डिलिवरी के वक्त महिलाओं को असहनीय दर्द होता है। कुछ मामलों में दर्द इतना ज्यादा होता है कि वे उसे सहन नहीं कर पातीं। ऐसी स्थिति में एपिड्यूरल एनेस्थिसिया दिया जाता है। यह दर्द को कम करके डिलिवरी को सहज बनाता है लेकिन, इसके कुछ साइड-इफेक्ट्स भी हैं। आज हम इस आर्टिकल में एपिड्यूरल एनेस्थिसिया और इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में बताएंगे।
एपिड्यूरल एनेस्थिसिया क्या है?
एपिड्यूरल एनेस्थिसिया एक दवा है, जो रीढ़ की हड्डी में दी जाती है (इंजेक्शन के रूप में)। रीढ़ की हड्डी में एक नर्व मौजूद होती है जो सिग्नल्स को बॉडी से दिमाग तक पहुंचाती है। जब हमारी बॉडी में कहीं भी खंरोच या चोट आती है तो यह त्वचा से संकेतों को प्राप्त करके दिमाग तक पहुंचाती है। इसके बाद हमें शरीर के उस हिस्से में दर्द का अहसास होता है। प्रेग्नेंसी में इस दवा का इस्तेमाल दर्द को कम करने के लिए किया जाता है।
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आम बोलचाल की भाषा में इसे पेन लेस डिलिवरी भी कहा जाता है। हालांकि, एपिड्यूयर एनेस्थिसिया नर्व को ब्लॉक कर दिमाग तक सिग्नल्स पहुंचाने से रोक देता है। एपिड्यूरल दवाइयां लोकल एनेस्थिसिया जैसे ब्यूपिनेकिन, क्लोरोप्रोकेन या लिडोकेन में आती हैं। लोकल एनेस्थिसिया के आवश्यक डोज को कम करने के लिए इसे नशीली दवाओं के साथ दिया जाता है।
एपिड्यूरल एनेस्थिसिया कैसे दिया जाता है?
एपिड्यूरल एनेस्थिसिया सिर्फ इसके विशेषज्ञों द्वारा ही दिया जा सकता है। डिलिवरी के वक्त डॉक्टर की टीम में एक एनेस्थेटिक एक्सपर्ट होता है, जो इसे देता है। एपिड्यूरल एनेस्थिसिया बेड पर लेटे हुए या बैठकर दिया जा सकता है। इसे देने से पहले लोअर बैक को लिक्विड सॉल्युशन से साफ कर लिया जाता है, जिससे संक्रमण ना हो। इसके बाद एक इंजेक्शन के जरिए लोअर बैक की लुंबर सेक्शन की वर्टीब्रा में कैथर्ड डाला जाता है। इसके माध्यम से एनेस्थिसिया की दवा नर्व में डाली जाती है। कई बार डॉक्टर इसे देने से पहले आपको एक तरफ करवट लेने के लिए कह सकता है।
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ऐसा करने से इसकी प्रभाविकता बढ़ जाती है। एपिड्यूरल एनेस्थिसिया का असर इसे लगाने के 15 से 20 मिनट बाद शुरू हो जाता है। यह आखिरी 10 घंटों से ज्यादा वक्त तक रह सकता है।
एपिड्यूरल एनेस्थिसिया के साइड इफेक्ट्स
2006 में एनसीबीआई में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, एपिड्यूरल एनेस्थिसिया कई अलग-अलग प्रकार की दवाइयों से मिलकर बनता है। इसलिए, इसके साइड इफेक्ट्स भी अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में खुजली जैसी समस्या हो सकती है। दवाइयों के बदलने से यह ठीक हो जाती है। शोध में एपिड्यूरल एनेस्थिसिया के साइड इफेक्ट्स के बारे में कुछ जानकारी मिली है जो नीचे दी गई है।
एपिड्यूरल एनेस्थिसिया के सामान्य साइड इफेक्ट्स
ब्लड प्रेशर का कम होना
शोध में पाया गया कि 100 में से 14 मामलों में महिलाओं को डिलिवरी के दौरान एपिड्यूरल एनेस्थिसिया देने से उनका ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। इससे उनको उबकाई आ सकती है।
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बुखार
शोध में पाया गया कि 100 में से 23 मामलों में एपिड्यूरल एनेस्थिसिया से बुखार की समस्या हो सकती है।
यूरिन पास करने में दिक्कत
एनसीबीआई में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, एपिड्यूरल एनेस्थिसिया यूरिन पास करने की प्रक्रिया को मुश्किल बना सकता है। एपिड्यूरल के दौरान यूरिन पास करने के लिए एख यूरिनरी कैथर की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि, यह दिक्कत 100 में से 15 महिलाओं के मामले में सामने आ सकती है। एपिड्यूरल एनेस्थिसिया से पैर भी सुन्न हो सकते हैं।
यदि इंजेक्शन ज्यादा गहराई में लगाया जाए तो स्पाइन कॉर्ड के आसपास मौजूदा प्रोटेक्टिव लेयर्स ड्यूरा में एक छेद हो सकता है। इससे स्पाइन फ्लूड का रिसाव हो सकता है। अधिक फ्लूड निकलने पर इससे सिर में दर्द हो सकता है। यह अगले कुछ दिनों तक हो सकता है। हालांकि, ऐसे मामले 100 महिलाओं में से एक में सामने आते हैं।
शोध में यह भी पाया गया कि एपिड्यूरल के अतिरिक्त दर्द को कम करने वाली अन्य दवाइयां लेने वाली महिलाओं में सिर दर्द की संभावना ज्यादा थी। वहीं, एपिड्यूरल लेने वाली महिलाओं में इसकी संभावना कम थी।
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एपिड्यूरल एनेस्थिसिया में कमर दर्द?
वहीं, कुछ महिलाओं को एपिड्यूरल एनेस्थिसिया की वजह से कमर में लंबे समय तक दर्द के बने रहने की चिंता थी। लेकिन, मौजूदा उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, एपिड्यूरल एनेस्थिसिया लेने वाली महिलाओं में ज्यादा कमर दर्द का होना नहीं पाया गया है। वहीं, पेन किलर के रूप में दूसरी दवाइयां लेनी वाली महिलाओं में कमर का दर्द होना एक सामान्य है।
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शिशु में एपिड्यूरल एनेस्थिसिया के साइड इफेक्ट्स
2006 में एनसीबीआई में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, दूसरी पेन किलर दवाइयों के मुकाबले एनेस्थिसिया का शिशु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसी कारण की वजह से डिलिवरी में एनेस्थिसिया शिशु के लिए सुरक्षित माना जाता है।
शोध के अनुसार एपिड्यूरल एनेस्थिसिया का लॉन्ग टर्म में शिशु पर कोई असर नहीं होता है। हालांकि, इसमें एक अंतर जरूर पाया गया। एपिड्यूरल एनेस्थिसिया लेने वाली महिलाओं की डिलिवरी में अधिक समय लग सकता है। एपिड्यूरल एनेस्थिसिया के इस्तेमाल के दौरान कुछ शिशु सही पुजिशन में आने के लिए थोड़ा वक्त लेते हैं इसलिए डिलिवरी में अधिक समय लग सकता है।
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एपिड्यूरल लेने के क्या फायदे हैं?
प्रसव के समय होने वाले दर्द से बचाव के लिए एपिड्यूरल सबसे प्रभावी उपाय होता है। यदि इसकी खुराक सही तरह से दी जाए तो डॉक्टर या नर्स द्वारा टॉप-अप दिया जा सकता है। यानी की आपको एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है। आपको सारे समय संकुचन महसूस हो सकता है लेकिन एनेस्थीसिया के कारण आपको दर्द महसूस नहीं होगा है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और एपिड्यूरल एनेस्थिसिया से संबंधित जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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