नवजात शिशुओं में लगातार यानि कि बहुत जल्दी-जल्दी दूध पीने की आदत देखी जाती है, ऐसे में मां को लगता है कि यह कहीं शिशु में कोई समस्या तो नहीं है? ऐसा बच्चे में क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding in baby) के कारण हो सकता है, जो कि बिल्कुल समान्य है। वैसे भी शिशु में ब्रेस्टफीडिंग करने का कोई निश्चित समय नहीं होता है। आपके मन में अब ये सवाल होगा कि आखिर बच्चे में क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding in baby) है क्या?। यह बच्चे की एक आदत है, जो कि हर शिशु में देखी जाती है। इसमें मां को परेशान होने की जरूर नहीं है, बस उन्हें इसे मैनेज करने का सही तरीका पता हो। फिर क्लस्टर फीडिंग को आसान बनाया जा सकता है। जानिए क्लस्टर फीडिंग के लिए मां किन बातों का रखें ध्यान।
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च्चे में क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding in baby) क्या है?
जब आपका शिशु बिना रुके जल्दी-जल्दी फीडिंग करता है, तो इसे क्लस्टर फीडिंग कहते हैं। इसमें नवजात शिशु को बहुत कम-कम समय में बार-बार भूख का एहसास होता है, यानि कि उन्हें शॉर्ट सेशन में भूख लगती है। जन्म के एक सप्ताह बाद से ही शिशु में क्लस्टर फीड शुरू हो सकती है, जोकि सामान्य है। ऐसे में में परेशान होने की आवश्यकता नहीं हैं, क्योंकि यह शिशु का विकास का ही एक प्रॉसेस है, जो उसे पीलिया जैसी बीमारियों से भी बचाता है। यह भी कह सकते हैं कि क्लस्टर फीडिंग आपके शिशु के ग्रोथ स्पर्ट्स के दौरान आपके दूध की आपूर्ति को बढ़ावा देने का एक प्रॉसेज है। क्लस्टर फीडिंग बच्चे में अचानक से भी शुरू हाे सकती है। क्लस्टर फीडिंग शिशु का सामान्य व्यवहार है, जो मुख्य रूप से पहले कुछ हफ्तों में नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने में देखा जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपके बच्चे या आपके दूध की आपूर्ति में कुछ गड़बड़ है। ऐसे में मां को शिशु को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है।
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बच्चे में क्लस्टर फीडिंग की आदत क्या हैं (What are the Cluster Feeding Habits in Baby)?
ऐसा होना शिशु के लिए समान्य है। यह तब होता है जब शिशु का विकास तेजी से हो रहा हो। विकास के दौरान शिशु को अधिक पोषण की जरूरत होती है। इस दौरान आमतौर पर शिशु दिन में आठ से दस बार फीड करते हैं, लेकिन कई बार वह इसमें भी संतुष्ट नहीं होते है और भूंख से रोते हैं। अगर देखा जाए, तो नवजात का फीडिंग सेशन 10 मिनट तो कुछ का 20 मिनट का होता है। बच्चे में क्लस्टर फीडिंग 8-12 बार होना सामान्य है।
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शिशु क्लस्टर फीड कब करते हैं? (When do babies cluster feed?)
बच्चे में क्लस्टर फीडिंग की आदत सबसे ज्यादा इन स्थितियों में देखी जाती है, जिनमें शामिल हैं:
- जब बच्चे का विकास हो रहा होता है।
- जब बच्चे की भूंख मिटती नहीं है।
- जब बच्चा अधिक शरारतें करता है
- जब बच्चे में चिड़चिड़ापन हो।
- शिशु जब पूरा लंबा फीड न मिले।
- जब बच्चे का वजन तेजी से बढ़ रहा हो।
- बच्चों को बहुत जल्दी-जल्दी यूरिन होना।
इसके अलावा, अन्य स्थितियों में बच्चे में क्लस्टर फीडिंग की स्थिति देखी जा सकती है। शुरूआत के समय में यह बच्चों में ज्यादा देखी जाती है।
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शिशु किस समय करते हैं क्लस्टर फीड (What time do babies cluster feed)?
बच्चे में क्लस्टर फीडिंग को कोई निधार्रित समय नहीं होता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि शिशु को कितनी भूंख महसूस हो रही है और उसका पेट कितना भरा है। इसलिए बच्चे को क्लस्टर फीड करने का शेड्यूल तय नहीं किया जा सकता है। समय बाटने से बच्चे में ओवरफीडिंग हो सकती है। इसके अलावा, हर बच्चा अलग होता है, लेकिन किसी भी बच्चे के लिए एक सामान्य फीडिंग में लगने वाला समय, 10 से 30 मिनट तक हो सकता है। विशेषज्ञ आपके नवजात शिशु को 24 घंटे में औसतन कम से कम 8 से 12 बार दूध पिलाने की सलाह देते हैं। आपका शिशु भूख के लक्षण दिखा सकता है और उसे अधिक बार खाने की जरूरत है।
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क्लस्टर फीडिंग बनाम पेट का दर्द (Cluster feeding vs colic)
यदि आपका शिशु सामान्य से अधिक दूध पीने के साथ रोने लगता है, तो आपको आश्चर्य हो सकता है कि क्या उसे पेट का दर्द है। पेट का दर्द क्लस्टर फीडिंग के समान भी हो सकता है या भूंख के साथ बच्चे के पेट में गैस के दर्द की समस्या भी हो सकती है, जो कुछ समय के लिए हो सकता है। पेट के दर्द वाले बच्चे को आमतौर पर दूध पिलाने या फॉर्मूला दूध पिलाने से राहत नहीं मिलती है। हालांकि, एक क्लस्टर फीडिंग बेबी को नर्सिंग सेशन के दौरान आराम मिल सकता है।
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क्लस्टर फीडिंग के लाभ और जोखिम क्या हैं (What are the benefits and risks of cluster feeding)?
वैसे तो बच्चे में क्लस्टर फीडिंग होना समान्य है, लेकिन क्लस्टर फीडिंग के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव देखेने को मिल सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
लाभ (Benefit)
- क्लस्टर फीडिंग के बाद शिशु अधिक देर तक सो सकता है।
- यह आपके दूध की आपूर्ति को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
- यह बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत और धैर्य के लेवले को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
- इससे बच्चे को सभी जरूरी पोषक तत्व प्राप्त होता है।
जोखिम (Demerit)
- बच्चे में क्लस्टर फीडिंग के दौरान मां के निप्पल में रेड्नेस की समस्या हो सकती है।
- यह मां के लिए थकान भरा हो सकता है।
- इसका असर मां की सेहत पर भी पड़ सकता है।
- लगातार फीड से मां को डिहायड्रेशन की समस्या हो सकती है।
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बच्चे क्लस्टर फीड कब करते हैं (When do babies cluster feed)?
बच्चे में क्लस्टर फीडिंग जन्म के बाद 3 सप्ताह के आसपास से 6 सप्ताह तक होना सामान्य है। कुछ बच्चों में अधिक समय भी लग सकता है। एसा तब होता है, जब बच्चों के विकास में पहली बार वृद्धि होती है। शुरूआत में शायद मां के लिए इसे समझना और मैनेज करना थोड़ा मुश्किल हो। शुरूआत का दौर हो सकता है कि मां के लिए थोड़ा थकान भरा हो। ऐसा कुछ सप्ताह के लिए ही होता है। क्लस्टर फीडिंग को कैसे करें मैनेज करें, इसलिए मां को अपनी हेल्थ के लिए भी कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जानिए यहां :
- मां को अपनी सेहत के लिए अपनके खाने- पीने का पूरा ध्यान रखना चाहिए। बच्चे को फीड करवाने के साथ ही खुद भी हेल्दी स्नैक्स खाएं, ताकि शरीर में पोषक तत्व की कमी ना हो।
- दिनभर में क्लस्टर फीडिंग के लिए स्तनपान के दौरान समय अपनी पोजिशन बदलते रहें, ताकि पीठ में दर्द की समस्या न हो।
- क्लस्टर फीडिंग के दौरान आप चाहे तों ब्रेस्टमिल्क पंप का उपयोग कर सकती हैं।
- मां को समय-समय पर शिशु का चेकअप का चेकअप करवाते रहना चाहिए। डॉक्टर शिशु के वजन की जांच कर बताएंगे कि बच्चा सही से फीड कर रहा है या नहीं।
- यदि मां में दूध ठीक से नहीं बन रहा है, तो इस बारे में मां डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर मिल्क सप्लाई ठीक से न होने पर कुछ सप्लिमेंट्स और अच्छी डायट के बारे में सलाह दे सकते हैं।
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तो इस तरह आपने जाना कि बच्चे में क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) क्या है और इसे बच्चों में कैसे मैनेज करें। इसके आलावा कलस्टर के लिए बच्चे में अलग-अलग तरह के लक्षण भी नजर आ सकते हैं। यदि बार-बार फीड के बाद भी बच्चा रो रहा है, तो इसकी क्लस्टर फीडिंग (Cluster feeding) के अलावा कोई दूसरी वजह भी हो सकती है। ऐसे में मां को डॉक्टर से मिलने की जरूरत है। बच्चे में क्लस्टर फीडिंग से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करेँ।
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