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स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (SRI) क्या है? किस तरह गर्भधारण में है मददगार?

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (SRI) क्या है? किस तरह गर्भधारण में है मददगार?

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (SRI) एक तरह की तकनीक है जिसकी मदद से महिला गर्भवती हो सकती है। SRI तकनीक की मदद से स्पर्म महिला के यूट्रस में डाला जाता है। इस प्रक्रिया में 4 घंटे तक का वक्त लग सकता है। स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) में स्पर्म बैलून केथेटर और इनसेमिनेशन सिरिंज से डाला जाता है। इसके लिए EVIE मेडिकल डिवाइस की सहायता ली जाती है। अगर सामान्य भाषा में इसे समझें तो यह इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन (IUI) की तरह होता है। इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन भी गर्भधारण की एक कृत्रिम तकनीक है। इसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के नाम से भी जाना जाता है। आईयूआई (IUI) में पुरुष के स्पर्म को महिला के यूट्रस में डाला जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन होता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन के तुलना में स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) से गर्भवती होना ज्यादा आसान है।

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (SRI) से गर्भधारण है आसान

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) समझने के बाद यह जानने की कोशिश करते हैं कि इनफर्टिलिटी की समस्या दूर करने के लिए इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन (IUI) और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की भी मदद ली जा सकती है।

इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन (IUI)-

IUI गर्भधारण की एक कृत्रिम तकनीक है। इसे इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के नाम से भी जाना जाता है। आईयूआई (IUI) में पुरुष के स्पर्म को महिला के यूट्रस में डाला जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन होता है। आईयूआई करने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब में पहुंचाना होता है, जिससे फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, आईयूआई का प्रयोग उन कपल्स में किया जाता है, जिन्हें अनएक्सप्लेनड इनफर्टिलिटी की समस्या होती है लेकिन, IUI प्रॉसेस के बाद संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स स्टेराॅइल इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए संक्रमण की संभावना कम हो सकती है। अगर ऑव्युलेशन के लिए मेडिसिन का यूज किया जा रहा है तो कभी-कभी शिशु के लिए खतरा हो सकता है। प्रजनन दवाइयां शिशुओं के खतरे को बढ़ाती हैं। दवाइयों के सेवन से एक से ज्यादा एग रिलीज होते हैं और ये मल्टिपल प्रेग्नेंसी के लिए जिम्मेदार होते हैं। डॉक्टर्स की टीम एक साथ कई एग रिलीज को रोकने के लिए अल्ट्रासाउंड की सहायता से निगरानी करते हैं। साथ ही वे आपको अलग दवा के सेवन की सलाह भी देते हैं। इस दौरान डॉक्टर द्वारा बताए गए स्टेप्स ही फॉलो करने चाहिए।

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)-

आईवीएफ (IVF) फर्टिलिटी की एक सहायक साइंटिफिक प्रॉसेस है। जिसमें पुरुष के स्पर्म और एक महिला के मैच्योर एग्स को लैब में यूट्रस के बाहर फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद इसमें एक या अधिक निषेचित अंडे (भ्रूण) को महिला के गर्भाशय में इम्प्लांट किया जाता है। आईवीएफ एक कठिन प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल फर्टिलिटी में मदद और गर्भधारण करते वक्त बच्चे में अनुवांशिक विकार को रोकने के लिए भी किया जाता है। रिसर्च के अनुसार भारत में 10 से 15 % मैरिड कपल्स इनफर्टिलिटी की समस्या से परेशान हैं।

IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) से जुड़े जानकार मानते हैं कि 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में IVF 40 प्रतिशत तक सक्सेसफुल होता है। वहीं 35 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं में IVF सक्सेस रेट कम हो सकती है।आईवीएफ (IVF) को सफल बनाना आसान है। इसे सफल बनाने के लिए सही वक्त का चयन करना जरूरी है। IVF एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जून, जुलाई और अगस्त महीना सबसे सही समय होता है। यही नहीं IVF (आईवीएफ) को सफल बनाने के लिए विटामिन-डी भी जरूरी है। इसलिए गर्मी का मौसम IVF को सफल बनाने के लिए यह समय सबसे सही माना जाता है।

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) का चयन क्यों करें?

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) का निम्नलिखित कारणों से चयन करना चाहिए।

  • 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन (IUI) की तुलना में स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) ज्यादा बेहतर विकल्प माना जाता है।
  • स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) ज्यादा खर्चीला नहीं होता है।
  • पेल्विक कैविटी में डिस्चार्ज हुए स्पर्म को सुरक्षित रखता है।
  • IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसी तकनीक की तुलना में स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) कम जटिल प्रक्रिया है।
  • पॉलीस्पेर्मिया और इम्योनोलॉजिकल रिएक्शन के खतरे को स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) प्रॉसेस कम करता है।

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स्लो रिलीज इनसेमिनेशन किसके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है?

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) को 1st फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के तौर पर अपनाया जाता है। जैसे-

  • कपल में इनफर्टिलिटी की समस्या होने पर।
  • महिला में सर्वाइकल म्यूकस की परेशानी होना।
  • पुरुषों में एंटी स्पर्म एंटीबॉडीज होना।
  • रेट्रोग्रेड इजैकुलेशन (सीमेन का वापस ब्लैडर में लौटना)।

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स्लो रिलीज इनसेमिनेशन के साइड इफेक्ट्स (Slow release insemination side effects)

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) के निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जैसे-

इन साइड इफेक्ट्स के साथ-साथ अन्य परेशानियां हो सकती हैं क्योंकि शारीरिक बनावट के कारण भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन किन महिलाओं के लिए है मददगार?

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) 20 से 40 वर्ष तक की महिलाओं के लिए गर्भधारण करने के लिए बेहतर ऑप्शन है।

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन किन कपल्स के लिए मददगार है?

किसी कारण महिला के यूट्रस या फैलोपियन ट्यूब से जुड़ी कोई परेशानी हो।

वे कपल (दोनों में से एक) जिनका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 30 से कम हो।

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन के दौरान महिला को कैसे कपड़े पहनने चाहिए?

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) महिला के थाई (जांघ) पर सॉफ्ट बेल्ट की मदद से EVIE मेडिकल डिवाइस लगाई जाती है। ऐसे में स्लो रिलीज इनसेमिनेशन एक्सपर्ट आरामदायक कपड़े पहनने की सलाह देते हैं। महिला को इस दौरान घुटने तक की स्कर्ट या प्लाजो पहनने की सलाह देते हैं। इसलिए कम्फर्टेबल कपड़े पहनने और इस समय टाइट कपड़े न पहनें।

EVIE मेडिकल डिवाइस फिट होने के पहले बाथरूम का प्रयोग जरूर कर लें। जिससे कुछ घंटे के इस प्रॉसेस में वॉशरूम जाने की जरूरत न पड़े।

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स्लो रिलीज इनसेमिनेशन के दौरान कितना वक्त अस्पताल में लगता है?

स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) करवाने के पहले इस बारे में एक्सपर्ट से जरूर समझें। इस दौरान 15 मिनट का वक्त लगता है लेकिन, कभी-कभी ज्यादा वक्त भी लग सकता है।

इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन (IUI) और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) या स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) प्रॉसेस को ठीक से समझें। अगर आप स्लो रिलीज इनसेमिनेशन, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या  इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। स्लो रिलीज इनसेमिनेशन को सफल बनाया जा सकता है लेकिन, इसे समझना बेहद जरूरी है क्योंकि ज्यादातर कपल इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या फिर सरोगेसी से जुड़ी जानकारी हासिल करते हैं। स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination)की चर्चा इन तकनीकों की तुलना में कम की जाती है।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको स्लो रिलीज इनसेमिनेशन (Slow release insemination) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

The effect of slow release insemination on pregnancy rates: report of two randomized controlled pilot studies and meta-analysis/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/Accessed on 13/12/2019

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Intrauterine insemination (IUI)/https://www.hfea.gov.uk/Accessed on 13/12/2019

In vitro fertilization (IVF)/https://medlineplus.gov/ency/article/007279.htm/Accessed on 13/12/2019

The effect of slow release insemination on pregnancy rates: report of two randomized controlled pilot studies and meta-analysis https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5350232/ Accessed on 13/12/2019

 

Current Version

29/12/2021

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nidhi Sinha

Updated by: Nidhi Sinha


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Nidhi Sinha


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/12/2021

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