आपको कौन से खाने से दूरी बनानी है।
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कब्ज में क्या ना खाएं? यही सोच रहे हैं न आप?
कब्ज की तकलीफ में आपका खाना बड़ा रोल निभाता है। जब आप कोई ऐसा खाना खाते हैं, जो आपके डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाता है, तो आपके बॉवेल मूमेंट (Bowel movement) पर इसका सीधा असर पड़ता है। डायजेशन (Digestion) बेहतर बनने के कारण आपका खाना आसानी से पचता है और आप दूसरे दिन बिना किसी मुश्किल के टॉयलेट (toilet) से पूरी तरह फ्रेश होकर निकलते हैं। लेकिन वहीं, अगर आप ऐसा कोई खाना खाते हैं, जो आपके डायजेशन को सपोर्ट नहीं करता, तो दूसरे दिन आपको गैस (gas), ब्लोटिंग (bloating), पेट दर्द (stomach ache) और कॉन्स्टिपेशन जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए सही अमाउंट में सही चीज खाना आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। इसलिए कब्ज होने पर क्या ना खाएं, सबसे पहले ये जान लेते हैं।
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कब्ज में परहेज: क्योंकि इन चीजों को न खाने से दुनिया पलट नहीं जाएगी!
डेयरी प्रोडक्ट (Dairy products): भले ही हमारे देश में डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है, लेकिन डेयरी प्रोडक्ट से कॉन्स्टिपेशन बढ़ने के चांसेस बढ़ जाते हैं। कब्ज में दूध और चीज खाना आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है, इसलिए आपको इन चीजों को अपने डायट से कम करना चाहिए। लेकिन यहां बात आती है सही चॉइस की, आप अपने खाने में दूसरे डेयरी प्रोडक्ट, जैसे योगर्ट (yoghurt), कब्ज में दही (curd) आदि को चूज कर सकते हैं। ये सभी प्रोडक्ट प्रोबायोटिक से भरपूर होते हैं, जो आपके गट (gut) के लिए अच्छे माने जाते हैं। यानी कब्ज में दही आप खा सकते हैं, लेकिन कब्ज में दूध से परहेज करें।
फास्ट फूड (Fast/junk food): अपनी बिजी लाइफ के चलते हम पहले से प्रिपेयर किया हुआ और जंक फूड खाने से नहीं कतराते। यह फास्ट फूड खाने में भले कन्वीनियंट हो, लेकिन ये आपके डायजेस्टिव सिस्टम को बहुत नुकसान पहुंचता है। इसमें फाइबर का अमाउंट बेहद कम होता है, जिससे डायजेशन का काम आसानी से नहीं हो पाता और हम कॉन्स्टिपेशन (constipation) के शिकार हो जाते हैं। कब्ज में दूध के फास्ट फूड से दूरी बनाना जरूरी है।
फ्राइड फूड (Oily/fried food): तला और भुना खाना इंडियन किचन की शान माना जाता है। लेकिन पेट में जाने के बाद यही फ्राइड फूड आपको सुबह फ्रेश होने में दिक्कत खड़ी कर सकता है। यह खाना, डायजेस्ट करने में मुश्किल होता है, जिससे सुबह स्टूल (stool) पास करने में आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
बेक्ड फूड (Baked food): स्वाद में टेस्टी कप केक्स (cakes), पेस्ट्रीज (pastries), कुकीज (cookies) और वाईट ब्रेड (white bread) खाना तो सभी को पसंद आता है, लेकिन यह रिफाइंड शुगर (refined sugar) और बहुत ही कम फाइबर (fibre) से बने होते हैं। साथ ही इस में फैट का अमाउंट बहुत ज्यादा होता है। इसीलिए यह कोलोन में ज्यादा समय तक फंसे रहते हैं। इससे आपको कॉन्स्टिपेशन की दिक्कत हो सकती है।
रेड मीट (Red Meat): माना कि कई लोगों का खाना मीट के बिना अधूरा होता है, लेकिन रेड मीट खाना उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। खास तौर पर रेड मीट, आपके कॉन्स्टिपेशन को और भी बद्तर बना सकता है। जी हां कब्ज में दूध के बाद सबसे ज्यादा नुकसान रेडमीट ही करता है। दरअसल, रेड मीट में फाइबर कम और फैट का अमाऊंट ज्यादा होता है, जिससे डायजेस्टिव सिस्टम को इसे पचाने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे आपको कॉन्स्टिपेशन (constipation) की दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
एल्कोहॉल (Alcohol): आजकल के लाइफ स्टाइल के हिसाब से एल्कोहॉल हमारे बीच एक आम ड्रिंक बनकर रह गई है, जिसे हम अक्सर पीते हैं। ये न सिर्फ हमारे डायजेस्टिव सिस्टम को डिस्टर्ब करती है, बल्कि इससे हमारे शरीर से पानी की कमी भी हो जाती है। इस डिहाइड्रेशन (dehydration) का सीधा असर हमारे डायजेस्टिव सिस्टम पर पड़ता है और कब्ज की दिक्कत होने लगती है। इस तरह अगर कब्ज में परहेज करना चाहते हैं, तो इन फूड आयटम्स से आपको दूर रहना होगा।
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कब्ज में क्या खाएं? लीजिये जवाब हाजिर है!
फाइबर (Fiber): फाइबर आपके कॉन्स्टिपेशन में बड़ी राहत दिला सकता है। इसके लिए आपको जरूरत है एक दिन में 25 से 30 ग्राम फाइबर खाने की, जो आपको होल ग्रेन्स (wholegrains), होल व्हीट ब्रेड (wholewheat bread) , हाय फाइबर फ्रूट, और ब्राउन राइस (brown rice) से मिल सकता है। इसलिए आपको इन फूड आयटम्स को ज्यादा से ज्यादा अपने खाने में एड करना होगा। मैक्स सूपर स्पेशलिटी सेंटर के डायटिक्स एंड न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट में कार्यरत डॉ प्रियंका अग्रवाल बताती हैं, “फ़ूड आयटम्स जैसे, रिफाइंड फ्लोर, प्रोसेस्ड और फ्रोजन फूड, टैट्रा पैक जूसेस में फाइबर की मात्रा बेहद कम होती है। इसलिए आपको इन सभी फूड आयटम्स से दूरी बनाती चाहिए। साथ ही आपको साबुत अनाज, दाल, फल और सब्जियों का इन टेक अपने खाने में बढ़ाना चाहिए।”
सब्जियां (Vegetables): जब आप कब्ज में राहत पाने के लिए सब्जियों का रुख करें, तो कुछ ख़ास सब्जियों को जरूर खाने में शामिल करिये। इन सब्जियों में ब्रॉक्ली (broccoli), गाजर (carrot), बेक्ड आलू, मटर (peas) और टमाटर (tomatoes) का इस्तेमाल खास तौर पर करना चाहिए। ये सभी सब्जियां आपके डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाने का काम करती हैं और आप कब्ज में राहत पा जाते हैं।
बादाम (Almonds): टेस्ट में बेस्ट बादाम को आप छोटी-मोटी चीज मत समझिये! क्योंकि बादाम आपके दिमाग के साथ-साथ आपके पेट के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। इसमें विटामिन-ई के साथ ही फाइबर (Fibre) भी मौजूद होता है। अगर आप 100 ग्राम बादाम खाते हैं, तो आपको 11.20 ग्राम फाइबर मिलता है। तो सुबह-सुबह बादाम खाने की आदत को अपनाना आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है।
बाजरा (Pearl Millets): अगर बात करें अनाज की, तो बाजरा सबका राजा माना जाता है। बाजरे में भरपूर मात्रा फाइबर होता है। अगर आप 200 ग्राम बाजरा खाते हैं, तो आपको उससे लगभग 17 ग्राम फाइबर (Fibre) मिल जाता है। इसलिए बाजरे की खिचड़ी या रोटी बना कर लंबे समय तक खाने से कब्ज में आराम मिल सकता है।
तो अब आपको फाइनली कब्ज में क्या खाएं, इस सवाल का जवाब मिल ही गया होगा। लेकिन आपको ये बात बता दें कि ये सभी चीजें आपको कब्ज में राहत दे सकती है, लेकिन इसका इलाज नहीं कर सकती। साथ ही ये नुस्खे आपको लम्बे समय के बाद राहत देते हैं। लेकिन अगर आपको कब्ज का गैरेंटीड इलाज चाहिए, तो आपको स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव की मदद लेनी चाहिए, जो आपको एक ही रात में आराम पहुंचा कर, सुबह मोशन में मदद करता है। और देखते ही देखते आपका पेट साफ़ हो जाता है। स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव में आप बिसाकोडिल (Bisacodyl) पर भरोसा कर सकते हैं, जो आपके पेट के जाम को हरी बत्ती दिखाने में एक्सपर्ट माना जाता है।
ये तो हुई खाने-पीने की बात, लेकिन लाइफस्टाइल से जुड़ी कुछ ख़ास बातें भी जान लीजिये, जो कॉन्स्टिपेशन से राहत दिलाने में आपकी मदद कर सकती हैं!
कब्ज में परहेज के साथ अब जान लीजिये लाइफस्टाइल से जुड़ी ए बी सी डी
अब तक तो आपने जान ही लिया होगा कि आप कैसे आपके खाने का सीधा असर आपके बॉवेल मूवमेंट पर पड़ता है। लेकिन अब हम आपको कुछ ऐसी डेली हैबिट्स के बारे में बताएंगे, जिसके में अगर समय रहते ना सोचा गया, तो आपको लेने के देने पड़ सकते हैं। आपके रोजमर्रा के काम और आपका डेली रूटीन आपके डायजेस्टिव सिस्टम को बेहद अफेक्ट करता है, इसलिए आपको जरूरत है कुछ लाइफस्टाइल चेंजेस की, जो आपको कॉन्स्टिपेशन में राहत दिला सकते हैं।
क्योंकि पूरी नींद (Sleep), आपके कॉन्स्टिपेशन के असर को बेअसर कर सकती है!
आपके स्लीपिंग सायकल (sleeping cycle) को लेकर आपने कई बातें पढ़ीं और सुनी होंगी, जैसे समय पर सोना और समय पर उठना चाहिए। लेकिन इसका आपके गट से क्या ताल्लुक है, ये कभी सोचा है? चलिए आपको बताते हैं कि एक्सपर्ट इस बारे में किया कहते हैं। शालीमार बाग स्थित फॉर्टिस हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ प्रदीप जैन (मेटाबॉलिक सर्जरी) ने बताया, “नींद पूरी ना होने पर गैस्ट्रोइंटेस्टिनल सिस्टम (GI) पर बुरा असर पड़ता है और कब्ज भी इसी से जुड़ी तकलीफ में से एक माना जाता है। जब नींद में कमी की वजह से व्यक्ति के दिमाग पर असर पड़ता है, तो आगे चलकर यही उसके मोशन को भी प्रभावित करता है।” तो अब आप समझे, कैसे नींद का सीधा असर हमारे पेट के अंदर चल रहे काम पर पड़ता है? इसलिए अगर आप कॉन्स्टिपेशन से जूझ रहे हैं, तो आपको आपके स्लीपिंग पैटर्न पर खासा ध्यान देने की जरूरत है!
कहीं आप पानी पीना तो नहीं भूल जाते?
अब आप सोच रहे होंगे, ये कैसा सवाल है? जब भी प्यास लगती है, पानी तो हर कोई पीता ही है! लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं है। आपके शरीर को एक सही अमाउंट में पानी की जरूरत पड़ती है, जिससे डायजेस्टिक सिस्टम ठीक से काम करता है। यदि आप कम अमाउंट में पानी पीते हैं, तो आपके डायजेस्टिव ऑर्गन्स को काम करने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता। जिससे स्टूल (stool) आसानी से कोलोन के रास्ते बाहर नहीं निकल पाता और कॉन्स्टिपेशन (constipation) की दिक्कत होने लगती है। इसलिए आपको भरपूर मात्रा में पानी पीने की हिदायत दी जाती है।
एक्सरसाइज (exercise) है बड़े काम की चीज!
अब आप सच-सच ये बताइये, क्या आप रोजाना वर्क आउट (workout) करते हैं? अगर नहीं, तो आपको कॉन्स्टिपेशन परेशान कर सकता है। मैक्स सूपर स्पेशलिटी सेंटर के डायटिक्स एंड न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट में कार्यरत डॉ प्रियंका अग्रवाल बताती हैं, “फिजिकल एक्टिविटी की मदद से आप कॉन्स्टिपेशन से दूर रह सकते हैं। हर व्यक्ति को कम से कम एक दिन में 10,000 कदम चलना चाहिए। वहीं योग और प्राणायाम भी आपको कॉन्स्टिपेशन से दूर रखने में मदद कर सकते हैं।” साथ ही, रोजाना वर्कआउट करने से हमारे इंटेस्टाइन की पूरी तरह से मालिश होती है और इसकी फ्लैग्सिबिलिटी बढ़ती है। जाहिर है इसका सीधा असर हमारे डायजेशन पर पड़ता है। इसलिए कॉन्स्टिपेशन की दिक्कत को बेहतर बनाना हो, तो एक्सरसाइज का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
तो हुआ न ये फायदे का सौदा! इसलिए अगली बार जब आपको कॉन्स्टिपेशन की दिक्कत हो, तो आप इन टिप्स का ख्याल जरूर रखिये। क्या पता आपको कुछ ही समय में कॉन्स्टिपेशन से छुटकारा मिले और आप चैन की सांस ले पाएं!
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