backup og meta

प्रेग्नेंसी में नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट क्यों करवाना है जरूरी?

प्रेग्नेंसी में नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट क्यों करवाना है जरूरी?

प्रेग्नेंसी की शुरुआत के साथ ही कई अलग-अलग तरह की शारीरिक जांच की सलाह गायनोकोलॉजिस्ट देते हैं। गर्भवती महिला की सेहत के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत पर भी काफी बारीकी से स्वास्थ्य विशेषज्ञ नजर बनाये रखते हैं।

टेस्ट रिपोर्ट्स के अनुसार मां और शिशु दोनों को फिट रखने में सहायता मिलती है और बेबी डिलिवरी के दौरान महिला को कम से कम परेशानी हो इसके भी टिप्स दिए जाते हैं। इस दौरान अल्ट्रासाउंड की मदद से बच्चे के मूवमेंट और ग्रोथ को डॉक्टर मॉनिटर करते हैं। ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड से हटकर एक टेस्ट और की जाती है, जिसका नाम है नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट। क्यों की जाती है नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट और इस टेस्ट की आवश्यकता कब पड़ती है यह समझने की कोशिश करते हैं लेकिन, सबसे पहले जानते हैं क्या है NIPT?

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट (NIPT) क्या है?

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट (Noninvasive Prenatal Testing) एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है। NIPT से गर्भ में पल रहे शिशु के अनुवांशिक विकारों की जानकारी मिलती है। दरअसल नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट के दौरान प्लासेंटा (गर्भनाल) के डी.एन.ए की जांच की जाती है। NIPT प्रेग्नेंसी की शुरुआती वक्त में की जाती है। रिसर्च के अनुसार नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट अन्य स्क्रीनिंग की तुलना में ज्यादा सही माना जाता है। NIPT प्रेग्नेंसी के पहली तिमाही और प्रेग्नेंसी के तीसरी तिमाही में की जाती है।

[mc4wp_form id=’183492″]

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट की मदद से डाउन सिंड्रोम (Down syndrome), एडवर्ड सिंड्रोम (Edwards syndrome) और पटु सिंड्रोम (Patau syndrome) की जानकारी मिलती है। इसके साथ ही NIPT से X और Y क्रोमोसोम की भी जानकारी मिलती है कि इनकी संख्या कम है ज्यादा। यह समझना बेहद जरूरी है की NIPT एक स्क्रीनिंग टेस्ट है न की डायग्नॉस्टिक टेस्ट। इस टेस्ट की मदद से जेनेटिक कंडीशन की जानकारी मिल जाती है, जिससे यह समझना आसान हो जाता है की गर्भ में पल रहे शिशु में आनुवांशिक रोगों का खतरा कम है या ज्यादा। नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट की मदद से गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की इसकी भी जानकारी फस्ट ट्राइमेस्टर में मिल जाती है। अल्ट्रासाउंड से भी पहले NIPT शिशु के सेक्स की जानकारी देने में सक्षम है। हालांकि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की इसकी जानकारी देना कानूनी अपराध है।  

और पढ़ें: ऐसे बच्चे जन्म से ही हो सकते हैं अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical Hernia) का शिकार

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट किसे करवाना चाहिए?

हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट सिर्फ उन्हीं महिलाओं को करवाने की सलाह दी जाती है:-

  1. जिन्होंने डाउन सिंड्रोम, एडवर्ड सिंड्रोम, पटु सिंड्रोम या क्रोमोसोमल असमानता वाले शिशु को जन्म दे चुकी हैं। 
  2. ब्लड रिलेशन (हस्बैंड और वाइफ) में अनुवांशिक विकारों (Genetic disorder) का हिस्ट्री रह चूका हो। 
  3. गर्भवती महिला की उम्र 34 वर्ष या इससे ज्यादा हो
  4. RH नेगेटिव ब्लड ग्रुप होना।

इन चार स्थितियों के साथ-साथ अन्य शारीरिक परेशानी या गर्भवती महिला की सेहत के अनुसार और हेल्थ से रिलेटेड फेमली हिस्ट्री को देखते हुए डॉक्टर नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं। 

और पढ़ें: 9 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट में इन पौष्टिक आहार को शामिल कर जच्चा-बच्चा को रखें सुरक्षित

NIPT कब किया जाता है?

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट Pregnancy 10th Week : प्रेग्नेंसी वीक 10, जानिए लक्षण, शारीरिक बदलाव और सावधानियां के बाद की जाती है। इस टेस्ट का रिपोर्ट 2 सप्ताह के बाद आता है। कुछ स्थिति में हेल्थ एक्सपर्ट अन्य जेनेटिक टेस्ट जैसे कोरयोनिक विलस सैम्पलिंग (Chorionic villus sampling (CVS)) और एम्नियोसेंटेसिस (Amniocentesis) करवाने की सलाह देते हैं। कोरयोनिक विलस सैम्पलिंग (CVS)- प्लासेंटा के सेल (कोशिका) की जांच की जाती है। वहीं एम्नियोसेंटेसिस- एमनियॉटिक फ्लूइड का सैम्पल लिया जाता है।

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट फस्ट ट्राइमेस्टर या सेकेण्ड ट्राइमेस्टर में होने वाली स्क्रीनिंग टेस्ट से ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।

और पढ़ें: गर्भधारण के लिए सेक्स ही काफी नहीं, ये फैक्टर भी हैं जरूरी

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट के रिपोर्ट को कैसे समझें?

फॉल्स पॉसिटिव रिपोर्ट- फॉल्स पॉसिटिव रिपोर्ट का अर्थ है गर्भ में पल रहे जुड़वां बच्चों में से एक बच्चे की मृत्यू हो जाना। इसकी जानकारी स्कैन से ली जाती है। इसके पीछे एक और कारण हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार अगर गर्भवती महिला में कोई परेशानी हो।

फॉल्स नेगेटिव रिपोर्ट- टेस्ट के दौरान लिए गए ब्लड में अगर इम्ब्रायो के डी.एन.ए की मात्रा कम हो, ऐसी स्थिति में रिपोर्ट फॉल्स नेगेटिव हो सकते हैं।

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट रिपोर्ट टेस्ट लैब के अनुसार भी हो सकते हैं। लेकिन, प्रायः नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव, नेगेटिव या इनवेलिड भी हो सकते हैं। इसलिए नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट इससे जुड़े एक्सपर्ट से ही करवाना चाहिए। NIPT की रिपोर्ट नेगेटिव या पॉसिटिव होने की स्थिति में अच्छी तरह से समझें। इसके साथ ही अगर नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट रिपोर्ट से यह जानकारी मिलती है की गर्भ में पल रहा शिशु RH नेगेटिव है, तो कोई परेशानी की बात नहीं हो सकती है लेकिन, अगर गर्भ में पल रहा शिशु RH पॉसिटिव है, तो गर्भवती महिला की सेहत के साथ-साथ अन्य सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है। इस दौरान अगर आपके स्वास्थय विशेषज्ञ अन्य शारीरिक जांच की सलाह देते हैं तो उसे टाले नहीं। 

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट और इसके जांच रिपोर्ट्स के बारे में चिंतित होना स्वाभाविक हो जाता है, अगर रिपोर्ट के अनुसार गर्भ में पल रहे शिशु में किसी प्रकार का क्रोमोसोमल प्रोब्लेम हो। यह ध्यान रखें की क्रोमोसोमल असामान्यता को दूर तो नहीं किया जा सकता है और न ही इसका कोई इलाज अब तक संभव हो पाया है। लेकिन, डॉक्टर और जेनेटिकल काउंसलर से संपर्क कर स्थिति को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

और पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान ये 6 काम जरूर करें और ये न करें?

NIPT करवाने की फीस कितनी होती हैं?

टेस्ट फी अस्पताल पर निर्भर करता है लेकिन, इस टेस्ट के लिए 24,000 से 30,000 रुपय तक पैसे खर्च हो सकते हैं।

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट से जुड़ी कुछ अहम जानकारी:- 

  • इस टेस्ट के गलत रिजल्ट भी आ सकते हैं।
  • अन्य आनुवांशिक स्थितियों या अन्य जन्म दोषों के लिए इस टेस्ट का सहारा नहीं लिया जाता है। 
  • NIPT से सभी तरह के क्रोमोसोमल प्रोब्लेम की जानकारी नहीं मिलती है।

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान पौष्टिक आहार का सेवन करें। इसके साथ ही गर्भवती महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान एक्टिव रहना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान की जाने वाली एक्सरसाइज या योग करना चाहिए, वॉकिंग करना भी लाभदायक हो सकता है। हालांकि जिन महिलाओं को गायनोकोलॉजिस्ट बेडरेस्ट की सलाह देते हैं उन्हें ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जिससे उन्हें या उनके गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचे।

अगर आप नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्ट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

[embed-health-tool-due-date]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

What is noninvasive prenatal testing (NIPT) and what disorders can it screen for?/https://ghr.nlm.nih.gov/primer/testing/nipt/Accessed on 06/04/2020

False Negative Cell-Free DNA Screening Result in a Newborn with Trisomy 13/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4779849/Accessed on 06/04/2020

Noninvasive prenatal testing/https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/25112487/Accessed on 24/07/2020

Non-invasive prenatal testing: a review of international implementation and challenges/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4303457/Accessed on 24/07/2020

Current Version

12/03/2021

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

गर्भावस्था की पहली तिमाही में अपनाएं ये प्रेग्नेंसी डायट प्लान

गर्भावस्था की पहली तिमाही के व्यायाम जिनको करना है बेहद आसान


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/03/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement