जो कपल सामान्य तरीके से माता-पिता नहीं बन पाते वह मेडिकल साइंस की कई तकनीकों के सहारे पेरेंट्स बनते हैं। भ्रूण स्थानांतरण भी उन्हीं में से एक है जो आईवीएफ का मुख्य हिस्सा है। भ्रूण स्थानांतरण के बाद भी प्रेग्नेंसी की सौ फीसदी गारंटी नहीं होती है। ऐसे में इसके सक्सेस चांस को बढ़ाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना और डॉक्टर की सलाह पर अमल करना बहुत जरूरी है।
भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer) क्या है?
महिला के अंडाणुओं को निकालने के बाद उसे पुरुष के स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है। जब वह फर्टिलाइज हो जाते हैं तो इसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। सामान्य प्रेग्नेंसी में जहां भ्रूण महिला की फैलोपियन ट्यूब में फर्टिलाइज होते हैं वहीं आईवीएफ या अन्य तकनीक में लैब में भ्रूण को फर्टिलाइज करें गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है
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भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer) के बाद क्या होता है?
- फर्टिलाइजेशन के बाद एक स्वस्थ भ्रूण शेल से टूट कर बाहर आ जाता है।
- 2-5 दिन के भीतर भ्रूण गर्भाश्य की दीवार से जुड़ जाता है।
- भ्रूण स्थानांतरण के 9-11 दिन के बाद ही प्रेग्नेंसी कंफर्म करने के लिए ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए।
भ्रूण स्थानांतरण की सफलता किस पर निर्भर करती है?
भ्रूण स्थानांतरण की सफलता में दो चीजों का अहम योगदान होता है, पहला है भ्रूण की गुणवत्ता और दूसरा गर्भाशय का उसे ग्रहण करने की क्षमता यानी प्रत्यारोपण के बाद गर्भाशय भ्रूण को रखने की क्षमता रखता है या नहीं। अधिकांश भ्रूण प्रत्यारोपण क्रोमोसोमल असमान्यताओं की वजह से असफल हो जाते हैं, जिससे पता चलता है कि महिलाओं की बढ़ती उम्र में प्रत्यारोपण के सफल होने की संभावना कम हो जाती है। यदि महिलाओं के अंडाणुओं की क्वालिटी अच्छी नहीं है तो प्रत्यारोपण के लिए स्वस्थ भ्रूण नहीं बनेंगे। ऐसी स्थिति में एग डोनर की मदद ली जा सकती है।
ध्यान दें
आईवीएफ तकनीक का अंतिम चरण होता है भ्रूण स्थानांतरण। महीनों दवा और इंजेक्शन देने के बाद आपके शरीर को इसके लिए तैयार किया जाता है और भ्रूण स्थानांतरण के दो महीने बाद ही प्रेग्नेंसी के बारे में सटीक जानकारी मिल पाती है। इस दौरान आपके शरीर में कुछ बदलाव होते हैं। चलिए आपको बताते हैं भ्रूण स्थानांतरण के बाद क्या शारीरिक बदलाव होते हैं।
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भ्रूण स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपको कम से कम दो हफ्ते इंतजार करना होता है और इस दौरान अपना ध्यान भी रखना होता है ताकि भ्रूण ठीक से गर्भाशय में विकसित हो सके। भ्रूण स्थानांतरण के बाद महिलाओं में कुछ शारीरिक बदलाव भी आते हैं।
ब्लीडिंग
भ्रूण स्थानांतरण के बाद लगभग सभी मामलों में थोड़ी ब्लीडिंग होती है यह पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग जैसी नहीं होती, बस थोड़ी मात्रा में होती है और 2-3 दिन में ठीक हो जाती है। ऐसा आमतौर पर सर्विक्स में ट्यूब के पास होने के कारण होता है। यदि आपको भी यह लक्षण दिखें तो घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह सामान्य है।
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चक्कर, झुनझनी, पेट या कमर में दर्द
भ्रूण स्थानांतरण के बाद ये सारे लक्षण दिखना आम है। दरअसल, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आईवीएफ तकनीक में भ्रूण स्थानांतरण के लिए पहले ओवरी को अधिक अंडे बनाने के लिए उत्तेजित किया जाता है। फॉलीक्यूल पंक्चर या बॉडी के पीरियड्स के लिए तैयार होने के परिणामस्वरूप भी ये लक्षण दिखते हैं। यदि अंडाणु डोनर से लिए गए हैं तो यह लक्षण हार्मोनल ट्रीटमेंट की वजह से दिख सकते हैं। इसके अलावा वेटिंग पीरियड के दौरान होने वाले तनाव की वजह से भी चक्कर आ सकता है।
निप्पल का सख्त होना और सूजन
यह भी एक सामान्य लक्षण है जो भ्रूण स्थानांतरण के बाद दिखता है। ऐसा एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन से पहले हार्मोन के एडमिन्स्ट्रिंग के कारण होता है। इन दोनों हार्मोन की वजह से लिक्विड रिटेन्शन, ब्लॉटिंग और ब्रेस्ट में हैवी सेंसेशन महसूस होता है।
भावनात्मक बदलाव
शारीरिक बदलावों के साथ ही प्रेग्नेंसी की प्रतीक्षा कर रही महिलाओं में चिंता, घबराहट, अनिद्रा जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं। ये सब स्ट्रेस के कारण होता है। 14 दिनों का वेटिंग टाइम महिलाओं के लिए बहुत कठिन होता है, क्योंकि इसके बाद ही उन्हें पता चल पाता है कि भ्रूण स्थानांतरण के लिए इतने दर्द सहने के बाद वह सफल हुआ या नहीं। आगे क्या होगा बस इसी उधेड़बुन में महिला का दिमाग लगा रहता है, कहीं प्रेग्नेंसी फेल हो गई तो, जैसी बातें सोचकर वह घबराती रहती हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें अपना ध्यान कहीं और लगाने की कोशिश करनी चाहिए, जैसे कोई बुक पढ़ें, फिल्म देखें, दोस्तों से किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा आदि।
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भ्रूण स्थानांतरण की प्रक्रिया के बाद प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ाने के लिए आपको कुछ सावधानी बरतने की जरूरत हैः
- भ्रूण स्थानातंरण के 48 घंटे तक स्विमिंग नहीं करना चाहिए और न ही स्टीम बाथ लें।
- अल्ट्रासाउंड में जब तक भ्रूण साफ तौर पर दिख नहीं जाता, यह प्रक्रिया सफल नहीं मानी जाती और आपको तब तक सेक्स से परहेज करना चाहिए।
- 2 हफ्ते के वेटिंग टाइम में शरीर को आराम दें, बहुत अधिक शारीरिक श्रम न करें।
- इस दौरान भारी सामान भी न उठाएं।
- डायट का खास ख्याल रखें। अपने भोजन में प्रोटीन से भरपूर चीजें शामिल करें।
- एक साथ अधिक खाने कि बजाय 5-6 बार लगातार थोड़ा-थोड़ा खाएं।
- अधिक एक्सरसाइज और वॉकिंग न करें, लेकिन घर में ही थोड़ा टहलें। यह प्रक्रिया के 2-3 दिन बाद करें।
- डॉक्टर से बिना पूछें, कोई भी दवा न खाएं।
- स्मोकिंग, एल्कोहॉल और कैफीन युक्त चीजों का सेवन बिलकुल न करें।
- इस दौरान वजन कम करने की कोशिश भी न करें।
भ्रूण स्थानांतरण के बाद करें यह काम
आराम करें
आमतौर पर भ्रूण स्थानांतरण के बाद आराम की सलाह दी जाती है। भ्रूण स्थानांतरण के 2 हफ्ते बाद ही प्रेग्नेंसी कंफर्मेशन के लिए टेस्ट किया जाता है। ऐसे में ये दो हफ्ते खुद को रिलैक्स रखें। इस प्रक्रिया के दौरान आपको बहुत कुछ सहना पड़ा है, इसलिए अब अपने शरीर को थोड़ा आराम दें। पर्याप्त नींद लें और अपना पूरा ध्यान रखें।
अधिक एक्सरसाइज और संबंध बनाने से बचें
भ्रूण स्थानांतरण के बाद आपको अपनी नॉर्मल एक्टिविटीज पूरी तरह से बंद करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हैवी एक्सरसाइज करने की भूल न करें। प्रक्रिया के दौरान आपकी ओवरी बड़ी और संवेदनशील हो जाती है इसलिए उसका ध्यान रखने की जरूरत है। हैवी एक्सरसाइज और सेक्स से इसको नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए इस दौरान दोनों से दूरी बनाकर रखें।
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डायट का ध्यान
आपको अपने पूरे प्रेग्नेंसी ट्रीटमेंट में डायट का खास ध्यान रखना होगा। प्रोटीन और फाइबर से भरपूर चीजें ज्यादा खाएं। भ्रूण स्थानांतरण के बाद यह मान लें कि आप प्रेग्नेंट है और उसी हिसाब से पौष्टिक भोजन करें। ताजे फल और सब्जियों को डायट में शामिल करें, लेकिन हाई मर्करी ( High Mercury) वाली फिश से परहेज करें। आपको किसी तरह का विटामिन सप्लिमेंट लेना है या नहीं इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें। साथ ही निकोटिन, कैफीन और एल्कोहॉल जैसी हानिकारक चीजों से दूरी बनाकर रखें। एक साथ अधिक खाने की बजाय दिन में 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं।
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अधिक तापमान से परहेज
हॉट टब, सोना बाथ, हॉट योग और कोई भी ऐसी एक्टिविटी जिसमें तापमान सामान्य से अधिक होता है, से परहेज करें। भ्रूण स्थानांतरण के बाद बेहतर होगा कि आप पूल, टब आदि में नहाने के लिए न जाएं, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा रहता है।
दवा लेना न भूलें
भ्रूण स्थानांतरण के बाद डॉक्टर ने आपको जो भी दवाएं खाने को दी हैं, उसे समय पर खाएं। प्रेग्नेंसी की सफलता के लिए यह बहुत जरूरी है। डॉक्टर की हर सलाह और निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें। साथ ही किसी अन्य तरह की समस्या होने पर डॉक्टर को पूछे बिना कोई दवा न लें।
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भ्रूण स्थानांतरण असफल होने पर क्या होता है?
दो हफ्ते के बाद डॉक्टर आपका ब्लड टेस्ट करके प्रेग्नेंसी की पुष्टि करता है। यदि टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव है तो आपको कम से कम 8-10 हफ्ते फर्टिलिटी टीम की निगरानी में रखा जाता है, ताकि वह आपकी गर्भावस्था के विकास पर नजर रख सकें। सब ठीक है या नहीं यह जांचने के लिए डॉक्टर समय-समय पर ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड करता है, लेकिन यदि टेस्ट रिजल्ट निगेटिव आता है तो इसका मतलब है कि प्रक्रिया असफल हो गई। ऐसे में कुछ कपल दोबारा तुरंत ही नए सिरे से ट्रीटमेंट शुरू कराना चाहते हैं, जबकि कुछ थोड़े समय के ब्रेक बाद दोबारा ट्रीटमेंट करवाते हैं। भ्रूण स्थानांतरण हर मामले में सफल ही हो यह आवश्यक नहीं है।
हम आशा करते हैं कि भ्रूण स्थानांतरण पर आधारित यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। किसी बारे में कोई भी कंफ्यूजन होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। ।
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